झांसी: स्कूल जाने से पहले पानी भरने की जिम्मेदारी, कैसे होगी पढ़ाई?
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 300 किलोमीटर जिला झांसी के कटेरा देहात में रहने वाली छात्राओं ने इंडियास्पेंड को बताया कि कैसे पानी की वजह से उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। देखिये ग्राउंड रिपोर्ट
झांसी (उत्तर प्रदेश): “पहले पानी भरने जाना पड़ता है। उसके बाद ही स्कूल जा पाती हूं। कई बार तो पानी भरने में इतना समय लग जाता है कि क्लास छूट जाती है।” कक्षा आठवीं की छात्रा आकांक्षा बताती हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 300 किलोमीटर जिला झांसी के कटेरा देहात में रहने वालीं आंकाक्षा अकेली ऐसा करने वाली नहीं हैं। उनके जैसी कई छात्राओं को प्रतिदिन स्कूल जाने से पहले घर पर पानी की व्यवस्था करने के लिए कई किमी कर सफर तय करना पड़ता है न और इन सबका असर उनकी पढ़ाई पर भी पड़ता है।
कक्षा 12वीं की छात्रा नेहा का हाल भी कुछ ऐसा ही है। स्कूल जाने से पहले उन्हें तीन से चार किमी दूर पानी के लिए जाना पड़ता है। “ज्यादातर हैंडपंप खराब हैं। जिनमें पानी आता है वह दूर है और वहां लंबी लाइन लगती है। कई बार देर हो जाती है तो स्कूल में प्रवेश नहीं मिलता। लेकिन हमारे दूसरा कोई रास्ता भी तो नहीं है।” स्टील के बतर्न में सिर पर पानी लेकर जाते हुए नेहा नाराजगी जताती हैं।
झांसी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले बुंदेलखंड के 13 जिलों में से एक है। बुंदेलखंड भारत का वह क्षेत्र है जो पानी की कमी और सूखे के लिए जाना जाता है। सरकार इस समस्या से निजात दिलाने के लिए कई तरह के पैकेज और योजनाओं का ऐलान समय-समय पर करती है।
प्रत्येक ग्रामीण इलाकों के हर घर में पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से शुरू हुई केंद्र सरकार की हर घर जल योजना के तहत झांसी के घरों में नल कनेक्शन देने की प्रक्रिया शुरू है। लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि योजना के शुरू होने से अब तक जिले के 63.94% (1 जुलाई 2023 तक) घरों तक ही नल कनेक्शन पहुंच पाए हैं।
वर्ष 2016 की यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में सूखा-प्रभावित राज्यों में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में 22% की वृद्धि दर्ज की गई। इसी रिपोर्ट में बताया गया कि करीब 54% ग्रामीण महिलाओं के साथ किशोर लड़कियां हर दिन पानी इकट्ठा करने के लिए 35 मिनट खर्च करती हैं जो 27 दिनों की मजदूरी के बराबर है। एक दूसरी रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में बच्चे प्रतिदिन 200 मिलियन घंटे पानी इकट्ठा करने में बिताते हैं।