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देश भर में सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 18 फीसदी पद और माध्यमिक स्कूलों में 15 फीसदी पद खाली हैं। यह आंकड़े दिसंबर 5, 2016 को मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा लोकसभा में पेश किए गए हैं।

यदी दूसरे तरीके के देखा जाए तो सरकारी स्कूलों में शिक्षक के छह पदों में से एक पद रिक्त है। यानी करीब 10 लाख शिक्षकों की सामूहिक रुप से कमी है।

ये आंकड़े राष्ट्रीय स्तर पर रिक्तियां दर्शाते हैं। कुछ राज्यों में सारे पद भरे गए हैं। लेकिन कुछ राज्यों में आधे से ज्यादा खाली हैं। जिन राज्यों की साक्षरता दर कम है, उन राज्यों में ज्यादा शिक्षकों की कमी देखी गई है। वर्ष 2015-16 के शिक्षा के आंकड़ों के अनुसार, भारत के 2600 लाख स्कूली बच्चों में से 55 फीसदी सरकारी स्कूल जाते हैं।

36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से झारखंड के माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की गंभीर रुप से कमी है। यदि आंकड़ों पर नजर डालें को झारखंड के माध्यमिक स्कूलों में 70 फीसदी शिक्षकों की कमी है, जबकि प्रथमिक स्कूलों में 38 फीसदी शिक्षकों की कमी है।

उत्तर प्रदेश के सभी माध्यमिक स्कूलों में आधे पद खाली हैं, जबकि बिहार और गुजरात में शिक्षकों के एक तिहाई पद रिक्त हैं।

शिक्षकों की कमी का कारण नियमित रुप से भर्ती न होना, रिक्द पदों को बंद न करना, शिक्षकों को गलत तरीके से तैनात करना, कुछ विषयों के लिए विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी होना है।

देश भर के सरकारी स्कूलों में 60 लाख शिक्षक के पदों में से करीब 900,000 प्राथमिक स्कूलों के और 100,000 माध्यमिक स्कूलों के पद रिक्त हैं। दोनों मिलाकर यह आंकड़ा 10 लाख आता है।

झारखंड उच्च विद्यालयों में 70% शिक्षक के पद रिक्त

Source: Lok Sabha, starred question 265, December 5, 2016

Note: Among the 10 states we have chosen for this visualisation, five have the largest number of teaching vacancies and five the fewest.

बड़े हिंदी भाषी राज्यों यानी बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में 33.3 करोड़ लोग रहते हैं। इन राज्यों में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में जितने शिक्षकों की जरूरत है,उस आवश्यकता की तुलना में सामूहिक रुप से एक चौथाई शिक्षकों की कमी है। दूसरी ओर गोवा, उड़ीसा और सिक्किम में कोई प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक का कोई पद खाली नहीं है।

असम में 3.9 फीसदी, हिमाचल प्रदेश में भी 3.9 फीसदी और महाराष्ट्र में 2 फीसदी रिक्त पदों के साथ इन तीनों बड़े राज्यों में माध्यमिक स्कूल में शिक्षकों के पद लगभग पूरे हैं। मिजोरम और सिक्किम में कोई रिक्तियां रिपोर्ट नहीं की गई है। देखा जाए तो, भारत के हिन्दी भाषी क्षेत्रों में ही शिक्षकों के ज्यादा पद खाली हैं।

हिन्दी भाषी राज्यों में शिक्षकों की कमी, पूर्वी राज्य ट्रैक पर

Source: Lok Sabha, starred question 265, December 5, 2016

Note: Among the 10 states we have chosen for this visualisation, five have the largest number of teaching vacancies and five the fewest.

सिक्किम एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां प्राथमिक या माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक का एक भी पद के रिक्त होने की सूचना नहीं है।

हिंदी भाषी उत्तर भारत के बड़े शहर और केंद्र शासित प्रदेश जैसे कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और चंडीगढ़ शिक्षक की कमी को दर्शाते हैं। दोनों शहरों में सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्राथमिक स्कूलों में 25 फीसदी शिक्षकों की कमी है।

(वाघमारे विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 12 दिसम्बर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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