अमेठी। “30 क‍िलोमीटर दूर से आया हूं। मुझे तो लगा था क‍ि अस्‍पताल में उन मरीजों को देख ही रहे होंगे ज‍िनका इलाज पहले से चल रहा है। अब मुझे लखनऊ या दूसरे क‍िसी प्राइवेट अस्‍पताल जाकर इलाज कराना होगा जो बहुत महंगा पड़ेगा।” न‍िराश होते हुए राकेश कुमार कहते हैं।

झोले में कई जांच र‍िपोर्ट और दवाएं लेकर अमेठी के संजय गांधी अस्‍पताल पहुंचे राकेश न‍िराश होकर अकेले लौेटने वालों में से नहीं हैं। अमेठी और आसपास के ज‍िलों से आने वाले सैकड़ों मरीज प्रत‍िद‍िन ऐसे ही न‍िराश होकर लौट रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 140 क‍िमी दूर अमेठी के संजय गांधी अस्‍पताल में 14 स‍ितंबर को ऑपरेशन के लिए एक महिला को भर्ती कराया गया। मरीज की हाल ब‍िगड़ी जाती है और 15 स‍ितंबर को उसे लखनऊ रेफर कर द‍िया जाता है जहां 16 स‍ितंबर को उसकी मौत हो जाती है। परज‍िन वापस अमेठी लौटते हैं और अस्‍पताल के सामने प्रदर्शन करते हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले को संज्ञान में लिया और 17 सितंबर को अमेठी के मुख्‍य च‍िक‍ित्‍सा अधिकारी ने अस्‍पताल प्रशासन के नाम कारण बताओ नोटिस दिया और तीन महीने के अंदर जवाब देने को कहा गया। इसके ठीक अगले दिन यानी 18 स‍ितंबर को एक और नोटिस जारी करते हुए कहा गया क‍ि अस्‍पताल में जो मरीज भर्ती है, बसी उन्‍हीं का इलाज क‍िया जाये। नये मरीज ना तो देखे जाएंगे और ना ही भर्ती किये जाएंगे। और इसी दिन एक दूसरी नोटिस आती है ज‍िसमें कहा जाता है कि मरीजों को ड‍िस्‍चार्ज कर अस्‍पताल को तत्‍काल प्रभाव‍ से बंद क‍िया जाये। लेक‍िन इस फैसले का असर क्‍या पड़ रहा है?

अस्‍पताल बंद होने की वजह से लगभग 450 कर्मचारी भी बेरोजगार हो गये हैं। राधेश्‍याम अस्‍पताल में ब‍िजली मैकेनिक हैं। वे परेशान हैं क‍ि अगर अस्‍पताल नहीं चला तो उनका पर‍िवार कैसे चलेगा।

“अस्‍पताल जब चलता था, तो भी वह घाटे में था। ऐसे में जब नहीं चलेगा क‍ि तो मुश्‍किल है क‍ि हमारी सैलेरी मिल पाये। अस्‍पताल जल्‍दी शुरू नहीं हुआ तो कहीं बाहर जाकर मजदूरी करनी पड़ेगा।” राधेश्‍याम कहते हैं।

अस्‍पताल प्रशासन ने बताया कि ओपीडी में प्रत‍िद‍िन 500 से 600 मरीज आते थे। इसके अलावा हॉस्पिटल में पढ़ने वाले 800 स्टूडेंट्स प्रैक्टिकल को लेकर परेशान हैं तो लगभग 450 अस्‍पताल कर्मचारी अपने भव‍िष्‍य को लेकर चिंतित हैं। जबकि ज‍िस मह‍िला की मौत हुई, उनके पर‍िजन बस लापरवाह डॉक्‍टर पर कार्रवाई चाहते हैं। उन्‍होंने तो यह भी कहा क‍ि उनको मुहरा बनाकर बस राजनीत‍ि की जा रही है।

संजय गांधी अस्‍प्‍ताल का संचालन संजय गांधी मेमोर‍ियल ट्रस्‍ट द्वारा क‍िया जाता है और इसकी शुरुआत 15 स‍ितंबर 1982 को हुई थी। सस्‍ते इलाज के चलते यहां अमेठी के अलावा आसपास के ज‍िलों से भी मरीज आते हैं। ये अस्‍पताल उस राज्‍य में बंद कराया गया है जहां की स्‍वास्‍थ्‍य सुव‍िधाएं पहले से ही अच्‍छी स्‍थि‍त‍ि में नहीं हैं।

ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार 31 मार्च 2022 उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों में डॉक्‍टरों के 1,558 पद खाली हैं जो बि‍हार (2,057) के बाद सबसे ज्‍यादा है। वहीं प्रदेश के सामुदा‍यिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों में सर्जन, प्रसूति और स्त्री और बाल रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों के 2,028 पद खाली हैं जो देश के दूसरे राज्‍यों से सबसे ज्‍यादा है। इसके अलावा राज्‍य के सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों में रेडियोग्राफर के 329 पद खाली हैं। राज्‍य के सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य और प्राथम‍िक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों में प्रयोगशाला तकनीशियन के 1,295 पद खाली हैं।

अमेठी के संजय गांधी हॉस्पिटल को बंद करने के आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रोक लगा दी है। 4 अक्टूबर को ओपीडी सहित अस्पताल की सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को खोलने का आदेश दिया गया है।

16 सितंबर को एक महिला मरीज की मौत के बाद अमेठी मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने 18 सितंबर को अस्पताल बंदे करने का आदेश दिया था। इससे पहले 27 सितंबर को कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि इस मामले की जाँच कब तक पूरी हो जाएगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने जाँच के लिए एक समिति का गठन किया था।