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सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना ( एस.ई.सी.सी )द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के ग्रामीण इलाकों की 86 मिलियन से भी अधिक जनता निरक्षर है।

साल 2011 में एस.ई.सी.सी ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 315.7 मिलियन लोगों को निरक्षर पाया है। यह आकंड़े साल 2011 के जनगणना आकंड़ो से एवं दुनिया के किसी भी देश में निरक्षरों की संख्या से सबसे अधिक है।

देखा जाए तो एक तरह से ग्रामीण भारत में निरक्षरों की संख्या इंडोनेशिया की पूरी आबादी से भी ज़्यादा है जोकि दुनिया का चौथा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। वहीं पाकिस्तान की जनसंख्या की तुलना में निरक्षर ग्रामीण भारतीयों की संख्या दोगुनी पायी गई है।

पिछले हफ्ते ही सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना द्वारा रिपोर्ट जारी की गई है। एस.ई.सी.सी के सर्वेक्षण में आम जनगणना से भी अधिक लोगों को लिया गया। एस.ई.सी.सी के मुताबिक देश के ग्रामीण क्षेत्रों की लगभग 35.73 फीसदी जनता निरक्षर है जबकि 2011 जनगणना में यह आकंड़े 32.23 फीसदी दर्ज किए गए थे।

Source: Census 2011, SECC

नए आकंड़ों से ग्रामीण भारत में सक्षरता के निम्न स्तर का भी पता चलता है।

साक्षरलोगों के लिए पढ़ना– लिखना मुश्किल

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की ‘साक्षर’ जनता में से कम से कम 14 फीसदी ( 123 मिलियन ) लोग पांचवी कक्षा तक भी नहीं पढ़े हैं जबकि लगभग 18 फीसदी ( 157 मिलिययन ) लोगों ने या तो प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की है या केवल कक्षा पांच तक पढ़े हैं।

भारत में शिक्षा का स्तर असली ज्ञान को नहीं दर्शाता है। ग्रामीण भारत की 280 मिलियन आबादी केवल नाममात्र की ही साक्षर है।

इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी खास रिपोर्ट में बताया था कि कक्षा III के कुल छात्रों में से केवल एक चौथाई छात्र ही कक्षा II का पाठ ठीक प्रकार से पढ़ सकते हैं। पिछले चार सालों में इन आकंड़ों में 5 फीसदी की और कमी देखी गई है। अगर बात गणित की करें तो कक्षा III के एक चौथाई छात्र 10 से 99 संख्या की पहचान ठीक से नहीं कर पाते। पिछले तीन सालों में इन आकंड़ों में 13 फीसदी की कमी हुई है। यह आंकड़े ग्रामीण भारत की स्कूली शिक्षा पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्था प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन कीASER ( एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट ) ने जारी किए हैं।

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 3 फीसदी ( तीन मिलियन ) लोगों ने स्नातक या उच्च स्तर शिक्षा प्राप्त की है।

Source: SECC; Figures in million

रिपोर्ट के मुताबिक मध्य भारत में निरक्षरता दर सबसे अधिक, 39.20 फीसदी पाया गया है। देश के पूर्वी इलाकों में यह आकंड़े 38.79 फीसदी दर्ज किए गए जबकि पश्चिमि क्षेत्रों में यह आकंड़े 35.15 फीसदी रहे। उत्तर भारत में 32.87 फीसदी, उत्तर पूर्वी इलाकों में 30.2 फीसदी एवं दक्षिण भारत में 29.64 फीसदी दर्ज किए गए हैं।

केंद्र शासित प्रदेशों में शिक्षा दर सबसे बेहतर पाया गया है। इन इलाकों में कुल आबादी की केवल 15 फीसदी जनता निरक्षर पाई गई है।

Source: SECC

राजस्थान में सक्षरता दर का सबसे बुरा प्रदर्शन देखा गया है। राजस्थान में यह आकंड़े 47.58 फीसदी ( 25.88 मिलियन लोग ) दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश की हालत कुछ ठीक नहीं है। यहां यह आकंड़े 44.19 फीसदी ( 22..80 मिलियन लोग ) दर्ज किए गए हैं। इन दो राज्यों के बाद सक्षरता दर कि खराब स्थिति बिहार की है। बिहार में यह आकंड़े 43.85 फीसदी ( 42.89 मिलियन लोग) हैं जबकि तेलंगना में यह आकंड़े 40.42 फीसदी ( 9.5 मिलियन लोग ) है।

Source: SECC

दक्षिण भारत के तेलंगना एवं आंध्रप्रदेश का देश के टॉप दस निरक्षर राज्यों में नाम होना एक चौंकाने वाली बात है।

केंद्र शासित प्रदेशों में दादरा एवं नागर हवेली में निरक्षरता दर सबसे अधिक, 36.29 फीसदी दर्ज की गई है।

( यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 07 जुलाई 15 को indiapend.com पर प्रकाशित हुआ है। )

Image Credit: Flickr/Premasagar

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