यह रिपोर्ट मुख्य रुप से वीडियो वालंटियर्स के सामाजिक पत्रकार एवं कार्यकर्ताद्वारा तैयार की गई है। गोड्डा में रहने वाली यह महिला कई महिलाओं में से एक है जो ज़िले के विरल स्वास्थ्य सुविधाओं को झेल रही है। गौरतलब है कि मातृ एवं शिशु देखभाल मामले में झारखंड के गोड्डा ज़िले का स्थान सबसे नीचे है। गोड्डा में केवल 18.6 फीसदी महिलाओं ने संस्थागत प्रसव का चुनाव किया है एवं केवल 23.4 फीसदी माताओं को जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। जेएसवाई पिछले एक दशक से मातृत्व सुरक्षा के लिए चलाया गया कार्यक्रम है। इस विडियो में एक 24 वर्ष की गर्भवती महिला तो स्वास्थ्य केंद्र में दिखाया गया है। गर्भवती महिला को चिकित्सा सहायता के लिए न केवल वहां छह घंटे इंतज़ार करना पड़ता है बल्कि सरकार द्वारा नि:शुल्क मिलने वाली पोषण एवं दवाईयों तक नहीं दी जाती । साथ ही प्रसव के लिए 400 रुपए भी लिए जाते हैं। गौरतलब है कि जेएसवाई कार्यक्रम के तहत देश भर में गर्भवती महिलाओं को सरकार द्वारा नि:शुल्क पोषण एवं दवाईयों एवं फ्री प्रसव की गारंटी प्रदान की जाती है। गोड्डा में लगभग 40.3 फीसदी माताओं को प्रसवोत्तर देखभाल प्राप्त नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर, शिशु मृत्यु दर (पांच वर्ष से कम ) के मामले में , गोड्डा नीचे से पांचवें स्थान पर है।

इस हफ्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने भारत को मातृ एवं नवजात शिशु टिटनेस मुक्त देश घोषित किया है। झारखंड के पूर्वी राज्य में मातृ स्वास्थ्य की स्थिति अब भी गर्भवति महिलाओं एवं नवजात शिशुओं की माताओं की बदहाल स्थिति की ओर इशारा करती है।

नरेंद्र मोदी ने हाल ही में संपन्न हुए 24 देशों की कॉल टू एक्शन समिट में यह घोषणा की है। इस सम्मेलन में झारखंड के पूर्वी राज्य सहित विश्व स्तर वालेउच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में मातृ एवं शिशु मृत्यु को कम करने के उपायों पर चर्चा की गई।

वर्ष 2000 में अस्तित्व में आने के बाद झारखंड में मातृ मृत्यु दर ( एमएमआर ) या प्रति 100,000 जन्मों पर मातृ मृत्यु में सुधार देखी गई है। वर्ष 2007-09 में दर्ज की गई मातृ मत्यु दर 261 दर्ज की गई थी वहीं बेहतर स्वास्थ्य सेवा कारणों से वर्ष 2011-12 में मातृ मत्यु दर 219 दर्ज की गई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार झारखंड के आंकड़े राष्ट्रीय औसत से 41 प्वाइंट उपर हैं जोकि वर्ष 2011-12 178 दर्ज की गई थी। यह आंकड़े म्यांमार और नेपाल से भी बदतर एवं लाओस और पापुआ और न्यू गिनी के बराबर ही हैं।

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झारखंड के गोड्डा ज़िले के सरकारी अस्पताल में एक 24 वर्ष की गर्भवती महिला। सूरजमणि मरांडी ( बीच में ) नाम की इस महिला को चिकित्सक सहायता के लिए न केवल छह घंटे इंतज़ार करने पड़े बल्कि सरकार की तरह से दी जाने वाली पोषण एवं मुफ्त दवाएं भी नहीं दी गई। यहां तक कि प्रसव एवं शौचालय इस्तेमाल करने के लिए भी सूरजमणि के पैसे भी देने पड़े।

देश के आठ राज्यों की पहचान ईंपावर्ड एक्शन ग्रूप ( ईएजी ) के रुप में की गई है। इस ईएजी समूह में झारखंड सहित बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, ओडिसा एवं छत्तीसगढ़ शामिल हैं। केंद्र सरकार द्वारा देश के उन आठ राज्यों को शामिल किया गया जो 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या को सीमित करने में नाकाम रहे हैं।

झारखंड में वास्तविक मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य समस्याएं तब सामने आती हैं जब हम राज्य के स्वास्थ्य संकेतकों को दूसरे ईएजी राज्यों जैसे छत्तीसगढ़ एवं बिहार से तुलना करते हैं।

Indicators for Maternal Health in Jharkhand, Bihar and Chhattisgarh, 2011-12
Mothers who received any Antenatal Check- up (%)
CoverageBiharChhattisgarhJharkhand
All areas85.491.860.2
Rural84.991.555.2
Urban90.593.278.3
Delivery conducted by skilled health personnel at home (%)
CoverageBiharChhattisgarhJharkhand
All areas3050.527.4
Rural29.649.526.6
Urban36.157.934.7
Delivery at government institutions (%)
CoverageBiharChhattisgarhJharkhand
All areas39.529.223.6
Rural39.729.223.2
Urban37.229.525.1
Mothers who stayed for less than 24 hours in institution after delivery (%)
CoverageBiharChhattisgarhJharkhand
All areas65.237.941.6
Rural6640.146.9
Urban59.531.631.8
Mothers who received post natal checkup within 1 week of delivery (%)
CoverageBiharChhattisgarhJharkhand
All areas63.875.371.7
Rural62.272.367.8
Urban78.589.486.3
Mothers who did not receive any postnatal check-up (%)
CoverageBiharChhattisgarhJharkhand
All areas19.42226.1
Rural19.924.929.8
Urban14.39.112.7
New borns checked within 24 hours of birth (%)
CoverageBiharChhattisgarhJharkhand
All areas61.965.964.8
Rural60.862.360
Urban72.28282.2
Mothers who used financial assistance for delivery under JSY (%)
CoverageBiharChhattisgarhJharkhand
All areas40.93423.9
Rural41.432.925.5
Urban36.13918
Mothers who used financial assistance for government institutional delivery under JSY (%)
CoverageBiharChhattisgarhJharkhand
All areas91.285.175.9
Rural91.787.380.3
Urban86.175.461.3

Source - Census

झारखंड, सरकारी योजनाएं जैसे जननी सुरक्षा योजना ( जेएसवाई )सहित सभी नौ स्वास्थ्य संकेतकों का पालन करने में पूरी तरह सफल नहीं रहा है।

जेएसवाई योजना पूरी तरह केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित है साथ ही गर्भवती महिलाओं के लिए जेब व्यय की व्यवस्था भी करता है : ग्रामीण महिलाओं को 1,400 रुपए एवं शहरी महिलाओं को 1,000 रुपए दी जाती है।

झारखंड में प्रसवपूर्व देखभाल सुविधा बहुत कम उपलब्ध है। राज्य में यह सुविधा केवल 60 फीसदी महिलाओं तक ही पहुंच पाती है। यदि ईएजी की दूसरे राज्य से तुलना की जाए तोबिहार में यही आंकड़े 85.4 फीसदी है एवं छत्तीसगढ़ के लिए 91.8 फीसदी है।

झारखंड में संस्थागत प्रसव के लिए चुनाव करने वाली महिलाओं की संख्या भी बहुत कम दर्ज की गई है। यदि आंकड़ों पर नज़र डालें तो झारखंड में केवल 23.6 फीसदी महिलाओं ने संस्थागत प्रसव का चुनाव किया है जबकि बिहार में यही आंकड़े 39.5 फीसदी एवं छत्तीसगढ़ में 29.2 फीसदी दर्ज की गई है। शुरुआत में दिखाए गए विडियों से साफ है कि राज्य सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य संस्थाओं में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

यदि स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने वाले लोगों की दृष्टि से देखा जाए तो उनके अनुसार वे अवसामान्य सुविधाओं के साथ काम कर रहे हैं।

वीडियो में अहिल्या देवी की कहानी दिखाई गई है जो झारखंड में एक नर्स / मिडवाइफ है। अहिल्या राज्य के 14 उप-स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति बताती है जिसे धनबाद ज़िले में वह अकेली संभालती हैं। अहिल्या की तरह नर्सों / मिडवाइफ से आठ से अधिक इस तरह के उप केन्द्रों की देखभाल अपेक्षित नहीं है। इन केन्द्रों में केवल मेडिकल स्टाफ की ही कमी नहीं है बल्कि पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है। धनबाद में, जोकि स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में काफी नीचले स्थान पर है, संस्थागत प्रसव कराने वाली महिलाओं की संख्या 13 फीसदी से नीचे है। कम से कम 86 फीसदी महिलाओं को जेएसवाई योजना के तहत मिलने वाला पैसा नहीं दिया गया है।

लक्ष्य एवं वास्तविकता के बीच की खाई

कॉल टू एक्शन सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि किस प्रकार देश संस्थागत प्रसव लक्ष्य में 75 फीसदी तक पहुंच गया है, जोकि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवा सुधार में एक मुख्य कारक है।

लेकिन वीडियो वालंटियर्स समूह द्वारा दिखाए गए रिपोर्ट साफ करता है कि समग्र संख्या पर्याप्त नहीं है : स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण है। यदि बुनियादी ढ़ांचा कमज़ोर है, स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिकल स्टाफ की कमी है, और मरीज़ों के साथ बुरा व्यवहार होने के अलावा यदि उन्हें अपनी जेब से ही भुगतान करना पड़ेतो स्वास्थ्य संस्थान मरीज़ों के लिए अधिक उपयोगी नहीं होंगे।

सभी इलाकों में जेएसवाई का उदेश्य, विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाओं का प्रसव संस्थान में कराने के लिए प्रोत्साहित कराना है जहां स्वास्थ्य सुविधाएं निशुल्क एवं सभी के लिए उपलब्ध हों।

मातृ स्वास्थ्य संकेतकों के आधार पर झारखंड के 24 ज़िलों में से शहरी एवं नीचे के पांच ज़िलों के बीच महत्वपूर्ण भिन्नता है।

Delivery At Government Institutions (%)
DistrictsTotalRuralUrban
Godda18.618.2NA
Bokaro16.311.921.5
Giridih15.515.122.4
Chatra14.913.429.2
Dhanbad139.216.2
Mothers Who Used Financial Assistance For Delivery Under JSY (%)
DistrictsTotalRuralUrban
Godda23.423.3NA
Dhumka18.217.235.7
Chatra16.315.820.3
Giridih1615.818.2
Dhanbad1417.211.2
Bokaro13.315.910.2
Mothers Who Did Not Receive Any Post-Natal checkup (%)
DistrictsTotalRuralUrban
Godda40.341.2NA
PurbiSinghbhum20.428.212.9
Hazaribagh1819.79.9
Bokaro1620.111.1
Kodarma15.815.517.6
Dhanbad12.513.211.8

Source - Census

आमतौर पर जेएसवाई योजना सहित शहरी क्षेत्रों में मातृक सुविधाएं अधिक बेहतर हैं।

( ये लेख वीडियो वालंटियर्स , एक वैश्विक पहल जो वंचित समुदायों को कहानी एवं आंकड़े संग्रहण कौशल प्रदान करता है, एवं इंडियास्पेंड के सहकार्य से प्रस्तुत की गई है। सालवे इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक हैं)

आप वीडियो वालंटियर्स के पूरे प्लेलिस्ट - जो मातृ - स्वास्थ्य सेवाओं का खुलासा करते हैं –यहां देख सकते हैं।

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 29 अगस्त 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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