कम लिंग अनुपात वाले राज्यों में महिला विधायकों की संख्या अधिक
जनगणना एवं निर्वाचन आयोग की आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के सबसे कम विकास के सूचक (मुख्य रूप से लिंग अनुपात और महिला साक्षरता ) वाले राज्यों के विधानसभा में सबसे अधिक संख्या में महिला प्रतिनिधि हैं।
उच्च महिला विधायकों वाले राज्य (%)कम लिंग अनुपात और महिला साक्षरता दर
Source: Election Commission, Census of India 2011
देश की महिलाओं विधायकों ( विधानसभा के सदस्य ) के सर्वोच्च प्रतिशत वाले टॉप पांच राज्यों में लिंग अनुपात की स्थिति बेहद बुरी है।
इनमें से तीन राज्यों में महिला साक्षरता दर, राष्ट्रीय औसत, 64.4 फीसदी से नीचे है। हरियाणा एवं पंजाब के उत्तरी राज्यों में, जो सर्वाधिक बुरे लिंग अनुपात के लिए जाना जाता है, साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
ज़रुरी नहीं कि राजनीतिक सशक्तिकरण, जो लिंग अनुपात में वृद्धि का प्रमुख सूचक है , महिलाओं के लिए बेहतर विकास संकेतक के साथ परस्पर संबंधित हो।
बिहार में महिला विधायकों की संख्या में हुई है वृद्धि
इंडियास्पेंड एवं GenderinPolitics ने पहले ही अपनी खास रिपोर्ट में बताया है कि 2000 के चुनावों के बाद से बिहार में महिलाओं के विधायकों की संख्या में वृद्धि हुई है।
वर्ष 2000 में महिला विधायकों की संख्या 5.9 फीसदी थी जबकि 2010 के चुनाव के बाद बिहार विधानसभा में यह आंकड़े बढ़ कर 14 फीसदी तक पहुंच गए हैं। यह आंकड़े देश के किसी भी राज्य के विधानसभा की तुलना में सबसे अधिक हैं।
वर्ष 2000 के बाद से बिहार में चुनाव लड़ने वाली महिलाओं की संख्या में 62 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है जबकि चुनाव लड़ने वाले निर्वाचन क्षेत्रों जहां से महिलाएं खड़ी हुई हैं, उनकी संख्या 33 फीसदी की वृद्धि हुई है।
उत्तरी बिहार में अधिक महिला विधायक
वर्तमान में बिहार के विघटित विधानसभा में, 22 ज़िलों के 34 निर्वाचन क्षेत्रों में महिलाएं प्रतिनिधित्व कर रही थी। जबकि 16 ज़िले के किसी भी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व महिला विधायक नहीं कर रही थी।
पश्चिम चंपारण , सीतामढ़ी और पटना के जिलों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या सबसे अधिक ( तीन-तीन ) है। पूर्वी चंपारण, सुपौल , सिवान , बेगूसराय और पूर्णिया के दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व है ; 15 ज़िलों से एक निर्वाचन क्षेत्र में महिला विधायक हैं।
बिहार के ज़िलो में महिला विधायकों द्वारा प्रतिनिधित्व वाले निर्वाचन क्षेत्र, (2010)
Source: Election Commission of India, Districts of India
सुपौल , पश्चिम चंपारण और सीतामढ़ी में एक तिहाई निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व महिलाएं कर रही थीं। इन जिलों में से अधिकांश उत्तरी बिहार में स्थित हैं।
निर्वाचन क्षेत्रों से चुनी गई महिलाओं को दोबारा चुने जाने की संभावना
एक और दिलचस्प पैटर्न है कि पिछले दो चुनाव में ( 2,000 एवं 2010 ) इन्हीं ज़िलों में महिलाओं विधायकों की वृद्धि देखी गई है।
बिहार के निर्वाचन क्षेत्रों में महिला विधायकों को दोबारा निर्वाचन, ज़िला द्वारा
Source: Election Commission of India
वर्ष 2005 से 2010 के बीच, बिहार में नौ और महिला विधायकों को चुना गया, सभी महिला विधायकों को उन्ही क्षेत्रों से चुना गया जिनका उल्लेख हमने उपर किया है। पिछले साल के मुकाबले, पश्चिम चंपारण एवं बेगुसारय में दो और निर्वाचन क्षेत्रों से महिला विधायकों को चुना गया।
महिला विधायक चुने गए ज़िलों में कम लिंग अनुपात एवं कम साक्षरता दर
इन ज़िलों में महिला विधायकों की सबसे अधिक संख्या होने के साथ एक और विशेषता यह है कि इन क्षेत्रों में कम लिंग अनुपात एवं कम साक्षरता दर दर्ज की गई है।
महिला विधायक चुने गए ज़िलों में लिंग अनुपात और साक्षरता दरों में तुलना
Source: Census of India 2011
राष्ट्रीय लिंग अनुपात, 940, की तुलना में बिहार का कुल लिंग अनुपात 916 दर्ज की गई है।
सीवान , सुपौल और पूर्णिया के अलावा बाकि के ज़िलों में महिला प्रतिनिधित्व राज्य औसत के नीचे है। 63.5 फीसदी साक्षरता दर के साथ बिहार देश में सबसे निचले स्थान पर है। बिहार में महिला साक्षरता दर और कम 53 फीसदी दर्ज की गई है। अधिकतर राज्यों में महिला साक्षरता दर राज्य औसत से भी कम दर्ज की गई है।
महिलाओं विधायकों की अधिक संख्या वाले निर्वाचन क्षेत्र, पश्चिमी चंपारण और सीतामढ़ी में भी लिंग अनुपात एवं साक्षरता दर की बुरी स्थिति है।
तो क्या बुरे विकास संकेतक वाले ज़िले अधिक महिला विधायकों का चुनाव करते हैं ? कम से कम बिहार में तो ऐसी ही स्थिति लगती है।
( यह लेख GenderinPolitics एवं इंडियास्पेंड के सहकार्य से प्रस्तुत की गई है। GenderinPolitics एक परियोजना है जो भारत की राजनीति एवं शासन में महिलाओं की भूमिका पर नज़र रखती है। भानुप्रिया राव GenderinPoliticsके सह निर्माता हैं एवं तिवारी इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं )
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 28 सितंबर 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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