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मुंबई: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अकेले या राजनीतिक गठबंधन के रूप में भारत में 29 राज्यों में से 18 राज्यों पर शासन करता है, जो भारत की लगभग 63 फीसदी आबादी का घर है। लेकिन केवल एक भाजपा शासित राज्य, हिमाचल प्रदेश ही भारत में पांच सर्वश्रेष्ठ शासित राज्यों की सूची में है। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है।

बेंगलुरु स्थित वैचारिक संस्था, ‘पब्लिक अफेयर्स सेंटर’ (पीएसी) द्वारा तैयार पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स ( पीएसी ) 2018 ने 10 व्यापक विषयों, 30 केंद्रित विषयों और 100 संकेतकों का उपयोग करके राज्य शासन का मूल्यांकन किया है, जैसा कि इस वेबसाइट से पता चलता है। इनमें कानून-व्यवस्था, आर्थिक स्वतंत्रता, पर्यावरण, पारदर्शिता आदि शामिल हैं। यह सूचकांक का तीसरा संस्करण है। पिछले संस्करण यहां और यहां देखे जा सकते हैं।

रैंकिंग के क्रम में शीर्ष पांच राज्य केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक हैं। इनमें से, केरल वाम डेमोक्रेटिक फ्रंट द्वारा नेतृत्व कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी), तमिलनाडु अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझागम (एआईएडीएमके), तेलंगाना, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और कर्नाटक द्वारा जनता दल (सेक्युलर) -कांग्रस गठबंधन द्वारा शासित है।

शीर्ष 10 सूची में जो सभी दक्षिणी राज्य शामिल हैं, उनमें से कोई भी भाजपा द्वारा शासित नहीं है। इस सूची में चार राज्य भाजपा द्वारा शासित हैं और दो कांग्रेस (अकेले या गठबंधन में) द्वारा शासित हैं। तेलुगू देशम पार्टी द्वारा शासित आंध्र प्रदेश नौवें स्थान पर है।

ये रैंक महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि भाजपा ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे के साथ विकास के वादे पर सत्ता में आई थी।

7 अप्रैल, 2014, जिस दिन पार्टी का चुनाव घोषणापत्र जारी किया गया था, उस दिन प्रधान मंत्री की वेबसाइट, narendramodi.in, पर लिखा गया था, "चुनाव घोषणापत्र, जो सुशासन और विकास के मूल मुद्दों के आसपास घूमता है, कीमतों में वृद्धि, भ्रष्टाचार, काले धन और नीति पक्षाघात की चिंताओं से निपटने के लिए पार्टी के लक्ष्य पर विस्तार से चर्चा करता है।"

पीएआई इंडेक्स ने दिल्ली समेत 30 राज्यों को स्थान दिया है। शीर्ष दो राज्यों ( केरल और तमिलनाडु ) की कुल रैंकिंग तीन वर्षों से समान बनी हुई है।

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के फैकल्टी, नारायण ए ने इंडियास्पेंड को बताया, "ये (दक्षिणी) राज्य ऐतिहासिक रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। यह भाजपा की उपस्थिति या अनुपस्थिति नहीं है। केरल और तमिलनाडु जैसे अन्य पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जाति के राज्यों के लिए राजनीति की प्रकृति एक कारक हो सकता है। "

उन्होंने कहा कि एक प्रबुद्ध या राजनीतिक रूप से सक्रिय आबादी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए सरकारों पर दबाव डालती है।

छोटे राज्यों में हिमाचल प्रदेश का प्रदर्शन बेहतर

हिमाचल प्रदेश छोटे राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है। यदि राज्य की जनसंख्या 20 मिलियन से कम है, तो , राज्य को ‘छोटे’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

12 छोटे राज्यों में से, जो इस सूची में हैं, उनमें से आट में या तो भाजपा की सरकार है या भाजपा की सत्ता में हिस्सेदारी है। गोवा और त्रिपुरा शीर्ष पांच में अपना स्थान बनाया है। गैर-बीजेपी सत्ता वाले राज्य के रूप में मिजोरम, जहां कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार है,गोवा और सिक्किम के बाद तीसरे स्थान पर है।

18 बड़े राज्यों (20 मिलियन से अधिक आबादी के साथ) में, शीर्ष चार दक्षिण भारतीय राज्य हैं, इसके बाद भाजपा शासित गुजरात और महाराष्ट्र हैं। बिहार बड़े राज्यों में समग्र समेकित रैंकिंग की सूची में निचले स्थान पर है।

बड़े राज्यों के लिए पीएआई इंडेक्स के तल पर झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश अन्य राज्य थे। सभी चार बड़े राज्य भाजपा शासित हैं।

गुजरात के नेतृत्व में भाजपा शासित राज्यों में सबसे अधिक आर्थिक आजादी

रिपोर्ट में कहा गया है, "आर्थिक स्वतंत्रता का विषय राज्य सरकारों द्वारा राज्य में कारोबारी माहौल में सुधार के प्रयासों की पड़ताल करता है।"

गुजरात पांच राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है, जहां सबसे आर्थिक स्वतंत्रता है, जबकि महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है। हिमाचल प्रदेश और हरियाणा से पहले तीसरे स्थान पर तेलंगाना, इस श्रेणी में बिना भाजपा सरकार वाला एकमात्र राज्य है।

नारायण कहते हैं, "भाजपा आर्थिक और राजनीतिक अधिकार का प्रतीक बन गई है। वे पार्टी को ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश करना चाहते हैं जो व्यवसाय को बढ़ावा देता है जो निवेश के लिए राह आसान बनाता है।"

नारायण कहते हैं कि गुजरात की तरह, दक्षिणी राज्य व्यापार करने में आसानी का अनुभव नहीं कर सकते हैं लेकिन तमिलनाडु और कर्नाटक ने विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को आकर्षित करने में अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि झारखंड और मध्य प्रदेश जैसे राज्य भूमि या त्वरित मंजूरी प्रदान करते हैं, लेकिन इसे केवल ‘चुनिंदा सुशासन’ माना जा सकता है।

विश्व बैंक की 'व्यवसाय करने में आसानी' सूचकांक पर शीर्ष 100 रैंकिंग में भारत 30 अंक ऊपर गया है, और इसका श्रेय संकेतकों में प्रमुख सुधार, जैसे कि दिवालियापन को हल करना, करों का भुगतान करना, अल्पसंख्यक निवेशकों की रक्षा करना और क्रेडिट प्राप्त करना, को दिया जा सकता है, जैसा कि ‘द हिंदू बिजनेस लाइन’ की 31 अक्टूबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया गया है।

2016 में पहली बार पीएआई प्रकाशित होने के बाद से गुजरात आर्थिक स्वतंत्रता के लिए लगातार पहले स्थान पर रहा है। बिहार को इस पहलू पर बड़े राज्यों में अंतिम स्थान दिया गया है।

कानून और व्यवस्था में दिल्ली और त्रिपुरा का बद्तर प्रदर्शन

बड़े राज्यों में तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र का अपराध प्रबंधन और कानून व्यवस्था के प्रबंधन में सबसे अच्छा रिकॉर्ड रहा है। हरियाणा और झारखंड इस सूची में आखिरी स्थान पर हैं। शीर्ष पांच सबसे सुरक्षित राज्यों में गुजरात सहित दो भाजपा शासित राज्य हैं, और पश्चिम बंगाल सहित तीन राज्य अन्य पार्टियों द्वारा शासित हैं।

इस विषय में अन्य कारकों के बीच हिंसा, अत्याचार और बलात्कार, हत्या, प्रति 100,000 आबादी पर दहेज के कारण होने वाली मौत सहित पुलिस की भूमिका जांच की गई है।

भारत में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ 39 अपराधों की सूचना है, जबकि 2007 में यह आंकड़े 21 थे, जैसा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो द्वारा भारत में अपराध 2016 रिपोर्ट में बताया गया है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 12 दिसंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "यह इंगित करना दिलचस्प है कि केरल के पास बहुत अधिक एफआईआर होने के बावजूद, उनके निपटारे और सजा दर के मामले में राज्य ने अच्छा प्रदर्शन किया है। राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस तरह की उच्च संख्या में अपराधों की सूचना मिलने का कारण जागरूकता और सामाजिक आक्रामकता बताया है। इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता है कि यह पुलिस में एक संस्थान के रूप में अत्यधिक भरोसे का संकेत है। "

नागालैंड और गोवा छोटे राज्यों में सबसे अच्छे थे, जबकि दिल्ली और त्रिपुरा इस सूची में नीचे थे। ये दो राज्य पीएआई में तीन वर्षों से नीचे रहे हैं। 30 राज्यों की कुल रैंकिंग के अनुसार नागालैंड सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।

दिल्ली पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों से 2016 तक दिल्ली में हर साल होने वाले बलात्कार की संख्या तीन गुना हुई है। यानी 2011 में 572 से 277 फीसदी की वृद्धि दर्ज कर 2016 में बलात्कार की संख्या 2,155 हुई है। इस संबंध में इंडियास्पेंड ने 8 जुलाई, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।

पर्यावरण और पारदर्शिता पर दिल्ली का स्थान नीचे

पर्यावरण व पारदर्शिता और जवाबदेही के मामले में आम आदमी पार्टी द्वारा शासित दिल्ली सूची में अंतिम स्थान रखा गया है।

विश्व वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक मूल्य पंजीकरण ( ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कण प्रदूषण का समग्र माप ) के साथ दिल्ली में वायु गुणवत्ता 13 जून, 2018 को 999 के 'खतरनाक' स्तर पर है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 18 जून, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।

वैश्विक स्तर पर, भारत ने पर्यावरणीय स्वास्थ्य के मामले में खराब प्रदर्शन किया है। यह अब पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2018 के निचले पांच देशों में से एक है। 2016 में 141 अंक पर था उससे 36 स्थान नीचे चला गया है, जैसा कि ‘ द हिंदू’ ने 24 जनवरी, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।

कर्नाटक बड़े राज्यों में इस श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ के रूप में उभरा, जबकि अरुणाचल प्रदेश को छोटे राज्यों में शीर्ष पर रखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, "दो राज्य, जो कुछ अलग रहे, उसमें एक है गुजरात, जो पिछले तीन वर्षों से सात रैंक गिरकर 10 पर है और दूसरा है तेलंगाना, जो पिछले साल 17 पर था और अपनी स्थिति में सुधार कर अब सात पर है। "

पारदर्शिता और जवाबदेही में ई-गवर्नेंस प्लान के तहत प्रदान की जाने वाली सेवाओं, पंजीकृत भ्रष्टाचार के मामलों के रूप में निपटाए गए भ्रष्टाचार के मामलों और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत सामाजिक लेखापरीक्षा शामिल हैं।

पारदर्शिता पैमाने पर कर्नाटक और हरियाणा शीर्ष दो राज्य हैं। केरल 2017 और 2018 के बीच इस संबंध में बड़े राज्यों में आठ स्थान गिरकर 11 वें स्थान पर आ गया है। लेकिन इसी अवधि के दौरान तेलंगाना की रैंकिंग सात स्पॉट बढ गई है। राज्य 4 वें स्थान पर है।

(पलियथ विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 25 जुलाई, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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