लखनऊ: साल दर साल बढ़ रहे डेंगू के मामले, क्या बदलता मौसम है वजह?
लखनऊ में इस साल अक्टूबर महीने में डेंगू के 2,100 से ज्यादा मामले सामने आये जो अक्टूबर 2023 की अपेक्षा 5 फीसदी ज्यादा है। नवंबर के शुरुआती सप्ताह में भी मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन इसकी वजह क्या है? क्या इसके लिए बदलता मौसम भी जिम्मेदार है? पढ़िये ये रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 31 अक्टूबर से 1 नवंबर के बीच डेंगू के 91 नये मामलों की पुष्टि हुई। वहीं बात अगर 25 अक्टूबर से 1 नवंबर के बीच की करें तो 400 से ज्यादा मामले सामने आये। इस वर्ष अक्टूबर का कोई ऐसा दिन नहीं रहा जब पॉजिटिव मामलों की पुष्टि ना हुई हो। आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल अकेले लखनऊ में ही डेंगू के 2,100 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। पिछले कई वर्षों से लखनऊ में डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अक्टूबर में इनमें काफी तेजी आ जाती है। लेकिन ऐसा हो क्यों रहा? क्या बदलता मौसम इसके लिए जिम्मेदार है?
अलीगंज में रहने वाले गिरीश चंद्र दुबे (56) को एक सप्ताह से बुखार था। अचानक से हाथ और पैरों में तेज दर्द होने लगा। परिजन किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ले गये। जांच में डेंगू की पुष्टि हुई और प्लेटलेट्स 20 हजार पर पहुंच चुका था। दो दिन इलाज चला लेकिन जब अस्पताल से प्लेटलेट्स नहीं मिला तो उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया।
“हम पापा को लेकर रात में अस्पताल पहुंचे थे। उन्हें तत्काल प्लेटलेट्स की जरूरत थी। लेकिन दो दिन तक इंतजार के बाद भी अस्पताल प्लेटलेट्स मुहैया नहीं करा पाया। इसके बाद हम उन्हें शहर के ही एक निजी अस्पताल लेकर गये। अब उनकी स्थिति में सुधार है।” गिरीश के बेटे अनुज ने इंडिया स्पेंड को बताया।
बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. एनबी सिंह बताते हैं कि डेंगू एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। रक्त में प्लेटलेट्स की सामान्य संख्या 1.5-4 लाख प्रति माइक्रोलीटर होती है। यदि प्लेटलेट्स की संख्या 20,000 से कम हो जाती है तो डेंगू शॉक सिंड्रोम का खतरा पैदा हो जाता है।
डेंगू से बचाव और नियंत्रण के लिए अपने आस-पास सफाई रखें एवं मच्छर से बचाव के उपाय अपनाएं।#DenguePrevention #DengueFever #DengueAwareness #DenguePrevention #FightDengue #DengueControl pic.twitter.com/9PRm8kvuJj
— NHM UP (@nhm_up) November 2, 2024
डेंगू शॉक सिंड्रोम डेंगू का ही बढ़ा हुआ अगला रूप है। यह डेंगू बुखार की दूसरी और तीसरी स्टेज में होता है। जब मरीज का बुखार कई दिन तक नहीं उतरता है और बदन दर्द भी होने लगता है तो इसकी शुरुआत होती है। होंठ नीले पड़ने लगते हैं। त्वचा पर लाल चकत्ते और दाने तेजी से उभरते हैं। साथ ही मरीज की नब्ज बहुत धीमे चलने लगती है।द
सीएमओ कार्यालय लखनऊ से मिले आंकड़ों से पता चला है कि जनवरी 2024 से अब तक लखनऊ में डेंगू से एक मौत दर्ज की गई है, जबकि 2022 और 2023 में चार-चार मौतें दर्ज हुई थीं। इस साल एक मात्र मौत 19 अक्टूबर को बलरामपुर अस्पताल से रिपोर्ट की गई थी। मरीज 84 वर्षीय महिला थी, जो 3 से 4 दिनों से अस्पताल में भर्ती थी। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एनबी सिंह ने बताया, "उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही बहुत कमजोर थी।"
साल दर साल बढ़े रहे मामले, विभाग क्या कर रहा?
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसर सितंबर महीने में लखनऊ में डेंगू के कुल 388 मामलों की पुष्टि हुई थी। लेकिन अक्टूबर महीने में ये संख्या 2,100 से ज्यादा हो गई। मतलब एक महीने में ही मामले चार गुना से ज्यादा बढ़ गये। इससे पहले वर्ष 2021 में लखनऊ में 4 नवंबर तक (1 जनवरी 2021 से) डेंगू के 1,104 मामले सामने आये थे। इनमें से लगभग 95% मामले (1,043 केस) सितंबर-नवंबर के बीच मिले थे। वर्ष 2022 में पूरे प्रदेश में डेंगू के कुल 11 हजार 183 मरीज (1 जनवरी से 12 नवंबर के बीच) मिले थे, इनमें सबसे ज्यादा 1,677 मामले अकेले लखनऊ के थे। 2023 में लखनऊ में एक जनवरी से 31 दिसंबर तक, यानी पूरे साल में 2,700 मामले सामने आये थे।
बात अगर पूरे प्रदेश की करें तो वर्ष 2019 में 10,557 मामले सामने आये थे और 26 मरीजों की मौत हो गई थी। 2020 में मामला थोड़ा कम हुआ और कुल 3,715 मामले मिले और 6 मौत हुई। 2021 में 29,750, 2022 में 19,821, 2023 में 35,402 मामलों की पुष्टि हुई। इस दौरान क्रमश: 29, 33, और 36 मरीजों की मौत हुई।
डॉ. एनबी सिंह के अनुसार डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो एडीज एजिप्टी मच्छर द्वारा फैलता है। संक्रमण से पीड़ित अधिकांश लोगों में हल्के लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन यह बीमारी बुखार, तेज सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, मतली और उल्टी, आंखों के पीछे दर्द और चकत्ते का कारण बनती है। हालांकि गंभीर मामलों में संक्रमण से आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है और अगर इसे समय रहते ठीक नहीं किया गया तो इससे मरीज की जान भी जा सकती है।
महामारीविद राहुल गाम बताते हैं कि कई छोटे केंद्र कार्ड टेस्ट पर निर्भर हैं जो डेंगू की पुष्टि नहीं करते हैं। सरकार केवल एलिसा टेस्ट या पीसीआर पर विचार करती है। इसलिए कई मामले तो रिपोर्ट ही नहीं हो रहे हैं। ऐसे में मरीज ठीक हो सकें और उनकी जांच हो सके, इसके लिए और व्यापक सुविधाओं की जरूरत है।
“ठंडी परिस्थितियां, खासकर जब अधिकतम दैनिक तापमान 24 डिग्री सेल्सियस से नीचे और न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है तो ऐसे में मच्छरों के लार्वा ठीक से बन नहीं पाते। ऐसे में मच्छरों की संख्या कम होगी। मौसम बदलने पर ही डेंगू के मामले रुकेंगे। अभी का मौसम इनके अनुकूल है। डॉक्टर राहुल आगे बताते हैं। उन्होंने निरंतर सतर्कता और जांच बढ़ाने पर भी जोर दिया।
डॉ. एनबी सिंह ने बताया कि बलरामपुर अस्पताल में डेंगू के मरीजों के लिए 36 बेड आरक्षित हैं जिनमें से 28 मरीज फिलहाल ठीक हो रहे हैं। वहीं लोकबंधु अस्पताल के डॉ. अजय त्रिपाठी ने बताया कि अस्पताल में 20 बेड उपलब्ध हैं जिनमें से 13 मरीज फिलहाल भर्ती हैं।
नाम न बताने की शर्त पर कई डॉक्टरों ने बताया कि दोनों अस्पतालों में 150 बुखार के मामलों में से लगभग 15-20 मामले डेंगू के प्रतिदिन रिपोर्ट हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट काउंट में तेजी से गिरावट आ रही है। ऐसे में मरीज को ठीक होने में एक सप्ताह का ज्यादा समय लग जा रहा है।
केजीएमयू में ब्लड एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की प्रमुख प्रो. तूलिका चंद्रा ने बताया, "प्लेटलेट्स रक्त के थक्के जमने के लिए आवश्यक हैं। ऐसे में इसकी कमी मरीज की जान जोखिम में डाल सकती है। वर्तमान में प्रमुख अस्पतालों में बलरामपुर अस्पताल (60 आरडीपी यूनिट), सिविल अस्पताल (150 यूनिट), डॉ. आरएमएलआईएमएस (80 यूनिट) और केजीएमयू (200 यूनिट) के साथ पर्याप्त प्लेटलेट स्टॉक हैं।
कई निजी और सरकारी अस्पतालों ने इंडियास्पेंड को बताया कि शहर के ब्लड बैंकों में 20 दिन पहले तक रोज 200 यूनिट प्लेटलेट्स की खपत थी जो अब बढ़कर 400 पार हो गई है। हालांकि, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल ने आश्वासन दिया कि अस्पतालों में बिस्तर और प्लेटलेट्स की कोई कमी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इस महीने मामलों में वृद्धि पिछले साल की तुलना में कम है। उन्होंने लोगों से स्वच्छता बनाए रखने और रोकथाम के लिए मच्छरदानी का उपयोग करने का निवेदन भी किया।
डॉ. मनोज के अनुसार इस साल शहर में डेंगू के प्रसार को काफी हद तक रोकने में सफलता मिली है, क्योंकि लोगों में इस बीमारी के बारे में अधिक जांच और जागरुकता है। उन्होंने आगे बताया कि पिछले साल के 83 की तुलना में इस साल लखनऊ में 135 जांच केंद्र बनाए गए हैं।
“अक्टूबर में मामलों की संख्या पिछले साल की तुलना में लगभग 5% बढ़ गई। लेकिन पूरे साल में दर्ज कुल संख्या काफी कम है। पिछले साल हमने लगभग 2,700 मामले देखे थे। इस हिसाब से इस साल अब तक मामले कम हैं। ज्यादा जांच होने की वजह से भी ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।"
डेंगू का बदलते मौसम से कनेक्शन?
क्या मच्छरों की संख्या तापमान गिरने के और प्रदूषण बढ़ने के साथ कम होने लगती है? इस सवाल के जवाब में एक निजी अस्पताल में कार्यरत डॉ. गौरव कुमार कहते हैं 'एक स्टडी के मुताबिक सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में तापमान 20 से 35 डिग्री के बीच होता है और इस तापमान में डेंगू मच्छर का लार्वा तेजी से पनपता है। क्लाइमेट तेजी से बदल रहा है। लखनऊ में अक्टूबर महीने में बारिश भी हुई। ऐसे में तापमान कम होते ही मच्छर कम होने लगेंगे।”
इस साल अक्तूबर के महीने में यूपी समेत उत्तर पश्चिम भारत में रातों का औसत तापमान पिछले 124 सालों में सर्वाधिक रहा। मौसम वैज्ञानिक इसकी मुख्य वजह मानसून वापसी में देरी और कई बार कम दबाव क्षेत्रों का विकसित होना बता रहे हैं। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह का कहना है कि तटस्थ निनो परिस्थितियों और सक्रिय पश्चिमी विक्षोभों की अनुपस्थिति में अक्तूबर महीने के दौरान औसत मासिक अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान सामान्य से काफी अधिक रहे।
मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार लखनऊ का अक्टूबर महीने में न्यूनतम तापमान 22.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से तीन डिग्री अधिक है। रातें सामान्य से तीन डिग्री अधिक गर्म रहीं। वहीं दिन का औसत अधिकतम तापमान भी सामान्य से 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक, 34.2 डिग्री सेल्सियस रहा। जबकि 1901 से 2020 के बीच लखनऊ का औसतन तापमान 26.6 डिग्री सेल्सियस ही था।
कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं और आने वाले समय में इसका और विकराल रूप देखने को मिल सकता है। वर्ष 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी कि डेंगू और चिकनगुनिया आने वाले समय और तेजी से फैलेगा और दुनिया की आधी आबादी इस बीमारी के खतरे में है।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर विजय नाथ ने इंडियास्पेंड को बताया कि जलवायु परिवर्तन उन प्रमुख कारणों में से एक है जो दुनियाभर में एडीज मच्छरों की संख्या में बढ़ोतरी कर रहा जो डेंगू की वजह है। भविष्य में हम एडीज मच्छरों के स्थान में बदलाव देख सकते हैं। ऐसे में यूरोप और ऐशिया में इसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है। जलवायु परिवर्तन की अलग-अलग सीमाएं उत्तरी गोलार्ध में एडीज मच्छरों के विस्तार को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करेंगी।"
पिछले दशक में अमेरिका और यूरोप में डेंगू के मामले चिंताजनक रूप से बढ़े हैं। यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ECDC) के अनुसार 2024 की शुरुआत से 80 देशों में 10 मिलियन से ज्यादा डेंगू के मामले और 5,000 से ज्यादा डेंगू से जुड़ी मौतें दर्ज की गई हैं।
जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि उच्च तापमान और अधिक वर्षा डेंगू फैलाने वाले मच्छरों के लिए अनुकूल प्रजनन परिस्थितियाँ पैदा करती हैं।
नेचर माइक्रोबायोलॉजी के शोध से संकेत मिलता है कि 2050 तक दुनिया की लगभग आधी आबादी डेंगू के खतरे में पड़ सकती है, जिसमें यूरोप और उत्तरी अमेरिका में काफी वृद्धि होगी। यह अनुमान वैश्विक तापमान में अनुमानित 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के कारण है जो मच्छरों के सक्रिय मौसम और भौगोलिक सीमा को बढ़ाएगा।
"जलवायु परिवर्तन और तेजी से शहरीकरण के कारण तापमान और वर्षा में वृद्धि हुई है और इसके परिणामस्वरूप डेंगू के प्रकोप का खतरा बढ़ गया है। दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र इंडोनेशिया, बांग्लादेश नेपाल और थाईलैंड में 2023 की इसी अवधि की तुलना में अधिक मामले और मृत्यु दर दर्ज की गई है।" प्रो. तूलिका चंद्रा बताती हैं।
कई अन्य शोध में बताया गया है कि उच्च तापमान मच्छरों के प्रजनन को बढ़ावा देता है, लार्वा के विकास को गति देता है और मच्छरों को परिपक्व होने में लगने वाले समय को कम करता है। यह भी देखा गया है कि वयस्क मच्छर गर्म तापमान पर अधिक बार काटते हैं। गर्म जलवायु मच्छरों की सीमा को पहले से ठंडे क्षेत्रों की ओर भेजता है। शिमला, उत्तरी हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर जैसे क्षेत्रों में डेंगू के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। उच्च आर्द्रता उनके जीवित रहने और अंडे के विकास में सहायक होती है। ज्यादा बारिश की वजह से जमा बाढ़ का पानी भी उनके प्रजनन के लिए बेहतर माना जाता है।
देश में डेंगू के मामलों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है जो वर्ष 2010 में 28,066 मामलों से बढ़कर 2023 में 289,235 मामलों तक पहुंच गई। टेबल में 2019 से देश में मामलों और मौतों की संख्या को दिखाया गया है।