कृषि और सरकारी खर्च से आर्थिक वृद्धि दर को सहारा
मुंबई के एक औद्योगिक क्षेत्र में एक छोटी निर्माण इकाई में काम करता हुआ एक मैकेनिक। जनवरी-मार्च 2017 की तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था की गति धीमी हुई है। हालांकि, वित्त मंत्री अरुण जेटली यह मानने से इंकार करते हैं कि इस स्थिति के लिए मूल्य के आधार पर भारत की 86 फीसदी मुद्रा को वापस लेने की भी कोई भूमिका है।
सरकार के नवीनतम आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण के मुताबिक, पिछले वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च, 2017) में सरकार द्वारा रिकार्ड खर्च और कृषि में सकारात्मक प्रतिक्रिया की वजह से देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर 5.6 फीसदी से नीचे नहीं गई।
सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में 17 फीसदी की वृद्धि हुई है। पिछली तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर, 2016 )में ये आंकड़े 6.7 फीसदी थे। इसके साथ ही कृषि विकास 1.5 फीसदी के मुकाबले 5.2 फीसदी हुआ है। हालांकि, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह मानने से इंकार किया है कि इस स्थिति के लिए मूल्य के आधार पर भारत की 86 फीसदी मुद्रा को वापस लेने के फैसले की कोई भूमिका है। हम बता दें कि 8 नंवबर 2016 को देश की 86 फीसदी मुद्रा को अमान्य घोषित कर दिया गया था।
निर्माण, वित्त और व्यापार में मंदी के कारण भारत में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं पर- सकल मूल्य जोड़ यानी जीवीए –के मूल्यांकन में गंभीर गिरावट आई। नतीजा यह हुआ कि दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप भारत अपने स्थान से पिछड़ा है।
जनवरी-मार्च 2017 तिमाही के लिए जीडीए 5.6 फीसदी तक गिरा है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, ये आंकड़े अक्टूबर-दिसंबर 2016 की तिमाही में 6.7 फीसदी और जनवरी-मार्च 2016 तिमाही में 8.7 फीसदी थे।
भारत की मंदी से विकास प्रभावित
Source: Ministry of Statistics and Programme Implementation
वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में निर्माण में मंदी देखी गई है । वर्ष 2015-16 की चौथी तिमाही में 6% की वृद्धि के मुकाबले यह क्षेत्र 3.7 तक संकुचित हुआ है। हांलाकि, कृषि के बाद निर्माण सबसे बड़ा नियोक्ता है। यह जीवीए में लगभग 8 फीसदी तक का योगदान देता है। कृषि, विनिर्माण, वित्त और सरकारी खर्च मिला कर लगभग 65 फीसदी बनाते हैं।
सेक्टर अनुसार सकल मूल्य में प्रत्येक तिमाही बढ़ोतरी
Quarter-Wise Growth In Gross Value Added, By Sector | ||||||||
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Industry | 2015-16 | 2016-17 | ||||||
Q1 | Q2 | Q3 | Q4 | Q1 | Q2 | Q3 | Q4 | |
Agriculture | 2.4 | 2.3 | -2.1 | 1.5 | 2.5 | 4.1 | 6.9 | 5.2 |
Mining | 8.3 | 12.2 | 11.7 | 10.5 | -0.9 | -1.3 | 1.9 | 6.4 |
Manufacturing | 8.2 | 9.3 | 13.2 | 12.7 | 10.7 | 7.7 | 8.2 | 5.3 |
Utilities | 2.8 | 5.7 | 4 | 7.6 | 10.3 | 5.1 | 7.4 | 6.1 |
Construction | 6.2 | 1.6 | 6 | 6 | 3.1 | 4.3 | 3.4 | -3.7 |
Trade | 10.3 | 8.3 | 10.1 | 12.8 | 8.9 | 7.7 | 8.3 | 6.5 |
Financial | 10.1 | 13 | 10.5 | 9 | 9.4 | 7 | 3.3 | 2.2 |
Public Administration | 6.2 | 7.2 | 7.5 | 6.7 | 8.6 | 9.5 | 10.3 | 17 |
Source: Ministry of Statistics and Programme Implementation
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी यानी सब्सिडी हटा कर जीवीए के साथ अप्रत्यक्ष कर ) में वर्ष 2016-17 के लिए 7.1 फीसदी वृद्धि देखी गई है, जबकि पिछले वर्ष इस संबंध में आंकड़े 8 फीसदी थे।
5 वर्षों में विकास का उतार-चढ़ाव
Source: Ministry of Statistics and Programme Implementation
01 जून 2017 को मिंट के इस विश्लेषण में स्तंभकार मानस चक्रवर्ती लिखते हैं, “ हेडलाइन विकास संख्या बताने से ज्यादा छिपाता है। ”
चक्रवर्ती आगे लिखते हैं, “अगर हम 'लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाएं' छोड़ देते हैं, तो जीवीए का घटक, जिसमें मुख्य रूप से सरकारी व्यय शामिल हैं, चौथी तिमाही में विकास दर 4.1 फीसदी तक कम हो जाती है।”
वह आगे कहते हैं, “स्पष्ट रूप से, सरकारी कर्मचारियों के वेतन वृद्धि से अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। और अगर हम सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं के साथ-साथ कृषि को छोड़ देते हैं तो स्थिर कीमतों पर अर्थव्यवस्था के बाकी हिस्सों में वृद्धि चौथी तिमाही के लिए 3.8 फीसदी तक कम हो जाती है।”
01 जून, 2017 को फर्स्टपोस्ट रिपोर्ट के इस मुताबिक, वित्त मंत्री अरुण जेटली कहते हैं, “जीडीपी में योगदान करने वाले कई कारक हैं। नोटबंदी होने से पहले भी अन्य कारकों का विकास पर भी प्रभाव पड़ा है। ”
Many factors can contribute to GDP in a quarter, some slowdown visible given global, domestic situation even before #demonetisation: Jaitley pic.twitter.com/NVt3wCD4AX
— NDTV (@ndtv) 1 June 2017
जीडीपी / जीवीए की संख्याओं पर कुछ प्रतिक्रियाएं-
This is a broad-based economic slowdown, cutting across sectors. Indicative of overall govt ineptness. Are we headed for a bigger disaster? pic.twitter.com/yHHONbSJ1v
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) 1 June 2017
Falling #GDP.Rising #unemployment.Every other issue is manufactured to distract us from this fundamental failurehttps://t.co/Hoq1UF6Uou
— Office of RG (@OfficeOfRG) 1 June 2017
Falling GDP. Rising unemployment. Every other issue is manufactured to distract us from this (GDP) fundamental failure: Rahul Gandhi pic.twitter.com/6u22COOI2N
— ANI (@ANI_news) 1 June 2017
Big takeaway from GDP data is collapse of construction Jan-March 2017.Fell 3.9% vs growth of ~6% in same period last year #DeMonetisation
— Sunil Jain (@thesuniljain) 31 May 2017
Sorry To disappoint you Mam
But the fact is India's GDP grew at 7.1 percent in Fy 2016-17 despite #DeMonetisation and remain ahead of China https://t.co/JbqrEZoRO1
— Rishi Bagree 🇮🇳 (@rishibagree) 31 May 2017
तो, क्या नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है? इसका जवाब मिलना बाकी है।
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 01 जून 2017 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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