आखिर क्यों खेतों में रात बिताने को मजबूर हैं उत्तर भारत के किसान?
उत्तर प्रदेश के लगभग हर जिले में अन्ना पशु किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन चुके हैं। किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए अपने अपने खेतों में रतजगा करते हैं।
झाँसी/लखनऊ: उत्तर प्रदेश में छुट्टा पशु (निराश्रित गोवंश) किसानों के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गए हैं। किसान इससे निपटने के लिए रातों को अपने खेत की रखवाली कर रहे हैं।
वर्ष 2019 में आई पशु गणना के मुताबिक पूरे भारत में 53 करोड़ 57 लाख पशु हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने निराश्रित गोवंश से निपटने के लिए गांव-गांव गौशाला बनवाने का ऐलान किया। 23 जनवरी, 2023 तक उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में छोटे बड़े मिलाकर 6,507 गो आश्रय स्थल हैं, जिनमें 10,18,615 गोवंश संरक्षित हैं, जबकि 1 लाख 61 हजार गोवंश मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के अंतर्गत लोगों/पशुपालकों को दिए गए। जिसके लिए उन्हें प्रति पशु 30 रुपए प्रति दिन का मिलते हैं।
बावजूद इसके प्रदेश के ज्यादातर जिलों में छुट्टा पशु किसानों के लिए समस्या बने हुए हैं। किसान दिन-रात खेतों की रखवाली कर रहे हैं। विभिन्न रिपोर्ट के मुताबिक खेतों में रखवाली करते हुए झांसी और उन्नाव समेत कई जिलों में किसानों की खेत में मौत भी हुई हैं।
किसानों का आरोप है अगर छुट्टा पशु गौशाला में बंद हैं तो फिर उनके खेतों को कौन तबाह कर रहा है?