मानसून में भी पानी को तरस रहे किसान, मिर्जापुर में पिछड़ी धान की बुवाई
मिर्जापुर जिले में पर्याप्त बारिश ना होने के कारण खरीफ फसलों की बुआई पिछड़ गई है। ज़िले के किसान मुख्य रूप से धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंग, मूंगफली, अरहर समेत अन्य फसलों की खेती करते हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक मानसून की शुरुआत से जुलाई महीने तक जिले में 116 मिमी बारिश हुई है जबकि औसतन 434 मिमी बारिश होती है
मिर्जापुर: मिर्जापुर जिले में पर्याप्त बारिश ना होने के कारण खरीफ फसलों की बुआई पिछड़ गई है। जिले के किसान मुख्य रूप से धान, ज्वार, बाजरा और मक्का आदि की खेती करते हैं। मानसून में हुई कम बारिश की वजह से किसानों को अब सूखे का डर सता रहा। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक मानसून की शुरुआत से जुलाई महीने तक जिले में 116 मिमी बारिश हुई है जबकि औसत 434 मिमी बारिश होती है।
हरौरा गांव के किसान श्यामलाल कहते हैं, “धान की रोपाई के लिए नर्सरी लगाई थी। लेकिन बारिश ना होने के कारण नर्सरी सूख गई। दूसरी फसलों के बीजों की बुवाई भी की थी। लेकिन वे उगे ही नहीं। मेरे पास सिंचाई के दूसरे संसाधन भी नहीं हैं। अब तो लग रहा इस साल सूखा ही पड़ जाएगा।“
श्यामलाल इस बात से चिंतित हैं कि अगर उपज नहीं हुई तो उनके परिवार का भरण पोषण कैसे होगा। ऐसे में वे अब बाहर जाकर मजदूरी करने की सोच रहे हैं।
गोड़टुटवां गांव के रहने वाले किसान विनोद कुमार के परिवार में आठ लोग हैं। उन्होंने बताया बारिश की एक बूँद भी नहीं गिरी है। ऐसे में हमारे लिए धान की खेती करना काफी मुश्किल है। खेत सूखे पड़े हैं। उन्होंने आगे बताया, “इस बार अभी तक एक बार भी बारिश नहीं हुई है। खेतों अरहर और बाजरे की बुवाई की थी जो उगी ही नहीं। यहाँ गांव में काम भी नहीं मिलता है। ऐसे में अगर उपज नहीं हुई तो बाहर जाना पड़ेगा।”
मिर्जापुर जिले के उप कृषि निदेशक विकेश कुमार पटेल के मुताबिक जिले में खरीफ के सीजन में धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, मूंग, मूंगफली, अरहर की खेती की जाती है। जिले में आच्छादन का लक्ष्य 100,422 हेक्टेयर है। सीजन में 60,792 हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की बुवाई का लक्ष्य रखा था जो कि 28 जुलाई के महीने तक 59% ही पूरा हो पाया है। उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में बारिश नहीं हुई है उन क्षेत्रों के किसानों को हम मोटे, अनाज अरहर बाजरा समेत अन्य फसलों की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।