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30 जून 2017 की मध्यरात्री से सामान और सेवा कर ( जीएसटी ) लागू हो गया है।

जम्मू और कश्मीर को छोड़कर सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों ने राज्य सामान एवं सेवा अधिनियम (एसजीएसटी) को लागू करने के लिए मंजूरी दे दी है।

जीएसटी से लाभ

व्यापारियों के लिए

ग्राहकों के लिए

करों की बहुलता में कमी

सरल कर प्रणाली

कैस्केडिंग / डबल टैक्सेशन की कमी

कैस्केडिंग के उन्मूलन के कारण माल और सेवाओं की कीमतों में कमी

कैस्केडिंग / डबल टैक्सेशन की कमी

पूरे देश में समान मूल्य

सरल कर व्यवस्था

रोजगार के अवसरों में वृद्धि

Source: GST Council

आपको देश भर में अप्रत्यक्ष करों में हुए बड़े बदलाव के बारे में जानना चाहिए

1) वास्तव में जीएसटी क्या है?

जब कोई उपभोक्ता कुछ खरीदता है तो जीएसटी का भुगतान करता है। पेट्रोलियम उत्पादों जैसे कुछ छूट वाली वस्तुओं को छोड़कर सामान और सेवाओं की आपूर्ति में हर लेनदेन पर टैक्स लगाया जाता है। एक स्तर पर लगाए गए टैक्स अगले स्तर पर दिए जाने वाले टैक्स से अलग हो सकता है या कट सकता है।

भारत में दोहरी जीएसटी है – एक केन्द्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और दूसरा राज्य जीएसटी (एसजीएसटी)। वस्तुओं और सेवाओं की अंतर-राज्य की आपूर्ति पर एक एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) भी है, जो कि भुगतान किए जाने वाले सीजीएसटी और एसजीएसटी के विरूद्ध बंद किया जा सकता है।

1 जुलाई, 2017 से, भारत ने एक कर, एक-राष्ट्र शासन के लिए कदम बढ़ाया है। खरीदे जाने पर सभी वस्तुओं और सेवाओं पर चार स्लैब में से एक के तहत टैक्स लगाया जाएगा।

2) जीएसटी दरों का फैसला कौन करेगा?

केंद्रीय वित्त मंत्री सहित जीएसटी परिषद और राज्य वित्त मंत्री जीएसटी दरों को अंतिम रूप देंगे। हम बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री परिषद के अध्यक्ष होंगे।

3) आप जीएसटी के लिए कहां पंजीकरण करेंगे?

जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए, केंद्र सरकार के साथ 24.5 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ एक गैर सरकारी निजी कंपनी, द गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क सरकारों, करदाताओं और अन्य सेवा प्रदाताओं को आईटी अवसंरचना और सहायता सेवाएं प्रदान करेगा।

4) दो महीने के लिए नियमों में छूट

जीएसटी परिषद ने उनके लिए जो अब भी मैन्यूअल रिकॉर्ड रखते हैं या फिर जो जीएसटी संक्रमण अवस्था में हैं, उनके लिए दो महीने के लिए नियमों में रियायत दी है। यानी अगस्त 2017 के बाद ये यह नियम पूरी तरह लागू हो जाएंगे।

जीएसटी के कार्यान्वयन की देखरेख करने वाले सरकारी विभाग केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा जारी इस रिलीज के अनुसार परिषद ने चालान-वार रिटर्न के बजाय एक सरलीकृत फ़ॉर्म को अंतिम रूप दिया है। देर से रिटर्न के लिए कोई देरी फीस या दंड नहीं होगा और सितंबर से नियमित रूप से रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता होगी।

जीएसटी व्यवस्था में खाते और रिकॉर्ड्स

1) जीएसटी में खातों और अभिलेखों की जांच के सत्यापन का अनुपालन यदि आवश्यक हो तो ही किया जाए

2)एक कर और एक प्रकार का रिकॉर्ड। विभिन्न करों जैसे मूल्य वर्धित कर, एक्साइज कर और सेवा कर के लिए अलग-अलग रिकॉर्ड बनाए रखने की जरूरत नहीं।

3) जरूरी है रिकार्ड:

a) माल और सेवाओं के सभी रिकॉर्ड जो कि व्यक्ति अपने व्यवसाय के दौरान आपूर्ति या प्राप्त करता है;

b) आयात किए गए सामानों के सभी रिकॉर्ड;

c) किसी अन्य सहायक दस्तावेज़ जैसे कि जीएसटी के दायित्व को दिखाने के लिए अनुबंध और मूल्य उद्धरण

4) कर देने वाला एक ऐसा व्यक्ति जिनका सलाना टर्नओवर 2 करोड़ रुपए से कम है, उसे अपने खातों को ऑडिट कराने की जरूरत नहीं है और न ही एनुअल रिटर्न के साथ रेकन्सिलीऐशन स्टेमेंट जमा करने की जरूरत।

Source: GST@GoI

5) जीएसटी के अंतर्गत कौन सी चीजें शामिल हैं और क्या जीएसटी में शामिल नहीं हैं?

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता वस्तुओं जैसे अनाज, दाल, डेयरी उत्पाद, ताजा मांस, मछली, ताजी सब्जियां और फलों को जीएसटी से मुक्त किया गया है।

आधिकारिक आंकड़े दिखाते हैं कि शिक्षा और कौशल विकास सेवाओं को भी छूट दी गई हैं।

मादक पेय, बिजली और पांच पेट्रोलियम उत्पादों (कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस और विमानन टरबाइन ईंधन) जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। इन पर वैट और केंद्रीय उत्पाद शुल्क जारी रहेंगे। पेट्रोलियम उत्पादों को केवल अस्थायी रूप से बाहर रखा गया है।

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 30 जून 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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