कर्नाटक और केरल में ज्यादा बारिश, भविष्य के लिए चेतावनी
18 अगस्त, 2018 को केरल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई दृश्य
मुंबई: 1 जून से 20 अगस्त, 2018 के बीच के 81 दिनों में, 2,378 मिलीमीटर बारिश के बाद केरल अब सबसे खराब मानसून बाढ़ के नुकसान का सामना कर रहा है। इस बाढ़ की वजह से 373 लोगों की मौत हो गई और 1.2 मिलियन से अधिक लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। रिकार्ड के मुताबिक केरल में हुई वर्षा 94 वर्षों में इस अवधि के लिए सामान्य औसत से 42 फीसदी या भारतीय औसत से तीन गुना अधिक है। यह जानकारी भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों से सामने आई है।
Kerala is facing its worst flood in 100 years. 80 dams opened, 324 lives lost and 223139 people are in about 1500+ relief camps. Your help can rebuild the lives of the affected. Donate to https://t.co/FjYFEdOsyl #StandWithKerala.
— CMO Kerala (@CMOKerala) August 17, 2018
जैसा कि इंडियास्पेंड ने पहले बताया है, शहरी और ग्रामीण भारत में चरम मौसम की घटनाओं और परिवर्तनशीलता के साथ बाढ़ की आशंका बढ़ गई है और इसके पीछे जलवायु परिवर्तन और खराब योजना जिम्मेदार है। केरल में, मानसून आम तौर पर कम हो गया है, और यही वजह है कि इस तरह के क्रूर मानसून के लिए राज्य तैयार नहीं था, जैसा कि आईएमडी के अधिकारी ने 21 अगस्त, 2018 को टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया है।
इडुक्की बाढ़ के केंद्र था, जहां 51 लोगों की मृत्यु हुई है। इडुक्की ने केरल में सबसे ज्यादा बारिश और इन 81 दिनों में किसी भी भारतीय जिले की तुलना में दूसरी सबसे ज्यादा बारिश-3,521 मिमी- दर्ज की है।यह सामान्य से 93 फीसदी ज्यादा है, जैसा कि आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है। इस अवधि में, भारत में सबसे ज्यादा बारिश कर्नाटक के उडुपी जिले (3,663 मिमी) में दर्ज की गई है, जो यह सामान्य से 18 फीसदी ज्यादा थी।
9 अगस्त से 15 अगस्त, 2018 के बीच, कर्नाटक में कोडगु जिला को 64 वर्षों में भारी बारिश का सामना करना पड़ा है, जो कि सामान्य से 290 फीसदी ज्यादा है। यह आंकड़े आईएमडी से मिले हैं। यहां भयंकर बाढ़ के कारण 12 लोगों की मौत हुई है।
9 अगस्त और 15 अगस्त, 2018 के बीच केरल में 255 फीसदी अतिरिक्त या उससे अधिक सामान्य वर्षा -98.4 मिमी- हुई है, यानी उस अवधि के लिए भारत के औसत से पांच गुना अधिक, जबकि कर्नाटक में इसी अवधि में सामान्य से 80 फीसदी से अधिक-50.3 मिमी- वर्षा हुई है, जो भारत के औसत से 54 फीसदी ज्यादा है, जैसा कि आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है।
केरल में, 14 जिलों में 776 गांवों में बाढ़ आ गई थी, जिसमें 1,398 घर ‘पूरी तरह से क्षतिग्रस्त’ और 20,148 ‘आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त’ हो गए।
भारत में वर्षा, कर्नाटक और केरल, 1 जून से 20 अगस्त, 2018
Source: India Meteorological Department
वर्ष 1924 में, 21 दिनों में केरल में 3,368 मिमी बारिश हुई थी। ऐसा लगता है कि 2018 में 81 दिनों में 2,378 मिमी हुई बारिश की तुलना में तब बहुत अधिक बारिश हुई थी। हालांकि नवीनतम बाढ़ और जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और बाढ़ के मैदानों और पर्वत की चोटी पर मानवीय हस्तक्षेप के बीच कोई प्रत्यक्ष लिंक नहीं है।
हालांकि, बेहद तीव्र और अधिक अनिश्चित वर्षा के साथ भारत में हालिया बाढ़ के लिए जलवायु परिवर्तन काफी हद तक जिम्मेदार है।
भारी वर्षा, अधिक अनिश्चित वर्षा
पिछले 100 वर्षों में शहरी भारत में 100 मिमी से अधिक बारिश की घटनाओं में वृद्धि हुई है।1900 के दशक से 100, 150 और 200 मिमी से अधिक बारिश की घटनाएं और हाल के दशकों में बढ़ती विविधता की प्रवृत्ति बढ़ी है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 29 अगस्त, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।
19 मार्च, 2018 को राज्यसभा को प्रस्तुत केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, विश्व स्तर पर, बाढ़ और भारी बारिश के चलते होने वाली मौतों में भारत की पांचवी हिस्सेदारी है। 1953 और 2017 के बीच, 64 वर्षों में, देश भर में 107,487 लोगों की मौत हुई है। फसलों, घरों और सार्वजनिक उपयोगिताओं को नुकसान की लागत 365,860 करोड़ रुपये थी ( या या भारत के मौजूदा सकल घरेलू उत्पाद का 3 फीसदी ), जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है।
आंकड़ों के मुताबिक, औसतन, बाढ़ से हर साल 1,600 से ज्यादा लोग मारे जाते हैं। हर साल बाढ से लगभग 32 मिलियन लोगों का जीवन बाधित होता है। हर साल 9 2,000 से अधिक मवेशी खो जाते हैं, सात मिलियन हेक्टेयर जमीन ( केरल के आकार का दोगुना ) प्रभावित होते हैं और लगभग 5,600 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
पत्रिका ‘साइंस एडवांस’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, भारत 2040 तक गंभीर बाढ़ के खतरे के संपर्क में आने वाली आबादी में छह गुना वृद्धि देख सकता है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 10 फरवरी, 2018 को रिपोर्ट में बताया है और 2018 विश्व बैंक के अध्ययन ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन 2050 तक भारत की आबादी के आधे हिस्से के जीवन स्तर के मानकों को कम कर सकता है।
मध्य भारत में मानसून प्रणाली के मूल में अत्यधिक बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं और मध्यम वर्षा घट रही है ( स्थानीय और विश्व मौसम में जटिल परिवर्तनों के एक हिस्से के रूप में ), जैसा कि भारतीय और वैश्विक अध्ययन के समूह पर इंडियास्पेंड द्वारा की गई समीक्षा से पता चलता है।
इस तरह के भारी बारिश और बाढ़ के कारण होने वाली क्षति तेज हो गई है, जैसा कि हमने कहा, खराब योजना इसका कारण है। सरकार ने मार्च 2018 को राज्यसभा को दिए एक जवाब में कहा है, "बाढ़ के मुख्य कारणों को कम अवधि में उच्च तीव्रता वर्षा, खराब या अपर्याप्त जल निकासी क्षमता, अनियोजित जलाशय विनियमन और बाढ़ नियंत्रण संरचनाओं की विफलता के रूप में चिह्नित किया गया है।"
वर्ष 1951 के बाद से, जुलाई और अगस्त के शीर्ष मानसून के मौसम के दौरान औसत वर्षा में गिरावट हुई है, लेकिन इन महीनों के दौरान बारिश की विविधता में वृद्धि हुई है। कर्नाटक के साक्ष्य बताते हैं कि जल-प्रलय अब अधिक मारक होते हैं और सूखा अधिक बार होता है।
दक्षिणी मालनाद जिलों में अगस्त की वर्षा ने 4 मीटर से अधिक भूजल के स्तर को बढ़ाया है, पश्चिम और उत्तर के अन्य जिलों ने सूखे के तीन साल के परिणाम के रुप में इसी तरह की गिरावट की सूचना दी है।
कर्नाटक में अगस्त का जलप्रलय
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 1 जून से 20 अगस्त, 2018 के बीच के मानसून के दौरान कोडागु, चिकमगलुरु, दक्षिणी कन्नड़ और उडुपी जिलों में बाढ़ के बावजूद कर्नाटक में 634 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से अधिक 3 फीसदी से अधिक (615 मिमी) नहीं है। लेकिन इस अवधि के लिए यह वर्षा भारत के औसत से 9 फीसदी ज्यादा है।
जैसा कि हमने कहा, 81 दिनों में उडुपी के तटीय जिले में, 2018 के लिए भारत की सबसे ज्यादा वर्षा, 3,663 मिमी या सामान्य (3,108 मिमी) से 18 फीसदी अधिक दर्ज की गई है। 9 अगस्त से 15 अगस्त, 2018 के बीच, उडुपी को 640 मिमी, यानी सामान्य से 16 फीसदी ज्यादा बारिश प्राप्त हुई है। इसके बाद कोडागु (508.2 मिमी) और दक्षिणी कन्नड़ (465 मिमी) का स्थान रहा है।
कर्नाटक में कम से कम 161 लोगों की मौत की सूचना मिली है, कोडागु में 12 लोगों की जान जाने की सूचना मिली है, जैसा कि 20 अगस्त, 2018 को जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति से पता चलता है। 14 अगस्त, 2018 को, भारी बारिश और हवा के कारण उडुपी में लगभग 64 घर क्षतिग्रस्त हुए, अगर दूसरी तरह से देखें तो करीब 35.8 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
कोडागु में सबसे अधिक बाढ़ से क्षति हुई है। वहां 9 अगस्त और 15 अगस्त, 2018 के बीच सामान्य (130.3 मिमी) की तुलना में 290 फीसदी से अधिक बारिश दर्ज की गई।
Rescue operations are continuing at rain affected areas in #Kodagu and other districts. Airlifting of the people stranded in affected areas will begin tomorrow morning. #KarnatakaRains #KodaguFloods pic.twitter.com/Cx41XNuc0b
— CM of Karnataka (@CMofKarnataka) August 17, 2018
Though the intensity of rain has reduced, rainfall remained unabated. The joint
rescue operation continues. The teams are reaching out interior villages and
evacuating people. #KodaguFloods pic.twitter.com/52UNRotmoV
— NDMA India (@ndmaindia) August 19, 2018
जिला अनुसार, कर्नाटक और केरल में बारिश, 9 अगस्त से 15, 2018
Source: India Meteorological Department
इडुक्की सबसे ज्यादा प्रभावित, तिरुवनंतपुरम में सबसे ज्यादा बारिश
9 से 11 अगस्त, 2018 के बीच इडुक्की में 679 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो 438 फीसदी या सामान्य से चार गुना अधिक है, लेकिन राजधानी तिरुवनंतपुरम में 617 फीसदी या सामान्य से छह गुना अधिक बारिश दर्ज की गई, जो किसी भी केरल जिले में सबसे ज्यादा है।
अगस्त 2018 के पहले 20 दिनों में, 87 वर्षों में केरल में पूरे महीने के लिए सबसे ज्यादा बारिश हुई है। साथ ही इडुक्की जिले में एक महीने में उच्चतम वर्षा के लिए 111 साल के रिकॉर्ड भी तोड़ा है, जैसा कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने 21 अगस्त, 2018 की रिपोर्ट में बताया है।
9 अगस्त और 15 अगस्त, 2018 के बीच, त्रिशूर में सबसे कम बारिश हुई है, वास्तविक रूप में 180.3 मिमी, यानी सामान्य से 76 फीसदी ज्यादा।
(मल्लापुर विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 22 अगस्त, 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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