गुजरात, महाराष्ट्र में लड़कियों की संख्या में गिरावट
आनंद, गुजरात में एक अल्ट्रासाउंड परीक्षण के बाद एक गर्भवती माँ । ये निदान तकनीक अक्सर एक अजन्मे बच्चे का लिंग निर्धारण करने के लिए अवैध रूप से इस्तेमाल किए जा रहे हैं
- गुजरात और महाराष्ट्र में सोनोग्राफी केंद्रों के निरीक्षण में 73 फीसदी एवं 55 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
- इन दोनों राज्यों में शिशु लिंग अनुपात ( छह वर्ष से कम 1,000 लड़को के प्रति लड़कियों की संख्या )भी सबसे कम पाई गई है। खास कर पिछड़े जिले जैसे कि महाराष्ट्र के मराठावाड़ा क्षेत्र के बीड जिले में यह आकंड़े807एवं गुजरात के सूरत जिले में 831 दर्ज किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर शिशु के लिंग अनुपात का औसत 914 है।
- महाराष्ट्र में बाल विवाह मामले के 603 दर्ज मामलों में से अब तक केवल 23 केस पर फैसला सुनाया गया है। साल 2013-14 के 580 मामले भी अब तक लंबित हैं।
- गुजरात में बाल विवाह अधिनियम निषेध के तहत 569 मामले दर्ज होने के बावजूद अब तक किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
केन्द्र सरकार के लेखा परीक्षक , भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India,कैग) के ताजा रिपोर्ट के अनुसार लड़कियों की रक्षा के लिए चलाए गए तमाम कानूनों और योजनाओं का बावजूद भारत में दो सबसे आर्थिक रुप से विकसित राज्य, गुजरात एवं महाराष्ट्र में लड़कियों की संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।
दोनो राज्य गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम ( पीसी औरपीएनटी ) को लागू करने में विफल रहे हैं। यह अधिनियम गर्भ धारण करने के बाद लिंग चयन पर प्रतिबंध लगाता है। साथ ही कन्या भ्रूण हत्या में इस्तेमाल लिंग निर्धारण के दुरुपयोग को रोकने केनिदान तकनीक को नियंत्रित भी करता है।
Inspections Conducted Under The PC & PNDT Act | ||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
Year | Maharashtra | Gujarat | ||||||
No. of sono- graphy centres | No. of inspec- tions to be done | No. of inspec- tions done | Shortfall % | No. of sono- graphy centres | No. of inspec- tions to be done | No. of inspec- tions done | Shortfall % | |
2011-12 | 8161 | 32644 | 18725 | 43 | 1409 | 2818 | 735 | 74 |
2012-13 | 8579 | 34316 | 24496 | 29 | 1541 | 3082 | 784 | 75 |
2013-14 | 9015 | 36060 | 16273 | 55 | 1648 | 3296 | 899 | 73 |
Source: CAG reports for Gujarat and Maharashtra
केवल कागजो तक सीमित हैं कानून
कानून के अनुसार बच्चियों की रक्षा के लिए राज्य स्तर पर एक पर्यवेक्षी बोर्ड बनाई जानी चाहिए। साथ ही एक सलाहकार समिति भी संगठित होनी चाहिए जिसमें एक अध्यक्ष या परिवार कल्याण के संयुक्त निदेशक के पद से ऊपर एक अधिकारी नियुक्त होना चाहिए। समिति में महिला संगठनों के प्रतिनिधियों और कानून विभाग के अधिकारी भी शामिल किए जाने चाहिए ताकि राज्य में बच्चियों के लिए काम सुचारु ढ़गं से चल सके।
अधिनियम के तहत जिला स्तर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी या सिविल सर्जन को उपयुक्त अधिकार दिए जाने चाहिए।
यह अधिकारी कन्या उन सोनोग्राफी केंद्रों पर कड़ी निगरानी रख सकते हैं जहां लिंग जांच के बाद कन्या भ्रूण की हत्या कर दी जाती है।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार साल 2013-14 में महाराष्ट्र में सोनोग्राफी केंद्रो के निरीक्षण में 55 फीसद कमी दर्ज की गई है। साल 2011-12 में कैग ने यह आंकड़े 43 फीसदी दर्ज किए थे। अमरावति में यह आकंड़े सबसे अधिक, 54 फीसदी देखी गई थी।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013-14 में गुजरात में यह आकंड़े 73 फीसदी से अधिक हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, “संयुक्त सचिव , स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने कहा है कि सतर्कतापूर्वक कागजी कार्यवाही, सबूत एकत्र और उपस्थित करने एवं पीसी और पीएनडीटी मामलों के मजबूत सिफ़ारिश के माध्यम से राज्य सरकार ने पूरे विश्वास के साथ इस दर में वृद्धि करने का आश्वासन दियाहै”।
2014 मार्च तक महाराष्ट्र में पीसी और पीएनडीटी एक्ट के तहत 481 मामले दर्ज किए गए हैं।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक पीएनडीटी एक्ट के तहत ही गुजरात में मार्च 2014 तक 181 मामले दर्ज हुए थे, जिनमे से केवल 49 मामलों पर मुकदमा चलाया गया। 49 मामलों में से भी केवल छह अपराधियों को दोषी ठहराया गया। सजा के तौर पर कारावास, लाइसेंस का रद्द होना और जुर्माना तय किया।
यह छह मामले भी एक साल से बारह साल तक चले जबकि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश अनुसार किसी भी मामले पर छह महीने के भीतर मुकदमा चल जाना चाहिए। यह साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन है।
कैग रिपोर्ट कहती है कि इन राज्यों में पीसी एवं पीएनडीटी एक्ट का ठीक प्रकार से लागू न हो पाना ही शिशु लिंग अनुपात में गिरावट का कारण बन रहा है।
Low Child Sex-Ratios, Top Five Districts | |||
---|---|---|---|
Maharashtra | Gujarat | ||
Districts | Sex Ratio, 2011 | Districts | Sex Ratio, 2011 |
Beed | 807 | Surat | 831 |
Jalgaon | 842 | Vadodara | 865 |
Ahmednagar | 852 | Gandhinagar | 888 |
Buldhana | 855 | Ahmednagar | 889 |
Aurangabad | 858 | Rajkot | 891 |
Source: CAG reports for Gujarat and Maharashtra
मराठावाड़ के बीड ज़िले में शिशु लिंग अनुपात सबसे कम दर्ज की गई है। बीड में प्रत्येक 1,000 लड़कों पर 807 लड़कियों का अनुपात देखा गया है। बीड के बाद कम शिशु लिंग अनुपात में उत्तर महाराष्ट्र के जलगांव के खानदेश ज़िले में पाया गया है।
गुजरात में सबसे कम शिशु लिंग अनुपात वाला शहर सूरत है। यहां प्रत्येक 1,000 लड़कों पर 831 लड़कियां दर्ज की गई हैं। गुजरात में, सूरत के बाद, सबसे कम शिशु लिंग अनुपात वाला शहर गांधीनगर दर्ज किया गया है।
एक तरफ जहां साल 2001 से 2011 के बीच महाराष्ट्र के चार ज़िंलो(चंद्रपुर , कोल्हापुर , सांगली और सतारा), में शिशु लिंग अनुपात में वृद्धि देखी गई वहीं दूसरी ओर इसी समय में 31 अन्य ज़िलो में गिरावट दर्ज की गई है।
गुजरात एवं महाराष्ट्र छोड़ भारत में स्थिति बेहतर
2011 जनगणना के अनुसार पिछले एक दशक ( 2001-2011) में महाराष्ट्र में समस्त लिंग अनुपात 920 से घट कर 919 हो गया है। हालांकि पूरे देश में इस अनुपात में सुधार हुआ है। लिंग अनुपात के आकंड़े 933 से बढ़कर 944 दर्ज किए गए हैं।
पिछले एक दशक में गुजरात में लिंग अनुपात में कमी दर्ज हुई है। यह आकंड़े 920 से घट कर 919 दर्ज किए गए। हालांकि 2001 से 2011 के बीच शिशु लिंग अनुपात में कुछ सुधान देखने को ज़रुर मिला है। गुजरात मेंशिशु लिंग अनुपात 883 से बढ़कर 890 दर्ज किए।
एक महत्वपूर्ण बात जो इस रिपोर्ट के ज़रिए सामने आई है कि इन दोनों राज्यों में शिशु लिंग अनुपातग्रामिण इलाको की तुलना में शहरी क्षेत्रों में कम है।
रिपोर्ट कहती है कि शहरी क्षेत्रों में सोनोग्राफी की सुविधा आसानी से उपलब्ध होती है। और शायद लिंग अनुपात गिरने का यही मुख्य कारण है।
रिपोर्ट के अनुसार, “ शहरी क्षेत्रों में आनुवंशिक क्लीनिक की उपलब्धता एवं लिंग निर्धारण तकनीक के उपयोग के बारे में साक्षर लोगों की जागरूकता शहरी क्षेत्रों में शिशु के लिंग अनुपात में गिरावट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है”।
आकंड़ो का ज़िक्र करते हुए रिपोर्ट कहती है कि शहरीभारत में शिशु लिंग अनुपात 902 दर्ज किया गया जबकि ग्रामिण भारत में यह आकंड़े 919 दर्ज किए गए थे।
महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में शिशु लिंग अनुपात के आकंड़े 899 दर्ज किए गए जबकि ग्रामिण क्षेत्रों में यह आकंड़े 890 थे।
वहीं गुजरात में शहरी क्षेत्रों में शिशु लिंग अनुपात 852 दर्ज किए गए जबकि ग्रामिण क्षेत्रों में यह अनुपात 914 का था।
Child Sex-Ratio In Rural-Urban Areas In Gujarat & Maharashtra | ||||
---|---|---|---|---|
Gujarat | Maharashtra | |||
Census year | Rural Areas | Urban Areas | Rural Areas | Urban Areas |
1991 | 937 | 909 | NA | NA |
2001 | 906 | 827 | 916 | 890 |
2011 | 914 | 852 | 908 | 899 |
Source: CAG report for Gujarat
दोनों राज्यों बाल विवाह के मामले नहीं होते दर्ज
रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात और महाराष्ट्र, दोनों राज्यों में बाल विवाह होना आम बात है। यदि 10 से 19 वर्ष के भीतर बच्चों की शादी कर दी जाए तो वह बाल विवाह कहलाता है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि दोनों की राज्यों में बाल विवाह के ज़्यादातर मामले रिपोर्ट नहीं किए जाते।
पूरे भारत में लगभग 17 मिलियन बच्चे ऐसे हैं जनका विवाह 10 से 19 वर्ष के बीच कर दिया जाता है। 1.5 मिलियन बच्चों की संख्या के साथ बाल विवाह के मामले में महाराष्ट्र पांचवे स्थान पर है जबकि 0.9 मिलियन बच्चों के साथ गुजरात सातवें स्थान पर है।
महाराष्ट्र में लगभग 73 फीसदी बच्चे विवाह के बंधन में बंध जाते हैं जबकि गुजरात में बाल विवाह का आकंड़ा 66 फीसदी दर्ज किया गया है।
Pending Cases Of Child Marriage In Maharashtra | |||||
---|---|---|---|---|---|
Year | Pending cases (opening a/c) | New cases | Total | Cases disposed of | Pending cases (closing a/c) |
2008-09 | 0 | 9 | 9 | 5 | 4 |
2009-10 | 4 | 35 | 39 | 10 | 29 |
2010-11 | 29 | 63 | 92 | 7 | 85 |
2011-12 | 85 | 498 | 583 | 8 | 575 |
2012-13 | 575 | 394 | 969 | 524 | 445 |
2013-14 | 445 | 130 | 575 | 73 | 502 |
2014-15 | 502 | 101 | 603 | 23 | 580 |
Source: CAG report for Maharashtra
रिपोर्ट में महाराष्ट्र के बाल विवाह संबंधित लंबित मामलों पर भी प्रकाश डाला गया है।
साल 2014 में, 101 नए मामले दर्ज किए गए थे। साथ ही 23 मामलों में फैला भी सुनाया गया था।
रिपोर्ट में बताया गया कि ग्रामिण क्षेत्रों में बाल विवाह निषेध अधिकारी नियुक्त करने में विलम्ब किया गया जबकि शहरी क्षेत्रों में अधिकारियों की नियुक्ति ही नहीं की गई।
हालांकि बच्चों की संरक्षण के लिए यौन अपराध अधिनियमजून 2012 से ही लागू होने की घोषणा की गई थी लेकिन सरकार ने अब तक इस मामले में किसी भी प्रकार का दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया है जिससे बच्चियों को ट्रायल के दौरान मदद मिल सके।
गुजरात में साल 2009 से 2014 के बीच बाल विवाह संबंधित 659 मामले रिपोर्ट दर्ज किए गए। लेकिन कोर्ट तक केवल 15 मामले ही पहुंच सके,जिनमें से किसी को भी सज़ा नहीं मिली।
गुजरात और महाराष्ट्र: धन मुद्दा नहीं
भारत के सकल घरेलू उत्पाद में गुजरात 7.6 फीसदी का योगदान देती है जबकि महाराष्ट्र का योगदान 14 फीसदी का है।
साल 2013-14 में, (वर्तमान मूल्यों पर ) महाराष्ट्र की प्रति व्यक्ति आय 45.6 फीसदी थी जोकि भारतीयमानदण्ड ( सालाना 117,091 ) के ऊपर है। वहीं गुजरात में प्रति व्यक्ति आय 33 फीसदी के उपर (मौजूदा कीमतों पर सालाना 106,831 ) दर्ज की गई है।भारत की औसत सालाना प्रति व्यक्ति आय (वर्तमान मूल्यों पर) 80,388 रुपये दर्ज की गई है।
साल 2014-15 में महाराष्ट्र में 8.7 फीसदी की वृद्धि हुई है वहीं गुजरात में 8.8 फीसदी की वृद्धी दर्ज की गई है।
(सालवे इंडियास्पेंड के साथ नीति विश्लेषक है )
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 23 जून 2015 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है
"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.org एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :