एक तरफ ट्रंप सरकार बनने के बाद अब तक 377 अवैध भारतीयों को डिपोर्ट किया गया। दूसरी ओर अमेरिका अपने घर में आश्रय लेने वालों की बढ़ती तादाद को लेकर भी चिंतित होने लगा है। ​हालात ऐसे हैं कि खुद को उत्पीड़न का ​शिकार बताकर अवैध नागरिक अमेरिका में आश्रय लेने के लिए आवेदन कर रहे हैं। इनमें डंकी रूट से अमेरिकी सीमा पर पहुंचने और पकड़ जाने वालों के साथ-साथ वह नागरिक भी शामिल हैं जो लंबे समय से वहां बिना किसी दस्तावेज रह रहे हैं।

यूएस के आर्थिक संगठन सहयोग और विकास (ओईसीडी) की रिपोर्ट बताती है कि बीते दो साल में आश्रय गृह लेने वालों के आवेदन में करीब छह गुना ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। साल 2021 के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में आश्रय लेने के लिए 1,88,860 नागरिकों ने आवेदन किया है, यह संख्या 2022 में 730400 और 2023 में यह 8.20 लाख का आंकड़ा पार कर गई। इनमें सिर्फ अवैध भारतीयों की बात करें तो 2021 में कुल पांच हजार आवेदन किए गए जबकि 2023 में 51 हजार आवेदन दा​खिल हुए।

यह ​स्थिति तब है जब आवेदन करने वालों को यह अच्छे से पता है कि आश्रय लेने के बाद भारत में उनकी वापसी नहीं होगी। उन्हें कितने साल तक भारत में प्रवेश नहीं मिलेगा, यह अभी तक तय नहीं है लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी बताते हैं कि किसी भी देश में आश्रय लेने का मतलब भारत यानी अपनी देश के साथ धोखा देने जैसा होता है। इसलिए ऐसे लोगों को कम से कम 20 से 25 साल या फिर आजीवन प्रवेश पर पाबंदी रह सकती है।

तीन सप्ताह पहले अवैध भारतीयों को अमृतसर लेकर आया अमेरिकी सेना का विमान, दूसरे में अमेरिकी सीमा में घुसते पकड़े गए अवैध नागरिक, स्त्रोत : डीएचएस

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के एलुमनी और जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ एडवांस इंटरनेशनल स्टडीज (एसएआईएस) में एशिया प्रोग्राम के निदेशक और साउथ ए​​शियाज स्टडी के स्टार फाउंडेशन प्रोफेसर देवेश कपूर ने इंडिया स्पेंड से बातचीत में कहा, "अमेरिका में अवैध भारतीयों को दो समय काल के आधार पर देखना जरूरी है। कोरोना से पहले और उसके बाद यानी 1990 से लेकर 2019 और 2022 से लेकर 2024 या अब तक की ​स्थिति में कई तरह के ट्रेंड का बदलाव हुआ है। भारत में भले ही अवैध नागरिकों को लेकर अलग अलग तरह की स्टोरी चल रही हों लेकिन वास्तविकता में यह तस्वीर काफी अलग तरह से देखने की जरूरत है। अमेरिका में सिर्फ भारतीय अवैध नहीं है ब​ल्कि और भी कई देशों से लोग यहां डंकी रूट के जरिए आ रहे हैं, पकड़े भी जा रहे हैं और आश्रय गृह भी ले रहे हैं। अमेरिका में कई ऐसे ट्रेंड हैं जिनके बारे में जानकर, समझकर इस चुनौती के समाधान पर बढ़ा जा सकता है।"

उन्होंने कहा, "जहां तक ​​इस मुद्दे पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया का सवाल है तो उनके पास कुछ विकल्प मौजूद हैं। अवैध प्रवासियों का बचाव करना कठिन हो सकता है और ट्रंप सरकार के साथ संबंध बनाए रखने के बड़े लक्ष्य का मतलब है कि अहंकार को छोड़कर कट्टर रुख अपना लें। उदाहरण के लिए, मोदी की टीम ने अमेरिका से 18 हजार अवैध अप्रवासियों को वतन वापसी लाने की सुविधा देने पर स्पष्ट रूप से सहमती जताई है।"

दरअसल 10 फरवरी को जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज (एसएआईएस) ने अमेरिका में अवैध भारतीयों के ट्रेंड पर एक समीक्षा अध्ययन जारी किया है जिसमें प्रो. देवेश कपूर ने साफ तौर पर कहा है कि अमेरिका से सभी अवैध भारतीयों को वापस घर भेजना मतलब "पाई इन द स्काई" मुहावरे जैसा है जिसका मतलब कोई ऐसी अच्छी चीज जिसके होने की संभावना बहुत कम हो। यह इसलिए क्योंकि अवैध भारतीयों की संख्या अनुमानित है जिन्हें घर छोड़ने जैसे इतने बड़े कार्य में किसी भी देश के लिए भारी तार्किक चुनौतियां और अधिक समय की खपत होना है।

पहले जानें : हैरान करने वाले ये तथ्य:


1. अमेरिका अकेला नहीं, इन देशों में भी आश्रय बढ़ा

प्रो. कपूर बताते हैं कि आश्रय गृह में बढ़ते आवेदनों की ​स्थिति के लिए अमेरिका सिर्फ अकेला देश नहीं है। 2013 से 2023 के बीच का ट्रेंड देखें तो कोरोना महामारी आने के बाद यानी 2021 से 2023 के बीच अमेरिका के साथ साथ यूके, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी आश्रय गृह के लिए आवेदन करने वाले अवैध भारतीयों की संख्या में उछाल आया है। 2023 में, अमेरिका में यह 51.4 हजार का आंकड़ा पार कर गया। वहीं कनाडा में 15.5, यूके में 5.3 और ऑस्ट्रेलिया में 2400 से ज्यादा आवेदन जमा हुए हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि शायद यह अवैध भारतीयों का शरण प्रणाली के साथ खिलवाड़ करने का एक तरीका है।


2. रोटी, कपड़ा और मकान पहले से इनके पास

कनाडा की सीमा पर सख्ती बढ़ाने की चर्चा करते अमेरिकी सैन्य अ​धिकारी, दूसरे में सीमा पार करते अवैध नागरिक, स्त्रोत : क्रिस्टी नोएम

प्रो. देवेश कपूर बताते हैं कि आश्रय लेने वाले अधिकांश भारतीय पंजाबी और गुजराती हैं और यह दोनों ही भारत भारत के अमीर राज्यों का हिस्सा हैं। जहां अ​धिकांश लोग रोटी, कपड़ा और मकान जैसी सुख सुविधाओं से संपन्न हैं। यहां भूमि का मूल्य खेती से मिलने वाले रिटर्न से कहीं अधिक है। अमेरिका आने की वित्तीय लागत कठिन यात्रा के साथ साथ काफी महंगी है और भारत के प्रति व्यक्ति आय से लगभग 30 से 100 गुना ज्यादा है। इसलिए जिनके पास संपत्ति (विशेषकर भूमि) है उसे गिरवी या बेचकर यह खर्च उठाया जा सकता है। इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश, बिहार या फिर मुस्लिम बहुल इलाकों से लोग शायद ही कभी शरण मांगते हैं।

3. वीजा वाले भी अवैध, रहने लगते हैं गुपचुप

एसएआईएस के अध्ययन में कहा है कि हाल के वर्षों में लगभग 60 फीसदी अवैध अप्रवासी अमेरिका में गैर-आप्रवासी वीजा लेकर आते हैं जो कानूनी तौर पर उन्हें देश में रुकने की ईजाजत देता है लेकिन जब यह वीजा एक्सपायर हो जाता है तो यही लोग गुपचुप तरीके से रहने लगते हैं। जहां भी नौकरी कर रहे हैं, वहां पुलिस या फिर स्थानीय प्रशासन की नजर में आने से बचने के लिए यह कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। इसकी वजह से भी अमेरिका में "वीजा ओवरस्टेयर" आबादी बढ़ गई है जिसमें भारत के साथ साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों के नागरिक भी शामिल हैं। हालांकि इनमें भारतीयों की संख्या 2016 के बाद से 1.5% पर स्थिर बनी हुई है।

4. एक साल में भारत आया 10 लाख करोड़

अमेरिका के एक सैन्य ठिकाने से कुछ इस तरह किया जा रहा डिपोर्ट, स्त्रोत : क्रिस्टी नोएम

जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज (एसएआईएस) के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कहा है कि भारत से सर्वाधिक गुजराती और पंजाबियों में विदेशों में बेहतर जीवन की तलाश करने की परंपरा है जिसके चलते एक बड़ी संख्या में हर साल वैध और अवैध तरीके से यहां के लोग अमेरिका और यूके जैसे देशों में पहुंच रहे हैं। चूंकि यह पहले से ही आ​र्थिक रुप से संपन्न क्षेत्रों से आते हैं जो गरीबी से नहीं बल्कि "सापेक्षिक अभाव" से बचने की कोशिश करने के लिए अधिक प्रयास करते हैं। साल 2023 में विदेशों में रोजगार लेकर इन्होंने भारत में रह रहे अपने परिवारों तक तकरीबन 10 लाख करोड़ रुपये ($120 बिलियन) पहुंचाया।

किसे पता, कितने अवैध भारतीय?

अमेरिका में कुल अवैध भारतीयों की चार अलग अलग अनुमानित संख्या दर्शाता यह ग्राफ, स्त्रोत : एसएआईएस

एसएआईएस की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में कितने भारतीय अवैध हैं? इसका सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है। उन्होंने चार सरकारी और गैर सरकारी एजेंसी का हवाला देते हुए 1990 से 2022 के बीच की ​स्थिति समीक्षा की है। इसमें अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (डीएचएस) का मानना है कि अमेरिका में अवैध भारतीयों की संख्या अब 5.20 लाख से घटकर 2.20 लाख रह गई है। प्यू रिसर्च सेंटर और सेंटर फॉर माइग्रेशन स्टडीज ने 2022 में इन अवैध अप्रवासियों का आंकड़ा सात लाख से अ​धिक दिया है। वहीं माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एमपीआई) का आंकड़ा 3.75 लाख है।

जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की स्कॉलर और शोध कर्ता एबी बुदिमन ने कहा, 'यदि प्यू रिसर्च सेंटर और सेंटर फॉर माइग्रेशन स्टडीज के अनुमानों पर विश्वास किया जाए, तो अमेरिका में हर चार भारतीय अप्रवासियों में से लगभग एक अवैध है। अमेरिका में भारतीयों के इतिहास को देखते हुए इस पर भरोसा करने की अत्यधिक संभावना नहीं है। वहीं डीएचएस ने 2022 के दौरान अमेरिका में सभी विदेशी मूल के भारतीयों में से सात फीसदी को अनधिकृत बताया जो 2015 की तुलना में लगभग 17% और साल 2000 की तुलना में 9% कम है। कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि अमेरिका में कुल अनधिकृत आप्रवासी आबादी का एक छोटा सा हिस्सा भारतीयों का है जो 2022 में केवल 2% था और 2015 में यह लगभग 4% के आसपास था।'

अमेरिका में कुल अवैध नागरिकों में से भारतीयों की हिस्सेदारी को बयां करता यह ग्राफ, स्त्रोत : एसएआईएस

डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी का एक डाटा यह भी है कि 1990 से 2022 के बीच अमेरिका पहुंचे भारतीय नागरिकों में से करीब 6.90 यानी सात फीसदी पूरी तरह से अवैध हैं। कैलिफोर्निया (112,000), टेक्सास (61,000), न्यू जर्सी (55,000), न्यूयॉर्क (43,000) और इलिनोइस में 31 हजार भारतीय नागरिक हैं जिनमें अनधिकृत भारतीय अप्रवासियों की संख्या भी काफी है। हालांकि जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का मानना है कि टेनेसी (33%), इंडियाना (27%), जॉर्जिया (21%), विस्कॉन्सिन (21%) और कैलिफोर्निया (20%) शीर्ष पांच राज्य हैं जहां लगभग हर पांचवां भारतीय अप्रवासी अवैध है। ओहियो (16%), मिशिगन (14%), न्यू जर्सी (12%) और पेंसिल्वेनिया में रहने वाले भारतीयों में 11% तक अवैध हैं।

कमाई गुजरातियों की, आश्रय गृह पंजाबियों का सबसे ज्यादा

अमेरिका में अब तक पहुंचे अवैध भारतीयों की राज्य और बोली के हिसाब से कुछ ऐसी है ​स्थिति, स्त्रोत : एसएआईएस

अमेरिका में अवैध नागरिकों का हैरानी भरा ट्रेंड सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। सिराकस यूनिवर्सिटी के ट्रांजेक्शनल रिकॉर्ड्स एक्सेस क्लियरिंगहाउस (टीआरएसी) का डाटा बताता है कि अमेरिका में 2001 से अब तक खुद को उत्पीड़न का ​शिकार बताकर आश्रय गृह का आवेदन करने वाले अवैध भारतीयों में 66 फीसदी पंजाबी बोलते हैं। इनके अलावा, हिंदी 14, अंग्रेजी आठ, गुजराती सात और करीब एक एक फीसदी तमिल और उर्दू भाषा बोलने वाले हैं। इनके अलावा तीन फीसदी भारत की अन्य भाषाओं से जुड़े हैं। हैरानी भरा एक और ट्रेंड ऐसा भी है जिसके मुताबिक अमेरिका में आश्रय गृह लेने वालों में हिंदी बोलने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। साल 2017 में ऐसे अवैध भारतीयों की संख्या करीब सात फीसदी के आसपास थी जो 2022 में बढ़कर 30 फीसदी तक पहुंची है।

इस तरह हाथों में बेड़ियां और पैरों में जंजीर बांध कर अमेरिका से अवैध भारतीयों को भेजा, स्त्रोत : परीक्षित निर्भय

टीआरएससी का ही डाटा है कि अमेरिकी की इमीग्रेशन अदालतों में पंजाबी बोलने वालों में से 63% को शरण दे दी गई जबकि हिंदी भाषियों से जुड़े अधिकांश मामलों (58%) को भी मंजूरी मिली लेकिन केवल 25% गुजराती भाषियों से जुड़े मामलों को मंजूरी दी गई। यह ​स्थिति तब है जब 2019 से 2022 के बीच अमेरिकी सामुदायिक सर्वेक्षण (एसीएस) ने एकत्रित डाटा के आधार पर बताया कि विदेश में जन्मे और अमेरिका में रह रहे सभी भारतीयों में से जो लोग घर पर पंजाबी बोलते हैं उनकी औसत व्यक्तिगत कमाई ($48K) है जबकि गुजराती बोलने वालों की यह औसत कमाई ($58K) है।

हालांकि अमेरिकी मीडिया में यह भी चर्चा है कि आने वाले वर्षों में, यह लगभग निश्चित है कि डोनाल्ड सरकार बहुत कम शरण अनुरोधों पर विचार करेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका में सीबीपी वन ऐप को प्रमुख ऐप स्टोर से हटा दिया गया है। यह एक उपकरण है जो प्रवासियों को अमेरिकी शरण प्रणाली को नेविगेट करने में मदद करने में सहायक है।

कनाडा नया डंकी रूट, पनामा या मैक्सिको हुआ 'ओल्ड फैशन'

अमेरिका कनाडा सीमा पर सख्ती बढ़ाए जाने के बाद सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा करतीं सचिव क्रिस्टी नोएम

साल 2012 से कनाडा की नागरिकता लेने वाले दिल्ली के करोल बाग निवासी महेंद्र सचदेवा ने इंडिया स्पेंड से बातचीत में कहा, 'मैं जब इंडिया से कनाडा आया था, उस वक्त पनामा सबसे फेमस डंकी रूट हुआ करता था। जब से ट्रंप ने अवैध भारतीयों को डिपोर्ट करना शुरू किया है तब से इस पारपंरिक डंकी रूट की चर्चा हो रही है जबकि कनाडा से अमेरिका भागने वाले भारतीय छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा देखी जा रही है। तीन दिन पहले 16 फरवरी को स्थानीय मीडिया में यह जानकारी है कि डोनाल्ड ट्रंप के 25 फीसदी टैरिफ की घोषणा के बाद कनाडा ने अपनी सीमाओं पर सख्ती शुरू कर दी है।'

हालांकि अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (सीबीपी) का राष्ट्रव्यापी डेटा भी यह बता रहा है कि 1990 से लेकर 2024 के बीच पहली बार अमेरिका में अवैध नागरिकों का मूवमेंट सबसे ज्यादा उत्तर सीमा पर बढ़ता देखा गया है। यह भी बताता है कि बीते 18 साल में पहली बार अवैध अप्रवासियों की घुसपैठ अमेरिका दक्षिणी सीमा पर 96 से घटकर 64 फीसदी पर आई है। पनामा के डेरिएन गैप से आने वाले अवैध अप्रवासी इसी सीमा के जरिए प्रवेश करते हैं। हालांकि 2007 से 2024 के बीच अमेरिका की उत्तरी सीमा पर घुसपैठ 36 फीसदी तक पहुंची है जहां से कनाडा महज 10 मिनट में प्रवेश लिया जा सकता है।

इसलिए कनाडा बना रूट... वीजा लेकर आए, न की पढ़ाई- न ​स्किल जॉब

अमेरिका में घुसने के लिए अब नए डंकी रूट की पहचान कराता यह ग्राफ, स्त्रोत : एसएआईएस

पंजाब के बठिंडा जिला निवासी 35 वर्षीय युवक ने इंडिया स्पेंड से बातचीत में कहा, 'अमेरिका जाने के लिए अब पनामा या फिर मैक्सिको ओल्ड फैशन डंकी रूट है। कुछ साल पहले तक लोग 40-50 लाख रुपये देकर जंगलों से होते हुए वहां पहुंचते थे लेकिन अब स्थिति बदल गई है। अब सिस्टम के लूपहोल के जरिए छोटे और सस्ते डंकी रूट का इस्तेमाल सबसे ज्यादा हो रहा है। यह रूट कनाडा से अमेरिका के बीच है जिसमें महज 25 मिनट में आप एक से दूसरे देश में प्रवेश कर सकते हैं।'

पेशे से कनाडा के टोरंटो में आईटी इंजीनियर युवक ने कहा, 'मैं यहां एक या दो नहीं बल्कि हजारों अवैध अप्रवासियों की बात कर रहा हूं। पिछले कुछ साल खासतौर पर कोरोना के बाद अमेरिका जाने वाले सबसे ज्यादा छात्र हैं जो पहले भारत से पढ़ाई करने के लिए स्टूडेंट वीजा पर यहां आए। उस वक्त लॉकडाउन की वजह से यहां की सरकार ने स्किल जॉब की शर्त को हटाकर सभी छात्रों को पीआर दे दिया।'

2016 से कनाडा की पीआर प्राप्त युवक ने बताया कि जब अगले बैच की बात आई तो सबको लगा, उन्हें भी ऐसे ही पीआर मिल जाएगी। लगभग आधे से ज्यादा छात्रों ने कनाडा की सड़कों पर मस्ती की और स्किल जॉब का टेंशन नहीं लिया। बाद में जब वीजा बढ़ाने की बात आई तो सरकार ने इन्हें तीन साल का वीजा देने से इंकार कर दिया और फिर ये अमेरिका की ओर निकल पड़े। ऐसे छात्रों की कम से कम 50 से 60 हजार की संख्या है जो ट्रंप सरकार के बाद फिर से कनाडा हर दिन वापस आ रहे हैं।'

भारतीय छात्रों की "मस्ती" का सबूत यह भी

इसी साल 15 जनवरी को प्रका​शित ‘द ग्लोब एंड मेल’ की एक रिपोर्ट बताती है कि कनाडा में 50 हजार ​अंतरराष्ट्रीय छात्रों को "नो-शो" के रूप में दर्ज किया है जिनमें भारतीय छात्रों की संख्या तकरीबन 20 हजार है। कनाडा सरकार के हवाले से इस रिपोर्ट में बताया कि साल 2024 में कनाडा के विश्वविद्यालय और कॉलेजों ने कुल 19582 भारतीय छात्रों को अनुपालन न करने वालों की सूची में शामिल किया है जबकि 3.27 लाख छात्रों को आज्ञाकारी सूची में रखा। इनके अलावा 12553 भारतीय छात्रों के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। इस तरह करीब 5.4 फीसदी से ज्यादा छात्रों को निलंबन का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि नवंबर 2023 में कनाडाई मंत्री मार्क मिलर ने सख्त नियम लागू किया है जिसके मुताबिक अनुपालन न करने वाले संस्थानों को एक साल तक के लिए निलंबित किया जा सकता है। इसके चलते कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने अनुपालन न करने वाले छात्रों की पहचान करना शुरू कर दिया।

न चौकी, न पुलिस, पूरा सेफ रूट, पेमेंट आफ्टर डिलीवरी

इनदिनों कनाडा में सोशल मीडिया पर इस तरह डंकी रूट का चल रहा खेल, खुलेआम शेयर हो रहीं वीडियो, स्त्रोत परीक्षित निर्भय

पिछले तीन सप्ताह में कनाडा के सोशल मीडिया पर कई ग्रुप ए​क्टिव हुए हैं जो नागरिकों को एक से दूसरे देश पहुंचाने में मदद कर रहे हैं। जो लोग इनकी मदद से सेफ हाउस तक पहुंच रहे हैं, वह एक वीडियो बनाकर भी औरों से इनकी हेल्प लेने की अपील करते दिखाई दे रहे हैं। इसे लेकर जब रिपोर्टर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की पड़ताल की तो इंस्टाग्राम पर ऐसी दर्जनों वीडियो बीते सात जनवरी के बाद से हर दिन पोस्ट होने की जानकारी मिली जिनमें कहा जा रहा है, "न चौकी, न पुलिस, पूरा सेफ रूट है भईयों। पेमेंट भी आफ्टर डिलीवरी के बाद करनी है। जिस भी भाई को आना है, वह चौहान साहब से संपर्क कर सकता है।"

सीमा पार करने के बाद अवैध नागरिकों से इस तरह वीडियो बनवाकर औरों के लिए ऐसे कर रहे पोस्ट, स्त्रोत : परीक्षित निर्भय

usa_chouhan8 नामक यूजर एकाउंट से आ​खिरी वीडियो बीते 15 फरवरी की है जिसमें भारतीय मूल के छात्र अमेरिका से कनाडा सुर​क्षित रूप से पहुंचने की जानकारी दे रहे हैं। बंठिडा से टोरंटो पहुंचे युवक ने बताया कि ऐसे एकाउंट हर 15 से 20 दिन में ए​क्टिव होकर डिलीट हो जाते हैं। कई तरह के ग्रुप इस समय ए​क्टिव हैं जो कनाडा से अमेरिका या फिर न्यू यॉर्क तक लोगों को अवैध रुप से पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हम सभी के पास हर बार नया एकाउंट सर्कुलेट होता है और फिर कुछ ही दिन में वीडियो आना शुरू हो जाती हैं। जनवरी के पहले सप्ताह से वह हर दिन ऐसी दर्जनों वीडियो अपने फोन में देख रहे हैं।

अवैध नागरिकों के ​खिलाफ शुरू से सख्त डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका में ओबामा सरकार के समय अवैध नागरिकों के ​​​खिलाफ कार्रवाई के ​खिलाफ विरोध की यह पुरानी तस्वीर, स्त्रोत : सोशल मीडिया

अमेरिका के इमीग्रेशन एंड कस्टम इंफोर्समेंट (आईसीई) के मुताबिक, डिपोर्ट होने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या में साल 2023 और 2024 के बीच काफी बढ़ोतरी हुई है। हालांकि साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान इनका अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा रहा है। लगभग 2300 भारतीयों को वापस देश भेजा गया। इस तरह साल 2009 से 2024 के बीच करीब 16 हजार अवैध भारतीयों को डिपोर्ट किया है। राष्ट्रपति ओबामा के शासन काल में औसतन प्रतिवर्ष 750 लोगों को वापस किया जबकि ट्रंप के पहली बार राष्ट्रपति बनने के बाद यह संख्या सालाना औसतन बढ़कर 1,550 तक पहुंच गई। ट्रंप के बाद जो बाइडेन की सरकार में यह आंकड़ा वा​र्षिक 900 रहा। अब फिर से ट्रंप सरकार बनने के बाद अवैध अप्रवासियों के ​खिलाफ मुहिम शुरू हुई है।