कैसे महिलाओं को चुनाव से बाहर रखती है दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए दिल्ली चुनाव अभियान में प्रमुख भूमिका निभा रही किरण बेदी और तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकी शीला दीक्षित को देख कर लगता है कि फ़रवरी 7 को होने वाले चुनावों में महिलाओं की एक महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
लेकिन आंकड़े दर्शाते हैं कि महिला उम्मीदवारों का प्रतिशत 2008 के चुनावों के दौरान 10.2% से गिर कर आगामी चुनावो में 9.4% हो गया है ।
महिलाऐं शहर की 16.8 मिलियन की आबादी का 46.4% हिस्सा हैं, फिर भी पिछले दो चुनावों , 2008 और 2013 में, केवल तीन महिला ही विजेता हो सकी
सफलता दर क्रमश: 3.7% और 4.2% रही ।
दिल्ली की सभी पार्टियों में महिला उम्मीदवारों की संख्या 2008 के चुनावो में 81 से कम हो कर 2015 के चुनावों में 63 रह गई है। तीनों मुख्य दलों (भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी) में कुल मिला कर केवल 19 महिला उम्मीदवार हैं, यद्यपि यह पिछले दो चुनावों की तुलना में सबसे अधिक संख्या है।
दिल्ली विधानसभा चुनावों में कम महिला उम्मीदवार, 2008-2015
Source: Election Commission 2008, 2013,*2015 results awaited
आइए अब पार्टी अनुसार महिला उम्मीदवारों की भागीदारी को देखते हैं
पार्टी अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनावों में महिला उम्मीदवार , 2008 -2015
Source: Election Commission
चुनावी परिदृश्य में एएपी के जुड़ने से महिला उम्मीदवारों की संख्या में बढ़त आई है।
कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही महिलाओं की संख्या में 2008 में सात से 2015 में से पांच तक की गिरावट आई है। उनका अनुपात कुल उम्मीदवारों में 10% से 7% तक गिर गया है। इसी अवधि के दौरान भारतीय जनता पार्टी की महिला उम्मीदवारों की संख्या में 4 से 8 तक वृद्धि देखी गई है-5% से 11% तक।
दिल्ली महिला साक्षरता दर के अनुसार देश के सबसे प्रगतिशील राज्यों में से एक है, लेकिन वयस्क लिंग अनुपात, महिलाओं की संख्या हर 1000 पुरुषों के लिए के अनुसार पिछड़ा राज्य है ।
दिल्ली और भारत में लिंग अनुपात, दिल्ली और भारत में महिला साक्षरता दर
Source: Census
2001 में, 53.7% की राष्ट्रीय औसत की तुलना में , 74.7% दिल्ली की महिलाऐं शिक्षित थी । 2011 में , राष्ट्रीय औसत 64.6% की तुलना में दिल्ली ने अपनी महिला साक्षरता दर 80.8% तक सुधार ली।
लेकिन राज्य हमेशा वयस्क लिंग अनुपात के अनुसार राष्ट्रीय औसत से पीछे रहा है। जहां 2001 में दिल्ली में लिंग अनुपात 821 था, वहीं उसकी तुलना में राष्ट्रीय औसत 933 रहा , यह 2011में राष्ट्रीय औसत 943 की तुलना में मामूली सुधार के साथ केवल 868 हो गया ।
हालाँकि 2008 में कुल उम्मीदवारों में से 10% महिला थीं , वहीं 2013 में अनुपात 9.6% तक गिर गया था।
इंडिया स्पेंड की पिछली रिपोर्ट में पाया गया कि साक्षर (शिक्षित)महिलाएँ चुनावों में नहीं खड़ी होती हैं ।
महिला मतदान में 2008 में 56% से 2013 में 65% तक वृद्धि हुई । यह आंकड़ा हमारी उस रिपोर्ट से मेल खाता है जिसमे बताया गया था कि , साक्षर महिलाएं अधिक सक्रिय मतदाता होती हैं भले ही वह अधिकतर चुनाव लड़ने के लिए नहीं खड़ी होती हैं ।
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