लखनऊ: सीतापुर जिले के रहने वाले अमन सिंह पिछले चार साल से सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे लेकिन भर्तियां न आने से हताश होकर उन्होंने हाल ही में एक प्राइवेट संस्था में नौकरी कर ली है।

प्राइवेट संस्था में नौकरी कर रहे 29 वर्षीय अमन बताते हैं, "मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूं। मेरे घर में मम्मी, पापा और दो बहनें हैं। पापा की गांव में ही परचून की एक दुकान है। मैंने बीएससी किया है और ग्रेजुएशन के बाद ही स्टाफ सलेक्शन कमीशन(एसएससी)और रेलवे की तैयारी के लिए लखनऊ आ गया था। लेकिन अब कब तक घर वालों से पैसा लेता। दूसरे शहर में रहने पर हजार खर्च होते हैं। अंत में हारकर मैंने प्राइवेट नौकरी ही कर ली। अब मुझे 12,000 रुपए प्रतिमाह मिल रहे हैं।"

अमन ने एसएससी की दो परीक्षाएं दी हैं। इसके अलावा वह जो भी रिक्तियां (भर्तियां)आती हैं, वह सभी परीक्षाएं देते हैं।

कोरोना महामारी के बाद देश में बेरोजगारी की समस्या और भी ज्यादा बढ़ी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में बेरोजगारी दर अगस्त,2022 में बढ़कर 8.28 %पर पहुंच गई। ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 7.68 % पर और शहरी क्षेत्र में 9.57% पर दर्ज किया गया। जबकि मई 2022 में बेरोजगारी दर 7.14 % थी, जिसमें शहरी क्षेत्र में यह आंकड़ा 8.24 % और ग्रामीण क्षेत्र में 6.63% पर दर्ज किया गया था। वहीं अक्टूबर माह में बेरोज़गारी दर 7.77% थी, जिसमे शहरी क्षेत्र में यह दर 7.21 % आंकी गयी, वहीं दूसरी और ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 8.04 % थी।

श्रम व रोजगार मंत्रालय ने लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में राज्यवार बेरोजगारी की स्थिति को साफ किया। वहीं उच्च पदों की बात करें तो कार्मिक एवं पेंशन विभाग की 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार, देश में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) पदों की स्वीकृत संख्या 6,746 है, जबकि वर्तमान में कार्यरत 5,231 है। इस हिसाब से देखा जाए तो प्रशासनिक सेवाओं में ही 1,515 पद खाली पड़े हैं। यही नहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो केंद्र सरकार के अन्य विभागों में भी कई पद खाली पड़े हैं।

केंद्र सरकार में कई विभागों में पद रह गए खाली

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में 1 मार्च 2021 तक केंद्र सरकार के विभागों में 9 लाख 79 हजार 327 पद खाली होने की जानकारी दी थी। सिंह ने बताया था कि 1 मार्च 2021 तक केंद्र सरकार के ग्रुप ए में 23 हजार 584, ग्रुप बी में 1 लाख 18 हजार 807 और ग्रुप सी में 8 लाख 36 हजार 936 पद खाली थे। इसमें प्रशासनिक सेवा समूह के 1,515 पद 1 जनवरी 2021 तक खाली थे।

वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर की 2020-2021 वार्षिक रिपोर्ट के हिसाब से 1 मार्च 2021 तक केंद्र सरकार में कर्मचारियों की संख्या 31.15 लाख है, जबकि स्वीकृत पद 41.11 लाख हैं। इसका मतलब है कि 24.22% पद खाली पड़े हैं। वहीं डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर की वार्षिक रिपोर्ट 2019-20 में दिए गए आंकड़े बताते हैं कि 1 मार्च 2020 तक कुल 40.78 लाख पदों में से सिर्फ 31.91 लाख लोग ही कार्यरत थे और लगभग 21.75% पद खाली पड़े थे।

केंद्र सरकार के पांच बड़े मंत्रालय और उनका हाल

रोजगार की बात करें तो रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार के लगभग 92 % कर्मचारी कुल पांच बड़े मंत्रालयों से आते हैं। इन 5 विभागों में रेलवे में 39.33%, गृह मंत्रालय में 30.83%, डिफेंस में करीब 12.48%, डाक विभाग में 5.81% और राजस्व विभाग से 3.25% शामिल हैं। अब इन विभागों में पद कितने खाली हैं, इस पर नजर डालें तो रेलवे में वर्ष 2021 में 1,514,007 पद स्वीकृत हैं जबकि कार्यरत 1,220,064 हैं। वही पुलिस फोर्स की बात करें तो 10.10 लाख स्वीकृत पदों पर 8.94 लाख कर्मचारी ही कार्यरत हैं।

मंत्रालय और उनमे पड़े खाली पद

1 मार्च 2021 तक के आंकड़े

सरकार को निजी क्षेत्रों पर भी ध्यान देना होगा

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरूण कुमार ने इंडिया स्पेंड से बढ़ती बेरोजगारी के कारणों पर बात करते हुए कहा, "सरकार को रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरूरत है लेकिन अभी सरकार का ध्यान सिर्फ संगठित क्षेत्रों पर है और वहां नौकरियां पहले से कम होती जा रही हैं। इसलिए सबसे पहले तो उन्हें प्राइवेट सेक्टर में अवसर बढ़ाने की जरूरत है यानी माइक्रो सेक्टर पर ध्यान देने की जरूरत है, जिससे रोजगार के अवसरों को बढ़ाया जा सके।"

बेरोजगारी का आगे देश पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, इस पर प्रोफेसर ने कहा कि किसी भी देश का युवा उसकी ताकत है और जब बेरोजगार होगा तो देश में आपराधिक मामले अपने आप ही बढ़ने लगेंगे। इनमें चोरी, अपहरण, ड्रग्स की लत जैसे मामले शामिल हैं। साथ ही साथ उनमें खुद मानसिक तनाव, डिप्रेशन, आत्महत्या जैसी चीजें हावी होने लगती हैं, जो किसी भी देश के भविष्य और विकास के लिए घातक साबित होती हैं।"

प्रधानमंत्री ने किया दस लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा

आपको बताते चलें की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वर्चुअली रोजगार मेले को संबोधित किया था। इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने 75 हजार युवाओं को केंद्र सरकार के अलग-अलग विभागों में नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र भी वितरित किए थे। इनमें सेंट्रल फोर्स, सब इंस्पेक्टर, कांस्टेबल, लोवर डिवीजन क्लर्क, स्टेनो, पर्सनल असिस्टेंट, इनकम टैक्स इंस्पेक्टर और मल्टी टास्किंग स्टाफ शामिल थे। उसके बाद 29 अक्टूबर को उन्होंने फिर से गुजरात में एक मेले को संबोधित किया और कहा की केंद्र सरकार आने वाले समय में रोज़गार मेले के माध्यम से प्रति वर्ष 10 लाख युवाओ को रोज़गार देने का लक्ष्य रखा है।

प्रधानमंत्री ने इससे पहले भी यह कहा था कि केंद्र सरकार आने वाले डेढ़ वर्षों में सभी विभागों के खाली पड़े पदों को भरेगी और 10 लाख युवाओं को रोजगार देगी।

अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार का मानना है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए 10 लाख नौकरियों की बात ऊंट के मुँह में जीरे के समान है। उन्होंने कहा, "सरकार अभी दस लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कर रही है, वो ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है क्योंकि हर साल करीब 24 करोड़ युवा रोजगार पाने के लिए लाइन में खड़ा हो जाता है। ऐसे में जरूरत है कि सरकार पब्लिक सेक्टर के साथ साथ प्राइवेट सेक्टर पर भी ध्यान दे।"

उत्तर प्रदेश में भी भर्तियों का बुरा हाल

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में ग्रुप सी कैटेगरी में भर्ती के लिए प्रारंभिक पात्रता परीक्षा(PET) का आयोजन कराया था। यह परीक्षा 15 और 16 अक्टूबर को दो पालियों में कराई गई थी, जिसमें लगभग 37 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। राज्य में पहली बार यह परीक्षा 24 अगस्त 2021 को आयोजित की गई थी और इसके स्कोर कार्ड को एक साल तक के लिए वैलिड किया गया था।


पिछले साल प्रारंभिक पात्रता परीक्षा पास कर चुकी प्रतिमा (27) ने बताया, "पिछली बार वाली परीक्षा अब की भर्ती के लिए वैलिड नहीं मानी जाएगी इसलिए दोबारा फार्म भरा था। मुझे तो यही समझ नहीं आता कि आखिर सरकार चाहती क्या है? पहले पीईटी का फार्म भरो, किराया खर्च करके दूर शहर में परीक्षा दो, उसके बाद दूसरी कोई भर्ती अगर आए तो उसका फार्म भरो, फिर परीक्षा दो।"

प्रतिमा ने यह भी बताया कि पिछले साल PET के बाद लेखपाल, आरओ और फॉरेस्ट गार्ड की कुछ ही भर्तियां आईं। इसमें सिर्फ लेखपाल में ज्यादा पद लगभग 8,000 थे, बाकी सब में 600-700 पद थे। इन परीक्षाओं से किसी का भी भला नहीं होने वाला है।

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के एक आला अधिकारी ने इस बात की पुष्टि करते हुए नाम ना छापने की शर्त पर कहा की भर्तियां विभाग में खाली पदों के आधार पर आती रहती हैं और इसमें कम-ज्यादा जैसा कुछ नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि सरकार प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा रोज़गार पैदा करने के लिए लगातार कार्य कर रही है।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी की माने तो रोजगार देने के मामले में अक्टूबर 2022 तक सबसे अधिक बेरोजगारी हरियाणा में 31.8% पर रही। दूसरे स्थान पर राजस्थान राज्य की स्थिति खराब दिखी। यहां पर बेरोजगारी 30.7% और तीसरे स्थान पर जम्मू कश्मीर में बेरोज़गारी दर 22.4% पर दर्ज की गई।

हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने जल्द ही हर परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी देने का वादा किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा था कि सरकार ने इस पर काम शुरू कर दिया है।

विधानसभा चुनाव से पहले भी यूपी सरकार ने 100 दिनों में 10 हजार से ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरी देने का निर्देश दिया था। हालांकि प्रदेश

सरकार ने इस मुद्दे पर अब तक कोई भी शासनादेश जारी नहीं किया है।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस विषय पर कोई जवाब या प्रतिक्रिया नहीं दी गयी। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग के निदेशक शिशिर सिंह ने रिपोर्टर द्वारा किये गए दूरभाष संपर्क का कोई जवाब नहीं दिया। सरकार की तरफ से जवाब आने पर स्टोरी अपडेट की जाएगी।

बेरोजगारी दर बढ़ी, लेकिन नौकरियां कम हुईं

उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की कमी है, इस बात को राज्यमंत्री संदीप सिंह ने भी विधानसभा में एक सवाल के दौरान स्वीकारा। उन्होंने अपने जवाब में कहा कि प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में अध्यापकों के 5,80,084 पद सृजित हैं और वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में 51,112 व शहर में 12,149 पद खाली हैं। वहीं भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 126,028 पद खाली हैं। (पृष्ठ संख्या 36)


जालौन जिले के रहने वाले अभिषेक दीक्षित (28 वर्ष) बताते हैं, "सरकार लगातार यह मान रही है कि पद खाली हैं, उसके बाद भी नौकरी नहीं निकाल रही है। मैंने शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 में पास की थी लेकिन सुपर टेट की परीक्षा के दौरान मेरा एक्सीडेंट हो गया था और मैं दूसरी परीक्षा नहीं दे पाया। तब से इंतजार में ही हूं कि कब दोबारा भर्ती आएगी।"

अभिषेक ट्विटर और बाकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगातार नौकरियों को लेकर लिखते हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी नेता पहले ट्वीट करते हैं कि भर्ती आ रही है, उसके बाद उसे डिलीट कर देते हैं। वे हम युवाओं के साथ मजाक कर रहे हैं क्या?

भर्तियां और पेपर लीक का पुराना कनेक्शन

सरकारी परीक्षार्थियों की समस्या सिर्फ परीक्षा पास करना ही नहीं बल्कि कोर्ट में सालों-साल केस लड़ना और जीतना भी है। पिछले साल पीईटी (PET) की परीक्षा के बाद हुई लेखपाल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक होने का मामला सामने आया था। जांच कर रही उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स टीम ने बताया कि परीक्षा में लगभग 15 लाख संदिग्ध अभ्यर्थी शामिल हुए थे। यह परीक्षा 31 जुलाई को हुई थी जिसमें प्रदेश भर से 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। ये बातें उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स में कार्यरत एडिशनल सुपरिन्टेन्डेन्ट रैंक के अधिकारी बी सिंह ने इण्डिया स्पेंड को बताई।

आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स व बेसिक शिक्षा विभाग ने कुल 2,494 फ़र्ज़ी शिक्षक पकड़े और विभाग द्वारा 2,461 फ़र्ज़ी शिक्षकों की नियुक्ति समाप्त कर 2,347 पर प्राथमिकी दर्ज कराई। यह जानकारी महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने इंडिया स्पेंड को दी।

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) 2021 को सरकार ने पेपर लीक होने की वजह से रद्द कर दिया था। यह परीक्षा भी दो पालियों में होनी थी, जिसके लिए प्राइमरी स्तर पर 2,554 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे और 12,91,628 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। अपर प्राइमरी में 1,747 केंद्र बने थे और 8,73,553 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। केंद्रों पर निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, लेकिन इसके बावजूद पेपर व्हाट्सएप पर वायरल होने की वजह से परीक्षा को रद्द करना पड़ा था।

उत्तर प्रदेश में परीक्षाओं के पर्चे भी कई बार लीक हुए हैं। हाल ही में 28 नवंबर 2021 को प्रदेश में यूपीटीईटी का पेपर लीक हुआ, जिसमें 21 लाख परीक्षार्थी शामिल थे। सरकार ने इस परीक्षा को रद्द कर दिया था।

31 जनवरी 2021 को केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा हुई थी, जिसके पेपर आउट होने की खबर सामने आई। सितंबर 2018 को नलकूप ऑपरेटरों का पेपर लीक हुआ था। जुलाई 2018 को लोअर सबऑर्डिनेट का पेपर लीक हुआ और इस परीक्षा को जांच के बाद रद्द कर दिया गया था। फरवरी 2018 में जूनियर इंजीनियर की परीक्षा भी इसी वजह से निरस्त कर दी गई थी।

कई वर्षों से कोर्ट में फंसी भर्तियां:

नौकरियों के आवेदन आने और परीक्षा के सकुशल हो जाने के बाद भी यह जरूरी नहीं है कि युवाओं को नौकरी मिल ही जाएगी क्योंकि इसके बाद कोर्ट की एक लंबी लड़ाई भी उन्हें ही लड़नी है।

सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 69,000 के लिए दिसंबर 2018 में आवेदन हुए थे। परीक्षा होने के बाद कट ऑफ मेरिट और आरक्षण में धांधली मामले को लेकर परीक्षा दो वर्षों तक कोर्ट में लंबित रही। इसी तरह दरोगा भर्ती मामला 2021 कोर्ट में अभी भी लंबित है। परीक्षा के रिजल्ट घोषित होने के बाद भी यह भर्ती कोर्ट में अटकी है। 2017 में 12,460 शिक्षक भर्ती का मामला अभी तक कोर्ट में है। 2016 में कनिष्ठ सहायक भर्ती परीक्षा बिना किसी मामले के अभी तक पूरी नहीं हो पाई है, जबकि इसमें 535 अभ्यर्थियों को चयनित भी किया गया था।

बाराबंकी जिले के रहने वाले रोहित सिंह (29 वर्ष) बताते हैं, "मामला कोर्ट में इसलिए पहुंचता है क्योंकि सरकार बार-बार नियम बदलती है। कोई भी परीक्षा होने से पहले कट ऑफ निर्धारित कर देना चाहिए लेकिन कभी रिजल्ट आने के बाद कट ऑफ तय होता है तो कभी पहले।"

रोहित ने आगे बताया कि 12,460 शिक्षक भर्ती मामले में सरकार ने नियम लागू किया कि जिसने जहां से बीटीसी परीक्षा पास की, वहीं उसकी पोस्टिंग होगी ऐसे में कुछ जिलों में अभ्यर्थी ज्यादा थे लेकिन पद कम। अभी भी लगभग 8,000 उत्तीर्ण परीक्षार्थी यह लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके अलावा सरकार बीएड, बीटीसी जैसे कोर्स लगातार करा रही है यानि प्रशिक्षित युवा बढ़ते ही जा रहे हैं।

बहराइच जिले की रहने वाली अंजली मिश्रा (26 वर्ष) कहती हैं कि अब तो उन्हें फार्म भरने भी डर लगने लगा है, कारण है कभी पेपर लीक होना तो कभी पेपर का कैंसिल हो जाना।

अंजली शिक्षक भर्ती की तैयारी कर रही हैं। अंजली कहती हैं, "मैंने 28 नवंबर 2021 को टेट की परीक्षा दी लेकिन सेंटर पर ही पता चला कि पेपर लीक होने की वजह से पेपर कैंसिल कर दिया गया है। महीनों तैयारी करने के बाद जब एग्जाम हॉल में इस तरह की खबर मिलती है तो हर परीक्षार्थी टूट जाता है। किसी तरह अगर कोई परीक्षा पास भी कर लेता है तो वह भर्ती कोर्ट में साल भर के लिए लटक जाती है।"