यूपी: 43 जिलों में लगने हैं 204 पोषाहार यूनिट, एक साल में लग पाए सिर्फ 2
यूपी सरकार की पोषाहार यूनिट योजना को एक साल हो गया है। इस एक साल में फतेहपुर और उन्नाव जिले में दो यूनिट लग पाई हैं। यह दो यूनिट यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने अपने खर्च पर लगाई हैं।
लखनऊ। आंगनबाड़ी के बच्चों को अच्छा पोषाहार उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पोषाहार यूनिट लगवा रही है। योजना के तहत यूपी के 43 जिलों में 204 यूनिट लगनी हैं, जिसकी जिम्मेदारी 'यूपी राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन' को दी गई है। योजना शुरू होने के एक साल बीतने के बाद इन 204 यूनिट में से सिर्फ दो यूनिट लग पाई हैं। यह दो यूनिट भी संयुक्त राष्ट्र के यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने अपने खर्च पर लगवाई हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सितंबर 2020 में यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम से करार किया था। जिसके तहत 18 जिलों के 204 ब्लॉक में पोषाहार यूनिट लगनी थीं, जिसमें से दो यूनिट यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को अपने खर्च पर लगाना था। बाकी की 202 यूनिट राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को लगवानी थीं, जिसमें यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम टेक्निकल पार्टनर था। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम भुखमरी मिटाने और खाद्य सुरक्षा पर केन्द्रित संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी है।
इस करार से पहले यूपी के आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पोषाहार का टेंडर प्राइवेट कंपनियों के पास था। पंजीरी में गड़बड़ियों की शिकायत के बाद यूपी सरकार ने प्राइवेट कंपनियों का टेंडर खत्म कर दिया। इससे आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीरी बंटना बंद हो गई। इसी व्यवस्था को बहाल करने के लिए सरकार ने पोषाहार यूनिट लगाने की योजना बनाई है। इस दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों पर सूखा राशन दिया जा रहा है।
सितंबर 2021 में यूपी सरकार की पोषाहार यूनिट योजना को एक साल हो गया है। इस एक साल में फतेहपुर और उन्नाव जिले में दो यूनिट लग पाई हैं। यह यूनिट भी वो हैं जिन्हें यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को अपने खर्च पर लगाना था। इसके अलावा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से लगने वाली 202 यूनिट का दायरा 18 जिले से बढ़ाकर 43 जिले कर दिया गया है और इन यूनिटों को लगाने की प्रकिया चल रही है।
"पहले जो 202 यूनिट 18 जिलों में लगनी थीं अब वह 43 जिलों में लगेंगी। अभी प्लांट की साइट देखना और अन्य सिविल वर्क किया जा रहा है, जल्द ही यह प्लांट शुरू होने वाले हैं," उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अदील अब्बास ने इंडियास्पेंड को बताया। अब्बास राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के इंस्टिट्यूशन बिल्डिंग और कैपेसिटी बिल्डिंग को लीड करते हैं। अब्बास पोषाहार यूनिट के प्रोगाम को भी देख रहे हैं।
अब्बास के मुताबिक 43 जिलों में 202 पोषाहार यूनिट जल्द शुरू हो जाएंगी। छह महीने पहले मार्च 2021 में बाल विकास और पुष्टाहार विभाग के तत्कालीन अपर निदेशक अरविंद कुमार चौरसिया ने इंडियास्पेंड को बताया था कि, "फतेहपुर और उन्नाव के पोषाहार यूनिट अगले महीने से चलने लगेंगे। इसके अलावा छह महीने में 18 अन्य जनपदों में काम शुरू हो जाएगा।"
चौरसिया अब लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी हैं।
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चौरसिया ने मार्च 2021 में छह महीने में 18 जिलों में यूनिट चलने की बात कही थी, अब सितंबर 2021 में छह महीने बीतने के बाद केवल फतेहपुर और उन्नाव की पोषाहार यूनिट चालू हो पाई हैं। इस मामले में इंडियास्पेंड ने जब बाल विकास और पुष्टाहार विभाग की निदेशक डॉ. सारिका मोहन से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया, "राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने जो हमें जानकारी दी है उसके हिसाब से अगले तीन से चार महीने में 43 जिलों में पोषाहार उत्पादन शुरू हो जाना चाहिए।"
जिलों में पोषाहार यूनिट की क्या है प्रगति?
हालाँकि पोषाहार यूनिट लगाने के काम की गति को देखते हुए यह बिलकुल नहीं लगता कि यह काम आने वाले तीन या चार महीनों में पूरा हो पायेगा। जब इंडियास्पेंड ने इस योजना की जिले स्तर पर जानकारी ली तो पता चला कि जिलों में अभी यूनिट के लिए जगह देखने का ही काम चल रहा है।
कन्नौज जिले में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक राकेश मौर्य बताते हैं, "हमारे जिले के तीन ब्लॉक में पोषाहार यूनिट लगनी है। मशीन लगाने के लिए विभाग की ओर से वेंडर निर्धारित कर दिया गए हैं। मशीन लगाने वाली कंपनी की ओर से लोग जगह देखने आए थे। उन्होंने अपने मानक अनुसार कुछ कमियां बताई हैं, जैसे – एक ब्लॉक में यूनिट तक जाने का रास्ता खराब है। वहीं, हसेरन ब्लॉक में स्थानीय राजनीति से कुछ दिक्कतें आ रही हैं। हम इन कमियों को सुधार रहे हैं।"
कन्नौज में पहले सभी आठ ब्लॉक में पोषाहार यूनिट लगनी थी, लेकिन इस योजना का दायरा बढ़ा कर 43 जिलों तक कर दिया गया तो कन्नौज के हिस्से में केवल तीन पोषाहार यूनिट आई।
कन्नौज की तरह ही अंबेडकरनगर जिले में भी पोषाहार यूनिट लगाने के लिए जगह तय की जा रही है। अंबेडकरनगर में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक जितेंद्र यादव बताते हैं, "मशीन लगाने वाली कंपनी के लोगों ने अकबरपुर में एक यूनिट की जगह देखी है। उनके मुताबिक वहां गाड़ी नहीं पहुंच पाएगी, इसलिए दूसरी जगह देखनी होगी। इसके अलावा दो जगह तय की गई है, लेकिन उसे देखने अब तक कोई टीम नहीं आई।"
कन्नौज और अंबेडकरनगर की तरह ही अन्य जिलों में भी पोषाहार यूनिट लगाने की गति काफी धीमी नजर आती है। लखनऊ में भी पोषाहार यूनिट की जगह को बदला गया है। ऐसे ही अन्य जिलों में भी यूनिट के लिए जगह तय की जा रही है।
फिलहाल यूपी में यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की ओर से फतेहपुर और उन्नाव जिले में लगे पोषाहार यूनिट ही चल रहे हैं। इन यूनिट को स्वयं सहायत समूह की महिलाएं चलाती हैं। इनसे प्रति दिन 2.5 मीट्रिक टन पोषाहार बनाया जा सकता है। बाकी के 202 यूनिट भी इतनी ही क्षमता के होंगे। हर प्लांट से एक या दो ब्लॉक के आंगनबाड़ी केंद्रों को पोषाहार मिल सकेगा।
पोषाहार यूनिट लगाने में देरी से किसका नुकसान?
पोषाहार यूनिट लगाने में हो रही इस देरी का सीधा असर बच्चों के पोषण पर हो रहा है। दरअसल यूपी के आंगनवाड़ी केंद्रों पर पहले बच्चों को पोषाहार के तौर पर पंजीरी दी जाती थी। इस पंजीरी के उत्पादन और वितरण में अनियमितताओं की शिकायतों के चलते प्रदेश के बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग ने पंजीरी की आपूर्ति करने वाली कंपनियों का करीब 29 साल का एकाधिकार खत्म करते हुए सितम्बर 2020 में यह काम स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंपने का फैसला किया गया।
इसी फैसले के मुताबिक यूपी में 204 ब्लॉक में पोषाहार यूनिट लगने हैं। जब तक यह पोषाहार यूनिट नहीं लगते तब तक आंगनबाड़ी के बच्चों को सूखा राशन जैसे चावल, दाल, गेहूं के साथ दूध पाउडर और घी आदि देने का फैसला किया गया है।
हालांकि सूखे राशन की यह योजना लाभार्थियों तक सही से नहीं पहुंच रही है। गोरखपुर जिले के छतांई की रहने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्री गीता पांडेय बताती हैं, "सूखा राशन कभी तीन-चार महीने पर एक बार आ रहा है। वो भी बहुत कम है। मैंने 100 लाभार्थियों की लिस्ट भेजी थी और राशन सिर्फ 59 लोगों का आया। इसमें सात माह से तीन वर्ष के 31 बच्चे, तीन से छह वर्ष के 16 बच्चे और 12 गर्भवती और धात्री महिलाएं हैं। यह राशन भी जून तक का आया है।"
सूखा राशन योजना को लेकर ऐसी ही स्थिति पूरे प्रदेश में देखने को मिलती है। एक तो समय से राशन नहीं पहुंच रहा, ऊपर से इसकी मात्रा भी बहुत कम है। ऐसी स्थिति में पोषाहार यूनिट जितनी जल्दी शुरू होंगे आंगनबाड़ी के बच्चों तक उतनी जल्द अच्छा पोषाहार पहुंच पाएगा। यूपी में कुल 826 ब्लॉक हैं, अगर इसमें से 204 ब्लॉक पर पोषाहार यूनिट खुल जाते हैं तो करीब-करीब आधा उत्तर प्रदेश कवर हो सकता है, क्योंकि एक यूनिट से दो ब्लॉक में पोषाहार वितरण हो पाएगा।
उत्तर प्रदेश में आंगनवाड़ी का दायरा कितना बड़ा है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राज्य में 1.89 लाख से ज्यादा आंगनवाड़ी केंद्र हैं। 23 सितंबर 2020 को लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों की मानें तो इन केंद्रों के माध्यम से बंटने वाले पुष्टाहार का लाभ 1.68 करोड़ से ज्यादा गर्भवती महिलाओं, धात्री महिलाओं और 6 साल तक के बच्चों को मिलता है। इसमें 6 साल तक के बच्चों की संख्या 1.31 करोड़ से ज्यादा है।
इंडियास्पेंड की 1 दिसंबर 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पिछले साल सितंबर के महीने में मनाए गए पोषण माह के दौरान उत्तर प्रदेश में कुपोषित बच्चों की पहचान का अभियान चलाया गया था। इस दौरान राज्य में 6 साल तक के 15 लाख से अधिक कुपोषित बच्चे पाए गए थे। इनमें से 13.4 लाख बच्चे कुपोषित और 1.88 लाख बच्चे अतिकुपोषित पाए गए थे।
इस वर्ष जून में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा एक आरटीआई के तहत दिए गए आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में 9,27,606 अतिकुपोषित बच्चे पाए गए हैं जिसमे सबसे ज़्यादा 3,98,359 उत्तर प्रदेश में हैं।
बावजूद इसके इन्हीं दिनों यूपी सरकार ने आंगनवाड़ी पोषाहार योजना के तहत बच्चों को दिए जाने वाले पोषणयुक्त आहार की व्यवस्था को बंद कर दिया। दो साल का ट्रांजिशन पीरियड तय कर सूखा राशन बांटने की व्यवस्था की गई वो भी बेहद लापरवाह तरीके से। इसके परिणाम भयावह हो सकते हैं।
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