लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश में चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। इसके साथ ही बुन‍ियादी जरूरतों से जुड़े मुद्दों पर भी बात हो रही है। हाल फिलहाल में 'यूपी में बेरोजगारी' के मुद्दे पर खूब बात हो रही है। बड़ी संख्‍या में युवा और बेरोजगार प्रदेश के अलग-अलग ज‍िलों से न‍िकलकर राजधानी लखनऊ में डेरा डाल रहे हैं। इनकी मांगें अलग-अलग जरूर हैं, लेकिन उम्‍मीद एक सी है, एक अदद रोजगार की।

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में श‍िक्षा भर्ती से जुड़े अभ्यर्थी करीब 5 महीने से धरना दे रहे हैं। हाल ही में सोशल मीड‍िया पर एक वीडियो भी वायरल हुआ ज‍िसमें उत्तर प्रदेश पुलिस इन पर लाठ‍ियां भांजते नजर आ रही है। इस धरने से जुड़े मैनपुरी ज‍िले के रजत जैन (35) बताते हैं, "मैंने कई भर्तियों के फार्म भरे। किसी भर्ती में इंटरव्‍यू में पैसे मांगे गए तो किसी का पेपर लीक हो गया। श‍िक्षा भर्ती से उम्‍मीद थी, कोर्ट का आदेश भी है कि हमें 69 हजार श‍िक्षक भर्ती में शामिल किया जाए, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया।"

रजत एक प्राइवेट स्‍कूल में ₹6 हजार प्रति माह की सैलरी पर बच्‍चों को पढ़ाते हैं। उनके मुताबिक, अच्‍छी कमाई न होने की वजह से उनकी शादी नहीं हो रही। वो अपने मां-बाप का ख्‍याल नहीं रख पाते हैं और उनके मन में खुद के प्रति हीन भावना घर करती जा रही है।

बेरोजगारी के आंकड़े और सरकार के दावे

यह कहानी अकेले रजत की नहीं है। यूपी के युवा बेरोजगारों से बात करने पर ऐसी ही कहान‍ियां सुनने को म‍िलती हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि योगी आदित्यनाथ ने मार्च 2017 में जब प्रदेश की कमान संभाली तो उस समय बेरोजगारी दर 2.4% थी, जो कि नवंबर 2021 में 4.8% हो गई। यह आंकड़े CMIE (सेंटर फॉर मॉन‍िटर‍िंग इंड‍ियन इकॉनोमी) ने जारी किए हैं। हालांकि योगी सरकार का दावा है कि उसके कार्यकाल के दौरान रोजगार पर बहुत काम हुआ है, वहीं बेरोजगारी दर भी कम हुई है।

मुख्‍यमंत्री योगी आद‍ित्‍यनाथ ने 17 स‍ितंबर 2020 को कहा कि "वर्ष 2016 में प्रदेश में 17% से अधिक बेरोजगारी दर थी, वहीं आज यह घटकर मात्र चार से पांच प्रतिशत रह गयी है।" मुख्‍यमंत्री की यह बात सही है कि अगस्‍त 2016 में यूपी की बेरोजगारी दर 17.1% रिकॉर्ड की गई थी, लेकिन यह बात भी सही है कि 19 मार्च 2017 को जब योगी आद‍ित्‍यनाथ ने मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली तब यूपी की बेरोजगारी दर सिर्फ 2.4% थी, जो कि नवंबर 2021 में 4.8% हो गई है, यानी दोगुनी।

'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय अध्‍यक्ष अनुपम यूपी सरकार द्वारा रोजगार और सरकारी नौकरियों पर किए जा रहे दावों पर सवाल उठाते रहे हैं। इसी साल फरवरी में लखनऊ में एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान उन्‍होंने बताया था कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) से म‍िली जानकारी के अनुसार 2017 में बीजेपी सरकार बनने के बाद से यूपीएसएससी ने कुल 13 भर्तियां न‍िकाली ज‍िनमें से किसी में नियुक्‍त‍ि नहीं हुई है।

अनुपम इंड‍ियास्‍पेंड से कहते हैं, "सरकार रोजगार देने की जगह सिर्फ प्रचार कर रही है। अगर सिर्फ शि‍क्षक भर्ती की बात करें तो ब‍िहार के बाद सबसे ज्‍यादा श‍िक्षकों के खाली पद यूपी में हैं। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 2 लाख 17 हजार पद खाली हैं, लेकिन इन्‍हें भरने के ल‍िए वर्तमान सरकार ने एक भर्ती नहीं न‍िकाली। सारी भर्तियों प‍िछली सरकारों की हैं। एक UPTET होने वाला था ज‍िसका पेपर लीक हो गया। यह हाल तब है जब मौजूदा सरकार ने अपने मेनिफेस्‍टो में दावा किया था कि सरकारी नौकरियों के ज‍ितने पद खाली हैं, सरकार बनते ही 90 द‍िनों के अंदर भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।"

भर्तियों में उलझे युवा

यूपी में सरकारी नौकरियों की बदहाली को समझने के लिए कुछ भर्तियों की टाइमलाइन देखना जरूरी हो जाता है। कुछ सरकारी भर्तियों की जानकारी न‍िम्‍नलिख‍ित है, ज‍िससे यह समझा जा सके कि भर्ती कम न‍िकली और अभी उसकी क्‍या स्‍थ‍ित‍ि है।

ग्राम विकास अध‍िकारी (भर्ती रद्द)

मई 2018: भर्ती न‍िकली

द‍िसंबर 2018: परीक्षा हुई

अगस्‍त 2019: र‍िजल्‍ट आया

मार्च 2021: भर्ती रद्द हो गई

जूनियर अस‍िस्‍टेंट (र‍िजल्‍ट नहीं आया)

जून 2019: भर्ती न‍िकली

जनवरी 2020: परीक्षा हुई

जून 2021: टाइप‍िंग टेस्‍ट

फॉरेस्‍ट गार्ड (परीक्षा नहीं हुई, कई बार तारीख टली)

जुलाई 2019: भर्ती न‍िकली

इन भर्तियों की तारीखों को देखकर समझा जा सकता है कि एक युवा को भर्ती के लिए कई साल गंवाने पड़ रहे हैं और वो इन भर्तियों की तारीख में ही उलझा हुआ है। सीतापुर ज‍िले के रहने वाले सुधीर सिंह (28) ने ग्राम विकास अध‍िकारी की भर्ती न‍िकाल ली थी। भर्ती आने से लेकर न‍ियुक्‍ति का इंतजार करते हुए करीब तीन साल गुजार द‍िए और आख‍िर में भर्ती रद्द हो गई।

सुधीर कहते हैं, "दूरदराज के गांव के बच्‍चे शहर में तैयारी करने आते हैं, लेकिन जब 3-4 साल में कुछ हास‍िल नहीं होता तो मजबूरन गांव में परचून की दुकान, मजदूरी या 5-6 हजार की प्राइवेट जॉब करनी पड़ जाती है। ऐसा इसलिए भी है कि गरीब पर‍िवारों के पास इतना पैसा नहीं कि अपने बच्‍चों की तैयारी पर लगा सकें।"

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