हीट स्ट्रोक की चपेट में आया हर चौथा मरीज बेरोजगार: रिपोर्ट
साल 2024 अब तक का सबसे गर्म साल रहा जिसमें तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर रहा। पूरे वर्ष में 77 दिन तक चली हीट वेव से लोगों का स्वास्थ्य जोखिम में आया। इसके चलते पहली बार देश में सरकार ने एक स्टडी कराई जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

मेघालय के सरकारी अस्पताल में मरीजों का इलाज करती नर्सं, स्त्रोत- स्वास्थ्य विभाग
नई दिल्ली: भीषण गर्मी और लू की चपेट में आने वाला भारत में लगभग हर चौथा मरीज बेरोजगार है। सरकार का मानना है कि भारतीय श्रम बाजार के हालात पिछले 6 वर्षों में काफी बेहतर हो गए हैं, बेरोजगारी दर वर्ष 2022-23 में घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है। वित्तीय तौर पर कमजोर ऐसे लोगों को मौसम की मार भी झेलनी पड़ रही है क्योंकि पिछले साल केंद्रीय एजेंसियों ने अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के कारण भर्ती मरीजों में 24 फीसदी को बेरोजगार पाया।
छह राज्यों के अस्पतालों में हीट स्ट्रोक की स्थिति बयां करता ग्राफ, स्त्रोत- रिपोर्ट
रिपोर्ट यह भी बताती है कि भारत में हीट स्ट्रोक का सबसे ज्यादा जोखिम पुरुषों को है। गोवा (7), गुजरात (361), महाराष्ट्र (769), तमिलनाडु (282), तेलंगाना (90) और पश्चिम बंगाल के 565 यानी कुल 2,074 अस्पतालों में भर्ती मरीजों में 59% पुरुष रोगी पाए गए जबकि इनकी तुलना में 41% महिला रोगी भर्ती थीं। वहीं पांच ट्रांसजेंडर भी बीमार पड़े और इलाज के लिए उन्हें अस्पताल भर्ती होना पड़ा। गौर करने वाली बात है कि अस्पतालों में भर्ती 798 में से 14 मरीजों की हीट स्ट्रोक की चपेट में आने के कारण भर्ती होने के कुछ ही समय बाद मौत हुई। 126 मरीजों की हालत बिगड़ने पर बड़े अस्पतालों के लिए रेफर करना पड़ा।
123 साल में दूसरी बार फरवरी रहा सर्द
भीषण गर्मी को लेकर साल 2024 भारत के लिए अब तक का सबसे गर्म साल रहा जो मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन और उसके स्वास्थ्य के तत्काल प्रभाव को रेखांकित करता है। 2023 के मध्य में शुरू हुआ अल नीनो 2023 के अंत और 2024 के शुरुआती महीनों में अपने चरम पर रहा। यही वजह है कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने फरवरी 2024 में 123 साल में दूसरी बार सबसे न्यूनतम तापमान दर्ज होने की घोषणा की जबकि इसी साल मई में चौथा उच्चतम औसत तापमान देखा गया। इसी तरह जुलाई, अगस्त और सितंबर में भी अभूतपूर्व न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।
2024 में 77 दिन रही भीषण गर्मी
नई दिल्ली स्थित जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCCHH) की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पूर्वी पटेल ने रिपोर्ट में बताया कि साल 2024 में भीषण गर्मी और लू चलने की अवधि 77 दिन दर्ज की गई जिससे मार्च से लेकर जून माह के बीच देश के 17 राज्यों ने गर्म रातों का अनुभव किया। उत्तरी भारत के चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश ने बेमौसम रात के तापमान में काफी वृद्धि महसूस की। चंडीगढ़,
दिल्ली और हरियाणा ने 15 से लेकर 18 जून तक लगातार चार "गंभीर गर्म रात" का सामना किया। सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक अहम जोखिम है जो एक नई चरम सीमा को दर्शा रहा है क्योंकि इन क्षेत्रों में रात का तापमान सामान्य स्तर तक गिरने में विफल रहा।
डॉ. पूर्वी पटेल ने कहा, "व्यक्तिगत स्तर पर स्वास्थ्य के प्रभावों को जानने के लिए 2024 में छह राज्यों को स्टडी के लिए चुना गया जहां से प्रभावित मरीजों की जानकारी राष्ट्रीय गर्मी से संबंधित बीमारी और मृत्यु निगरानी के डिजिटल प्लेटफॉर्म आईएचआईपी पोर्टल पर प्राप्त हो रही थी। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को इसके लिए चुना गया। यह अभी तक की पहली रियल टाइम डाटा आधारित स्टडी है जो एक मार्च 2024 से 31 जुलाई 2024 के बीच भर्ती मरीजों पर केंद्रित रही। हमने यह भी पाया कि भीषण गर्मी की सर्वाधिक चपेट में आने वाले पुरुष रोगियों की औसत आयु 40±20 वर्ष रही जबकि महिलाओं के मामले में हमें कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं देखने को मिला।"
उन्होंने कहा, “हम भीषण गर्मी या हीट वेव के प्रभावों के बारे में जानते हैं। शिशुओं, बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों, विकलांग लोगों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों पर इसके परिणाम गंभीर हैं। स्वास्थ्य को लेकर भी कई तरह के प्रभावों की जानकारी सामने है लेकिन भारत में व्यवसायिक तौर पर पीड़ितों के बारे में बहुत सीमित डाटा उपलब्ध है।”
मौसमी घटनाओं से बेरोजगारों का बचाव
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के अतिरिक्त निदेशक डॉ. आकाश श्रीवास्तव ने रिपोर्ट में कहा कि यह एक पायलट स्टडी है लेकिन इसके परिणाम भविष्य के लिए काफी अहम हैं। हमें हर चौथा हीट स्ट्रोक पीड़ित रोगी बेरोजगार मिला। इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी स्टडी की जा सकती है जिससे यह तस्वीर और स्पष्ट उभर कर सामने आ सकती है। साथ ही ऐसे लोगों को मौसम की चरम घटनाओं के एक्सपोजर से बचाने के लिए नीतियां भी तैयार की जा सकती हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि उन्नत ताप-स्वास्थ्य निगरानी के लिए तीन श्रेणी तय की हैं। इस उन्नत निगरानी के माध्यम से हमने भीषणं गर्मी की अवधि में करीब 24 ट्रिगर्स की पहचान की जो बिहार, दिल्ली, राजस्थान, कर्नाटक, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में दर्ज की गईं। इस स्टडी के निष्कर्षों के आधार पर राज्यों को दी सलाह है कि समय पर इलाज से लोगों की जान बच सकती है। अधिकांश अस्पतालों में छुट्टी के दिन स्वास्थ्य कर्मचारी नहीं मिले जबकि मार्च से जुलाई 2024 के बीच बार बार हीट स्ट्रोक के अलर्ट जारी हुए। अवकाश के दिन भी इस तरह के मामलों की रिपोर्टिंग समय पर होना बहुत जरूरी है।
48 हजार संदिग्ध मामले, 161 लोगों की मौत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि 2024 में 48 हजार से ज्यादा लोग हीट स्ट्रोक की चपेट में आकर अस्पताल पहुंचे। इसके मुताबिक कुल 48,156 संदिग्ध हीट स्ट्रोक मामलों में 269 की उपचार के दौरान मौत हुई। इन्हें संदिग्ध हीटस्ट्रोक मौत (एसएचडी) की श्रेणी में रखा गया जबकि 161 लोगों की हीट स्ट्रोक की वजह से मौत होने की पुष्टि है। अगर 01 मार्च 2023 से 25 जुलाई 2024 के बीच स्थिति देखें तो इन दो वर्ष में देश के 36 राज्यों में कुल 67,637 लोग गर्मी की चपेट में आकर अस्पताल पहुंचे जिनमें से 374 लोगों की उपचार के दौरान मौत हुई।साल 2024 में भारत में हीट स्ट्रोक की स्थिति और संदिग्ध मौतों के आंकड़े, स्त्रोत-NPCCHH
स्वास्थ्य मंत्रालय एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान छिपाने की शर्त पर इंडियास्पेंड से कहा, "मौसमी घटनाओं को लेकर हमारे अस्पताल अभी भी पूरी तरह से तैयार नहीं है। भारत में स्वास्थ्य राज्य के अधिकार क्षेत्र में है। मौसम की चरम घटनाएं खासतौर पर भीषण गर्मी के समय बार बार स्वास्थ्य दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं। केंद्र और राज्य दोनों ही स्तर पर अस्पतालों को तैयारियों के लिए कहा जाता है लेकिन साल 2024 में तीन अलग अलग सर्वे और स्टडी में हमें यह पता चला है कि हमारे अस्पताल इन मौसमी घटनाओं को लेकर पूरी तरह से तैयार नहीं है। इसमें सबसे बड़ा एक कारण राज्यों का उस तरह सहयोग न करना है, जैसा उन्हें करना चाहिए।"
उन्होंने रियल टाइम मॉनीटरिंग का उदाहरण देते हुए कहा, "भारत के 47,477 सरकारी अस्पताल रियल टाइम मॉनीटरिंग से जुड़े हैं। इन्हें राष्ट्रीय गर्मी से संबंधित बीमारी और मृत्यु निगरानी के डिजिटल प्लेफॉर्म से भी जोड़ा गया है लेकिन 2019 से अभी तक स्थिति यह है कि केवल देश के 55% अस्पताल समय पर रिपोर्टिंग कर रहे हैं। गुजरात, ओडिशा और तेलंगाना सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों की सूची में शीर्ष पर हैं जहां क्रमश: 91%, 89% और 72% अस्पताल समय रहते मौसमी घटनाओं की चपेट में आकर अस्पताल पहुंचने वालों की जानकारी मुहैया करा रहे हैं। यह निगरानी इसलिए भी जरूरी है कि ताकि सही समय पर प्रभावित क्षेत्रों को जरूरत पड़ने पर कवर-अप दिया जा सके।"