कितने एक्शन में उत्तर प्रदेश का ‘हीट वेव एक्शन प्लान’?
भीषण गर्मी और लू से लोगों को राहत पहुंचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार का हीट वेव एक्शन प्लान जमीन पर कितना कारगार है?

फोटो 14 जून की है। गर्मी की चिंता ना करते हुए लखनऊ के गोमती नगर में मजदूरी करते रामअधार। फोटो- मिथिलेश धर दुबे
लखनऊ/बांदा/लखीमपुर खीरी। तारीख 13 जुन 2025। उत्तर प्रदेश के आगरा जिला महिला चिकित्सालय (लेडी लॉयल) में भर्ती नवजात बच्चों की हालत खराब हो गई। 25 मरीजों के इस वार्ड में महज दो कूलर लगे थे। जबकि उस दिन आगरा का अधिकतम तापमान 41 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा था। मरीजों के साथ रुके परिजन लकड़ी के पंखे से मासूमों को हवा दे रहे थे। शिकायत के बाद अगले ही दिन मौके पर पहुंचीं राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान ने तत्काल चार कूलर लगाने का आदेश दिया साथ ही उन्होंने बताया कि एसी के लिए प्रस्ताव आगे भेजा गया है।
बलिया जिला चिकित्सालय के ट्रॉमा सेंटर में 17 जून को रात में कई घंटे बिजली नहीं रही। इलाज के लिये,भर्ती मरीज परेशान रहे। किसी तरह हाथ से चलने वाले पंखे की मदद से रात काटी। जालौन के जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में सोमवार 16 जून को सुबह साढ़े सात बजे बिजली गुल हुई और सवा आठ बजे आई। दस मिनट बिजली रुकी और फिर चली गई। फिर 9.35 बजे आई। इमरजेंसी वार्ड में भर्ती मरीजों को बाहर निकलना पड़ा।
हाथरस के बांगला जिला अस्पताल में मंगलवार 17 जून को ऐसी ही स्थिति रही। दोपहर के समय अचानक बिजली गुल हो गई। पूरे जिला अस्पताल परिसर में अंधेरा छा गया। गर्मी की वजह से मरीजों में अफरा तफरी मच गई। अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और चिकित्साकर्मी मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज करते नजर आए।
श्रावस्ती जिला अस्पताल में 17 जून से 18 जून तक, लगभग 24 घंटों से बिजली आपूर्ति ठप रही। अस्पताल का जनरेटर भी बंद पड़ा रहा। इमरजेंसी वार्ड में भी अंधेरा छाया रहा। भर्ती मरीज और उनके परिजन हाथों से पंखा और कागज की दफ्ती से मरीजों को हवा देते रहे।
आगरा के जिला महिला चिकित्सालय की तस्वीर। फोटो- मदन मोहन सोनी
देश के सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश में गर्मी, लू और हीट वेव के बीच स्वास्थ्य सुविधाओं की ये जमीनी हकीकत है। गर्मी और हीट वेव शुरू होते ही राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने कहा था कि सभी जिलों को चाक चौबंद व्यवस्था रखने के आदेश दिये गये हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि अस्पतालों में कूलिंग और बिजली की पर्याप्त व्यवस्था रहेगा। लेकिन कई मीडिया रिपोर्टस और तस्वीरों में ये दावा पूरी तरह सच नहीं दिखा।
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने हीट वेव को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया था। जिलाधिकारियों, मुख्य चिकित्साधिकारियों और चिकित्सा महाविद्यालयों को हीट वेव से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया था। प्रदेश के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में हीट स्ट्रोक और गर्मी जनित बीमारियों की निगरानी के निर्देश दिये गये। अस्पतालों में शीतल पेयजल, कूलर और एयर कंडीशनर की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। ओपीडी, वार्ड और रैन बसेरों में भी शीतलता बनाए रखने के उपाय करने की भी बात की गई थी।
भारतीय मौसम विभाग लखनऊ की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के ज्यादातर जिलों में आने वाले एक से दो दिन में मानसून पहुंच जायेगा। वहीं 17 जून की रिपोर्ट के अनुसार 42.8 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ उरइ जिला सबसे गर्म रहा। बांदा, वाराणसी, प्रयागराज और गाजीपुर में काफी गर्मी रही और तापमान सामान्य से ज्यादा रहा।
13 से 14 जून के बीच राज्य में प्रचंड गर्मी रही। मौसम विभाग ने बताया कि इस दौरान आसमान से सूरज के आग बरसाने से हवा में बढ़ी नमी के कारण हीट इंडेक्स 50 डिग्री तक पहुंच गया जिससे आगरा, फिरोजाबाद, हाथरस, झांसी, बहराइच, श्रावस्ती, उन्नाव, रायबरेली, लखनऊ, मेरठ, गोरखपुर, रायबरेली, वाराणसी, चंदौली और मिर्जापुर में दर्ज तापमान से 8 डिग्री ज्यादा तक की गर्मी लोगों को महसूस हुई। गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, जालौन, झांसी, बांदा, चित्रकूट, फतेहपुर, कानपुर देहात, कानपुर नगर, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, हापुर, बुलंदशहर, हमीरपुर, महोबा, ललितपुर एवं आसपास के इलाकों में लू भी चली।
एक्शन प्लान कितने एक्शन में रहा?
प्रदेश सरकार के उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UPSDMA) ने हीट वेव ऐक्शन प्लान 2025 तैयार किया। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी विभागों को हीट वेव से निपटने के लिए अलर्ट किया। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि राज्य में प्रचंड गर्मी और लू चलने की आशंका जताई गई थी। मजदूरों की सेहत को ध्यान में रखते हुए रूटीन हेल्थ चेकअप की तैयारी की गई। ये चेकअप इंडस्ट्रियल एरिया और कंस्ट्रक्शन साइट्स पर होने थे ताकि थकावट, लू और डिहाइड्रेशन जैसे खतरे समय रहते पकड़े जा सकें।
एक्शन प्लान के तहत कहा गया कि गर्मी में लोगों को राहत देने के लिए कई इंतजाम किये जा रहे हैं। सड़कों पर पानी का छिड़काव, पार्कों और काम की जगहों पर छांव की व्यवस्था, पशुओं के लिए ठहरने की जगह और जरूरी दवाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। सरकार ने तय किया है कि हर जिले में इस एक्शन प्लान को सख्ती से लागू किया जाएगा। अधिकारी खुद निगरानी करेंगे कि पेयजल सप्लाई, आश्रय स्थल और जागरुकता कैंप ठीक से चल रहे हैं या नहीं। स्वास्थ्य विभाग की मदद से जागरुकता शिविर भी लगाए जाएंगे, जहां लोगों को लू के लक्षण पहचानने और प्राथमिक इलाज की जानकारी दी जाएगी साथ ही, निगरानी टीम रोज़ हालात का जायजा लेंगी ताकि समय रहते किसी भी समस्या से निपटा जा सके।
इसके बाद योगी सरकार ने श्रमिकों की सुरक्षा के लिए ‘मित्र प्रणाली’ लागू की जिसमें एक श्रमिक दूसरे की निगरानी करेंगे और जरूरत पड़ने पर प्राथमिक उपचार देंगे। भारी मशीनों को इन्सुलेट करने और विद्यालयों व आंगनबाड़ियों में कूल शेड की व्यवस्था के भी निर्देश दिये गये। स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) ने सभी जिलों को पोस्टर, पर्चे और प्रचार सामग्री के जरिए लोगों को जागरूक करने का निर्देश दिया।
लखनऊ के गोमती नगर स्थित विनय खंड तीन में भवन निर्माण के कार्य में जुटे रामअधार (47) 14 जून को दोपहर के लगभग एक बजे सिर पर ईंट की इमारत तैयार कर रहे हैं। गर्मी से परेशान तो थे। लेकिन वे कहते हैं कि काम नहीं करूंगा तो घर कैसे चलेगा। बहराइच के रहने वाले रामअधार कहते हैं, "600 रुपए रोज के हिसाब से मिलता है। पहले इतनी गर्मी नहीं पड़ती थी। लेकिन इधर के एक, दो वर्षों में गर्मी बहुत बढ़ गई है।" 14 जून को लखनऊ का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस था।
"जब धूप बहुत हो जाती है तो 10-15 मिनट कहीं छांव आराम कर लेता हूं। तबियत खराब होने पर मेडिकल की दुकान से दवा ले लेता हूं। सरकारी अस्पताल घर से दूर है और निजी अस्पताल के डॉक्टर की फीस ही नहीं दे पाऊंगा। क्या आपके पास मौसम संबंधी सूचना पहुंच रही है? "हमारे पास तो कई सूचना नहीं पहुंचती। हम अखबार नहीं पढ़ते। टीवी है नहीं।" रामअधार बताते हैं। मोबाइल पर समाचार देखने पर पता चलता है कि गर्मी बढ़ गई है।
लखनऊ के ही महानगर में 12 जून की सुबह के लगभग 11 बजे अपने ठेले पर सब्जी लिये रामू कुमार कॉलोनी में चक्कर काट रहे थे। गर्मी नहीं लग रही? आज तो तापमान बहुत ज्यादा होने वाला है, आपको पता नहीं है? “पता तो नहीं है़। लेकिन काम तो करना ही पड़ेगा। आज तो सुबह से गर्मी है। देखते हैं कम तक राउंड लगा पाता हूं। गर्मी को देखते हुए लग रहा घर जल्दी लौटना होगा।” इस दिन लखनऊ का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस था।
उत्तर प्रदेश में मौसम विभाग के स्टेशन आधारित रिपोर्ट देखें तो राज्य में 2021 से 2024 के बीच, यानी चार वर्षों में अधिकतम तापमान में लगभग 4 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2024 और 2023 में बुंदेलखंड क्षेत्र के अंर्तगत आने वाला जिला झांसी सबसे गर्म रहा जहां अधिकतम तापमान 49 और 46.5 डिग्री सेल्सियस तक था। 2022 और 2021 में बांदा सबसे गर्म रहा जहां का अधिकतम तापमान 48 और 46.5 डिग्री सेल्सियस तक रहा।
स्टेशन आधारित अधिकमत तापमान की रिपोर्ट। साभार- भारत मौसम विज्ञान विभाग
आगरा, झांसी और लखनऊ जैसे तीन प्रमुख शहरों के लिए अलग से सिटी हीटवेव एक्शन प्लान भी तैयार किए गए हैं। ज्यादा गर्मी का असर काम, खेती किसानी, स्वास्थ्य पर तो पड़ता ही है, जान का जोखिम भी बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जून के बीच जब तापमान चरम पर होता है, लखनऊ जिले में मौतों का आंकड़ा भी सर्वाधिक होता है।
उत्तर प्रदेश भी भीषण गर्मी और लू के बढ़ते प्रभाव का सामना कर रहा है। मार्च से गर्मी शुरू हो जाती है और अप्रैल आते-आते तापमान 40 डिग्री को पार करने लगता है। पिछले 4 सालों की बात करें तो वर्ष 2024 में प्रदेश के 34 मौसम केंद्रों पर रिकॉर्ड 436 हीटवेव यानी लू के दिन दर्ज किए गए। जबकि 2023 में 90 दिन, 2022 में 397 दिन, 2021 में 62 दिन लू के दिन दर्ज किए गए। मतलब इन चार वर्षों के दौरान लू के दिनों में लगभग 700 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखी गई।
राज्य के कई हिस्सों में चरम गर्मी में अधिकतम तापमान 46 डिग्री से उपर उठकर असहनीय हो जाता है। 2024 में 49 डिग्री के साथ झांसी राज्य का सबसे तपता जिला बना। प्रयागराज 48.8, आगरा 48.6 और वाराणसी 47.8 डिग्री सेल्सियस के साथ असहनीय लू की चपेट में रहे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि 2024 में 48 हजार से ज्यादा लोग हीट स्ट्रोक की चपेट में आकर अस्पताल पहुंचे। इनमें 5,731 मरीज उत्तर प्रदेश से थे। रिपोर्ट के मुताबिक कुल 48,156 संदिग्ध हीट स्ट्रोक मामलों में 269 की उपचार के दौरान मौत हो गई। इन्हें संदिग्ध हीटस्ट्रोक मौत (एसएचडी) की श्रेणी में रखा गया जबकि 161 लोगों की हीट स्ट्रोक की वजह से मौत होने की पुष्टि है। मौत की पुष्टि होने वालों में उत्तर प्रदेश के 52 लोग थे।
उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की प्रोजेक्ट डायरेक्टर कनीज फातिमा बताती हैं, "हीटवेव में किस तरह से मृत्यु दर बढ़ रही है और उसको एक्शन प्लान के माध्यम से किस तरह से कम किया जा सकता है, हम इसी क्रम में काम कर रहे हैं। आने वाले दिनों में चिन्हित जिलों के लोगों को गर्मी से बचने के लिए यह प्लान तैयार किया गया है। इस प्लान को सभी विभागों द्वारा इंप्लीमेंट करते हुए लोगों की जान बचानी है।"
भारत में जब मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक और पहाड़ी इलाकों में 30 डिग्री या उससे अधिक हो जाता है तो उसे हीटवेव माना जाता है। अगर तापमान सामान्य से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक हो या अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो जाए तो वह भी हीटवेव की श्रेणी में आता है। वहीं जब तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक या 47 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक हो तो उसे भीषण हीटवेव माना जाता है। अगर मौसम केंद्र पर लगातार दो दिन तक ये स्थितियां बनी रहती हैं तो वहां आधिकारिक तौर पर हीटवेव घोषित कर दिया जाता है।
अस्पतालों में कैसी है तैयारी?
लखीमपुर खीरी के सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता ने बताया हीट स्ट्रोक को लेकर कोई विशेष कैंप तो नहीं चलाये गये। लेकिन सरकार की जारी एडवाइजरी के हिसाब से लोगों को वर्किंग आवर में एडजस्टमेंट करने के लिए सुझाव दिए गये हैं।
“गर्मी को देखते हुए सभी सीएचसी और पीएचसी में पर्याप्त मात्रा में जिंक और ओआरएस सहित सभी जरूरी दवाएं उपलब्ध हैं। सरकारी अस्पतालों में आने वाले लोगों को ओआरएस का घोल स्टॉल लगाकर बांटा जा रहा है।” वे आगे बताते हैं।
लखीमपुर खीरी जिला अस्पताल में बना हीट स्ट्रोक वार्ड। फोटो- धर्मेन्द्र राजपूत।
“इन दिनों काफी गर्मी पड़ रही है, हीट स्ट्रोक से बचाव की एडवाइजरी विभिन्न अखबारों में विज्ञापन के जरिए जारी की जा चुकी है। आसपास के जिलों की अपेक्षा लखीमपुर जिला कम गर्म है। अभी तक हीट स्ट्रोक का कोई मरीज सरकारी अस्पताल नहीं आया है। डेंगू के 11 और मलेरिया के 135 मरीजों का इलाज किया गया है।”
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर आरके कोली ने बताया कि हीट स्ट्रोक को देखते हुए जिला अस्पताल में 10 बेड का वातानुकूलित वार्ड बनाया गया है। जहां अलग से स्टाफ नर्स और डॉक्टर्स तैनात किए गए हैं। जरूरत की दवाइयां आइवी फ्ल्यूड पर्याप्त मात्रा में है। बिजली कटौती पर जनरेटर की व्यवस्था है।
बांदा के जिला अस्पताल में बना कोल्ड रूम। फोटो- मनोज कुमार धूरिया
बांदा के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एसडी त्रिपाठी बताते हैं कि जिला अस्पताल में कोल्ड वार्ड बनाया गया है। इसमें चार बेड हैं। इसके अलावा हीट वेव से बचाव के लिए अस्पताल के दूसरे वार्ड में कूलर की पर्याप्त की व्यवस्था की गई है। दूसरी सुविधाएं और दवाएं भी पर्याप्त मात्रा में हैं।
कानपुर की सीएमएस डॉक्टर वंदना सिंह ने बताया कि हीट वेब से मरीजों को राहत देने के लिए कोल्ड रूम सहित दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्यकर्मियों को एलर्ट पर रखा गया। झींझक सीएचसी में एक कोल्ड रूम बनाया गया है जिसमें कूलर लगा है। यहां पर आक्सीजन की व्यवस्था है तथा मेडिसन किट उपलब्ध है। ओआरएस, ग्लूकोज के अलावा बुखार, उल्टी दस्त, पेट दर्द के अलावा अन्य दवाएं उपलब्ध है। हवासपुर सीएचसी में दो कोल्ड रूम बनाए गए हैं एक में कूलर व दूसरे में एसी लगा है। दोनों में आक्सीजन व मेडिसिन किट उपलब्ध है।
नोट- बांदा के मनोज कुमार धूरिया और लखीमपुर खीरी के धर्मेन्द्र राजपूत स्वतंत्र पत्रकार हैं। स्वास्थ्य, पर्यावरण आदि जैसे जमीनी मुद्दों पर रिपोर्ट करते हैं।