आम आदमी पार्टी है खास, लेकिन चुनावों में प्रदर्शन नहीं सर्वश्रेष्ठ
दिल्ली विधानसभा चुनाव अब आखिरी दौर में पहुंच चुका है। ऐसे में अब एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है, कि भारत अब नए राजनीतिक दलों के लिए अजनबी नहीं रह गया है। ऐसे में क्या आम आदमी पार्टी चुनावी दायरे में एक अलग पहचान बना पाएगी।
इंडियास्पेंड के विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि चुनावी दायरे में आप अलग तो है, लेकिन चुनाव से होने वाले असर पर वह अपनी अलग पहचान नहीं दे पाई है। भारत के किसी भी राज्य में कोई राजनीतिक दल स्वच्छ गवर्नेंस, पारदर्शी शासन और जवाबदेही के वादे के साथ सत्ता में नही आई थी। साल 2013 के दिसंबर में सभी राजनीतिक पंडितों के दावों को झुठलाते हुए आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में 70 में से 28 सीटें जीत ली थी। जो किसी भी ओपिनियल पोल के अनुमानों से एक दम उलट था।
भारत के राज्यों में अलग-अलग दौर में नई पार्टियां खड़ी हुई है। लेकिन उन सबका उदय क्षेत्रीय मुद्दों से हुआ। कुछ अपने मूल दल से टूटकर बनी, तो कुछ नए सिरे से खड़ी हुईं। इसकी तुलना में आम आमदी पार्टी सभी से अलग है। शुरूआत में राजनीतिज्ञों और भ्रष्ट्राचार के विरोध में खड़े हुए आंदोलन ने आम आमदी पार्टी का जन्म हुआ।
एक अन्य राजनीतिक दल का उदय और उसका पहले चुनाव में किए गए प्रदर्शन कैसा रहा इसका आंकलन किया गिया है।
चार्ट-1 भारत में नए राजनीतिक दल का विधान सभा चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन (सीट की साझेदारी के आधार पर प्रतिशत में प्रदर्शन)
अपने पहले विधान सभा चुनाव में भाग लेने वाली राजनीतिक दलों में यह चार सबसे अच्छे प्रदर्शन करने वाले दल हैं। इनमें से सबसे अच्छा प्रदर्शन एन.टी.रामाराव की पार्टी तेलगू देशम पार्टा का है, जिसने साल 1983 में। कुल 68.6 फीसदी सीट हासिल की थी। जबकि 57 फीसदी वोट पार्टी को मिला था।
चार्ट-2 उत्तर भारत में नए राजनीतिक दल का विधान सभा चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन (सीट की साझेदारी के आधार पर प्रतिशत में प्रदर्शन)
उत्तर भारत के राज्यों में आम आदमी पार्टी का नई पार्टी के रुप में अभी तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा है। पार्टी को साल 2013 में दिल्ली के विधान सभा चुनावों में 40 फीसदी सीट और 29.7 फीसदी वोट हासिल हुआ।
चार्ट-3 पूर्वी भारत में नए राजनीतिक दल का विधान सभा चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन (सीट की साझेदारी के आधार पर प्रतिशत में प्रदर्शन)
इसी तरह पूर्वी भारत में नवीन पटनायक की अगुवाई में बीजू जनता दल ने नए पार्टी के रूप मे पहले चुनावों में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। साल 2000 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को 46 फीसदी सीट और 29.4 फीसदी वोट हासिल हुआ था। पार्टी को लगातार चौथी बार साल विधानसभा चुनावों में जीत हासिल हुई है।
चार्ट-4 दक्षिण भारत में नए राजनीतिक दल का विधान सभा चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन (सीट की साझेदारी के आधार पर प्रतिशत में प्रदर्शन)
इसी तरह दक्षिण भारत में साल 1972 में डीएमके से टूटकर बनी एआईएडीएमके विधान सभा चुनावों में नई पार्टी के रूप मे पहले चुनावों में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। साल 1977 के चुनावों में पार्टी को 56 फीसदी सीट और 30.4 फीसदी वोट हासिल हुआ था।
चार्ट-5 पश्चिमी भारत में नए राजनीतिक दल का विधान सभा चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन (सीट की साझेदारी के आधार पर प्रतिशत में प्रदर्शन)
पश्चिमी भारत में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन साल 1999 में शरद पवार, पी.ए.संगमा औऱ तारिक अनवर ने किया। उसने अपना पहला चुनाव साल 1999 में ही लड़ा, जिसमें पार्टी को 20 फीसदी सीट और 22.6 फीसदी वोट हासिल हुआ। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का यह प्रदर्शन पश्चिम भारत में पहले ही चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली पार्टी बना दिया।
लेकिन इन सभी राजनीतिक दलों और आम आदमी पार्टी में सबसे बड़ा अंतर यही था, कि आम आदमी पार्टी ने सभी से अलग राष्ट्रीय मुद्दों, भ्रष्टाचार आदि को स्थानीय बनाते हुए दिल्ली विधान सभा का चुनाव लड़ा।
(देवानिक साहा, द पॉलिटिकल इंडियन के डाटा एडिटर हैं)
नोट—सीपीएम, नेशनल कांफ्रेंस और डीएमके को इस विश्लेषण में नहीं रखा गया है। ऐसा इसलिए हैं कि यह पार्टियां काफी पुरानी हैं। सीपीएम का गठन 1920, नेशनल कांफ्रेंस का गठन 1939 और डीएमके का गठन 1949 में हुआ थआ। ऐसे में नई पार्टी के रुप में इनका चयन नहीं किया गया है।
..चार्ट में भी जो आंकड़े लिए गए हैं, वह चुनाव आयोग की वेबसाइट और सामाचर रिपोर्ट के आधार पर हैं।
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