बहराइच: ईरान और इजराइल के बीच परमाणु हथियारों को लेकर बढ़ा तनाव फिलहाल अमेरिका की मध्यस्थता से शांत हो गया है और अब हवाई हमले भी नहीं हो रहे हैं। लेकिन इस तनावपूर्ण स्थिति के कारण इजराइल में भारत के सैंकड़ों कामगार मजदूरों के फंसे होने से उनके परिवारों में चिंता बढ़ी है।

उत्तर प्रदेश के नेपाल की सीमा से सटे बहराइच जिले के कम से कम 150 मजदूर इजराइल के कई अलग अलग शहरों में फंसे हुए हैं। अपने घरों को लौटने की उम्मीद लगाए बैठे ये मजदूर मुश्किल हालातों के चलते वापस नहीं आ पा रहे हैं। बहराइच जिला हेडक्वार्टर से तकरीबन 70 किलोमीटर दूर मिहीपुरवा इलाके के पुरैना रघुनाथपुर निवासी संदीप न‍िषाद (32) भी इन्ही कामगार मजदूरों में से एक हैं। संदीप 17 अप्रैल 2024 को इजराइल काम करने गए थे।

पिछले लगभग ढाई महीने से इजराइल के हदेरा में रह रहे संदीप ने बताया कि इजरायल और हमास के बीच युद्ध तो कई महीनो से चल रहा है, लेकिन इसका सीधा असर उनपर कभी नहीं पड़ा। हालांकि, ईरान से युद्ध छिड़ने के बाद, वे भी डरे हुए हैं और उनके परिवार वाले भी चिंतित हैं। संदीप ने कहा, "हम अब तक सुरक्षित थे, लेकिन मौजूदा स्थिति में हम अनिश्चितता में जी रहे हैं।"

आपको बताते चलें की इजराइल में लेबर संकट को देखते हुए इजराइल ने भारत में 2024 में एक रोज़गार अभियान चलाया था और भारत के उत्तर प्रदेश, हरयाणा और अन्य राज्यों से मजदूरों को अलग अलग क्षेत्र में काम करने के लिए ले जाया गया था।

इजराइल के हदेरा से फोन पर बात करते हुए संदीप ने बताया, "यहां मिसाइलें तो गिर रही हैं, लेकिन मिसाइल गिरने से पहले हमें अलर्ट मिल जाता है और सायरन बजने लगता है। तब हम लोग बंकरों में छिप जाते हैं। कभी-कभी ऐसा दिन में कई बार होता है, जो डर से ज्यादा उबाऊ लगता है। इससे हम लोगों के खाने-पीने का रूटीन भी डिस्टर्ब हो गया है।"

विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए बताया था, “इजराइल के साथ हस्ताक्षरित द्विपक्षीय रूपरेखा करार और कार्यान्वयन प्रोटोकॉल के अनुसार भारतीय कामगारों को इजराइली नागरिकों के समान ही श्रम अधिकार मिलेंगे और उन्हें उचित आवास, चिकित्सा बीमा और उपयुक्त सामाजिक सुरक्षा कवरेज भी प्रदान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, इजराइल स्थित भारतीय दूतावास लगातार भारतीय कामगारों के साथ संपर्क में है और उनकी सुरक्षा व कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से काउंसलिंग दौरे आयोजित करता है।

इजराइल में एक निर्माणाधीन बिल्डिंग में काम करते हुए बहराइच के कामगार मनोज निषाद। अज़ीम मिर्ज़ा दौरा मंगाई गई तस्वीर

सुरक्षित लेकिन रोजगार पर असर

संदीप, हालांकि, एक सुरक्षित जगह पर हैं। लेकिन वे इस बात से परेशान हैं कि रोजाना मिसाइल गिरने और सायरन बजने के बाद उन्हें सुरक्षित स्थान पर जाना पड़ता है, जिससे उनके काम का भी काफी नुकसान हो रहा है। संदीप कहते है, “रोज-रोज के इन हालातों से ड्यूटी का भी नुकसान हो रहा है। एक डर जो हम लोंगो को यह सता रहा है कि हम लोग इतनी परेशानी झेल कर यहां पैसा कमाने आए हैं और लगातार काम के नुकसान से कहीं हमारी तनख्वाह न काट ली जाए।” संदीप और अन्य कामगारों की यही इच्छा है कि वे जल्द से जल्द अपने घरों को लौट जाएं।

इस संघर्ष के कारण, इजराइल गए लगभग साढ़े छह हजार भारतीय कामगारों में बेचैनी बढ़ गई है। जो कामगार वापस आना चाहते हैं, उन्हें वापसी में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हवाई मार्ग से सीमित साधन उपलब्ध होने के कारण, इजराइल से वापस आना इन कामगारों के लिए मुश्किल हो गया है। इंडियास्पेंड ने संदीप जैसे 9 कामगारों और उनके परिवार वालो से बात की।

इस बीच, भारत में इजराइल के राजदूत रेव्यून अज़ार ने कहा है, "हम लोग विदेश मंत्रालय के साथ लगातार संपर्क में हैं। जब भारतीय नागरिकों को वहां से निकालने की बात आएगी, तो हम पूरा सहयोग करेंगे। जो राजनयिक और विदेशी नागरिक जाना चाहते हैं, उन्हें पूरी तरह मदद दी जाएगी।" उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में, केवल सड़क और समुद्री मार्ग ही उपलब्ध हैं।

कमोबेश दूसरे श्रमिकों की स्थिति भी वैसी ही है। इजराइल गए गोपाल चौहान (32) की पत्नी कमलावती (24) ने कहा, “ जिस तरह मेरे पति एक साल से सुरक्षित रूप से इजराइल में काम कर रहे हैं, हम सरकार से मांग करते हैं कि उन्हें वैसे ही सुरक्षित वापस घर भेजा जाए। इजराइल के हालात देखकर अब डर लग रहा है। अभी तो वह लोग सुरक्षित हैं लेकिन कभी भी दुर्घटना घट सकती है।”

कमलावती ने बताया कि उनके पति को एक लाख साठ हजार रुपए वेतन मिल रहा है। और वे समय पर पैसे घर भेजते हैं, जिससे घर चल रहा है।

उन्होंने इंडियास्पेंड से बातचीत में कहा, "हमें अब बस यही लग रहा है कि बच्चों के पापा आ जाएं।"

गोपाल के दो बच्चे हैं- एक बेटा और एक बेटी। बेटी स्कूल जाती है और बेटा अभी काफी छोटा है। वे 2 जुलाई 2024 को घर से गये और 4 जुलाई को दिल्ली से तेल अवीव।

संदीप और संजय की मां भानुमती अपने बेटों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, जो एक साल पहले बेहतर भविष्य की तलाश में इजराइल गए थे। "दोनों बेटों के इजराइल जाने के बाद, उन्हें मकान निर्माण का काम मिला और अच्छी पगार मिलने लगी, तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। हमने कभी सोचा भी नहीं था कि इतनी अच्छी कमाई होगी। लेकिन अब ईरान और इजराइल के बीच हो रही भयानक जंग को देखते हुए हम बस यही चाहते हैं कि हमारे बेटे सकुशल वापस आ जाएं।" वे चिंत‍ित होते हुए कहती हैं।

गोपाल की पत्नी भानुमति व गोपाल की माँ व गोपाल का बच्चा। तस्वीर अज़ीम मिर्ज़ा

इजराइली अधिकारियों के मुताबिक, 7 अक्टूबर को 2023 हमास समर्थित आतंकवादियों ने इजराइल पर हमला किया, जिसमें 1,200 से ज्यादा लोग मारे गए और 240 को बंधक बना लिया गया। इसके बाद, इजराइल ने ज्यादातर फिलिस्तीनी मजदूरों के वर्क परमिट रद्द कर दिए। इस घटना के बाद, इजराइल और हमास के बीच युद्ध छिड़ गया, जो गाजा में चल रहा है।

फिलिस्तीनी मजदूर इजराइल में बिल्डिंग बनाने के काम का सबसे बड़ा हिस्सा थे। परमिट रद्द होने के बाद, ज्यादातर जगहों पर अब काम बंद पड़ा था और भारतीय मजदूरों के पहुंचने के बाद वह काम मध्यम गति से शुरू हुआ।

इजरायल के वित्त मंत्री बेजेलेल स्मोट्रिच ने इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक का वर्णन करने के लिए बाइबिल के एक शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा था, "हम यहूदिया और सामरिया से अरबों को नहीं लाते क्योंकि यह सुरक्षा के लिए खतरा है।" उन्होंने 4 फरवरी 2024 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इसी वजह से इजराइल "विकल्प" तलाश रहा है। ठीक इसी के बाद इजराइल ने

नवंबर 2024 में भारत के 10 ट्रेड यूनियनों द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था, "इससे अधिक अनैतिक और विनाशकारी कुछ नहीं हो सकता है," इनमें से अधिकतर यूनियनें निर्माण श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने आगे कहा, "भारत की ओर से ऐसा कदम फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायल के चल रहे नरसंहार युद्ध में शामिल होने जैसा होगा।"

हिंदू राष्ट्रवादी सत्तारूढ़ पार्टी के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने भी भारतीय श्रमिकों को इजरायल भेजने की अनुमति देने के फैसले की आलोचना की थी।

विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन के अनुसार, 4 दिसंबर 2024 तक 6,583 भारतीय कामगार बेहतर काम की तलाश में इजरायल पहुंचे। इन कामगारों को इजरायली प्राधिकारियों द्वारा भर्ती किया गया और उन्हें 195 इजरायली कंपनियों में नियुक्त किया गया है। इन 6,583 कामगारों में से, 2,325 भवन निर्माण में 1,906 आयरन बेंडिंग में, 1,578 प्लास्टरिंग में और 774 सिरेमिक टाइलिंग के काम में लगाए गए हैं।

इन 6,583 कामगारों में से सबसे अधिक संख्या, उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के मिहीपुरवा इलाके के लोगों की है। मिहीपुरवा के पूर्व ब्लॉक प्रमुख, श्रवण कुमार मदेशिया ने बताया, "इस इलाके से लगभग ढाई सौ लोगों ने आवेदन किया था, जिनमें से डेढ़ सौ का चयन हुआ और वे इजराइल चले गए। लेकिन अब उनके परिजन गुहार लगा रहे हैं कि कुछ समय के लिए बच्चों को वापस बुला लिया जाए। उनका कहना है कि जब हालात ठीक हो जाएंगे, तो बच्चे फिर इजराइल चले जाएंगे।"

इजराइल के बैतलहम में निर्माण का काम कर रहे संदीप की मां भानुमती ने इंडियास्पेंड से कहा, “टेलीविजन पर इजराइल की जो तस्वीरें दिखाई जा रही है वह बहुत भयावह है। बड़ी-बड़ी इमारतें धराशायी हो गई हैं। लोग युद्ध बंद करने की गुहार लगा रहे हैं। इन तस्वीरों को भारत मे रहे इजराइल गए कामगारों के परिवार भी देख रहे हैं जिससे उनके अंदर असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है।”

संदीप ने इंडियास्पेंड हिंदी के साथ हुई व्हॉट्सअप वीडियो कॉल पर बताया, “मिसाइलों को जाते हुए और आयरन डोम द्वारा उसको फोड़ते हुए हमने देखा है। लेकिन ऐसा कोई मंजर हम लोग के सामने नहीं आया है इसलिए डर नहीं लगता है।

“कल मिसाइलें दिन में तो नहीं, लेकिन रात में जरूर आई थी। मिसाइल आने से 10 मिनट पहले मोबाइल में अलर्ट आ जाता है। उसके बाद सब बंकर की तरफ जाते हैं। फिर एक अलार्म आता है और सायरन बजता है। तब हम लोग बंकर में चले जाते हैं और सायरन बंद होने के 10 मिनट बाद हम वहां से बाहर निकल आते हैं।” वह आगे बताते हैं।

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत के कुल बेरोजगारों में 80 फीसदी युवा हैं। द इंडिया इंपलॉयमेंट रिपोर्ट 2024' के मुताबिक पिछले करीब 20 सालों में भारत में युवाओं के बीच बेरोजगारी लगभग 30 फीसदी बढ़ चुकी है। साल 2000 में युवाओं में बेरोजगारी दर 35.2 फीसदी थी जो 2022 में बढ़कर 65.7 फीसदी हो गई।

फरवरी 2024 में इंडियास्पेंड हिंदी ने एक दर्जन से अधिक युवाओ से बात की थी जो इजराइल में जाने के लिए रोजगार मेले में शामिल हुए थे। इनमें से कई युवाओं का कहना था कि भारत में कम मानदेय और ना के बराबर नौकरियों के चलते वो इजराइल जाकर काम करना चाहते है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, दिसंबर 2023 में भारत की बेरोजगारी दर 8.65% थी। 20 से 24 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों के लिए यह दर 44% थी।