क्यों दिल्ली के प्रदूषकों को प्रदूषण के लिए करनी चाहिए भरपाई
लाइसेंस प्लेट नंबर का इस्तेमाल कर जनवरी महीने में दिल्ली की सड़कों पर भीड़ कम करने का प्रयास (और इसके कारण होने वाले वायु प्रदूषण को कम करना) सफल रहा था : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की तुलना में, 15 दिनों के दौरान दिल्ली पर भीड़ और वायु प्रदूषण दोनों ही कम दर्ज की गई है। यह बात सरकारी एवं इंडियास्पेंड मॉनिटर आंकड़ों का इस्तेमाल कर एक नये अध्ययन में सामने आई है।
लेकिन अप्रैल के लिए तय की गए नये सम-विषम प्रयोग के साथ क्या यह मानना चाहिए कि लाइसेंस प्लेट को सीमित करने से दिल्ली की सड़कों पर भीड़ कम होगी?
अल्पावधि में इसका जवाब, ना है। और यह स्पष्ट नहीं है कि कार्यक्रम के विस्तार से - स्थायी रुप से सम-विषम प्रतिबंध लागू करने पर – लंबे समय के लिए दिल्ली की सड़कों से भीड़ और वायु-प्रदूषण कम हो पाएगा।
Also, the second phase should be sans the exemptions for two-wheelers also...let everyone be an active participant. #Delhi #OddEven
— Aakash Chopra (@cricketaakash) February 11, 2016
Whoa! Arvind Kejriwal claims that 81 percent respondents said odd-even formula should be brought back! 63 % said it should be permanent! — rama lakshmi (@RamaNewDelhi) February 11, 2016
मोटर वाहन अधिनियम के तहत अधिकृत सम-विषम लाइसेंस प्लेट योजना वायु प्रदूषण नियमन का उद्हारण है जो कड़े नियम और रोक पर निर्भर है। इसके विपरीत, विकसित दुनिया में सबसे प्रभावी प्रदूषण नियम इस सिद्धांत पर आधारित होता है कि प्रदूषण फैलाने वालों को ही इसकी भरपाई करनी चाहिए।
#OddEven survey shows ppl r ready to self regulate. @ArvindKejriwal's governance is about involving ppl, not imposing ideas on them.
— Deepak Bajpai (@BajpaiDeepak) February 11, 2016
प्रदूषण फैलाने वाले ही भरपाई करेंगे, इस सिद्धांत के अनुसार, प्रदूषण से नुकसान होता है और कब एवं कहां कितना प्रदूषण हुआ है, इस पर होने वाला नुकसान निर्भर करता है। परिणामस्वरुप, दंड और रोक भी इसी अनुसार होना चाहिए। यह सम-विषम प्रतिबंध से मेल नहीं खाता है। सम-विषम के अनुसार लोगों को कुछ दिन गाड़ी चलाने की मनाही है और यदि वह यह नियम तोड़ते हैं तो दंड के तौर पर साधारण जुर्माना भरना पड़ता है। यह नियम व्यक्तिगत लचीलापन की अनुमति देने में विफल दिखाई पड़ता है (एक बड़े अपवाद को छोड़ कर) जिसका दंड, प्रदूषण की गंभीरता के साथ नहीं बंधा है।
Mr. @ArvindKejriwal, I've never been a big fan of the #oddeven, but kindly do not exempt 2 wheelers and ladies this time around. — Keshav Sharma (@sharmakeshav7) February 11, 2016
@ndtv AAP and @arvindkejriwal shld ponder odd even and women safety b4 deciding on exemptions for next round. Women safety big issue
— harinder baweja (@shammybaweja) February 11, 2016
10 वर्षों से अधिक से लंदन, सिंगापुर का भरोसा है कंजेशन टैक्स पर
कंजेशन टैक्स, लाइसेंस प्लेट प्रतिबंध की तुलना में एक अच्छा विकल्प प्रदान करता है।
लाइसेंस प्लेट प्रतिबंध की बजाए अधिकतम ट्रैफिक के अवधि के दौरान कार चालकों के निर्धारित क्षेत्र में प्रवेश करने पर शुल्क लगाया जाता है। इस तरह के कर को “प्लयूटर्स पेज़” (प्रदूषक की भरपाई) कहा जाता है जो कि लंबी अवधि के दौरान वायु प्रदूषण को कम करने के संबंध में सफल पाया गया है (ज़्यदातर लंदन और सिंगापुर में सफल देखा गया है जहां दस वर्षों से अधिक से कंजेशन टैक्स लगाया जाता है)।
लंदन में, सभी वाहनों के शहरी क्षेत्र में प्रवेश करने पर एक कर के रुप में वर्ष 2003 में कंजेशन टैक्स पेश किया गया था। कार्य-दिवस के दौरन, सुबह 7 बजे से लेकर शाम के 6 बजे तक वाहन चालक जितनी बार निर्धारित क्षेत्र में प्रवेश करते हैं उतनी बार उन्हें £11.50 का भुगतान करना पड़ता है।
प्रवेश करने वाले वाहनों की डेटाबेस में पंजीकृत वाहनों से तुलना द्वारा प्रवर्तन किया जाता है। लंदन का अनुमान है कि कंजेशन शुल्क से ट्रैफिक में 20 फीसदी की कमी हुई है एवं यात्रा गति में 17 फीसदी की वृद्धि हुई है। साथ ही वायु प्रदूषण में 16 फीसदी की गिरावट भी हुई है।
सिंगापुर ने भी सफलतापूर्वक कंजेशन टैक्स लागू किया है; शहरी क्षेत्रों में यात्रा की दूरी के आधार पर वाहन चालकों पर शुल्क लागाया जाता है। यह नियम लागू करने के बाद 1998 से ट्रैफिक में 24 फीसदी की कमी हुई है। स्टॉकहोम में एक कर लागू किया गया है जो कि दिन के समय यात्रा के आधार पर भिन्न होता है। और दिल्ली के लिए यह विशेष रूप से प्रासंगिक है : तेहरान के शहरी क्षेत्र में भी कंजेशन टैक्स सफलतापूर्वक लगाया गया है जिससे स्पष्ट होता है कि यह योजनाएं विकसित दुनिया के बाहर नियोजित किया जा सकता है।
कंजेशन टैक्स के पीछे का विचार सरल है। दिल्ली की सड़कों पर कार चलाने से उसके आसपास के सभी लोगों को नुकसान पहुंचता है। यह नुकसान सड़क के ट्रैफिक पर निर्भर करता है जोकि दिन और दिन के समय के हिसाब से भिन्न होता है। फिलहाल, वाहन चालक, हो रहे किसी भी नुकसान की भरपाई सीधे तरीके से नहीं करते हैं – सड़कों का उपयोग अनिवार्य रुप से नि:शुल्क है। परिणामस्वरुप, दिल्ली की सड़कों का अत्यधिक इस्तेमाल हो रहा है।
कंजेशन टैक्स, वाहन चालकों को उनके द्वारा होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए दबाव बनाता है। स्टॉकहोम से तेहरान तक के अनुभव से पता चलता है कि सड़कों का उपयोग मुफ्त नहीं रह पाएगा एवं सड़क स्पेस का मांग में गिरावट होगी।
बाहरी लागत में अंतर के लिए अलग-अलग दिनों में अलग-अलग समय पर कंजेशन टैक्स भिन्न हो सकता है। और यह वाहन चालकों को, एक निर्धारित समय पर ही गाड़ी चलाने की स्वतंत्रता देने की बजाए, उनको सबसे उपयुक्त समय पर वाहन चलाने की स्वतंत्रता की अनुमति प्रदान करता है।
कंजेशन मूल्य निर्धारण से नियमों में कम गतिरोध की संभावना
इसके विपरीत, लाइसेंस प्लेट प्रतिबंध लोगों को निर्धारित दिनों पर ही गाड़ी चलाने की अनुमति देता है। कंजेशन टैक्स गाड़ी चलाने की मनाही नहीं करता है लेकिन फिर भी भीड़ कम होती है। यदि किसी दिन वाहन चालक के लिए गाड़ी अति महत्वपूर्ण है तो कंजेशन टैक्स उसे गाड़ी चलाने से मना नहीं करता है।
इस लचीलेपन के कारण, नियमों में कम गतिरोध होने की संभावना है। उद्हारण के लिए, लंदन में, शहरों में वाहनों के प्रवेश में 2 फीसदी कमी के साथ लगातार उल्लंघन देखा गया (जिसमें प्रवर्तन में नंबर प्लेट के साथ छेड़छाड़ होना शामिल है)।
दूसरी तरफ, बीजिंग और साओ पाउलो, जहां नंबर प्लेट प्रतिबंध लागू किया गया है, के अनुभव से पता चलता है कि लागू किए गए प्रतिबंध से शहर में कारों की खरीद में कमी नहीं हुई है। इसके अलावा, मैक्सिको सिटी में लागू किए गए लाइसेंस प्लेट प्रतिबंध कार्यक्रम से पता चलता है कि नियमों से बचने के लिए नागरिकों ने कई अन्य कारें खरीदी हैं। मेक्सिको सिटी में, नई कारों की तुलना में दूसरी कारे कम कार्यकुशल थी, इसलिए योजना का कुछ खास प्रभाव नहीं देखने मिला है। शहर की सड़कों पर होने वाली भीड़ में थोड़ी कमी या न के बराबर कमी देखी गई है – और वास्तव में वायु प्रदूषण की स्थिति और बद्तर हुई है।
जबकि दिल्ली में हुए सम-विषम प्रयोग से 10-13 फीसदी तक उत्सर्जन कम करने में सफल रहा है एवं औसत गति में 5.4 फीसदी की वृद्धि हुई है। लेकिन यदि नागरिक नियम से बचने के लिए अतिरिक्त कारें खरीदते हैं तो लंबी अवधि में यह प्रभाव नहीं दिखेगा।
वाहन चलाने वालों को भुगतान करना चाहिए
दिल्ली में वायु प्रदूषण एवं भीड़ असमाधेय समस्या नहीं है। लेकिन व्यवहार्य समाधान लंबे समय के लिए टिकाऊ होना चाहिए। लाइसेंस प्लेट प्रतिबंध से, व्यवहार में परिवर्तन होने की बजाए ऐतिहासिक रुप से वाहन चालकों में अतिरिक्त कारें खरीदने के लिए प्रोत्साहन देखा गया है। दूसरी तरफ, प्रदूषकों को उनके द्वारा फैलाए गए प्रदूषण के लिए भुगतान करने का दबाव बनाना, एक नीति तंत्र है जिससे दुनिया के कई स्थानों में सफलतापूर्वक प्रदूषण कम हुआ है।
गाड़ी चलाने से सबसे अधिक नुकसान दिल्ली में रहने वालो को होता है। जो गाड़ी चलाने का चयन करते हैं उन्हें ही इस होने वाले नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।
इंडियास्पेंड ने पहले ही बताया है कि वाहन से होने वाले प्रदूषण एक बड़ी समस्या का हिस्सा है। जब तक कि अन्य स्रोतों से फैलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने की ओर कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक सम-विषम जैसी योजनाएं दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
दिल्ली में वायु-प्रदूषण के मुख्य स्रोत
Chart by Eric Dodge in this story.
लाइसेंस प्लेट प्रतिबंध की तुलना में कंजेशन टैक्स लाभदायक है : इससे राजस्व मिलता है जो अधिक कुशल सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क का निर्माण करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। उन नेटवर्क से भीड़ कम करने में सहायता मिल सकती है।
लाइसेंस प्लेट प्रतिबंध के साथ, दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने का प्रयास एक पहला महत्वकांक्षी कदम था। लेकिन इसकी सफलता से गति पूंजीकृत किया जाना चाहिए और कंजेशन मूल्य निर्धारण की एक ऐसी ही प्रयास की जानी चाहिए। हालांकि यह स्पष्ट है कि कंजेशन मूल्य निर्धारण द्वारा दुनिया भर के शहरों में सफलतापूर्वक भीड़ और वायु प्रदूषण को कम किया गया है, लेकिन दिल्ली की बात अलग है। यहां कंजेशन मूल्य निर्धारण को लागू करने के लिए विशिष्ट चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
विशेष रूप से, लाइसेंस प्लेट प्रतिबंधों के साथ कंजेशन मूल्य निर्धारण का प्रवर्तन करना एक चुनौती होगी। शहर के चारों ओर महत्वपूर्ण स्थानों पर भुगतान के सबूत के रुप में वाहनों का दृश्य निरीक्षण एवं एवं अब कैमरे द्वारा निरीक्षण करने के साथ तेहरान ने इन चुनौतियों को सफलतापूर्वक पार किया है। सिंगापुर में, वाहनों में रेडियो ट्रांसमीटर द्वारा निरीक्षण किया जाता है। दिल्ली अपने स्वयं के समाधान का विकास कर सकता है।
कंजेशन मूल्य निर्धारण का प्रयोग करने से इस समस्या से उबरने के लिए जानकारी के साथ कंजेशन मूल्य निर्धारण लागू करने में अन्य चुनौतियों के संबंध में भी जानकारी प्राप्त हो पाएगी। प्रदूषण को रोकने के प्रयोगों के दायरे के विस्तार से स्थानीय साक्ष्य के आधार पर नीति निर्माताओं को दिल्ली के लिए बेहतर समाधान ढूंढने में मदद मिल पाएगी।
(बेहरर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र हैं। इन्होंने दिल्ली में ट्रैफिक कंजेशन पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एविडेंस फॉर पॉलिसी डिजाइन ग्रूप के साथ काम किया है।)
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 12 फरवरी 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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