लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 30 किलोमीटर दूर मैंगो बेल्‍ट के नाम से मशहूर तहसील मल‍िहाबाद के आम उत्‍पादक किसान चिंतित हैं। पहले मार्च महीने में ओलावृष्टि के साथ हुई बार‍िश से जहां आम के बौर बड़ी मात्रा में ग‍िर गये थे वहीं जब आम की फसल की पककर तैयार हुई तो तुड़ाई से पहले मई में आंधी बार‍िश ने आम की फसल को जमीन पर ग‍िरा द‍िया। ऐसे में अच्‍छी कीमत के इंतजार में बैठे आम किसान एक बार फ‍िर न‍िराश हैं।

“प‍िछले 40-45 वर्षों में पहली बार इतना नुकसान देखा है। 70 से 80 फीसदी नुकसान हुआ है। पहले मार्च में खराब मौसम ने बौर ग‍िरा द‍िये तो अब तुड़ाई से ठीक पहले आई आंधी बार‍िश के कारण अच्‍छी गुणवत्‍ता वाले आम नीचे ग‍िर गये। नीचे ग‍िरे आम 3 से 4 रुपए प्रत‍ि क‍िलो के ह‍िसाब से बि‍के हैं। जो आम बच गये हैं, उनकी कीमत 40 से 45 रुपए प्रति क‍िलो होगी।” आम उत्‍पादन किसान उपेंद्र सिंह अपना दुख जाह‍िर करते हुए कहते हैं। वे बताते हैं आमों की खरीद ब‍िक्री के लिए 1 जून से मंडी शुरू होती है।

लगभग 45% उत्‍पादन के साथ भारत दुन‍िया का सबसे बड़ा आम उत्‍पादक देश है। वहीं अगर राज्‍यों की बात करें तो कुल उत्‍पादन में 23.58 % ह‍िस्‍सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। इसके बाद आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और ब‍िहार जैसे राज्‍यों का नाम आम उत्‍पादक राज्‍यों में आता है।

केंद्रीय उपोष्‍ण बागवानी संस्‍थान रहमानखेड़ा, लखनऊ के न‍िदेशक डॉ. टी दामोदरन ने बताया कि मह‍िलाहाबाद का आम क्षेत्र लगभग 13 किमी में फैला हुआ है और यहां से लगभग हर साल 500 टन आम न‍िर्यात होता है।

एग्रीकल्‍चर एंड प्रोसेस्‍ड फूड डेवलपमेंट अथॉर‍िटी यानी एपीडा का मल‍िहाबाद में पैक हाउस है। यहां के जनरल मैनेजर अकरम में बताया, “यहां 100 से ज्‍यादा आम के बगीचे हैं और लगभग 3,0000 हेक्‍टेयर में आम के बाग हैं। वर्ष 2021 में यहां से 800 टन जबकि 2022 में 100 टन आम आ न‍िर्यात हुआ था।”

लेकिन इधर कई वर्षों से आम क‍िसानों पर लगातार मौसम की मार पड़ रही है। बड़ा सवाल तो यह है क‍ि इस वर्ष जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कैसे होगी। लखनऊ ज‍िला उद्यान अध‍िकारी बैजनाथ सिंह ने बताया कि आंधी तूफान से 10 से 12 फीसदी आम ग‍िरे हैं। लखनऊ के बागवानों के लिए पुनर्गठित आम फसल बीमा योजना है। इस योजना से जुड़े बागवानों को लाभ द‍िया जा रहा है।