प्रशासनिक अव्यवस्था: “पूर्ण साक्षर राज्य” का तमगे के मध्य पहाड़ी क्षेत्रों में शिक्षा की हालत खस्ता
"पूर्ण साक्षर राज्य" घोषित होने के पश्चात भी ज़िला चम्बा का प्राइमरी स्कूल बना प्रशासनिक उपेक्षा की नज़ीर, ज़िला उपायुक्त से लेकर विधानसभा तक गूंजा मुद्दा, लेकिन आज भी स्कूल में तीन-तीन तबादलों के बाद एक भी अध्यापक ने नहीं संभाला कार्याभार, सभी स्थानांतरण आदेश हुए निरस्त। ज़िला भर में लगभग 30 प्राथमिक स्कूल प्रतिनियुक्ति शिक्षकों के सहारे।

राजकीय प्राथमिक पाठशाला लुड़ेरा के बच्चे स्थाई शिक्षकों की तत्काल नियुक्ति हेतु अपनी फरियाद सरकार से लगाते हुए। फ़ोटो - सुरिन्द्र कुमार।
चम्बा (हिप्र): हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 8 सितंबर को राजधानी शिमला में स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय साहित्य दिवस के अवसर पर हिमाचल प्रदेश को "पूर्ण साक्षर राज्य" घोषित किया है। मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कार्यक्रम में बताया कि हिमाचल में साक्षरता दर 99.30% तक पहुँच गई है, जो राष्ट्रीय मानक 95% से अधिक है और यह पहाड़ी राज्य छात्र-शिक्षक अनुपात में पहले स्थान पर है। हालांकि, ज़मीनी स्तर पर राज्य के कई प्राथमिक विद्यालय आज भी प्रतिनियुक्ति आधारित शिक्षण व्यवस्था पर निर्भर हैं।
धिमला पंचायत के लुड़ेरा गांव के निवासी विपन ठाकुर एक सड़क निर्माण मशीन ऑपरेटर है। सुबह-सुबह काम के लिए जाते हुए जब उनसे प्राइमरी स्कूल लुड़ेरा में स्थानांतरित शिक्षकों की जॉइनिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बड़े हताश होकर बताया कि प्राइमरी स्कूल लुडे़रा में उनके दो बच्चे पढ़ रहे हैं। लेकिन आज स्कूल के हालात यह है कि एक जेबीटी मास्टर के रिटायर्ड होने के बाद और चपरासी की ट्रांसफर होने के पश्चात स्कूल में सिर्फ बिल्डिंग और बच्चे रह गए हैं।
अगर, सरकार को लगता है कि स्कूल में महीने में डेप्युटेशन पर दो मास्टर भेज स्कूल का सही संचालन हो सकता है तो यह राज्य सरकार की एक गैर-जिम्मेदाराना खेल है। ऐसे में परेशानी बच्चों के भविष्य के बारे में सोच कर होती है, अभी तीन-चार महीने वैसे हो चुके हैं तीन महीने में इनकी वार्षिक परीक्षाएं होगी। ऐसे में हमारे बच्चों का भविष्य शिक्षा विभाग की सरपरस्ती में बिल्कुल बर्बाद हो रहा है, उन्होंने इंड़ियास्पेंड़ हिन्दी को बताया।
क्या है मामला?
जिला चम्बा के शिक्षा खंड मैहला-। के अंतर्गत आने वाला राजकीय प्राथमिक स्कूल लुड़ेरा में 31 मई को जेबीटी शिक्षक श्रीराम के सेवानिवृत्त हो जाने के पश्चात स्कूल पूर्णतः स्थाई शिक्षक विहीन हो चुका है, और कनिष्ठ बुनियादी प्रतिनियुक्ति शिक्षकों सहारे चल रहा है। जिनकी नियुक्ति नज़दीकी प्राथमिक पाठशाला कलवारा से हुई है।
इंडियास्पेंड हिन्दी ने अपनी जांच में पाया कि प्राथमिक स्कूल कलवारा में 35 बच्चे पढ़ रहे हैं, और स्कूल में दो शिक्षक हैं। जो महीने में एक-एक करके लुड़ेरा स्कूल में प्रतिनियुक्ति पर आते हैं। निश्चित तौर पर इससे दोनों स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
लुड़ेरा स्कूल में 04 जून को अशोक कुमार जेबीटी का तबादला प्राथमिक स्कूल तराला से होता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि वह मूल रूप से साथ की पंचायत से संबंधित है और उनके गांव से लुडे़रा स्कूल के लिए दूरी ढ़ाई किलोमीटर से भी कम है। शिक्षा विभाग द्वारा स्थानीय विधायक के प्रश्न के प्रत्युत्तर के अनुसार उन्हें एक दिन के भीतर स्कूल में कार्याभार संभालना चाहिए था। लेकिन, उनके स्थानांतरण के 26 दिन पश्चात 30 जून को निदेशालय उनके और राकेश कुमार के ट्रांसफ़र को निरस्त करने हेतु ऑफिस ऑर्डर जारी कर देता है। जिसके साथ दीप कुमार जेबीटी, के ऑर्डर लुड़ेरा स्कूल के लिए होते हैं।
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी ऑफिस ऑर्डर जिसमें राकेश कुमार और अशोक कुमार के ट्रांसफर आर्डर रद्द होने के साथ दीप कुमार के ट्रांसफर आर्डर प्राथमिक स्कूल लुड़ेरा के लिए होते हैं।
राकेश कुमार जेबीटी, जिनके निदेशालय द्वारा स्थानांतरण आदेश 21 जून को होते हैं। अशोक कुमार की ट्रांसफर के सत्रह दिन बाद। लेकिन इसमें इनके आर्डर के साथ दिलचस्प बात यह होती है कि 04 जून को स्थानांतरित शिक्षक के ट्रांसफर आर्डर रद्द नहीं होते हैं। जो आगे नौ दिन पश्चात होते हैं। यहां ध्यान देने योग्य मुख्य बात यह है कि इन जेबीटी शिक्षकों के तबादले उस स्कूल में हो रहे थे जहां एक भी स्थाई शिक्षक नहीं है, और स्कूल शिक्षा निदेशालय अब तक तीन तबादले संबंधित आदेश भी जारी कर चुका है।
केंद्र स्कूल बकाणी के मुख्याध्यापक किशोरी लाल के अनुसार राजकीय प्राथमिक पाठशाला लुड़ेरा (शिक्षा खंड मैहला-1, केंद्र बकाणी) में जेबीटी के दो स्वीकृत पद हैं। इनमें से एक पद फरवरी 2020 से रिक्त है, जबकि दूसरा पद मई 2025 से रिक्त हो चुका है। दोनों पद रिक्त होने के कारण विद्यालय वर्तमान में प्रतिनियुक्ति अध्यापकों के द्वारा संचालित किया जा है।
इसके साथ ही, इंडियास्पेंड हिन्दी ने अपनी पड़ताल में पाया है कि 8 अगस्त को प्राथमिक स्कूल लुड़ेरा में दैनिक वेतन भोगी के आधार पर कार्यरत चपरासी शीला देवी की पदोन्नति होने के उपरांत उन्हें दूसरे स्कूल में नियमित आधार पर स्थानांतरित कर दिया गया है। फलस्वरूप, स्कूल में न तो कोई स्थाई शिक्षक तैनात हैं और न ही अब चपरासी उपलब्ध है।
स्थानीय निवासी सुभाष कुमार बताते हैं कि आज के दौर में पढ़ाई के महत्व को समझते हुए जेबीटी मास्टर श्री राम के रिटायर्ड होने के लगभग दो-तीन दिन पहले हम स्कूली बच्चों के अभिभावकों ने प्राथमिक स्कूल शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर रिक्त हुए पद संबंधी जानकारी दी थी। जिसके फलस्वरूप अशोक कुमार की ट्रांसफर यहां हुई थी।
राजकीय प्राथमिक पाठशाला लुड़ेरा। फ़ोटो - सुरिन्द्र कुमार।
राजकीय प्राथमिक पाठशाला लुड़ेरा स्कूल प्रबंधन कमेटी की अध्यक्ष सुप्रिया चौहान ने इंडियास्पेंड़ हिंदी को बताया कि स्थानांतरित शिक्षक अशोक कुमार की जॉइनिंग नहीं करने की ज़िद्द के आगे शिक्षा विभाग को भी झुकना पड़ा है और तीन सप्ताह से अधिक समय के बाद अशोक कुमार के ट्रांसफर आर्डर रद्द किए बिना विभाग राकेश कुमार की ट्रांसफर करता है। पर वह भी विभागीय आदेशों को दरकिनार कर देते हैं।
सुप्रिया आगे बताती हैं कि विभाग किस प्रकार का खेल स्कूली बच्चों के भविष्य के साथ खेल रहा है समझना मुश्किल है। लेकिन, बिना शिक्षक वाले स्कूल के साथ इस तरह विभाग का पक्षपाती रवैया हमारी सिर दर्द बन चुका है। मैं शिक्षा विभाग से यही जानना चाहूंगी अगर दो मात्र दो-ढाई किमी की दूरी पर भी अगर एक टीचर ने ज्वाइनिंग नहीं करने संबंधी विभाग के पास अपना स्पष्टीकरण दिया होगा तो विभाग ने पूछा क्यों नहीं कि मास्टर साहब चाहते क्या हैं? क्योंकि वह अपनी ट्रांसफर के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय में भी जा चुके हैं।
शिक्षा अधिकार के अधिनियम के तहत, प्रत्येक सरकारी स्कूल में शिक्षक और अभिभावकों सहित एक स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) होती है। जो स्कूल के कामकाज की निगरानी करती है, विकास योजनाएँ तैयार कर धन का उचित उपयोग सुनिश्चित करती है–ताकि अभिभावकों को अपने बच्चों की शिक्षा में वास्तविक भागीदारी मिल सके। हिमाचल प्रदेश में कमेटी का कार्यकाल साल 2014 में एक साल से बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है।
शिक्षा विभाग का लुड़ेरा स्कूल के साथ उपेक्षित रवैया क्यों?
प्राथमिक स्कूल लुड़ेरा की स्कूल प्रबंधन कमेटी के सदस्य पूर्ण चंद बताते हैं कि अगर स्कूल शिक्षा निदेशालय ने तत्काल प्रभाव से बिना शिक्षक वाले स्कूल के लिए अशोक कुमार के ट्रांसफर आर्डर लिए किए थे तो विभाग दायित्व था कि वह लुड़ेरा स्कूल में अशोक कुमार ज्वाइनिंग सुनिश्चित करता न कि आदेश को रद्द करके बच्चों की पढ़ाई को फिर से अधर में छोड़ता।
अशोक कुमार का स्थानांतरण आदेश आने के पश्चात जीपीएस तराला की एसएमसी (स्कूल प्रबंधन कमेटी) एडीसी चंबा अमित मैहरा के पास उनकी ट्रांसफर को रद्द करने की अपील कर अपना विरोध व्यक्त करती है। इंडियास्पेंड हिंदी से बातचीत के दौरान एडीसी चंबा ने बताया कि स्कूल की स्कूल पर तराला प्रबंधन समिति ने अशोक कुमार के स्थानांतरण के पश्चात स्कूल के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होने पर अपनी बात रखी।
राजकीय प्राथमिक पाठशाला लुड़ेरा के जतिन कुमार (कक्षा पांचवी), दीक्षा (कक्षा पांचवी), रिया देवी (कक्षा तीसरी), अंकित कुमार (कक्षा पांचवी) शिक्षा विभाग से गुहार लगाते हुए, (दायें से)। फ़ोटो - सुरिन्द्र कुमार।
लेकिन इंडियास्पेंड हिन्दी ने अपनी खोज में पाया है कि शिक्षा खंड मैहला-। के अंतर्गत आने वाले राजकीय केंद्र प्राथमिक स्कूल तराला में लगभग 38 बच्चे पढ़ते हैं जबकि वहां तीन शिक्षक मौजूद थे, और अशोक कुमार का ट्रांसफर न केवल राज्य की रैशनलाइजेशन पॉलिसी के अंतर्गत स्कूल शिक्षा निदेशालय द्वारा किया गया है बल्कि 28 बच्चों वाले शिक्षक रहित स्कूल में उनका यह तबादला हुआ था। जो आदेश के तहत उन्हें हर हाल में तत्काल ज्वाइन करना था।
परिणामस्वरूप, अशोक कुमार राजकीय प्राथमिक स्कूल लुड़ेरा में ज्वाइन करने के बजाय निदेशालय के इस आदेश को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती देते हैं कि वे दिनांक 04.06.2025 के कार्यालय आदेश से व्यथित है, जिसके अंतर्गत उन्हें जीपीएस तराला (शिक्षा खंड मैहला-I) से जीपीएस लुडे़रा (शिक्षा खंड मैहला-I) में स्थानांतरित किया गया है। हाई कोर्ट ने उन्हें प्राधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने को कहा था।
स्कूल शिक्षा निदेशालय से जो भी आदेश आते हैं, हम उनका पूरी तरह पालन करते हैं,” जिला उपनिदेशक बलवीर पाल ने कहा। उन्होंने पुष्टि की कि तीनों स्थानांतरित शिक्षकों के तबादले रद्द कर दिए गए हैं। आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि जिले भर में लगभग 30 स्कूल ऐसे हैं जो प्रतिनियुक्ति के आधार पर चल रहे हैं।
विधानसभा सत्र में गूंजा तबादले का मुद्दा
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में ट्राईबल क्षेत्र भरमौर-पांगी विधायक डॉ जनक राज ने शिक्षा मंत्री से सवाल जब पूछा कि 1 जून 2025 से 31 जुलाई 2025 तक उनके निर्वाचन क्षेत्र भरमौर के अंतर्गत राजकीय प्राथमिक पाठशाला लुड़ेरा में कितनी बार शिक्षकों की नियुक्ति हुई है।
शिक्षा विभाग ने 21 अगस्त को लिखित उत्तर में बताया गया कि इस अवधि में किसी भी शिक्षक की नई नियुक्ति नहीं हुई है। हालांकि, स्कूल के लिए तीन बार शिक्षकों के स्थानांतरण आदेश जारी किए गए थे। इनमें से दो स्थानांतरण आदेश संबंधित प्राधिकारी द्वारा निरस्त कर दिए गए। तीसरे नियमित शिक्षक का स्थानांतरण आदेश माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 15 जुलाई 2025 को दिए गए आदेश के अनुपालन में रद्द कर दिया गया है।
वर्तमान समय में उक्त विद्यालय में एक कनिष्ठ बुनियादी शिक्षक प्रतिनियुक्ति के तौर पर सेवाएं दे रहा है। आदेशों की अनुपालना हेतु सरकार के दिशा निर्देशानुसार कार्य ग्रहण की अवधि को 30 किलोमीटर से ऊपर वाले स्थानों के लिए 5 दिन और 30 किलोमीटर से कम स्थानों के लिए 1 दिन निर्धारित किया गया है। शिक्षा विभाग द्वारा स्थानीय विधायक द्वारा पूछे गए प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया।
हालांकि शिक्षा विभाग का यह जवाब अत्यंत सतर्कता से तैयार किया गया प्रतीत होता है, मानो अपनी साख बनाए रखने के प्रयास में प्रत्येक शब्दों को सोच समझकर रखा गया हो। विभाग ने यह स्पष्ट तो कर दिया कि दीप कुमार के स्थानांतरण आदेश उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिए गए हैं। लेकिन, यह तथ्य साझा करने से विभाग ने पूर्णतः परहेज किया कि उसी उच्च न्यायालय ने 16 अगस्त की जजमेंट में स्थानांतरित (04 जून) शिक्षक अशोक कुमार को अभ्यावेदन हेतु भी विभाग के पास भेजा था।
लुड़ेरा स्कूल की रिया कुमारी (कक्षा तीसरी) शिक्षा मंत्री से गुहार लगाती हुई। फ़ोटो - सुरिन्द्र कुमार।
शिक्षा खंड मैहला-। से प्राप्त आरटीआई के अनुसार में खंड़ में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों (जीपीएस) की कुल संख्या 55 है। जहां स्वीकृत शिक्षण स्टाफ पद (जैसे जेबीटी, पैरा टीचर, प्रधानाध्यापक, आदि) में जेबीटी-107, पैरा टीचर-शून्य, प्रधानाध्यापक-10, सीएचटी-10 है । इसके अलावा शिक्षा खंड मैहला-I में रैशनलाईजेशन नीति के तहत कोई भी प्राथमिक विद्यालय बंद नहीं किया गया है।
इंडियास्पेंड हिन्दी को सुप्रिया बताती है कि स्कूल प्रबंधन कमेटी लुड़ेरा द्वारा स्कूल शिक्षा निदेशालय, उपायुक्त चंबा, राज्य बाल संरक्षण आयोग और मुख्यमंत्री सहित इस विषय के संबंध में अपनी आवाज पहुंच सकते थे हमने पत्र के माध्यम से और अभिभावकों ने पंचायत उप-प्रधान के साथ उपायुक्त चंबा से मिलकर भी अपनी बात रखी है।
लेकिन हैरानगी तब होती है, जब सिर्फ एकाएक करके निदेशालय से शिक्षकों के ऑर्डर निकलना शुरू होते हैं, लेकिन कार्यभार किसी ने नहीं संभाला और जिनकी ट्रांसफर सबसे पहले हुई है, उन्हें ना तो डिप्टी डायरेक्टर ने तलब किया और ना ही उपयुक्त साहब ने, ऐसी स्थिति में लुड़ेरा स्कूल प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो चुका है, उन्होंने कहा।
एक अन्य एसएमसी सदस्य बताती है कि अगर हमारे स्कूल के संबंध में प्रशासन, विभाग और सरकार इस कदर अनदेखी कर सकते हैं। तो दूरस्थ प्राइमरी स्कूलों के प्रति विभाग का रवैया कैसा होगा। इस हिसाब से रिमोट इलाकों में कोई भी शिक्षक कभी जाना ही नहीं चाहेगा तो ऐसे में विभाग क्या उनकी खुशामदी करेगा?
यह हमारे बच्चों के भविष्य बर्बाद करने जैसा है। क्योंकि 3 महीने बाद सालाना परीक्षाएं हैं और सरकार और विभाग ट्रांसफर-ट्रांसफर खेल रहा है।
शिक्षा के मूल अधिकार का उल्लंघन
अशोक कुमार का तबादला रद्द कर दिया गया है और वे फिलहाल जीपीएस तराला में ही सेवा दे रहे हैं, शांति प्रसाद, ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (बीईईओ), ने इंडिया स्पेंड हिन्दी को बताया।
दीक्षा और योगिता (कक्षा पांचवी) अपनी समस्या बताते हुए। फ़ोटो - सुरिन्द्र कुमार।
शिक्षा का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21A के अंतर्गत एक मौलिक अधिकार है। बच्चों का नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 यह प्रावधान करता है कि सरकार प्राथमिक शिक्षा के विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षण स्टाफ उपलब्ध कराएगी। लुड़ेरा स्कूल में शिक्षकों की नियुक्ति न होने से 28 विद्यार्थियों की शिक्षा बाधित हुई है और यह केवल प्रशासनिक उदासीनता नहीं, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21(क) के अंतर्गत प्रदत्त उनके मौलिक अधिकार तथा बच्चों के नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है, धिमला पंचायत उप प्रधान केवल वशिष्ठ ने बताया।
साल 2021 में, लगभग तीन दशक तक पढ़ाने के बाद सेवानिवृत्त हुए जीपीएस लुड़ेरा के जेबीटी शिक्षक राजेन्द्र सिंह बताते हैं, ‘साठ के दशक में स्कूल में हेड टीचर की पोस्ट हुआ करती थी। लेकिन जब उस समय के हेड टीचर का ट्रांसफर हुआ, तो उनके साथ यह पद भी उसी स्कूल में चला गया जहां उनका तबादला हुआ था। तब से आज तक लुड़ेरा प्राथमिक विद्यालय में हेड टीचर का पद खाली है।
वह आगे बताते हैं कि प्राधिकारियों की इस लापरवाही से जीपीएस लुड़ेरा के विद्यार्थियों की पढ़ाई में अनावश्यक और अनुचित व्यवधान उत्पन्न हुआ है। राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी के बावजूद विद्यालय को लंबे समय तक स्थाई शिक्षकविहीन छोड़ना न तो उचित है और न ही न्यायोचित।
तीन शिक्षकों की ट्रांसफर और उनके ज्वाइन नहीं करने के मुद्दे पर उन्होंने बड़ी बेवकी से इंडियास्पेंड हिंदी को बताया कि इस तरह की ‘ट्रांसफर गेम’ जब भी चलती है तो निश्चित तौर पर डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर सब पर दबाव बनाया जाता है। लुड़ेरा स्कूल के संबंध में भी कहीं ना कहीं यही हो रहा है वरना किसकी हिम्मत थी स्कूल शिक्षा निदेशालय के आदेश को नज़रंदाज़ अंदाज कर सके।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर याचिका के संदर्भ में न्यायाधीश संदीप शर्मा ने 26 जुलाई, 2025 को राज्य सरकार को लुडेरा स्कूल शिक्षा खंड मैहला में शिक्षकों की तैनाती के संबंध में चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। हालांकि, 6 सप्ताह बीत जाने के पश्चात भी राज्य सरकार की ओर से कोई जबाब नहीं आया है।
RTI में भी खुलासा स्कूल में शिक्षकों ने नहीं किया ज्वाइन पर ‘जन-हित’ का कोई जवाब नहीं
अशोक कुमार के स्थानांतरण आदेश की आरटीआई द्वारा मांगी गई जानकारी पर उपनिदेशक कार्यालय चम्बा से जब सूचना मांगी गई कि यदि 28 बच्चों के बिना शिक्षक वाले स्कूल लुड़ेरा में उनकी तैनाती को जन हित (Public Interest) में रोका गया है, तो यह किस प्रकार का जनहित था? जिस स्कूल में पहले से दो शिक्षक तैनात हैं, वहां तीसरे शिक्षक को रोके रखना और लुड़ेरा जैसी प्राथमिक पाठशाला को खाली छोड़ देना–किस तर्क पर जन हित कहलाता है? विभाग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि अशोक कुमार की सबसे ज्यादा जरूरत किस स्कूल को थी। क्या विभाग ने "जनहित" की कोई परिभाषा तय की है? इन सभी सवालों के बावजूद विभाग ने कोई जवाब नहीं दिया है।
इन सूचनाओं के जबाब में उपनिदेशक प्रारंभिक स्कूल कार्यालय चंबा द्वारा बताया गया कि यह विषय सूचना के अधिकार में नहीं आता है। कार्यालय द्वारा भारत सरकार द्वारा प्रकाशित ज्ञापन का हवाला देते हुए बताया गया की केवल कार्यालय में उपलब्ध रिकॉर्ड ही दिया जा सकता है और कोई प्रश्न या कारण सूचना के अधिकार में नहीं आते हैं।
उपनिदेशक प्रारंभिक स्कूल चंबा कार्यालय में सूचना में बताया कि उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार राजकीय प्राथमिक पाठशाला लुड़ेरा 1 जून से बिना अध्यापक के चल रही है। उक्त दो शिक्षकों द्वारा अपने उपस्थित नहीं दी गई थी। जिसमें शिक्षकों अशोक कुमार व राकेश कुमार एवं खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था।
आरटीआई में बताया गया कि अशोक कुमार राजकीय प्राथमिक पाठशाला तराला में ही कार्यरत हैं। वहीं राकेश कुमार केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला मन्होता में कार्यरत हैं। तीसरे स्थानांतरित शिक्षक के बारे में बताया गया कि प्राथमिक पाठशाला अपर तियारी से ट्रांसफर हुए दीप कुमार कनिष्ठ बुनियादी अध्यापक को 7 जुलाई को चार्ज सहित विमुक्त कर दिया है। उनके आदेश माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार के संदर्भ में राजकीय प्राथमिक पाठशाला गुवाड़ शिक्षा खंड (H) गरोला में कर दिए हैं। अतः प्रतिनियुक्ति पर अध्यापक को राजकीय प्राथमिक पाठशाला लुड़ेरा भेजा जा रहा है।