उत्तर प्रदेश पुलिस ने 1200 बीएचयू छात्रों के खिलाफ किया मामला दर्ज, राज्य भर में यौन उत्पीड़न में 33 फीसदी वृद्धि
हाल ही में उत्तर प्रदेश के वाराणसी का बनारस हिंदू विश्विद्यालय ( बीएचयू ) काफी सुर्खियों में रहा है। कई छात्राएं यौन उत्पीड़न के खिलाफ विरोध कर रही हैं, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस पूरे घटनाक्रम में उत्तरप्रदेश पुलिस ने बीएचयू के 1200 छात्रों के खिलाफ आगजनी और अन्य अपराधों के मामले दर्ज किए हैं। वहीं राष्ट्रीय अपराध के आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य ने वर्ष 2014 से 2015 के दौरन यौन उत्पीड़न के मामलों में 33 फीसदी वृद्धि दर्ज की है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि इनमें से 74 फीसदी मामले अदंडित रहे हैं।
Source: Indian Express
ये आंकड़े छात्रों के आरोपों को संदर्भ प्रदान करते हैं फाइन आर्ट की एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना उस राज्य में हुई, जहां विवादास्पद “एंटी रोमियो स्काव्ड” लागू किया हो। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि यह सब उस राज्य में हुआ है, जो महिलाओं के खिलाफ कई अपराधों के संबंध में भारत के शीर्ष तीन राज्यों में से एक है।
21 सितंबर, 2017 की घटना के बाद बीएचयू में विरोध प्रदर्शन अब राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है। उस घटना में एक मोटरसाइकल सवार युवक ने कॉलेज की एक छात्रा के साथ दुर्व्यवहार किया और भद्दी टिप्पणी का थी । पूरे मामले पर उपकुलपति जी. सी. त्रिपाठी की प्रतिक्रिया के बाद स्थिति और भी बदतर हो गई।
टेलीग्राफ में उद्धृत त्रिपाठी के इस बयान के अनुसार, “लड़के, लड़के ही रहेंगे। जो हुआ, उसे भूल जाइए।यदि आप ऐसी चीजों को नापसंद करते हैं, तो आप 6 बजे के बाद बाहर रुके ही क्यों? आप एक लड़की हैं, लड़का बनने की कोशिश न करें। ”.
My friend's been suspended by BHU administration for raising voice against sexual harassment in campus, while molester's still roaming free! pic.twitter.com/hnvdnnOMhV
— Varada Marathe (@Varada_M) 24 September 2017
छात्रा पर हुए यौन उत्पीड़न की जांच का मामला आगे नहीं बढ़ा, लेकिन बीएचयू की घटना राष्ट्रीय बहस का विषय बन गई। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "मैं अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं (बीएचयू की घटनाओं पर), और हमारी सरकार शीघ्र ही इसकी जांच करेगी।"
उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ होने सभी दर्ज हमलों में तीन-चौथाई यौन उत्पीड़न के हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, इन मामलों में सजा दर 2014 में 16 फीसदी से बढ़कर 2015 में 26 फीसदी हुई है।
15 वर्षों में, देश भर में शील भंग करने के इरादे से महिलाओं पर हमले में 141 फीसदी वृद्धि
Source: India Today
उत्तर प्रदेश में ‘शील भंग करने के इरादे से महिला पर होने वाले हमले ’ ( जिसमें यौन उत्पीड़न, निगरानी और पीछा करना शामिल है) के संबंध में सजा दर राष्ट्रीय दर की तुलना में बेहतर है। हम बता दें कि इस संबंध में राष्ट्रीय दर 10 फीसदी है। उत्तर प्रदेश में यौन उत्पीड़न के 5,925 विशिष्ट मामले थे, जिनमें कानून के इस हिस्से का 75 फीसदी मामले थे। यह संख्या देश भर में सबसे ज्यादा है।
पिछले 15 वर्षों से वर्ष 2015 तक, इस विषय के तहत दर्ज मामलों की संख्या में 141 फीसदी वृद्धि हुई है और आंकड़े 82,422 हुए हैं।
इसी अवधि के दौरान, कानून के अन्य संबंधित खंड, "महिलाओं की शीलता का अपमान" ( महिलाओं के शीलता भंग करने के इरादे से कहा गया शब्द, इशारा या कार्य) में 11 फीसदी की गिरावट देखी गई है।
पिछले दो वर्षों से 2015 तक 8.3 फीसदी की गिरावट और 7,885 मामलों के साथ, भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य, उत्तर प्रदेश ने ‘शील भंग करने के इरादे’ के तहत मामलों की तीसरी सबसे ज्यादा संख्या दर्ज की है। पहले और दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र (11, 713) और मध्य प्रदेश (8,094) हैं।
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014 में, उत्तर प्रदेश में यौन उत्पीड़न के मामले 4,435 थे और जैसा कि हमने कहा, वर्ष 2015 में 33 फीसदी की वृद्धि हुई है। दूसरे राज्यों से तुलना की जाए तो ऐसे मामलों में महाराष्ट्र में 17 फीसी की वृद्धि हुई और मध्यप्रदेश में 19 फीसदी की गिरावट हुई है।
विशेषज्ञों के मुताबिक मामलों की संख्या में बढ़ोतरी का मामला महिलाओं की जागरूकता से भी जुड़ा है। ज्यादा महिलाएं रिपोर्ट के लिए आगे आ रही हैं।
उत्तर प्रदेश में अपराध के आंकड़े अक्सर अविश्वसनीय होते हैं और कम रिपोर्ट होने की संभावना है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 13 मार्च 2015 की रिपोर्ट में विस्तार से बताया है।
वर्ष 2015 में, पीछा करने के मामले में भी 519 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान था। इस संबंध में पहले और दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र (1399) और दिल्ली (1124) रहे हैं। पिछले वर्ष की तुलना में, उत्तर प्रदेश में इन आंकड़ों में, 38 फीसदी की गिरावट हुई है। पिछले साल 835 मामले दर्ज किए गए थे, जो किसी भी अन्य राज्य की तुलना में ज्यादा हैं।
(सालवे एक वरिष्ठ विश्लेषक हैं, और नायर अर्थशास्त्र और सांख्यिकी में ग्रैजुएट हैं। दोनों इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 25 सितंबर 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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