Kharghar_hills

दुनिया के इस छठे सबसे बड़े शहर में जहाँ की आबादी लगभग 21 लाख है , और घनत्व 32,300 व्यक्ति प्रति वर्ग है और जहां प्रतिदिन औसतन 909 लोग शहर में अपनी किस्मत आज़माने आते हैं , यह कोई आश्चर्य नहीं है कि वहाँ अचल संपत्ति की कीमतें आसमान छू रही हैं । यह भी एक गंभीर वास्तविकता है की आगे यह स्थिति और बदतर होती जाएगी ।

सन 1950 से अब तक मुंबई की आबादी में 889% की वृद्धि हुई है और वर्ष 2030 तक , मुंबई अनुमानित 27.7 मिलियन आबादी के साथ दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शहर बनने के लिए तैयार है , और जैसे जैसे सिमित जगह पर अधिकार की स्पर्द्धा बढ़ेगी, घर किराए और आवास की लागत में और वृद्धि हो सकती है।

भारत के कई शहरों में आवास बाजार लम्बी अवधि निवेशकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र रहा है, लेकिन भारत में सकल किराये से आय अभी भी बहुत कम है अत: भारत में किराए पर देने के लिए अपार्टमेंट खरीदने की अपेक्षा उन्हें पुनः बेच देने के लिए खरीदना अधिक उचित लगता है ।

मुंबई में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है - किराए पर घरों के लिए ज्यादा मांग तो है, लेकिन इस तरह के अपार्टमेंट की संख्या कम होने के कारण कीमतों बहुत ऊँची हैं । मुंबई फर्स्ट / मैकिन्से रिपोर्ट के अनुसार मेगापोलिस में किराए पर आवास लेने की लागत,इसके प्रति व्यक्ति आय का 140 प्रतिशत भाग हैं।

मुख्यधारा आवासीय किराए में वृद्धि (2008 के बाद)

आवास और शहरी गरीबी उपशमन 2013-13 मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुमान अनुसार, भारत में आवास की 18,78 मिलियन इकाइयों की कमी है ; जिनमें से अनुमानित 96% आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए उपलब्ध आवास इकाइयों में है। महाराष्ट्र का स्थान ,जिसकी राजधानी मुंबई में ही 1.94 मिलियन या कुल आवास में 10.31% की कमी है , अपनी ही आबादी के लिए अपर्याप्त आवास उपलब्धि वाले राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है।

आर्थिक श्रेणी के अनुसार अपर्याप्त आवासीय विश्लेषण (2012 में)

आर्थिक श्रेणी के अनुसार अपर्याप्त आवासीय विश्लेषण (in %)

कुल आवासों के % रूप में सामाजिक किराया आवास

सामाजिक आवास में सार्वजनिक क्षेत्र और आवास संघ का शेयर ( अंश/भाग /हिस्सेदारी )

साविल की 'वर्ल्ड सिटीज रिव्यु एच 2 2013’ के अनुसार, 2008 के बाद से हालाँकि मुंबई के मुख्यधारा आवासीय किराए में 27% की वृद्धि आई है , लेकिन इसमें यह तथ्य कोई मदद नही करता कि भारत में आवासीय किराये बाजार अभी भी आरम्भिक और अनौपचारिक अवस्था में हैं।

मुंबई नगर विकास योजना 2005-2025 के अनुसार,दुनिया भर के बड़े शहरों में उपलब्ध 40-50% की तुलना में मुंबई में केवल 5-10% आवास ही किराए के लिए उपलब्ध हैं । "किराये के मकान के लिए भारत में कोई बाजार नही है," ऐसा आशुतोष लिमये,अनुसंधान एवं रइआईएस (जेएलएल ) जोन्स लैंग लासेल एक अचल संपत्ति सेवाओं और निवेश प्रबंधन कंपनी में प्रमुख, का कहना है, वो आगे कहते हैं कि , " यहां सभी माध्यमिक बाजारों के लिए स्थान है -जहां एक खरीदार घर खरीद कर उसे बेच देता है "।

"मुंबई जैसे बाजार में पूंजी लाभ इतना अधिक हैं कि एक अंतिम उपयोगकर्ता किराए पर देने के लिए नही केवल लाभ के लिए एक घर खरीदना चाहता है । निवेशक किराए पर देने की अपेक्षा मूल्य वृद्धि से लाभ कमाने के लिए अपार्टमेंट बेचने में अधिक खुश हैं "लिमये कहते हैं ।

साविल की ‘वर्ल्ड सिटीज रिव्यु एच 2, 2013' के अनुसार दुनिया के सभी शहरों में आवासीय आय की तुलना में न्यूयॉर्क में 6.2% की मजबूत सकल आवासीय आय है जबकि मुंबई मुंबई में अप्रभावी 3.4% है । वास्तव में, 10 साल में भारतीय सरकारी बॉन्ड से बेहतर रिटर्न मिलेगी।

आवासीय किराए और 10 साल से अधिक अवधि के भारतीय सरकारी बॉन्ड के बीच तुलना की जाए तो , आवासीय किराए से अर्जित आय 4.2% कम होगी । यह दर्शाता है कि कैसे मुंबई में किरायों ने मूलधन मूल्यों के साथ तालमेल नहीं रखा है। और, साविल के अनुसार, मुंबई का आवासीय किराया बाजार फ़िलहाल निवेशकों में रूचि या ना ही मूलधन में बढ़त को प्रभावित सकता है।

यह चार तरीके मुंबई में किराया आवास की स्थिति में सुधार और किरायों की गगनचुम्बीलागत नीचे लाने के लिए सफल हो सकते हैं ।

  1. स्लम और औद्योगिक पुनर्विकास

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झुग्गी पुनर्विकास और औद्योगिक पुनर्विकास को बढ़ावा देने से किफायती आवास के निर्माण के लिए भूमि मुक्त हो सकती है । प्रॉप इक्विटी, अचल संपत्ति अनुसंधान और विश्लेषण कंपनी के संस्थापक और सीईओ समीर जसूजा ,के अनुसार "शहर में आवासीय विकास के लिए प्रयोग करने योग्य भूमि खंड का अभाव एक बाधा है और झुग्गी पुनर्विकास और औद्योगिक पुनर्विकास मध्यम अवधि में आंशिक रूप से किराए कम करने में मदद कर सकते हैं" ।

अब एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के रूप में अक्सर वर्णित धारावी, की ओर देखें । शहर के मुख्य अचल संपत्ति बाजार के बीचों बीच 239 हेक्टेयर, या 590.5 एकड़ जमीन पर बसा हुआ - आवासीय मुद्दों से भरे शहर में एक अप्रत्याशित लाभ ।

  1. विकास को अधिक बढ़ावा देना

विकास अधिकार हस्तांतरण (टीडीआर) के अनुसार, भूमि स्वामी द्वारा समर्पित क्षेत्र की एवज में एक निश्चित अतिरिक्त क्षेत्र दिया जाता है , ताकि वे इसका इस्तेमाल कर सके या सहमति अनुसार उचित कीमत पर किसी और के नाम पर उसका हस्तांतरण कर सकें।

यदि विचार करें तो टीडीआर और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई)( निर्माण घनत्व का माप जो कि कुल भूखंड क्षेत्र से इमारत के फर्श क्षेत्र का अनुपात होता है ) जो डेवलपर द्वारा एमसीजीएम से अतिरिक्त प्रीमियम पर खरीदा जाता है तो मुंबई की एफएसआई सीमित है और 0.75 के निम्न स्तर पर है । जसूजा कहते हैं , यह अत्यधिक प्रतिबंधात्मक है और इसी से कीमतें बढ़ रही है। जसूजा के अनुसार मौजूदा और उभरते और मौजूदा आवासीय बाजारों के लिए एफएसआई के मानकीकरण और जमीन कवरेज मानदंडों से किराए कम करने में मदद मिलेगी।

यह ध्यान देने वाली बात है कि हालाँकि राज्य सरकार की किराया आवास योजना 2007 ने निजी डेवलपर्स के लिए एफएसआई चार गुना तो की जिन्होंने लगभग कम आय वाले परिवारों के लिए 160 वर्ग फुट आवासों का निर्माण किया परन्तु , यह योजना बाद में विफल हो गई थी। पिछले साल नवंबर में इस योजना को मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने संशोधित किया था -इस योजना में भाग लेने वाले डेवलपर्स एक की जगह तीन एफएसआई के पात्र रहेंगे । संशोधित किया गया था। पर इसका प्रभाव भी बहुत सिमित रहा है।

जेएलएल के लिमये ने कहा कि मुंबई में आवासीय किराये से प्राप्त आय अभी भी बहुत कम है। लिमये आगे कहते हैं कि जबकि वाणिज्यिक किराए, संपत्ति के मूल्य की 10% से 15% तक मूल्य वापसी देते हैं , और आवासीय किराया केवल 2% मूल्य वापसी प्रदान करते हैं। "इतनी कम मूल्य वापसी होने के कारण कोई भी अपार्टमेंट या बिल्डिंग सिर्फ किराए पर देने के नज़रिए से खरीदने के बारे में नही सोचता है " ।

3. उपनगरों के लिए बेहतर परिवहन

मुंबई की लोकल रेलवे ओवरलोडेड है, सीमित सम्पर्क प्रदान करती है और एक बढ़ते विराट नगर की ज़रूरतें पूरी नही कर सकती। यदि मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम जैसे कि मेट्रो, के माध्यम से उपनगरों से आवाजाही के सम्पर्क बढ़ा दिए जाएँ तो और अधिक लोग महानगरीय क्षेत्र की परिधि के चारों ओर कम किराये वाले कस्बों में रह सकते हैं। जसूजा ने कहा "इस तरह से शहर के बुनियादी ढांचे की समर्थन प्रणाली में सुधार होने से, जैसे पानी और सीवेज , कम किराए आवास बाजार वाले स्थानों में रहने की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है " और इस तरह से शहर पर बोझ को कम किया जा सकता है ।

  1. डेवलपर्स को प्रोत्साहित कर कम लागत के आवास को बढ़ावा देना

मुंबई की प्रथम / मैकिन्से रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में मौजूदा 140% प्रति व्यक्ति आवास किराया आय को 50% तक कम करने की जरूरत है। यह तभी हो जब सरकार किफायती आवास के निर्माण की एवज़ में डेवलपर्स को अधिक वाणिज्यिक विकास अधिकार प्रदान करे।

"नासिक और पुणे जैसे शहरों और मुंबई के आसपास के इलाकों में उद्योगों का स्थानांतरण भी जनसंख्या पर पड़े दबाव को कम करेगा और आवासीय परियोजनाओं / टाउनशिप में पुनर्विकास के लिए भूमि को मुक्त करेगा," जसूजा ने कहा।

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