अशांति के लंबे दौर से गुजरा नागालैंड स्वास्थ्य और लिंग समानता में कई समृद्ध राज्यों से ऊपर
मुंबई: अनिश्चित शांति के एक दशक के बाद, एक समय में बहुत परेशान रहने वाला उत्तर-पूर्वी राज्य, नागालैंड विकास के कई परिणामों पर भारत के सबसे समृद्ध राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। यह जानकारी 10 राज्यों के 20 सामाजिक-आर्थिक और स्वास्थ्य सूचकों पर इंडियास्पेंड के विश्लेषण में सामने आई है। हालांकि, राज्य में खराब बुनियादी ढांचे और कभी-कभी अशांति अभी भी समस्या है।
म्यांमार की सीमा के निकट भारत के पूर्वी किनारे पर स्थित, नागालैंड लगभग कुवैत के आकार है और यहां 2 मिलियन लोग रहते हैं, जो इंदौर शहर की आबादी के बराबर है। राज्य में 16 प्रमुख जनजातियां और 20 उप-जनजातियां हैं। प्रत्येक को अलग कपड़ों और आभूषणों द्वारा चिह्नित किया जा सकता है। 87.93 फीसदी आबादी ईसाई है। अंग्रेजी आधिकारिक भाषा हो सकती है, लेकिन राज्य में 30 से अधिक भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं।
78,367 रुपये प्रति व्यक्ति आय के साथ, भारत में नागालैंड 22वें स्थान पर है, जो राष्ट्रीय औसत 86,454 रुपये से नीचे है, हालांकि छत्तीसगढ़ (78,001 रुपये) और राजस्थान (75,201 रुपये) जैसे राज्यों से ऊपर है। भारत आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 के अनुसार यह अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे कि मेघालय (64,638 रुपये) और असम (52,895) से भी ऊपर है।
1963 में नागालैंड के अस्तित्व के बाद पहली बार, केंद्र में सत्ताधारी गठबंधन के प्रमुख भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राज्य और पूर्वोत्तर के बाकी हिस्सों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है।
अपने चुनाव अभियान में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि भाजपा ‘नागालैंड को बदल देगी’ और अगर सत्ता में आती है तो ‘स्थिर, समावेशी और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार’ लाएगी।
नागा विद्रोही गुटों और राज्य सशस्त्र बलों के बीच हिंसक झड़पों से 2007 तक लगभग आधी सदी के लिए नागालैंड विकास से दूर रहा। जब से सबसे बड़े विद्रोही समूह ने भारत सरकार के साथ एक अनिश्चित युद्धविराम मेंप्रवेश किया , तब से, राज्य ने कई सामाजिक-आर्थिक संकेतकों पर महत्वपूर्ण प्रगति की है, जैसा कि 2005-06 (एनएफएचएस -3) और 2015-16 (एनएफएचएस -4) के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण सहित विभिन्न सरकारी आंकड़ों पर इंडियास्पेंड के विश्लेषण से पता चलता है:
मुख्य निष्कर्ष
- विश्लेषण किए गए 20 में से चार संकेतकों के संबंध में, नौ अन्य राज्यों की तुलना में नागालैंड ने केरल, और गोवा जैसे समृद्ध राज्य से बेहतर प्रदर्शन किया है। 14 संकेतकों में नागालैंड टॉप पांच स्थान पर रहा है।
- नागा महिलाओं ने अन्य राज्यों की तुलना में लिंग मुद्दे पर पीड़ित होने की कम रिपोर्ट दी। एनीमिया (23.9 फीसदी), 18 वर्ष से पहले प्रारंभिक विवाह (13.3 फीसदी), विवाह संबंधी हिंसा (12.7 फीसदी)। राज्य में अधिकांश महिलाएं (97.4 फीसदी) घरेलू निर्णय में हिस्सेदारी है।
- बुनियादी ढांचे पर धीमे प्रगति से नागरिकों की संस्थागत स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच प्रभावित हो रही है। नागालैंड का स्थान संस्थागत जन्मों (32.8 फीसदी), टीकाकरण कवरेज (35.7 फीसदी) और गर्भावस्था के दौरान एक स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञ द्वारा दौरा किया जाने वाला अनुपात(15 फीसदी) सबसे कम है।
नागालैंड पर हमारे विश्लेषण के लिए, ( चुनाव में राज्यों के विकास संकेतकों की हमारी चुनाव-वर्ष की जांच का एक हिस्सा ) हमने उन राज्यों को चुना है जो विकास में आगे हैं और केरल, गोवा, गुजरात और कर्नाटक जैसे प्रति व्यक्ति आय में उच्च है; मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे कम आमदनी और उत्तर-पूर्व में मेघालय और त्रिपुरा में नगालैंड के अन्य पड़ोसी राज्यों से पीछे हैं।
इनमें से चार राज्य ( मध्य प्रदेश, राजस्थान, गोवा और गुजरात ) भाजपा शासन के तहत हैं। केरल और त्रिपुरा पर अब तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का शासन रहा है, जबकि कर्नाटक पर कांग्रेस का शासन है। हालांकि, उत्तर प्रदेश और असम में आज भाजपा की सरकारें हैं, उन पर 2016 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का शासन था जो हमारे विश्लेषण के लिए कट ऑफ वर्ष है। मेघालय में भाजपा के गय़बंधन वाली सरकार बनने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है
मातृत्व, बाल स्वास्थ्य सूचकांक समृद्ध राज्यों के बराबर
प्रति 1,000 जीवित जन्मों में 29 मौतों पर, 2015-16 में नागालैंड की शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) राष्ट्रीय औसत (42) से बेहतर थी, और समृद्ध कर्नाटक (28) से एक अंक पीछे रहा है और हमारे 10 राज्यों के विश्लेषण में टॉप पांच स्थान पर है।
2005-06 में 38 से नीचे आए, एनएफएचएस के आंकड़े बताते हैं कि आईएमआर उन बच्चों के लिए अधिक है, जिनकी माताओं ने 10 वर्ष से कम शिक्षा प्राप्त की है, (प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 30 मौतें) जबकि जिनकी माताओं को उच्च शिक्षा प्राप्त है उनके लिए आईएमआर कम है (प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 25 मौतें )।
इसी तरह, पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए राज्य की मृत्यु दर भी प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 2005-06 में 65 से घटकर 2015-16 में 37 का हुआ है। यह राष्ट्रीय औसत (50) से 13 अंक बेहतर है, और हमारे 10 राज्यों के विश्लेषण में शीर्ष पांच में स्थान है और कर्नाटक (36), केरल (7) और गोवा (13) से नीचे है जहां प्रति व्यक्ति आय उच्च है।
नागालैंड में बच्चों में स्टंटिंग (उम्र के लिए कम ऊंचाई) में 10 प्रतिशत अंकों की गिरावट आई है, 2005-06 में 39 फीसदी से 2015-16 में 29 फीसदी। और राज्य को केरल (19.7 फीसदी), गोवा (20.1 फीसदी) और त्रिपुरा (24.3 फीसदी) के बाद चौथे स्थान पर लाता है।
10 राज्यों में नागालैंड ने बच्चों में वेस्टिंग दर (ऊंचाई के लिए कम वजन) कम करने में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। ये आंकड़े 2005-06 में 13 फीसदी से दो प्रतिशत अंक कम हो कर 2015-16 में 11 फीसदी हुआ है। यह राष्ट्रीय औसत (21 फीसदी) से 10 प्रतिशत अंक अधिक है, और धनी केरल (15 फीसदी) या पड़ोसी मेघालय (15 फीसदी) से भी बेहतर है।
इसी तरह, प्रजनन उम्र (15-49 वर्ष) की महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति के मामले में, राज्य में एनीमिया (23.9 फीसदी) के साथ महिलाओं की सबसे कम प्रतिशत की सूचना मिली, जो कि केरल (34.2 फीसदी) और गोवा (31.3 फीसदी) से अधिक है। जो लोग मांसाहार लेते हैं,उनके लिए आयरन का यह एक मजबूत स्त्रोत माना जाता है और एनीमिया कम करने के मामले में सफलता के लिए इसे जिम्मेदार माना जा सकता है, जैसा कि 2012 के एक अध्ययन में बताया गया है।
हेल्थकेयर परिणाम -2015-16
Healthcare Outcomes (2015-16) | |||||
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State | Stunting (In %) | Wasting (In %) | Prevalence Of Anaemia Among Women Aged 15-49 (In %) | Infant Mortality Rate | Under-5 Mortality Rate |
Kerala | 19.7 | 15.7 | 34.2 | 6 | 7 |
Goa | 20.1 | 21.9 | 31.3 | 13 | 13 |
Gujarat | 38.5 | 26.4 | 54.9 | 34 | 43 |
Karnataka | 36.2 | 26.1 | 44.8 | 28 | 32 |
Tripura | 24.3 | 16.8 | 54.5 | 27 | |
India Avg | 38.4 | 21 | 53 | 41 | 50 |
Meghalaya | 43.8 | 15.3 | 51.6 | 30 | 40 |
Rajasthan | 39.1 | 23 | 46.8 | 41 | 51 |
Madhya Pradesh | 42 | 25.8 | 52.5 | 51 | 65 |
Uttar Pradesh | 46.3 | 17.9 | 52.4 | 64 | 78 |
Nagaland | 28.6 | 11.2 | 23.9 | 29 | 33 |
Source: National Family Health Survey, 2015-16
अधिक लिंग समानता, विवाहित हिंसा और कम उम्र में विवाह की कम दर
नागालैंड में हुई शांति ने लिंग संकेतकों पर विशेष रूप से सकारात्मक प्रभाव डाला है। प्रति 1,000 पुरुषों पर 931 महिलाओं का अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है और त्रिपुरा, मेघालय या असम जैसे अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के मुकाबले यह बहुत कम है, लेकिन 2001 की तुलना में 31 अंकों का सुधार है, जैसा कि जनगणना के आंकड़े बताते हैं
नागालैंड में ज्यादातर महिलाओं (97.4 फीसदी) ने घरेलू फैसलों में हिस्सा लेने की बात कही है। इस संबंध में राज्य सबसे अच्छा प्रदर्शन करता है, यहां तक कि केरल (92.1 फीसदी) और गोवा (93.8 फीसदी) से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। राज्य में ऐसी विवाहित महिलाओं की सबसे कम प्रतिशत की सूचना दी है, जो विवाहित हिंसा (12.7 फीसदी) का अनुभव करती थीं। ये आंकड़े राष्ट्रीय औसत से आधे रहे हैं।
राज्य में 18 वर्ष की आयु में विवाह करने वाली महिलाओं की संख्या भी कम है। 2015-16 तक, राज्य में छठवीं या 13.3 फीसदी महिलाओं का विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले हुआ था, केवल केरल (7.6 फीसदी) और गोवा (9.8 फीसदी) ने बेहतर प्रदर्शन किया, जैसा कि हमारे विश्लेषण से पता चलता है।
जिन महिलाओं की विवाह देरी से होती है, वे ज्यादा शिक्षा प्राप्त करती हैं। स्वस्थ बच्चों के साथ वे स्वस्थ मां भी हैं, क्योंकि वे बच्चे के जन्म और मातृत्व की बेहतर तैयारी करते हैं, और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं तक पहुंचने और अपने बच्चों के स्वास्थ्य पर असर को समझने के लिए अधिक खुले हैं, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 21 जुलाई 2017 की रिपोर्ट में बताया है
महिलाओं की स्थिति के संकेतक- 2015-16
Source: National Family Health Survey, 2015-16
पानी की उपलब्धता खराब, लेकिन अच्छी स्वच्छता
नागालैंड में लगभग 20 फीसदी घरों में अभी भी पीने के पानी के बेहतर स्रोतों तक पहुंच नहीं है । केवल 80.6 फीसदी घरों में पहुंच है । मेघालय में 67.9 फीसदी घरों तक पहुंच है और 89.8 फीसदी की राष्ट्रीय औसत से नौ प्रतिशत अंक से भी कम है। फिर भी, राज्य स्वच्छता पर अच्छी तरह से काम करता है, जैसा कि आंकड़ों पर इंडियास्पेंड के विश्लेषण से पता चलता है। नागालैंड में केवल 1.7 फीसदी लोग खुले में शौच करते हैं या किसी भी स्वच्छता सुविधा का इस्तेमाल नहीं करते हैं। यानी इस संबंध में केवल केरल (0.8 फीसदी) के बाद नागालैंड का स्थान है।
हालांकि, बुनियादी ढांचे की प्रगति के मुद्दे इस विकास सूचक पर राज्य की प्रगति पर असर डालते हैं, क्योंकि लगभग 25 फीसदी आबादी अब भी बेहतर स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग करने में असमर्थ है, जैसा कि एनएफएचएस के आंकड़े बताते हैं।
बुनियादी ढांचा संकेतक-2015-16
खराब सड़कों का प्रभाव सार्वजनिक सुविधाओं के प्रसार पर
राज्य को निम्न गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे की समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, 95 फीसदी की सड़क घनत्व के बावजूद, पहुंच एक समस्या बनी हुई है, क्योंकि कई सड़के जीर्ण हैं और भूस्खलन से ग्रस्त हैं, जो लोग और सामानों और सेवाओं के परिवहन को, खासकर मानसून के दौरान प्रभावित करते हैं, जैसा कि नागालैंड के आर्थिक सर्वेक्षण 2016 से पता चलता है।
केवल एक हवाई अड्डे और दीमापुर शहर को शेष भारत में जोड़ने वाले एक रेल ट्रैक से विकास की गति धीमी तो होती ही है।
नागालैंड में लगभग सभी या 97 फीसदी घरों में बिजली की पहुंच है और यह 88.2 फीसदी के राष्ट्रीय औसत से ऊपर है। फिर भी, राज्य की सुधार दर (14.1 फीसदी) वास्तव में राष्ट्रीय औसत (20.3 फीसदी) से 6 फीसदी अंक नीचे है। इस आंकड़े से साथ नागालैंड हमारे द्वारा किए गए 10 राज्यों के विश्लेषण में चौथे स्थान पर आता है। लेकिन विद्युतीकृत क्षेत्रों में लगातार बिजली आपूर्ति की उपलब्धता ‘पूरी तरह से एक अलग मामला है’, जैसा कि ग्रामीण क्षेत्रों में संचरण और वितरण की समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए नागालैंड 2030 दृष्टि दस्तावेज में कहा गया है।
टेलीफोन कनेक्टिविटी के संदर्भ में, नागालैण्ड की टेली घनत्व 69 फीसदी है ( 90 के भारतीय औसत से 21 प्रतिशत अंक नीचे ) जैसा कि फरवरी 2017 से इस टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया प्रेस नोट से पता चलता है।
बुनियादी ढांचे पर धीमी गति से प्रगति, नागरिकों को राज्य में स्वास्थ्य सेवा संस्थानों तक पहुंच को प्रभावित कर रही है ( जिनमें से अधिकांश मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा चलाए जाते हैं ), जैसा कि एनएफएचएस आंकड़ों के विश्लेषण में पता चला है।
उदाहरण के लिए, केवल 15 फीसदी माताओं ( विश्लेषण किए गए 10 राज्यों में सबसे कम ) तक स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी गर्भावस्था के दौरान चार या अधिक बार दौरा किया गया था, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के अनुसार न्यूनतम आवश्यकताएं हैं। बेहतर कनेक्टिविटी के लिए जाना जाने वाले शहरी क्षेत्रों में महिलाओं का राज्य में उनके ग्रामीण समकक्षों (9 फीसदी) की तुलना में स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ताओं द्वारा उनकी गर्भावस्था के दौरान चार या अधिक बार दौरा करने की तीन गुना अधिक ( 29 फीसदी ) संभावना है।
संस्थागत जन्मों के संदर्भ में, एक तिहाई जन्म या 32.8 फीसदी स्वास्थ्य सुविधा में होते हैं, जबकि बहुसंख्यक 67 फीसदी अनौपचारिक सेटिंग्स में होते हैं। यद्यपि संस्थागत जन्म का अनुपात लगभग एक दशक में लगभग तीन गुना है- 2005-06 में 11.6 फीसदी से 2015-16 में 32.8 फीसदी था, यहां विश्लेषण के गए 10 राज्यों में सबसे कम स्थान पर है।
राज्य ने प्रतिरक्षण के सबसे खराब कवरेज की सूचना भी दी।2015-16 में 12 से 16 महीने की उम्र के केवल 36 फीसदी बच्चों को पूर्ण प्रतिरक्षण प्राप्त हुए- जिसमें पोलियो, बीसीजी, डीपीटी, और 2015-16 में खसरा टीके शामिल हैं। यह 62 फीसदी के राष्ट्रीय औसत से बहुत नीचे है और विश्लेषण किए गए 10 राज्यों में सबसे नीचे है।
संस्थागत हेल्थकेयर संकेतक -2015-16
साक्षरता के मामले में भी ( जबकि पुरुष साक्षरता दर (85.6 फीसदी) की तुलना में नागालैंड में महिला साक्षरता दर (81 फीसदी) में दोगुनी वृद्धि हुई और 68.5 फीसदी की राष्ट्रीय औसत से ऊपर की तुलना में अधिक है ) विकास दर अभी भी अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है, जो कि पहुंच और अवसंरचना की लगातार समस्या का संकेत है। राज्य में उच्च शिक्षा के लिए महिलाओं की पहुंच में वृद्धि की धीमी प्रगति भी देखा गया है। 2015-16 तक, नागालैंड की एक तिहाई महिलाओं (33.3 फीसदी) ने 10 वर्ष से ज्यादा की सिक्षा प्राप्त की है। यह आंकड़े 2005-06 की तुलना में 11 फीसदी ज्यादा है। विश्लेषण किए गए राज्यों में यह सबसे यह दशक का सबसे कम वृद्धि दर है। इसके लिए फिर से राज्य में स्कूलों के खराब बुनियादी ढांचे को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।नागालैंड 2030 विजन दस्तावेज में कहा गया है, "उच्च विद्यालय और उच्च माध्यमिक क्षेत्र में लगभग सभी सरकारी स्कूल की इमारतों की स्थिति गड़बड़ है। "
युवा आबादी की संख्या ज्यादा, इसलिए नौकरी के अवसरों की जरुरत
बुनियादी ढांचे के विकास में खामियां नागालैंड के भविष्य पर असर डाल रहा है। 2016 में, राज्य में 15-29 वर्ष आयु वर्ग के 682,000 युवाओं के साथ युवा जनसंख्या 30 फीसदी थी, जो कि 27 फीसदी की राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है, जैसा कि राज्य के आंकड़ों से पता चलता है। यह कृषि राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार मांगों पर महत्वपूर्ण दबाव डालता है। राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण 2016 के मुताबिक कृषि क्षेत्र में, राज्य के कुल कर्मचारियों के 60 फीसदी से अधिक रोजगार के बावजूद राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 30 फीसदी से भी कम का योगदान देता है।
श्रम मंत्रालय की वार्षिक रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण, 2015-16 रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 8.9 फीसदी की बेरोजगारी दर है, जो राष्ट्रीय औसत (4.8 फीसदी) से दोगुनी है। नागालैंड 2030 दृष्टि दस्तावेज में कृषि क्षेत्र में रोजगार की लोच 0.43 फीसदी पर आंके जाने के साथ राज्य को द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों के विकास पर ध्यान देने की जरूरत है, जो जीएसडीपी का 15 फीसदी और 54.5 फीसदी है।
वर्तमान में, निजी निवेश की अनुपस्थिति में, तृतीयक क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा (15 फीसदी), जो जीएसडीपी को सबसे ज्यादा जोड़ता है, सार्वजनिक प्रशासन में कार्यरत है। नगालैंड में नागालैंड लोक सेवा आयोग के लिए कट-ऑफ की उम्र के रूप में नौकरी की सुरक्षा 35 वर्ष है और राज्य चुनाव में एक महत्वपूर्ण मुद्दा के रूप में उभरा है, जैसा कि फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने 12 फरवरी, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।
इसके लिए, नागालैंड में निजी निवेश को बढ़ाने के लिए राज्य के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए एक ठोस प्रयास की आवश्यकता होगी, जो संभव हो सकता है यदि राज्य में शांतिपूर्ण संबंध बढ़ते हों। यह भी आवश्यक है कि आने वाले पर्यटकों की नागालैंड की स्थिर वृद्धि को बनाए रखना जरूरी है, जो कि वर्ष 2007 (936) से 2017 (2,759) तक तीन गुना है, जैसा 2016 आर्थिक सर्वेक्षण में दिखाया गया है।
प्रति व्यक्ति आय, 10 राज्यों में बेरोजगारी-2015-16
Per Capita Income, Unemployment in 10 states (2015-16) | ||
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States | Per Capita Income* (In Rs) | Unemployment** (In %) |
Kerala | 135537 | 12.5 |
Goa | 289185 | 9.6 |
Gujarat | 127017 | 0.9 |
Karnataka | 129823 | 1.5 |
Tripura | 71666 | 19.7 |
India Avg | 86454 | 4.9 |
Meghalaya | 64638 | 4.8 |
Rajasthan | 75201 | 7.1 |
Madhya Pradesh | 56182 | 4.3 |
Uttar Pradesh | 42267 | 7.4 |
Nagaland | 78367 | 8.5 |
Source: India Economic Survey 2016-17; *2014-15,
राज्य में शांति अब भी अनिश्चित
अनिश्चित युद्धविराम के बावजूद, नागालैंड विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम के तहत अपने 60 वें वर्ष (अब 1958 से 2018) में रह रहा है। एक "परेशान क्षेत्र" के रुप में घोषित, राज्य में अधिनियम को निरस्त करने की समय सीमा अगले छह महीने के लिए बढ़ा दी गई है, यानी जून 2018 तक।
2007 से फरवरी 2018 तक उग्रवाद के हमलों में नागालैंड में कम से कम 126 नागरिक मारे गए थे, जैसा कि दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल डेटाबेस में बताया गया है। अकेले 2018 के पहले दो महीनों में, राज्य ने चार मौतों की सूचना दी है। जाहिर है नागालैंड में शांति का संकेत अभी भी अनिश्चित है।
(सलदानहा सहायक संपादक हैं और मोहन इंटर्न हैं। दोनों इंडियास्पेंड के साथ जुडे हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 27 फरवरी 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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