बांदा/हमीरपुर/ल‍ल‍ितपुर/झांसी: “गेहूं कट गया। अब द‍िल्ली जा रहा। साल में दो बार आना तो होता ही है, एक बार धान कटाई के समय, दूसरी बार गेहूं कटाई के समय। बाकी समय काम की तलाश में कभी द‍िल्‍ली तो कभी लखनऊ।”

आप वोट देने के लिए रुकेंगे नहीं? कला संकाय से स्‍नातक प्रेम कुमार इस सवाल का जवाब नाराज होते हुए देते हैं, “36 साल की उम्र हो गई है। न जाने क‍ितनी बार वोट दे चुका हूं। लेकिन हमारी स्‍थ‍ित‍ि तो बदली नहीं। वोट देने के लिए अपना नुकसान क्‍यों करेंगे। हमारे ज‍िले में रोजगार के नाम पर कुछ है ही नहीं। धान और गेहूं कटाई में भी द‍िनभर में 250-300 रुपए ही म‍िलता है। और अब तो मशीनों के आने के बाद यह काम भी कम होता जा रहा।”

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में रहने वाले प्रेम कुमार को द‍िल्‍ली में एक कपड़ा बनाने वाली एक कंपनी में जिंस के पैंट में बटन लगाने का काम म‍िला है, जहां उन्‍हें प्रत‍िद‍िन के ह‍िसाब से 700-800 रुपए म‍िलेगा। वह यह भी बताते हैं क‍ि द‍िल्‍ली में भी उन्‍हें बराबर काम नहीं म‍िलता। जहां काम म‍िलता, वहीं चले जाते हैं।

हमीरपुर उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है। वही बुंदेलखंड जो पानी की कमी और पलायन को लेकर चर्चा में रहता है। उत्तर प्रदेश और मध्‍य प्रदेश के 13 ज‍िलों को म‍िलाकर बने क्षेत्र बुंदेलखंड में इस लोकसभा चुनाव में भी यही दो बड़े मुद्दे हैं। इंड‍ियास्‍पेंड ह‍िंदी की टीम उत्तर प्रदेश के ह‍िस्‍से वाले बुंदेलखंड के कुछ ज‍िलों में गई और वहां के जमीनी मुद्दों को समझने की कोश‍िश की। यूपी की 80 लोकसभा सीटों में बुंदेलखंड की चार लोकसभा सीटें हैं जहां पांचवें चरण में 20 मई को बांदा-चित्रकूट, हमीरपुर-महोबा, जालौन और झांसी-ललितपुर वोटिंग है।

ललितपुर के नझाई बाजार में अमरेश सिंह परमार इस सीजन में कुल्‍फी बेच रहे हैं। सीजन के ह‍िसाब से वे काम बदलते रहते हैं। “ठंडी में अंडा बेचता हूं, गर्मी में कुल्‍फी। बाकी समय द‍िल्‍ली या लखनऊ चला जाता हूं। इसके अलावा यहां कोई दूसरा रोजगार तो है नहीं। हर साल चुनाव के समय नेता जब वोट मांगने आते हैं, तब कहते हैं क‍ि हमारे यहां बड़ी-बड़ी फैक्‍ट्री लग रही, उससे रोजगार म‍लेगा। पता नहीं कब फैक्‍ट्री लेगेगी, कब काम म‍िलेगा।”

हालांक‍ि ललितपुर से लगभग 100 क‍िलोमीटर दूर झांसी शहर के युवाओं को आने वाले समय से उम्‍मीद है। ऐसा इसलिए भी है क्‍योंक‍ि उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा की तर्ज पर विकसित किए जाने वाले बुंदेलखण्ड औद्योगिक विकास प्राधिकरण (बीआईडीए) के गठन को मंजूरी दे दी है। बीआईडीए के पहले चरण में झांसी जिले के 33 गांवों की 35,000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कर एक औद्योगिक शहर स्थापित करने की योजना है।

झांसी शहर के ही रहने वाले आकाश पराशर कहते हैं, “अभी तक तो कोई बेहतर रोजगार का मौका बना नहीं है। लेकिन आने वाले समय में हमें उम्‍मीद है क‍ि सरकार की योजनाएं जब जमीन पर उतरेंगी तो रोजगार के मौके पर भी म‍िलेंगे तो पलायन भी रुक सकता है। देखना यह है क‍ि यह सब कम तक संभव हो पाता है।”

झांसी में बन रहे ड‍िफेंस कॉर‍िडोर की लोकेशन। फोटो- https://upeida.up.gov.in/ से साभार।

झांसी से भाजपा उम्मीदवार अनुराग शर्मा क्षेत्र के विकास और रोजगार सृजन के लिए बीआईडीए को अपनी पार्टी का एक बड़ा कदम बता रहे हैं। वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन के कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप जैन आदित्य ने अपने अभियान के दौरान सरकार पर आरोप लगाया क‍ि मौजूदा अधिग्रहण योजना के तहत किसानों को उनकी भूमि के लिए पर्याप्त मुआवजा नहीं म‍िल रहा।

झांसी में डिफेंस कॉरिडोर बनने का काम शुरू हो गया है, ज‍िसकी रूपरेखा वर्ष 2018 में तैयारी की गई थी। दावा क‍िया जा रहा क‍ि डिफेंस कॉरिडोर में रक्षा के क्षेत्र से जुड़े एक्स्पर्ट की बहुत जरूरत होगी। ऐसे ही एक्सपर्ट्स को तैयार करने के लिए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में सेंटर ऑफ स्टडीज यानी रक्षा अध्ययन केंद्र खुलने जा रहा है।

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने बताया कि पीएम उषा के तहत कोर्स शुरू करने की मंजूरी मिल गई है। ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर पर सैन्य कोर्स शुरू होंगे। भविष्य में प्रदेश में बनने जा रहे डिफेंस कॉरिडोर का ज्यादातर हिस्सा झांसी में विकसित होगा। यहां सैन्य उपकरण और अन्य रक्षा उत्पाद बनेंगे। ऐसे में इन कोर्स के बाद डिफेंस कॉरिडोर में रोजगार के अवसर भी म‍िलेंगे।

इसी वर्ष फरवरी 2024 में आयोजित हुई ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-4 में उत्‍तर प्रदेश सरकार ने दावा किया प्रदेश में 10 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारा गया ज‍िससे लगभग 33 लाख से ज्‍यादा रोजगार पैदा होंगे। वहीं बात अगर बस बुंदेलखंड की करें तो दावा क‍िया गया क‍ि इस रीजन के लिए 6,800 करोड़ रुपए का निवेश आया है ज‍िससे 15,000 से ज्‍यादा नये रोजगार के मौके बनेंगे। वहीं ज‍िला लल‍ितपुर में बल्‍क ड्रग फार्मा पार्क को मंजूरी म‍िली है ज‍िसके लिए पांच गांवों की 1,471 एकड़ जमीन ली गई है।

औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्‍ता नंदी ने बताया क‍ि लल‍ितपुर में बन रहे फार्मा पार्क के लिए 25 करोड़ रुपए को मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा उत्‍तर प्रदेश राज्‍य औद्योगिक विकास प्राधिकरण के साथ हर तरह की जानकारी साझा की जा चुकी है। जल्‍द ही काम शुरू होगा।

अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय, उत्तर प्रदेश सरकार की र‍िपोर्ट देखें तो बुंदेलखंड में रोजगार और नये उद्योगों की स्‍थ‍ित‍ि में बहुत ज्‍यादा बदलाव नहीं आया है।

ज‍िलेवार विकास संकेत 2021 की र‍िपोर्ट के अनुसार बुंदेलखंड में वर्ष 2011-12 में प्रत‍ि एक लाख जनसंख्‍या पर औद्योगिक क्षेत्रों की संख्‍या 0.11 थी जो 2020-21 में घटकर 0.09 पर आ गई। हालांक‍ि इस दौरान प्रत‍ि एक लाख जनसंख्‍या पर लघु उद्योगों की संख्‍या 23.49 से बढ़कर 62.51 पर पहुंच गई। इसी तरह प्रत‍ि एक लाख जनसंख्‍या पर पंजीकृत कार्यरत कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्‍या 2011-12 में 94.22 थी जो 2017-18 में घटकर 90.62 पर आ गई। इस दौरान जिलेवार कारखानों की संख्‍या में भी ग‍िरावट आई। ताजा र‍िपोर्ट में कुल जनसंख्‍या में काम करने वाले यानी रोजगार व्‍यक्‍त‍ियों की संख्‍या 2001 और 2011 की ही दी गई है ज‍िसमें मामूली सुधार आया है।

नल तो लगे, लेकिन पानी का पता नहीं

बांदा के ब्‍लॉक बढोकर खुर्द के गांव मोहनपुरवा में रहने वाले कल्‍लू प्रसाद साहू (70) अपने घर के बाहर लगे नल की ओर इशारा कर कहते हैं, “सप्‍लाई का पानी आता ही नहीं। कुएं और हैंडपंप से ही पीने का पानी लेते हैं। जल जीवन म‍िशन योजना के तहत घर में नल तो लगा है। लेकिन उसमें आज तक पानी आया ही नहीं। इसी साल जनवरी में नल लगा था। लेकिन उसमें पानी कहां से आएगा, ये पता ही नहीं। नल में टोटी तक नहीं है। सुनने में आया है क‍ि गांव में ही टंकी बनेगी। लेकिन कब तक बनेगी, यह नहीं पता।”

जेजेएम की र‍िपोर्ट के अनुसार मोहनपुरवा गांव के 639 घरों में से तीन चौथाई से अधिक के पास नल कनेक्शन हैं।

मोहनपुरवा गांव के 639 घरों में से तीन चौथाई से अधिक के पास नल कनेक्शन हैं। इमेज क्रेडिट : म‍िथ‍िलेश धर दुबे

केंद्र सरकार की योजना जल जीवन म‍िशन (जेजेएम) की आध‍िकार‍िक वेबसाइट के अनुसार बांदा के 98.60 ग्रामीण घरों में नल के जर‍िये पानी की सप्‍लाई हो रही है। हालांक‍ि प्रदेश सरकार का दावा था क‍ि 2022 तक बुंदेलखंड के हर घर तक पेयजल की आपूर्ति शुरू हो जायेगी।

मोहनपुरवा से लगभग 35 क‍िलोमीटर दूर ब्‍लॉक बबेरू के गांव अधांव में रहने वाले राम बाबू दूसरी समस्‍याओं की ओर भी ध्‍यान द‍िलाते हैं। “पानी कब आएगा, इसका समय न‍िश्‍चित नहीं है क्‍योंक‍ि सब लाइट के ऊपर न‍िर्भर है। कभी-कभी द‍िन में दो बार सप्‍लाई का पानी आता है, कभी-कभी आता ही नहीं, और अगर लाइट खराब हो गई तो और द‍िक्‍कत होती है। पानी की क्‍वाल‍िटी अच्‍छी है। लेकिन अब पानी बर्बाद बहुत हो रहा।”

“पहले लोग अपने मवेशी नहलाने के लिए तालाब लेकर जाते थे। लेकिन अब सप्‍लाई वाले पानी से नहला रहे हैं और पानी की बर्बादी बहुत हो रही है। पानी बचाने के लिए लोगों को श‍िक्षि‍त और जागरूक करना बहुत जरूरी है। पानी जांच के लिए जल सख‍ियों की न‍ियुक्‍ति हुई थी। लेकिन अब वे लोग भी नहीं आतीं।” राम बाबू कहते हैं।

जेजेएम के आंकड़ों के अनुसार अधांव एक हर घर जल प्रमाणित गांव है, जिसका अर्थ है कि ग्राम सभा ने जल आपूर्ति विभाग के दावे का पता लगाने के बाद एक प्रस्ताव पारित किया कि यहां के सभी घरों, स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों को नल से पानी की आपूर्ति मिल रही है।

बुंदेलखंड में जल जीवन म‍िशन के तहत लगे नल कनेक्‍शन की एक तस्‍वीर। इमेज क्रेडिट : म‍िथ‍िलेश धर दुबे

18 मई 2024 तक जल जीवन मिशन डैशबोर्ड के अनुसार बांदा के अलावा झाँसी जिले के 98.79 प्रतिशत घर नल के पानी की आपूर्ति से जुड़ चुके हैं। महोबा जिले में सबसे ज्‍यादा 99.60 प्रतिशत घर जुड़ चुके हैं। हमीरपुर में 98.65 प्रतिशत कनेक्टिविटी हो चुकी। जालौन में 94.26 प्रतिशत घरों में नल कनेक्शन हैं और लल‍ितपुर में यह 99.27 प्रतिशत है।

इंडियास्पेंड ने सितंबर 2022 में बांदा से रिपोर्ट की थी, तब जिले के केवल 17% हिस्से में नल कनेक्‍शन था, जो उत्तर प्रदेश का औसत कवरेज भी था और भारत में सबसे कम था। लेकिन अब जिले के 98% और राज्य के 83% हिस्से में घरेलू नल कनेक्शन पहुंच चुका है। होने की सूचना है। वर्ष 2022-23 की तुलना में इस वित्त वर्ष में उत्तर प्रदेश लगभग दोगुना नल कनेक्‍शन द‍िये जा चुके हैं।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर वर्ष 2019 में लाल क‍िले की प्राचीर से जल जीवन म‍िशन (जेजेएम) की घोषणा की थी। इस योजना के लिए शुरुआत में लगभग 3.6 लाख करोड़ रुपए का बजट बताया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योजना की घोषणा करते हुए ग्रामीण भारत में स्‍वच्‍छ पानी के लिए महिलाओं और लड़कियों के संघर्ष के बारे में बात की थी। इस योजना का मुख्‍य उद्देश्‍य चालू घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करना है जो प्रति व्यक्ति प्रति दिन कम से कम 55 लीटर पानी प्रदान करता है।

जेजेएम आंकड़ों के अनुसार लगभग 75% ग्रामीण घरों में अब नल के पानी के कनेक्शन हैं। लेकिन आधे से भी कम गांव ऐसे हैं 100% नल चालू अवस्‍था में हैं।

जल कार्यकर्ता संजय सिंह झांसी में रहकर लंबे समय से पानी बचाने की मुह‍िम पर काम कर रहे हैं। वे कहते हैं, "बुन्देलखण्ड जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से जूझ रहा है। लगातार कम होते भूजल की वजह से पानी का संकट और गहरा रहा है। ऐसे में जल जीवन म‍िशन के सामने सबसे बड़ी चुनौती गर्मी के द‍िनों में देखने को म‍िलेगी। हर घर में नल लगा देना और पानी पहुंचा देना, दोनों अलग-अलग चीजें हैं। सरकार को पानी पहुंचाने के साथ-साथ उसके सही उपयोग के बारे में भी लोगों को जागरूक करना होगा।

इंड‍ियास्‍पेंड ह‍िंदी ने ज‍िलाध‍िकार‍ियों और प्रमुख सचिव नमामि गंगे एवं ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग, उत्तर प्रदेश से बात करने की कई बार‍ कोश‍िश की, लेकिन बात नहीं हो पाई। बात होते हुए खबर में उनका बयान भी जोड़ा जायेगा।