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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में भारत की विकास दर चीन से आगे निकल जाएगी। एशिया के दो अहम देशों के बीच का अंतर भविष्य में काफी कम हो जाएगा।

ग्राफ-1 भारत और चीन के विकास दर के आंकड़े 1980-2019 (जीडीपी अरब डॉलर में क्रय क्षमता के आधार पर)

Source: IMF;*Figures for FY 2015-2019 are projections

भारत और चीन पिछले कुछ वर्षों में अलग-अलग तरह के ग्रोथ पैटर्न रखते हैं। इसकी प्रमुख वजह चीन में आर्थिक उदारीकरण की शुरूआत साल 1970 के शुरूआत में डेंग जिआंगपिंग के कार्याकल में शुरू हुई थी। वहीं भारत में इसकी शुरूआत साल 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंम्हा राव के कार्यकाल में हुई थी।

हम यह देख सकते हैं कि 1980 के दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था की चीन की अर्थव्यवस्था की तुलना में बड़ी थी। लेकिन साल 1986 में चीन की अर्थव्यवस्था ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पार कर लिया था। उस समय चीन की अर्थव्यवस्था 710 अरब डॉलर की थी, जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था 698 अरब डॉलर थी। उस दौर चीन की अर्थव्यवस्था तेजी से विकास कर रही थी, जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज विकास दर की रफ्तार थम रही थी। चीन भारत की तुलना में कहीं तेजी से विकास कर रहा था।

ऐसे में भले ही आईएमएफ के अनुमानों के अनुसार चीन की विकास दर भारत से पिछड़ जाएगी, लेकिन जीडीपी की तुलना में भारत को चीन की बराबरी करने के लिए कम से कम 2032 तक इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे में हम भले ही चीन की तुलना में विकास दर में तेजी से खुश हो जाएं, लेकिन वास्तविकता यह है कि जीडीपी के आधार पर हमें अभी चीन को पछाड़ने में लंबा इंतजार करना पड़ेगा।

चित्र साभार- पीआईबी

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