ऑड-ईवन के दूसरे चरण में दिल्ली का वायु प्रदूषण 23% बढ़ा
दिल्ली में ऑड-ईवन पंजीकरण नियम के दूसरे चरण के दौरान वायु प्रदूषण में 23% की बढ़ोतरी हुई है। इंडियास्पेंड की #ब्रीथ एयर मॉनीटरिंग डिवाइस के जुटाए आंकड़ों के अनुसार ये नतीजा 15 अप्रैल से 29 अप्रैल के दौरान के पीएम (पर्टिकुलेट मेटर) 2.5 के विश्लेषण से मिला। ये तुलना पिछले 14 दिनों यानी 1 अप्रैल से 14 अप्रैल तक के आंकड़ों से की गई।
ऑड ईवन योजना आज 30 अप्रैल 2016 को खत्म हो गई. आंकड़ों से पता चलता है बस सेवाओं में सुधार, कारखानों और ट्रकों से निकलने वाले धुएं पर लगाम और निर्माण कार्य से उड़ने वाली धूल में कमी जैसे अतिरिक्त कदमों के बिना ये योजना लंबी अवधि में कारगर नहीं हो सकती। दिल्ली की हवा को दूषित करने में इनका तकरीबन आधा योगदान है। हवा की गति और तापमान भी वायु की गुणवत्ता पर असर डालता है।
दिल्ली में ऑड-ईवन से पहले और इस दौरान 15 दिन का औसत प्रदूषण स्तर
15 से 29 अप्रैल के बीच ऑड ईवन की अवधि में दिल्ली की हवा में बारीक कणों पीएम 2.5 की मात्रा बढ़कर 68.98 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर थी, जबकि 1 अप्रैल से 14 अप्रैल के दौरान हवा की औसत गुणवत्ता 56.17 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर थी।
इसी तरह ऑड ईवन की अवधि (1 अप्रैल से 15 अप्रैल) से पहले औसम पीएम 10 की मात्रा 110.04 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर थी, जो ऑड-ईवन अवधि (15 अप्रैल से 29 अप्रैल)के दौरान बढ़कर 134.39 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हो गई।
ऑड ईवन से पहले और दौरान पीएम 2.5 स्तर (प्रति घंटा औसत)
ऑड-ईवन अवधि में 15 अप्रैल से 29 अप्रैल तक, प्रत्येक घंटे मापे गए प्रदूषण के आधार पर, दिल्ली में शाम को सात बजे का समय सबसे अधिक प्रदूषण वाला रहा. इस समय पीएम 2.5 की मात्रा 31% बढ़कर 124.3 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रही, जबकि 1 अप्रैल से 14 अप्रैल को प्रत्येक घंटे मापे गए प्रदूषण का स्तर 94.67 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर थी।
यहाँ तक कि ऑड-ईवन चरण में दिल्ली के लिए शाम 5 बजे का समय सबसे अच्छा रहा। इस दौरान हवा की गुणवत्ता “अच्छी” रही और हवा में पीएम 2.5 की मात्रा का स्तर 21 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा।
ऑड ईवन से पहले और दौरान पीएम 10 स्तर (प्रति घंटा औसत)
इसी तरह, सुबह 7 बजे पीएम 10 का स्तर 243.96 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर बताता है कि वायु प्रदूषण की स्थिति खराब है जिससे लंबी अवधि में सांस से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। ऑड-ईवन चरण से पहले के 15 दिनों के दौरान प्रत्येक घंटे मापे गए प्रदूषण के आधार पर सुबह 7 बजे के 179.7 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की तुलना में ये 36% अधिक था।
इंडियास्पेंड ने हाल ही पीएम 2.5 आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर बताया था कि सुबह के समय जिन चार शहरों की हवा सबसे अधिक दूषित रहती है वे हैं- बैंगलुरू, चेन्नई, दिल्ली और मुंबई।
इंडियास्पेंड ने पहले बताया था कि दिल्ली के बदलते मौसम और दिन, सप्ताह और साल में दिल्ली के हवा में घुले धुएं के लगातार बदलते पैटर्न के कारण स्वाभाविक तौर पर वायु प्रदूषण की विश्वसनीय तस्वीर पाना मुश्किल है। इसके अलावा, प्रदूषण के सबसे अहम स्रोत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर हैं।
पार्टिकुलेट मैटर्स, या पीएम धूल, गंदगी, कालिख, धुआं और तरल बूंदों सहित हवा में पाए जाने वाले कणों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें इनके व्यास के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। 2.5 माइक्रोमीटर्स से कम व्यास वाले कणों को पीएम 2.5 कहा जाता है। वे लगभग मानव बाल की औसत चौड़ाई का लगभग 1/30वां हिस्सा होते हैं। 2.5 और 10 माइक्रोमीटर्स व्यास के बीच वाले कणों को पीएम 10 कहा जाता है।
पीएम 2.5 स्तर के लिए स्वास्थ्य विवरण
Health Statement for PM 2.5 Levels | ||
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Breakpoints | AQI Category | Health Effects |
0-30 | Good | Minimal impact |
31-60 | Satisfactory | Minor breathing discomfort to sensitive people |
61-90 | Moderate | Breathing discomfort to people with sensitive lungs, asthma and/or heart diseases |
91-150 | Poor | Breathing discomfort to most people on prolonged exposure |
151-250 | Very Poor | Respiratory illness on prolonged exposure |
250+ | Severe | Affects healthy people and seriously impacts those with existing diseases |
Source: Central Pollution Control Board; Breakpoint figures in micrograms per cubic meter (µg/m³)
पीएम 10 स्तर के लिए स्वास्थ्य विवरण
Health Statement for PM 10 Levels | ||
---|---|---|
Breakpoints | AQI Category | Health Effects |
0-50 | Good | Minimal impact |
51-100 | Satisfactory | Minor breathing discomfort to sensitive people |
101-250 | Moderate | Breathing discomfort to people with sensitive lungs, asthma and/or heart diseases |
251-350 | Poor | Breathing discomfort to most people on prolonged exposure |
351-430 | Very Poor | Respiratory illness on prolonged exposure |
430+ | Severe | Affects healthy people and seriously impacts those with existing diseases |
Source: Central Pollution Control Board; Breakpoint figures in micrograms per cubic meter (µg/m³)
पीएम 10 और पीएम 2.5 में सांस के जरिये शरीर में जाने वाले कण भी शामिल होते हैं जो कि इतने छोटे होते हैं कि श्वसन प्रणाली के वक्ष क्षेत्र में घुस जाते हैं। सांस में घुल सकने वाले पीएम के स्वास्थ्य पर बुरे असर की पुष्टि हो चुकी है और वजह छोटी अवधि (घंटे, दिन) और लंबी अवधि (महीने और साल) में इन कणों का होना है। असर में शामिल है: सांस और दिल की बीमारियां जैसे दमा का बढ़ना, सांस लेने में दिक्कत और अस्पताल के दाखिलों में बढ़ोतरी; और दिल और सांस की बीमारियों से फेफड़ों के कैंसर से मृत्यु।
दिल्ली में वाहनों की संख्या और प्रदूषण में बढ़ोतरी से बसों के उपयोग में कमी हो रही है
भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद के 2014 के इस शोध पत्र के अनुसार, भारत में हर साल 6,70,000 मौतें घर से बाहर होने वाले वायु प्रदूषण से होती हैं।
ऑड-ईवन के दूसरे चरण में इसका उल्लंघन करने वालों की संख्या भी घटी है- पहले दिनों में पहले चरण के 6,768 के मुकाबले दूसरे चरण में नियम उल्लंघन के 5,814 मामले आए। उल्लंघन करने वालों पर 2,000 रुपये का जुर्माना किया गया।
दिल्ली के 2014-15 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, दिल्ली में बसों और इसमें सवारी करने वालों की संख्या घटने से प्रति 1,000 लोगों पर वाहनों की संख्या पिछले 16 साल में 92% बढ़ी है।
इंडियास्पेंड ने बताया था कि 2014-15 में दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की बसों में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या पिछले साल के मुकाबले 11% घटी है, और पिछले पाँच साल में बसों की संख्या में 24% की कमी आई है। 2010—11 में जहाँ डीटीसी के पास 6,204 बसें थी, वहीं 2014-15 में ये घटकर 4,712 रह गईं। हम भी मानते हैं, कि ऑड-ईवन व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बस सेवाएं बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
31 मार्च 2015 तक दिल्ली में 88 लाख से अधिक मोटर वाहन पंजीकृत थे, ये आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले 6% से अधिक बढ़ा है।
2014-15 में दोपहिया (मोटरसाइकिल और स्कूटर) की संख्या में 7% से अधिक की बढ़ोतरी हुई, इसके बाद टैक्सी (6%) और कार और जीप (6%) का स्थान रहा। अन्य यात्री वाहनों जैसे कि ट्रैक्टरों की संख्या में कमी आई।
इंडियास्पेंड ने पहले बताया था कि दिल्ली का परिवहन क्षेत्र कोलकाता के मुकाबले छह गुना, अहमदाबाद के मुकाबले पाँच गुना एवं ग्रेटर मुंबई और चेन्नई के मुकाबले तीन गुना अधिक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन (जीएचजी) का उत्पादन करता है।
इंडियास्पेंड ने पहले बताया था कि भारी वाहन पीएम 10 और नाइट्रोजन ऑक्साइड का प्रमुख स्रोत हैं। पीएम 10 प्रदूषण में ट्रकों का योगदान 46% होता है और नाइट्रोजन ऑक्साइड में 38%; पीएम 10 की मात्रा में हल्के वाणिज्यिक वाहनों का योगदान 28% है और नाइट्रोजन ऑक्साइड में 13%।
दुनिया के अन्य शहरों में ऑड-ईवन
मेक्सिको शहर ने 1989 में होय नो सर्कुला स्कीम (नो सर्कुलेटिंग डे) के रूप में इस नियम को शुरू किया। 1989 में सर्दियों के महीनों में लागू हुए इस परीक्षण के दौरान लक्षित इलाकों में प्रदूषण में 20% की कमी आई, वाहनों की रफ्तार बढ़ी, ईंधन की खपत में कमी आई और सबवे सवारियों की संख्या 6.6% बढ़ी।
शुरुआत में इस योजना से प्रदूषण 11% घटा। लेकिन एक बार जब इस नियम को स्थाई बना दिया गया तो, लोगों ने दूसरे वाहन खरीद लिए, यानी ऑड नंबर वाले कार मालिक ने ईवन नंबर वाली कार ख़रीद ली और इसी तरह ईवन नंबर वाले ने ऑड नंबर वाली। लंबी अवधि में दिन या हफ्ते के दौरान किसी भी घंटे में हवा की गुणवत्ता के स्तर में की सुधार नहीं हुआ। सप्ताहांत और जिन घंटों में ये नियम लागू नहीं होता था उस दौरान प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हुई।
पेरिस में भी 1997 और मार्च 2014 में एक दिन के लिए इसी तरह की बंदिश लगाई गई थी। इस प्रयोग से प्रदूषण के स्तर में कमी आई। बीजिंग ने 2008 के ग्रीष्मकालीन खेलों से पहले अस्थाई तौर पर इस योजना को लागू किया, इससे हवा कुछ साफ हुई और ट्रैफिक जाम से राहत मिली।
साओ पाउलो में, शुरुआत में वायु प्रदूषण घटाने के लिए आपातकालीन कदम के रूप में योजना 1995 में लागू की गई। छह महीने के इस प्रायोगिक परीक्षण में सबसे अधिक भीड़भाड़ वाले समय में प्रदूषण 2% (सुबह) और 5% (शाम) कम हुआ। शुरुआती प्रयोग प्रदूषण, खासकर कार्बनमोनोक्साइड का स्तर घटाने में कामयाब रहा था। रोडिजियो के नाम से जाने जानी वाली इस ऑड-ईवन योजना को 1997 में स्थाई किया गया।
यह लेख मूलतः अंग्रेजी में 30 अप्रैल 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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