“काम कर सकती है कांग्रेस आय योजना, लेकिन सामाजिक व्यय पर न हो असर!”
बेंगलुरु: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए घोषित 10 फीसदी आरक्षण, ‘ अमीर लोगों द्वारा हड़प लिया जा सकता है ’, जबकि कांग्रेस पार्टी द्वारा घोषित न्यूनतम आय की गारंटी ‘एक गेम चेंजर’ हो सकती है, बशर्ते कि यह सामाजिक खर्च की लागत पर नहीं आती हो, जो वर्तमान में भारत में बहुत कम है, जैसा कि एक रिसर्च संगठन, ‘द वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब’ की रिपोर्ट में बताया गया है।
भारत में आर्थिक असमानता का रिकॉर्ड उच्च स्तर पर है और अगली सरकार को ‘विकास पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, यह अब तक का मामला रहा है’, इस मुद्दे को गंभीरता से देखना करना होगा, जैसा कि ‘द वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब’ के सह-निदेशक, लुकास चैनसेल ने कहा है। 1980 के दशक के बाद से, भारतीय जनसंख्या के पूरे 50 फीसदी निचले हिस्से की तुलना में (12 फीसदी बनाम 11 फीसदी), टॉप 0.1 फीसदी कमाई करने वालों के पास कुल वृद्धि का उच्च हिस्सा रहा है,जबकि जनसंख्या के 40 फीसदी मध्य वर्ग (29 फीसदी बनाम 23 फीसदी) की तुलना में टॉप 1 फीसदी को कुल वृद्धि का उच्च हिस्सा मिला है, जैसा कि रिपोर्ट में कहा गया है। यह उन वादों की तुलना करता है, जो भाजपा और कांग्रेस ने 2019 के आम चुनावों से पहले गरीबों की मदद के लिए किए हैं। 25 मार्च, 2019 को घोषित कांग्रेस पार्टी की न्यूनतम आय योजना के तहत, सबसे गरीब 20 फीसदी भारतीय परिवारों (जिनकी अनुमानित संख्या 5 करोड़ परिवार या 25 करोड़ लोग हैं) को प्रति माह 6,000 रुपये तक का नकद हस्तांतरण किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी मासिक आय 12,000 रुपये (या 72,000 रुपये प्रति वर्ष) है।
Today is a historic day.. It is on this day that the Congress party launched its final assault on poverty. 5 Crore of the poorest families in India, will receive Rs. 72,000 Per Year#NyayForIndia is our dream & our pledge. The time for change has come.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 25, 2019
बीजेपी सरकार ने जनवरी 2019 में ईडब्ल्यूएस के लिए सामान्य श्रेणी में 10 फीसदी आरक्षण की घोषणा की है। संसद ने संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करने की मंजूरी दी, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 14 जनवरी 2019 को रिपोर्ट किया था।
#ForTheFirstTime ✓ 10 % reservation for the economically weaker sections (EWS) for the general category. ✓ No tax for individual taxpayers with taxable income up to Rs. 5 Lakh. pic.twitter.com/MhhH9bCh8d — BJP (@BJP4India) February 8, 2019काम कर सकती है कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना
चैनसल ने कहा, “कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित न्यूनतम आय एक गेम चेंजर हो सकती है, लेकिन तभी, जब यह सामाजिक खर्चों को कम नहीं करती हो।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साधारण अनुमानों का उपयोग करते हुए, प्रति वर्ष 72,000 रुपये की न्यूनतम आय जीडीपी का लगभग 1.3 फीसदी होगी और 33 फीसदी परिवारों को लाभ होगा। यदि इसे प्रति वर्ष 1 लाख रुपये पर सेट किया जाता है, तो योजना से 48 फीसदी परिवारों को लाभ होगा और सकल घरेलू उत्पाद का 2.6 फीसदी खर्च होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, "किसी भी मामले में, न्यूनतम आय समाज के सबसे गरीब तबके के लिए जीवन स्तर में पर्याप्त सुधार का प्रतिनिधित्व करेगी।"आय और धन के आंकड़ों पर अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि शिक्षा और स्वास्थ्य पर सामाजिक खर्च में सुधार के अलावा न्यूनतम आय होनी ही चाहिए।
ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण ‘एक राजनीतिक स्टंट’ ज्यादाबीजेपी के 10 फीसदी आरक्षण की कसौटी में 8 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले घर, 5 एकड़ से कम कृषि जमीन (तीन फुटबॉल के मैदानों का आकार), आवासीय घर का क्षेत्रफल 1,000 वर्ग फुट से कम और 900 वर्ग फीट से कम आवासीय भूखंड या 1,800 वर्ग फीट से कम (गैर-अधिसूचित नगरपालिका क्षेत्र) शामिल हैं।
आय सीमा अनुसार पात्रता
Source: Tackling Inequality In India Is The 2019 Election Campaign Up To The Challenge? ( World Inequality Lab: March, 2019) Note: 93% of Indian households earn less than Rs 8 lakh a year. This is based on 2020 levels utilising the nominal growth rate.
सीमाओं को देखते हुए, नोट में कहा गया है –
- 93 फीसदी परिवार आय सीमा के आधार पर आरक्षण के पात्र हैं।
- 96 फीसदी परिवार कृषि भूमि के आधार पर योग्य हैं।
- आवासीय घर की दहलीज के नीचे 80 फीसदी परिवार पात्र हैं।
- 900 वर्ग फुट से कम आवासीय भूखंड के साथ शहरी क्षेत्रों में 73 फीसदी आबादी पात्र है।
इसमें कहा गया है, “अकेले आय सीमा के माध्यम से नीचे के 50 फीसदी घरों को लक्षित करके अखिल भारतीय स्तर पर लगभग 200,000 रुपये की सीमा निर्धारित करके प्राप्त किया जा सकता है। ” इसमें आगे कहा गया है कि वर्तमान सीमा "समाज के धनी वर्गों के पक्ष में है", जैसे कि यह ढांचा "सामाजिक न्याय की मांग में सुधार की तुलना में एक राजनीतिक स्टंट के रूप में अधिक दिखाई देता है"। कृषि भूमि क्षेत्र के आधार पर नीचे के 50 फीसदी को बेहतर बनाने के लिए, सीमा को अखिल भारतीय स्तर पर शून्य एकड़ (या बिना कृषि भूमि वाले घरों) में स्थापित किया जाना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में, "सीमा को ग्रामीण क्षेत्रों की कसौटी पर एक आवास के साथ जोड़ा जाना चाहिए और 0.4 एकड़ में स्थापित किया जाना चाहिए।"
आवास मानदंड के आधार पर, निचले 50 फीसदी को लक्षित किया जा सकता है, अगर सीमा आधे से कम हो और ग्रामीण क्षेत्रों में 500 वर्ग फुट और शहरी क्षेत्रों में 200 वर्ग फुट पर सेट हो।
भवन क्षेत्र ‘ भवन मूल्य का खराब प्रतिनिधि है और इसलिए ईडब्ल्यूएस स्थिति के लिए एक खराब प्रॉक्सी,” क्योंकि छोटे भवन क्षेत्र का मतलब कम भवन मूल्य नहीं हो सकता है, खासकर शहरी क्षेत्रों में। संयुक्त संपत्ति का मूल्य (भूमि + भवन) गरीबों के 50 फीसदी घरों को लक्षित करने के लिए लगभग 7 लाख रुपये होना चाहिए, जबकि इस मूल्य के ऊपर के घरों को स्वचालित रूप से आरक्षण लाभ से बाहर रखा जाना चाहिए। 7 लाख रुपये का आंकड़ा 2017 में कीमतों पर आधारित है और विभिन्न धन समूहों में धन में समान वृद्धि को मानता है।
अधिक सामाजिक खर्च, प्रगतिशील कर-निर्धारणअब तक, सामाजिक बदलाव के मुद्दे को राजनीतिक अभियान से काफी हद तक उपेक्षित किया गया है। रिपोर्ट नोटों में कहा गया है कि यह जरूरी है कि भारत स्वास्थ्य और शिक्षा पर अपना खर्च बढ़ाए।
आय, धन और कर डेटा का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट आय और धन पर प्रगतिशील करों के माध्यम से सामाजिक उपायों के प्रगतिशील वित्तपोषण के लिए एक मामला बनाती है। यह "शीर्ष पर असमानता को संबोधित कर सकता है, जबकि नीचे और मध्यम आय समूहों के लिए सामाजिक खर्च का वित्तपोषण करता है", जैसा कि रिपोर्ट में कहा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, "साधारण धारणाओं के तहत, हम पाते हैं कि कुल धन का 2.5 फीसदी से अधिक संपत्ति वाले परिवारों पर 2 फीसदी कर (जो कि शीर्ष 0.1% परिवारों का है), 2.3 ट्रिलियन या सकल घरेलू उत्पाद का 1.1 फीसदी होगा, जबकि 99.9 फीसदी घरों में इस तरह के कर का संबंध नहीं होगा।"
2 करोड़ रुपये से अधिक की भूमि और इमारतों पर वैकल्पिक 2 फीसदी कर से 2.6 खरब रुपये (सकल घरेलू उत्पाद का 1.2 फीसदी) प्राप्त होगा, जो केवल 1 फीसदी परिवारों को प्रभावित करेगा।
रिपोर्ट के अनुमान अनुसार, यह जीडीपी के खर्च के लगभग 1.3 फीसदी की भरपाई कर सकता है, जिसका कांग्रेस प्रति वर्ष 72,000 रुपये न्यूनतम आय की गारंटी देता है।
( पलियथ विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं। ) यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 20 मार्च, 2019 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।हम फीडबैक का स्वागत करते हैं। हमसे respond@indiaspend.org पर संपर्क किया जा सकता है। हम भाषा और व्याकरण के लिए प्रतिक्रियाओं को संपादित करने का अधिकार रखते हैं।
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