5,275 इरादतन चूककर्ताओं (माल्या सहित) के पास बैंकों के 56,621 करोड़ बकाया
मुंबई में, भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में लगे लोगो पर लाईट लगाता बिजली मिस्त्री। पिछले 13 वर्षों में इरादतन चूककर्ताओं के पैसे में नौ गुना वृद्धि हुई है।
बैंगलोर: शराब कारोबारी विजय माल्या (60) और उसकी 7,000 करोड़ रुपए का बकाया आज काफी सुर्खियों में है, लेकिन देश में 5,275 अन्य ‘इरादतन चूककर्ता’ हैं – इन सबका भारतीय बैंकों पर 56,521 करोड़ रुपए बकाया है। यह आंकड़े क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (इंडिया) लिमिटेड (सिबिल), बैंकों द्वारा डिफॉल्टर की जानकारी इकट्ठा करने के लिए स्थापित एक कंपनि, द्वारा सामने लाए गए हैं।
सिबिल आंकड़ों पर इंडियास्पेंड के विश्लेषण के अनुसार, पिछले 13 वर्षों के दौरान, इरादतन चूककर्ताओं के पास भारतीय बैंकों के पैसों में नौ गुना की वृद्धि हुई है और केंद्रीय बजट 2016-17 में कृषि और किसान कल्याण (35,984 करोड़ रुपये) के लिए केंद्र सरकार के आवंटन से डेढ़ गुना अधिक है।
बैंक उधारकर्ताओं को इरादतन चूककर्ता तब घोषित करती है जब वे अपनी क्षमता होने के बावजूद जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाते हैं। कई बकाया जानबूझ कर नहीं होते हैं एवं प्रतिकूल आर्थिक स्थिति के कारण होते हैं। माल्या की बंद किंगफिशर एयरलाइंस सिबिल सूची में – इंडियासेपंड के पास उपलब्ध है – चौथे स्थान पर है।
इरादतन चूककर्ताओं की सिबिल सूची
भारत की पांच प्रमुख इरादतन चूककर्ताओं मे, मुबंई स्थित विनसम डायमंड्स एंड ज्वेलरी लिमिटेड और एसोसिएट फॉरएवर प्रिशियस ज्वेलरी एंड डॉयमंड लिमिटेड हैं। इन दोनों पर बैंकों के कुल 3263 करोड़ रुपए बकाया है। इसके बाद इंदौर स्थित रियल स्थिल डेवलपर ज़ूम डेवलपर्स (करोड़ 1,647 रुपये), किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड (1,200 करोड़ रुपये), मुंबई स्थित बीटा नापतौल (951 करोड़ रुपये) और कानपुर स्थित रजा टेक्सटाइल्स (694 करोड़ रुपये) का स्थान है।
टॉप 10 इरादतन चूककर्ता
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, विनसम डायमंड्स एंड ज्वेलरी लिमिटेड को छोड़कर, अन्य कंपनियां दिवालियापन के विभिन्न चरणों में हैं। पिछले हफ्ते दो मुख्य बैंक, (भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) जिन्होंने सबसे अधिक ऋण दिया है) द्वारा विनसम डॉयमंड और किंगफिशर एयरलाइंस को भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं मिला है। इरादतन चूककर्ताओं द्वारा बकाया देय राशि में एसबीआई की हिस्सेदारी 32 फीसदी है।
13 वर्षों में इरादतन चूककर्ता द्वारा बकाया राशि में नौ गुना वृद्धि
2002 में, मनमाने देनदारों द्वारा कुल बकाया राशि 6,291 करोड़ रुपये (0.95 बिलियन डॉलर ) था। जैसा कि हमने बताया है, पिछले 13 वर्षों में यह बकाया राशि में नौ गुना वृद्धि, यानि कि 56,521 करोड़ रुपये (8.56 बिलियन डॉलर ) तक पहुंचा है।
एस नागराजन, महासचिव, अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ, कहते हैं कि, “सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अध्यक्षों, लेखा परीक्षकों, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एवं बैंकों के बोर्डों के बीच एक शक्तिशाली गठजोड़ देश के कुल गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) और इरादतन चूककर्ताओं के पीछे का मुख्य कारण हैं।”
किसी भी अन्य राज्यों की तुलना में, महाराष्ट्र में सबसे अधिक इरादतन चूककर्ता हैं: 1,138, जिन पर 21,647 करोड़ रुपये बकाया है। इसके बाद 710 के आंकड़ों के साथ पश्चिम बंगाल एवं 567 मामलों के साथ आंध्र प्रदेश है। लेकिन बकाया के मामले में 7299 करोड़ रुपये के साथ दिल्ली दूसरे स्थान पर है।
25 लाख रुपए एवं अधिक की सूट दायर खाते (इरादतन चूककर्ता)
As of 31 December, 2015; Suit-filed accounts refer to those where a civil loan-recovery suit is filed against the defaulter.
उधार दी गई राशि में राष्ट्रीयकृत बैंकों की हिस्सेदारी 79 फीसदी है।
कम से कम 19 राष्ट्रीयकृत बैंकों में 4,738 इरादतन चूककर्ताओं का रिकॉर्ड है जिनके पास बैंकों के करीब 26,600 करोड़ रुपए हैं। इनमें से, भारतीय स्टेट बैंक और उसके सहयोगियों के रिकॉर्ड में 1,546 इरादतन चूककर्ता हैं जिनके पास 47,350 करोड़ रुपए बकाया हैं। सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों के इरादतन चूककर्ता, निजी और विदेशी बैंकों की तुलना में अधिक हैं।
Credit Grantor | Records | Value (Rs crore) |
---|---|---|
SPECIFIED UNDERTAKING OF UNIT TRUST OF INDIA | 24.00 | 378.54 |
EXPORT IMPORT BANK OF INDIA | 4.00 | 223.11 |
UTI MUTUAL FUND | 14.00 | 126.29 |
Total | 42.00 | 727.94 |
CITIBANK N.A. | 4.00 | 18.30 |
DEUTSCHE BANK | 1.00 | 31.84 |
DOHA BANK QSC | 2.00 | 72.05 |
STANDARD CHARTERED BANK | 25.00 | 301.41 |
BANK OF BAHRAIN & KUWAIT B.S.C. | 2.00 | 23.31 |
CREDIT AGRICOLE CORPORATE & INVESTMENT BANK | 4.00 | 16.06 |
Total | 38.00 | 462.97 |
ANDHRA BANK | 283.00 | 2,428.47 |
BANK OF BARODA | 192.00 | 1,368.79 |
BANK OF MAHARASHTRA | 92.00 | 775.56 |
ALLAHABAD BANK | 30.00 | 487.74 |
DENA BANK | 142.00 | 802.30 |
INDIAN BANK | 36.00 | 1,200.28 |
INDIAN OVERSEAS BANK | 1.00 | 13.80 |
ORIENTAL BANK OF COMMERCE | 339.00 | 3,545.83 |
PUNJAB AND SIND BANK | 24.00 | 247.56 |
PUNJAB NATIONAL BANK | 698.00 | 9,445.06 |
UNION BANK OF INDIA | 611.00 | 2,990.87 |
VIJAYA BANK | 105.00 | 1,894.91 |
CENTRAL BANK OF INDIA | 639.00 | 3,574.09 |
Total | 3,192.00 | 28,775.25 |
AXIS BANK LTD | 126.00 | 993.88 |
CATHOLIC SYRIAN BANK | 30.00 | 108.73 |
DEVELOPMENT CREDIT BANK LTD | 1.00 | 0.20 |
DHANALAKSHMI BANK LTD. | 67.00 | 164.63 |
HDFC BANK LIMITED | 51.00 | 242.67 |
ICICI BANK LIMITED | 18.00 | 393.54 |
INDUSIND BANK LTD. | 120.00 | 899.75 |
KARNATAKA BANK LTD. | 7.00 | 60.54 |
KARUR VYSYA BANK LTD. | 31.00 | 375.37 |
KOTAK MAHINDRA BANK | 61.00 | 5,442.20 |
TAMILNAD MERCANTILE BANK LIMITED | 31.00 | 178.55 |
THE FEDERAL BANK LTD | 195.00 | 803.09 |
THE JAMMU AND KASHMIR BANK LIMITED | 2.00 | 1.22 |
THE RATNAKAR BANK LTD | 8.00 | 30.17 |
THE SOUTH INDIAN BANK LIMITED | 40.00 | 524.97 |
YES BANK | 4.00 | 30.23 |
Total | 792.00 | 10,249.75 |
STATE BANK OF BIKANER & JAIPUR | 80.00 | 1,609.06 |
STATE BANK OF HYDERABAD | 197.00 | 2,088.72 |
STATE BANK OF INDIA | 1,034.00 | 12,091.23 |
STATE BANK OF MYSORE | 69.00 | 1,029.85 |
STATE BANK OF PATIALA | 101.00 | 847.85 |
STATE BANK OF TRAVANCORE | 65.00 | 909.76 |
Total | 1,546.00 | 18,576.47 |
Grand Total | 5,610.00 | 58,792.38 |
As of 31 December, 2015; Suit-filed accounts refer to those where a civil loan-recovery suit is filed against the defaulter.
नाम न बताने की शर्त पर सिंगापुर स्थित बैंक के एक वरिष्ठ कार्यकारी प्रबंधक कहते हैं, “राजनीतिज्ञ और चूककर्ताओं के बीच गठजोड़ के कारण अक्सर बैंक सिबिल को बकाया ऋण की रिपोर्ट नहीं करते हैं। किंगफिशर सूची में है क्योंकि इसके पास अब बचाव के लिए कुछ नहीं है। यही कारण है कि कॉरपोरेट को निजी और विदेशी बैंकों की तुलना में सरकारी बैंकों द्वारा आसानी से ऋण मिल जाता है।”
निजी क्षेत्र बैंकों में भी अवैतनिक ऋण एक समस्या है, लेकिन उनके बकाया ऋण सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों की तुलना में आधे स्तर पर है, जिनकी कुल ऋण में 73 फीसदी की हिस्सेदारी, जैसा की इंडियास्पेंड ने पहले भीबताया है।
सनत दत्ता, 10 से अधिक वर्षों के लिए ऋण वसूली न्यायाधिकरण में राष्ट्रीयकृत बैंकों के लिए एक वकील, कहते हैं कि, “कॉरपोरेट को ऋण उपलब्ध कराने के लिए सरकारी बैंकों पर सांसदों द्वारा भारी दबाव रहता है, राजनीतिज्ञ - नौकरशाह - कॉरपोरेट गठजोड़ बहुत मजबूत है।”
चूककर्ताओं ने क्या किया ऋण के साथ – दुबई में डॉयमंड, अमरिका में ज़मीन, क्रिकेट टीम
भारत के इरादतन चूककर्ताओं का सार्वजनिक बैंकों से ऋण विभिन्न प्रयोजनों के लिए उपयोग करने का इतिहास रहा है - अपने कारोबार के लिए कुछ असंबंधित, और कुछ का व्यापार परिश्रम के बगैर विस्तार के लिए इस्तेमाल किया गया है।
इरादतन चूककर्ताओं में एक अंग्रेजी दैनिक डेक्कन क्रॉनिकल है – जो बकाया ऋण के बावजूद बचा हुआ है, यह राशि, एक क्रिकेट टीम सहित अन्य व्यवसायों के लिए इस्तेमाल किया गया है- और मुंबई स्थित जेबी डायमंड है, 2010 में 800 करोड़ बकाया के बाद आयकर छापे का लक्ष्य रहा था।
एक बार भारत के सबसे बड़ा हीरा निर्यातक , 49 वर्षीय जेबी डॉयमंड पर हांगकांग बैंकिंग व्यवस्थापक ने “सुनियोजित धोखाधड़ी” लेनदेन का आरोप लगाया था - कंपनी पर हांगकांग बैंकों के 500 करोड़ रुपये बकाया हैं।
जतिन मेहता - भारत की सबसे बड़ी इरादतन चूककर्ता, विनसम डॉयमंड और सहयोगी ऑरएवर प्रिशियश के के प्रमोटर – पर व्यापार भागीदार के बकाया न लौटाने पर खुद को गलत तरीके से अलग करते पर फोरेंसिक ऑडिट (इंडियन एक्सप्रेस में यहाँ उद्धृत) का आरोप लगाया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय. जिसने भूमि संलग्न का आदेश दिया, के अनुसार, विजय चौधरी, ज़ूम डेवलपर्स के प्रमोटर, जिन पर पीएनबी बैंक के नेतृत्व में 26 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एक संघ के लिए पैसा बकाया है, ने लिए गए ऋण का इस्तेमाल अमरिका में ज़मीन खरीदने पर लगाया है। इंडिया टूडे में उद्कृत कुर्की का आदेश कहता है, “आरोपी जानबूझकर विभिन्न न्यास लाभार्थी कंपनियों का गठन किया है और ट्रस्ट एवं और विदेशी कंपनियों के बीच के रिश्ते को छुपाते हुए उन्हें स्वतंत्र संस्थाओं के रूप में पेश किया है।”
माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस पर एसबीआई का आरोप है कि, लिए गया ऋण माल्या के यूनाइटेड ब्रेवरीज (यूबी) समूह की विभिन्न कंपनियों के लिए इस्तेमाल किया गया है। माल्या और उनकी कंपनी (यूबी समूह) एसबीआई के आरोपों के खिलाफ लड़ रही हैं एवं वर्तमान में बंबई उच्च न्यायालय में मामला चल रहा है।
देश भर में, ऋण वसूली न्यायाधिकरण में इरादतन चूककर्ताओं के खिलाफ कई मामले चल रहे हैं। कई ऐसे भी हैं जो कानूनी लड़ाई से बच निकले हैं।
सिबिल में दिखाए गए आंकड़ों से अधिक संख्या में हैं इरादतन चूककर्ता
चार ऋण सूचना कंपनियों (सीआईसी) में से एक है सिबिल जो 25 लाख रुपए से अधिक बकाया रखने वाले चूककर्ताओं का लेखाजोखा रखता है। तीन अन्य सीआईसी हैं, एक्सपीरियन क्रेडिट इनफॉर्मेशन कंपनि ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, इक्वीफैक्स क्रेडिट इनफॉर्मेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड एवं हाई मार्क क्रेडिट इनफॉर्मेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड।
सिबिल सूची में, दिसंबर 2015 तक, 90 भारतीय बैंकों में से 50 बैंकों द्वारा प्रदान की गई इरादतन चूककर्ताओं – 25 लाख रुपए से अधिक बकाया – के आंकड़े शामिल हैं। अन्य तीन सीआईसी द्वारा आयोजित बकाएदारों की सूची यहां है: इक्वीफैक्स, एक्सपेरियन और सीआरआईएफ।
इरादतन चूककर्ताओं की पूरी सूची भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास है, जो नामों का खुलासा नहीं करता है। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई से उन चूककर्ताओं की सूची मांगी है जिनके पास बैंकों के 500 करोड़ रुपए से अधिक बकाया हैं।
आरबीआई की सूची में वो नाम शामिल हैं जिनके खिलाफ ऋण वसूली सूट दायर किया गया है एवं जो कानूनी कार्रवाई से मुक्त हैं। लोकसभा में पेश एक बयान के अनुसार, सितंबर 30, 2015 तक कम से कम 7,265 उधारकर्ताओं (जिन्होंने 25 लाख से अधिक का ऋण लिया है) के पास सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों के 64,434 करोड़ रुपये बकाया हैं। इनमें से केवल 1,624 मामलों में एफआईआर – पहला कानूनी कदम – दर्ज किया गया है।
इरादतन चूककर्ता - 25 लाख रुपए से अधिक
सिबिल सूची के अनुसार, इरादतन चूककर्ता के अलावा, 7,436 अन्य को पास बैंकों के 115,301 करोड़ रुपए बकाया हैं। जैसा कि हमने पहले कहा है सिबिल सूची में दिखाए गए आंकड़ों के अलावा भी अन्य चूककर्ता हैं।
Suit-filed Accounts Of Rs 1 crore & Above | ||
---|---|---|
Credit Grantors | Records | Value (Rs crore) |
EXPORT IMPORT BANK OF INDIA | 3 | 51 |
SPECIFIED UNDERTAKING OF UNIT TRUST OF INDIA | 90 | 1,306 |
UTI MUTUAL FUND | 30 | 284 |
Total | 123 | 1,643 |
ANZ BANK ( AUSTRALIA AND NEW ZEALAND BANKING GROUP LTD ) | 1 | 31 |
BANK OF BAHRAIN & KUWAIT B.S.C. | 3 | 18 |
CITIBANK N.A. | 70 | 1,333 |
CTBC BANK CO LTD | 6 | 73 |
DEUTSCHE BANK | 15 | 216 |
DOHA BANK QSC | 12 | 210 |
FIRSTRAND BANK LIMITED | 12 | 371 |
JP MORGAN CHASE BANK NA | 14 | 377 |
JSC VTB BANK | 1 | 7 |
STANDARD CHARTERED BANK | 140 | 490 |
STATE BANK OF MAURITIUS LIMITED | 9 | 215 |
THE HONGKONG AND SHANGHAI BANKING CORPORATION LTD | 18 | 467 |
Total | 301 | 3,811 |
ALLAHABAD BANK | 300 | 6,473 |
ANDHRA BANK | 294 | 5,207 |
CENTRAL BANK OF INDIA | 952 | 7,718 |
INDIAN BANK | 44 | 394 |
INDIAN OVERSEAS BANK | 206 | 4,829 |
ORIENTAL BANK OF COMMERCE | 515 | 8,273 |
PUNJAB AND SIND BANK | 60 | 601 |
VIJAYA BANK | 112 | 1,906 |
Total | 2,483 | 35,403 |
AXIS BANK LTD | 356 | 5,121 |
CATHOLIC SYRIAN BANK | 31 | 230 |
DEVELOPMENT CREDIT BANK LTD | 17 | 129 |
DHANALAKSHMI BANK LTD. | 69 | 453 |
HDFC BANK LIMITED | 249 | 2,347 |
ICICI BANK LIMITED | 338 | 6,830 |
IDBI BANK LIMITED | 1 | 4 |
IDFC BANK LTD | 4 | 2 |
INDUSIND BANK LTD. | 123 | 1,401 |
KARNATAKA BANK LTD. | 61 | 606 |
KARUR VYSYA BANK LTD. | 33 | 576 |
KOTAK MAHINDRA BANK | 404 | 7,144 |
TAMILNAD MERCANTILE BANK LIMITED | 34 | 270 |
THE JAMMU AND KASHMIR BANK LIMITED | 100 | 974 |
THE LAKSHMI VILAS BANK LIMITED | 30 | 432 |
THE RATNAKAR BANK LTD | 7 | 71 |
THE SOUTH INDIAN BANK LIMITED | 69 | 721 |
YES BANK | 36 | 297 |
Total | 1,962 | 27,616 |
STATE BANK OF BIKANER & JAIPUR | 101 | 1,980 |
STATE BANK OF HYDERABAD | 226 | 3,725 |
STATE BANK OF INDIA | 1,972 | 36,105 |
STATE BANK OF MYSORE | 125 | 1,694 |
STATE BANK OF TRAVANCORE | 143 | 3,320 |
Total | 2,567 | 46,826 |
Grand Total | 7,436 | 115,301 |
As of 31 December, 2015; Suit-filed accounts refer to those where a civil loan-recovery suit is filed against the defaulter.
1 करोड़ रुपए और अधिक के सूट दायर खाते
As of 31 December, 2015; Suit-filed accounts refer to those where a civil loan-recovery suit is filed against the defaulter.
यदि, भारत के सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों द्वारा दिए गए अवैतनिक ऋण वापस बरामद किए जाते हैं तो वह भारत के 2015 के भारत के रक्षा, शिक्षा, राजमार्गों, और स्वास्थ्य पर 2015 खर्च के लिए भुगतान करने के लिए पर्याप्त होगा, जैसा की इंडियास्पेंड ने पहले भी विस्तार से बताया है। सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों के यह बकाया ऋण या सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) जैसा कि बैंकिंग की भाषा में कहा जाता है, अब 4.04 लाख करोड़ रुपए (59 बिलियन डॉलर) से पार चला गया है, मार्च 2011 के बाद से 450 फीसदी की वृद्धि हुई है।
माल्या की किंगफिशर की समस्या अब सबके सामने हैं।
किंगफिशर के बाद सफाई शुरु
2010 में, किंगफिशर एयरलाइंस ने 17 उधारदाताओं , ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र बैंकों से 6,900 करोड़ रुपये लिए हैं। 1,600 करोड़ रुपये के साथ सबसे बड़ा ऋणदाता एसबीआई है।
अन्य बैंक जिसने किंगफिशर को ऋण दिया है उनमें पंजाब नैशनल बैंक, आईडीबीआई (800 करोड़ रुपए प्रति बैंक) बैंक ऑफ इंडिया (650 करोड़ रुपए), बैंक ऑफ बड़ोदा (550 करोड़ रुपए) सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (410 करोड़ रुपए) शामिल हैं।
ऋण में घाटा एवं एनपीए एवं बैंकिंग क्षेत्र के मुनाफे में हो रहे गिरावट के साथ भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने यह स्पष्ट किया है कि अपनी बैलेंस शीट को साफ और परियोजनाओं को वापस पटरी पर डालने के लिए बैंकों "गहरी शल्य चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है।"
स्थिति में सुधार लाने के लिए वकील दत्ता का सुझाव है कि प्रतिभूतिकरण और वित्तीय आस्तियों के पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित अधिनियम, 2002 में संशोधन की आवश्यकता है। दत्ता का कहना है कि, “जैसा कि अभी अधिनियं सिविल प्रवृति की है हम बकाएदारों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं कर सकते हैं।”
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इन परिस्थिति में इरादतन चूककर्ता को परिभाषित करता है:
- (a) यदि सामर्थ्यम होने के बावजूद किसी इकाई ने ऋणदाता को ऐसा भुगतान/पुनर्भुगतान करने में चूक की हो जिसके लिए वह प्रतिबद्ध हो -
- (b) जब इकाई ने ऋणदाता को भुगतान/पुनर्भुगतान करने में चूक की हो तथा विशिष्टध प्रयोजनों हेतु ऋणदाता से प्रज्ञपत वित्ती का उन प्रयोजनों हेतु उपयोग नहीं करते हुए उपलब्ध् निधि का अन्यक प्रयोजनों हेतु उपयोग किया हो।
- (c) जब इकाई ने ऋणदाता को भुगतान/पुनर्भुगतान करने में चूक करते हुए उपलब्ध निधियों का अन्यपत्र उपयोग कर लिया हो जिसकी वजह से न तो विशिष्टण प्रयोजन हेतु निधियां उपलब्धत हो और न ही उक्तक इकाई में किसी अन्यध परिसम्प्त्ति के रूप में।
- (d) ऋणदाताओं की अनुमति बगैर अन्य। कंपनियों में शेयर/ऋण-लिखत अर्जित करने के लिए निवेश।
(घोष 101reporters.com के साथ जुड़े हैं। 101reporters.com भारतीय पत्रकारों का नेटवर्क है। घोष जनीतिक और सामाजिक प्रभाव पर लेख लिखते हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 17 मार्च 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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