कर्नाटक में 100 यौन हमले मामले में से केवल 1 को मिली सजा
नए साल की पूर्व संध्या पर बेंगलुरू में महिलाओं के साथ हुए यौन हमले के खिलाफ लोगों का गुस्सा और तब भड़क गया, जब कम्मनहल्ली पर हुई पूरी घटना के एक हिस्से का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। Firstpost में इस रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना के सिलसिले में मुख्य आरोपी की पहचान की गई है और घटना से जुड़े चार अन्य को गिरफ्तार किया गया है।
नए साल की पूर्व संध्या पर बेंगलुरू में महिलाओं के साथ हुए यौन हमलों से देश भर में आक्रोश उत्पन्न हुआ है, लेकिन यहां सबसे अहम बात यह है कि इनमें से ज्यादातर मामलों का अंत सजा के साथ नहीं होता है: राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015 में, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (शील भंग करने के इरादे से महिला पर हमला) के तहत कर्नाटक में दर्ज किए गए 100 मामलों में से एक से अधिक मामले का अंत सजा के रुप में नहीं हुआ है। राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज किए गए 10 मामलों में से 1 का निपटारा सजा के रुप में हुआ है। ये आंकड़े निश्चित रुप से कर्नाटक की तुलना में 10 गुना बेहतर है।
लोगों का आक्रोश और बढ़ गया, जब उसी रात बैंगलोर की सड़क पर कुछ लड़कों द्वारा एक लड़की को जबरदस्ती पकड़ कर उसके साथ बद्तमीजी करने का वीडियो वायरल हुआ।
Extremely disappointed & hurt at the Bengaluru #MassMolestation.
Someone's Dress is not a Yes.
This & many other such incidents need to stop pic.twitter.com/VDvud0fjm9
— Virender Sehwag (@virendersehwag) January 5, 2017
This pic is so relevant in today's world where women are judged always. #massmolestation pic.twitter.com/regrGvZBCm
— Arshi (@Nakuulholic) January 5, 2017
वर्ष 2015 में, धारा 354 के तहत दर्ज किए गए 5112 मामलों में से केवल 69 (1.3 फीसदी ) मामलों का निपटारा सजा के रुप में हुआ है। इन मामलों में गिरफ्तार हुए 9,118 लोगों में से केवल 107 (1.2 फीसदी) को दोषी ठहराया गया है।
कर्नाटक में धारा 354 के तहत दोषी करार अभियुक्त, 2011-15
Source: National Crime Records Bureau
देश भर में यौन उत्पीड़न के 82,422 मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें से 8,408 (10 फीसदी) मामलों का निपटारा सजा के रुप में हुआ है। इन मामलों में गिरफ्तार किए गए 101,571 लोगों में से 11,342 (11 फीसदी) दोषी करार दिए गए हैं।
हालांकि, इस धारा के तहत दर्ज मामलों की संख्या में 92 फीसदी की वृद्धि हुई है। दर्ज मामलों की संख्या वर्ष 2011 में 42,968 से बढ़कर 2015 में 82,422 हुए हैं। लेकिन सजा की दरें वर्ष 2011 में 16 फीसदी थी। वर्ष 2015 में गिरकर 10 फीसदी हुआ है।
वर्ष 2015 में, यौन उत्पीड़न की सबसे ज्यादा मामले लगभग11,713, महाराष्ट्र में दर्ज हुए हैं। 8,049 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश और 7,885 के साथ तीसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश रहा है।
धारा 354: चार वर्षों में दोष साबित दर 16 फीसदी से गिरकर 11 फीसदी
Source: National Crime Records Bureau; *Read as cases registered for 'incidents', and persons arrested for 'persons'
दर्ज हो रहे मामलों में वृद्धि का कारण वर्ष 2012 में दिल्ली में एक छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बाद कानूनों में हुए परिवर्तन के साथ जोड़कर देखा जा सकता है। हम बता दें कि इस घटना को निर्भया कांड नाम दिया गया था और घटना के खिलाफ लोगों के भारी आक्रोश के बाद कानून और कड़े किए गए थे।
धारा 509 के मामलों के लिए सजा दरों में ¼ गिरावट
वर्ष 2015 में, आईपीसी की धारा 509 (महिलाओं के शील भंग करना) के तहत भारत में 8685 मामले दर्ज हुए हैं जिसमें से 870 (10 फीसदी) से ज्यादा को सजा नहीं हुई है। इन आंकड़ों में वर्ष 2011 में 43 फीसदी दोषसिद्धि की दर से 33 प्रतिशत अंक की गिरावट हुई है।
इस धारा के तहत, देश भर में 9870 गिरफ्तारियां हुई हैं, जिसमें से 1,108 को यानी मात्र 11 फीसदी को दोषी ठहराया गया है।
धारा 509: चार वर्षों में दोषसिद्धि दर 43 फीसदी से गिरकर 10 फीसदी
Source: National Crime Records Bureau; *Read as cases registered for 'incidents', and persons arrested for 'persons'
वर्ष 2015 में, कर्नाटक में धारा 509 के तहत 154 मामले दर्ज हुए ,जिनमें से सात से अधिक को सजा नहीं मिली है। साफ है कि सिर्फ 5 फीसदी को सजा मिली।
कर्नाटक में, धारा 509 के तहत दोषी करार अभियुक्त, 2011-15
Source: National Crime Records Bureau
(साहा स्वतंत्र पत्रकार हैं। वह ससेक्स विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज़ संकाय से वर्ष 2016-17 के लिए जेंडर एवं डिवलपमेंट के लिए एमए के अभ्यर्थी हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 05 जनवरी 17 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। हमसे respond@indiaspend.org पर संपर्क किया जा सकता है। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार रखते हैं।
__________________________________________________________________
"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :