लखनऊ: देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित किये जा रहे महाकुम्भ पर कई सवाल उठाये जा रहे हैं। जहाँ उत्तराखंड सरकार का कहना है कि कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं की कोविड स्क्रीनिंग और टेस्टिंग के लिए पुख्ता इंतेज़ाम किये गए हैं और इस आयोजन से कोरोना संक्रमण बढ़ने का कोई खतरा नहीं है, वहीं राज्य के आंकड़े और ख़बरें कुछ और कहानी बयां करते हैं।

इंडियास्पेंड ने हरिद्वार के 1 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच के कोरोना आंकड़ों का परिक्षण किया और पाया कि हरिद्वार में पिछले 15 दिनों में कोरोना के एक्टिव मामलों की संख्या में करीब 474% की वृद्धि हुई है।

अगर बात महाकुम्भ की शुरुआत से करें तो हरिद्वार में 1 अप्रैल को कोरोना के 15226 पॉजिटिव मामले थे जिसमें से 626 एक्टिव मामले थे। वहीं 15 अप्रैल को हरिद्वार में पॉजिटिव मामले 19575 थे जिसमें से 3612 एक्टिव मामले थे।

अगर जिले में मिलने वाले पॉजिटिव मामलों की बात करें तो इस संख्या में भी अच्छा खासा इज़ाफ़ा हुआ है। 1 अप्रैल को यहां 149 मामले सामने आये थे। 15 अप्रैल तक पॉजिटिव मामलों में लगातार वृद्धि हुई और इस दिन के मामलों की संख्या 623 थी यानि लगभग चार गुना वृद्धि।

अगर एक्टिव मामलों की देश के अन्य क्षेत्रों से तुलना की जाये तो हरिद्वार की संख्या भारत के कई दुसरे जिलों से अधिक है जहां स्थानीय प्रशासनों ने लॉकडाउन लगाए हैं।

कोरोना वायरस से होने वाली मौतों की बात करें तो कुम्भ की शुरुआत होने से 15 अप्रैल तक हरिद्वार में 15 मौतें हो चुकी हैं। निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव दास की भी कोरोना के कारण गुरुवार को हरिद्वार के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में मृत्यु हो गयी। निर्वाणी अखाड़ा कुम्भ के 13 अखाड़ों में एक प्रमुख अखाड़ा माना जाता है।

कुम्भ समाप्त करने की बढ़ने लगी गुहार

महाण्डलेश्वर कपिल की मृत्यु के बाद निरंजनी अखाड़े ने कुम्भ को 17 अप्रैल को समाप्त करने का एलान कर दिया। निरंजनी अखाड़े के रविंद्र पूरी ने कुम्भ मेला समाप्ति का ऐलान कर दिया। पूरी ने एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए कहा कि शाही स्नान के बाद बहुत सारे भक्तों और साधु सन्यासियों में कोरोना के लक्षण दिखे हैं। उन्होंने दूसरे अखाड़ों को भी इस राह पर चलने को कहा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मेला ख़त्म करने निर्देश राज्य सरकार का होगा ना कि निरंजनी अखाड़े का।

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ को प्रतीकात्मक रखने के लिए संतो से प्रथर्ना की।

शनिवार सुबह उन्होंने ट्वीट कर कहा, "आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरि जी से आज फोन पर बात की। सभी संतों के स्वास्थ्य का हाल जाना। सभी संतगण प्रशासन को हर प्रकार का सहयोग कर रहे हैं। मैंने इसके लिए संत जगत का आभार व्यक्त किया। मैंने प्रार्थना की है कि दो शाही स्नान हो चुके हैं और अब कुंभ को कोरोना के संकट के चलते प्रतीकात्मक ही रखा जाए। इससे इस संकट से लड़ाई को एक ताकत मिलेगी।"

शाही स्नान के बाद बढ़ते मामले

12 अप्रैल को इस कुंभ का पहला शाही स्नान आयोजित किया गया, जिसमें 35 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया जबकि 14 अप्रैल के दुसरे शाही स्नान में 13.5 लाख से अधिक लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई।

हरिद्वार में पहले शाही स्नान के बाद मामलो में और बढ़ोतरी हुई और यह अभी भी जारी है। 12 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच हरिद्वार जिले में कोरोना के 2140 मामले सामने आए हैं। उत्तराखंड सरकार के आंकड़ों के अनुसार, जिले में 12 अप्रैल को 408, 13 अप्रैल को 594, 14 अप्रैल को 525 और 15 अप्रैल को 623 मामले सामने आए। वर्तमान में इस उत्तर भारतीय राज्य में एक्टिव कोरोना मरीजों की संख्या 1,16,244 है, जबकि राज्य में अब तक 1802 लोगों की मौत हो चुकी है।

सरकार द्वारा की गई व्यवस्था और गाइडलाइंस

कोरोना के प्रसार से बचने के लिए उत्तराखंड सरकार ने कुंभ शुरू होने से एक दिन पहले इसकी गाइडलाइन और एसओपी में परिवर्तन किया और कहा कि कुंभ में वे ही लोग प्रवेश कर सकते हैं जिनके पास 72 घंटे से कम की कोरोना की नेगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट हो।

हालाँकि कुंभ में भाग लेने आ रहे उन श्रद्धालुओं को भी अनुमति दी जा रही है, जिनके पास नेगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, लोग कोविड वैक्सीन प्रमाण पत्र के साथ भी मेला स्थल में प्रवेश कर रहे हैं, वहीं थर्मल स्क्रीनिंग और रैपिड एंटीजन टेस्ट भी राज्य की सीमाओं पर हो रहा है ना कि कुंभ मेला क्षेत्र में।

प्रशासन ने गाइडलाइन्स का पालन ना हो पाने के पीछे ज़्यादा लोगों की मौजूदगी और भारी भीड़ का होना बताया है।

हरिद्वार में कुम्भ के दौरान श्रद्धालुओं के मास्क ना पहनने पर चालान काटे गए हैं। फोटो: वर्षा सिंह

हरिद्वार रेंज के पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल ने कहा, "हमारे लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना बहुत मुश्किल हो रहा है। हम लोगों का चालान (मास्क ना पहनने के लिए) भी नहीं काट रहे हैं क्योंकि इससे भगदड़ मच सकती है। जबकि सामान्य दिनों में हम भीड़ लगाने वालों और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने वालों पर जुर्माना लगा रहे थे।"

महामारी विशेषज्ञों का क्या है कहना

दिल्ली के एक वरिष्ठ महामारी विशेषज्ञ ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, "भारत सरकार को कभी भी इतने बड़े स्नान पर्व को आयोजित करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी क्योंकि बहुत संभावना है कि यह कोरोना महामारी का सुपर स्प्रेडर बन सकता है।"

वह कहती हैं, "जैसे-जैसे मामले बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे ही ऐसे सामाजिक, धार्मिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिसमें अधिक लोग एकत्रित होते हैं। यह एक बेहद ही महत्वपूर्ण कदम है।"

"कोरोना का नया म्यूटेंट पहले वाले से अधिक प्रसार करता है। इसलिए जरूरी है कि ऐसे सामाजिक जुटाव कम से कम हो, वरना सुपर स्प्रेडर बनने के साथ-साथ कोरोना का नया म्यूटेंट बनने का भी खतरा होगा।"

'दी जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ' के इंटरनेशनल हेल्थ डिपार्टमेंट के महामारी विशेषज्ञ ब्रायन वाहल कहते हैं, "जैसे-जैसे मामले बढ़ रहे हैं, सामाजिक आयोजनों पर प्रतिबंध एक बेहद महत्वपूर्ण कदम है। बड़े सामाजिक समारोह, जहां पर भीड़ इकट्ठा होती है, वे सुपर स्प्रेडर बन सकते हैं और यह नया म्यूटेंट तो और तेजी से फैलने वाला वायरस है। इसलिए हमें अतिरिक्त सावधान रहना चाहिए।"

यह पूछे जाने पर कि क्या वायरस आगे भी और मजबूत हो सकता है, इस पर ब्रायन कहते हैं, "जितना कोई वायरस फैलेगा, उतने उसके नए वेरिएंट उभर सकते हैं। लेकिन हम अभी निश्चित रूप से ऐसा नहीं कह सकते कि ऐसा हो रहा है।"

"कोविड के मामलों में वर्तमान वृद्धि के साथ एक संभावना यह भी है कि अस्पताल और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं से गैर-कोविड मरीज वंचित हो सकते हैं और इससे मृत्यु दर में भी वृद्धि हो सकती है," वह आगे कहते हैं।

कुंभ मेले में भाग लेने के लिए उत्तराखंड सरकार की कुंभ वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। 65 वर्ष से अधिक, 10 वर्ष से कम और गंभीर बीमारी वाले लोगों को कुंभ में ना सम्मिलित होने की सलाह दी गई है।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कुम्भ शुरू होने से पहले राज्य सरकार से कहा था की वो सुनिश्चित कराये की हरिद्वार में रोज़ाना 50000 आरटीपीसीआर टेस्ट कराये जाए हालाँकि टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर के मुताबिक उत्तराखंड में इतनी संख्या में आरटीपीसीआर टेस्ट हो पाना एक बहुत कठिन कार्य है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी हरिद्वार में करीब 20,000 कोविड टेस्ट ही किये जा रहे हैं। 1 अप्रैल को 10,706 टेस्ट किये गए थे और 14 अप्रैल को जिले में सबसे अधिक 32,257 टेस्ट किये गए।

उत्तराखंड में 10 सरकारी व 12 निजी संस्थानों में आरटीपीसीआर टेस्ट हो सकते हैं।

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