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चुनावी वर्ष में, बिहार –जो देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य जनसँख्या की दृष्टि से है और सबसे गरीब राज्यों में से एक- को दिल्ली से मिलने वाली सहायता राशि में 42% की कटौती और कर्ज के दुगने होने कि स्थिति में– आर्थिक– सदमें के दौर से गुजरना पड़ रहा है |

इन परिस्थितियों में भी बिहार ने -104 मिलियन लोगों की जनसँख्या और औसत प्रति व्यक्ति सालाना आय (वर्तमान में) 33,954 ($565 ) है- सेंट्रल अफ्रीकन गणराज्य की आय ($547) से थोड़ा अधिक- बिहार सरकार ने वर्ष 2015 के अंत में निर्धारित विधानसभा चुनाव से पहले एक जनहितकारी बजट प्रस्तुत किया, जिसमें नए या बढ़े कर नहीं लगाये गए |

जबकि बिहार में आने वाला कुल राजस्व- धन का आधे से भी अधिक दिल्ली से आता हो – ऐसे में यह स्पष्ट है कि बिहार को अपना राजस्व घाटा पूरा करने के लिए बाहर से क़र्ज़ लेना पड़ेगा | उपरोक्त तथ्यों के प्रकाश में, सार्वजनिक कर्ज लेने की राशि सन 2012 -13 (रूपये 9046 करोड़ ) से बढ़ कर लगभग दुगनी रुपये 17,708 करोड़ होने का अनुमान है |

यहाँ स्पष्ट है कि किस प्रकार बिहार- राज्य गतवर्षों में केंद्र से प्राप्त होने वाली धनराशि खो देगा |

देश में वित्तीय विकेंद्रीकरण की नीति लागू होने से पहले– बिहार – यूनियन – टैक्स – पूल से पाने वाला (लगभग 10.9 %) – देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य था |

१४वें वित्तीय – कमीशन के प्रस्तावित – प्राविधानों के बाद – बिहार का शेयर आज भी दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा है, लेकिन तकनीकी तौर पर– धन के बंटवारे के तरीके बदल जाने के कारण इस राशि में 9.7% की गिरावट आई हैं|

केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु पिछड़े – क्षेत्रों के लिए निर्धारित धन कोष बैकवर्ड रीजन्स ग्रांट फण्ड (बीआरजीएफ) जिससे की राज्यों के आर्थिक सामाजिक पिछड़े क्षेत्रों को मदद– धन– राशि दी जाती है और अन्य भी योजनायें – संचालित होती हैं, उस राशि को केंद्र ने 42 % तक क़तर कर रुपये 18,170 करोड (2015-16) |

जैसा कि indiaspend.org ने पहले ही लिखा था कि केंद्र ने केंद्रीय नीति परिवर्तन के कारण अपनी डायरेक्ट फंडिंग में कटौती की है– राज्यों के संघीय – टैक्स– पूल में हिस्सेदारी बढाकर 32% से 42% कर दिया है |

जब राज्य आर्थिक रूप से पिछड़े हों, ऐसे में दिल्ली से आर्थिक मदद महत्वपूर्ण हो जाती है |

बिहार राज्य के मुख्य तीन राजस्व स्रोत जोकि उसकी दिल्ली पर निर्भरता का संकेत करते हैं, राज्य का 56% राजस्व दिल्ली से निर्गत होता है और बाकी केंद्रीय करों में हिस्सा (41%) और केंद्रीय मदद राशि (15%) केवल (25%) उसके अपने स्वयं के स्रोत से आते हैं |

उपरोक्त की तुलना में ओडिशा राज्य 48% हिस्सा दिल्ली से, राजस्थान को 43% और 46% मध्य प्रदेश को आता है देखा जाये तो ये सभी आर्थिक रूप से पिछड़ी जनता के राज्य हैं |

Category2012-13 Actuals2013-14 Actuals2014-15 Budget Estimate2015-16 Budget Estimate
Revenue Receipts5956768919101939103189
Tax Revenue (a+b)48153547906743881623
(a) State’s share of Central Taxes31900348294177550748
(b) State’s Own Taxes16253199612566330875
State’s own Non tax Revenue1135154530823396
Grants-in-aid from Central Govt.10278125843142018171
Capital Receipts957999221474317725
Recoveries of Loan & Advances25151617
Public Debt955499071472717709
Internal Debt of State904693571287814920
Loans and Advances from GOI50855018492789
Total Receipts6914578841116683120914

Source: Bihar Finance Dept., Figs in Rs crore

कुल राजस्व-धन प्राप्तियां- जिनमें केन्द्रीय-टैक्स- जैसे एक्साइज टैक्स, सेवा टैक्स और राज्य टैक्सस- सेल्स टैक्स और प्रॉपर्टी टैक्स शामिल हैं- ये सब 2012-2013 से 73% बढ़ गए हैं|

बिहार राज्य का राजस्व टैक्स में 20% बढ़ने की उम्मीद है जोकि वर्ष 2014-2015 में रुपये 25,662.9 करोड से रुपये 30,875 करोड सन 2015-16 में हो जाने की उम्मीद है |

राज्य के पिछड़े क्षेत्रों को दी जाने वाली मदद धनराशि क्यों महत्वपूर्ण हैं?

BRGF के माध्यम से दिल्ली ने बिहार राज्य के 38 में से 36 जिलों के बिलों का भुगतान किया था, ये वह धनराशि है – जिसको पटना को अब स्वयं इंतजाम करना पड़ेगा |

हालांकि बिहार ने वर्ष 2015-16 के लिए सरप्लस राजस्व बजट प्रस्तावित किया लेकिन बदले में उसने राज्य को संचालित करने के लिए प्रस्तातिव धन राशि में कटौती की |

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Source: Bihar Finance Dept., Figs in Rs crore

बिहार राज्य की कुल राजस्व प्राप्तियों में 75% राशि की वृद्धि हुई, जोकि रुपये 69,145करोड़ (2012-13) से 120,914 करोड़ हो गया | और राजस्व व्यय 74% बढ गया जो कि रुपये 69,206 करोड़ (2012-2013) से 120 , 685 करोंड़ उसी अंतराल में|

राजस्व व्यय में रुपये 91,208.1 करोड़ से गिरकर 91,765.4 करोड़ अनुमानित है | (पुनः संशोधित एस्टीमेट 2014-15)|

सहायता धनराशि को ऐसे क्षेत्रों से कम करना जिन्हें उसकी बहुत जरुरत है |

बिहार ने सरप्लस बजट को प्रस्तुत करने की प्रक्रिया में सामाजिक सेवाओं में खर्च होने वाली धन राशि से कटौती कर पेश किया, जोकि रुपये 43,620 करोड़ (2014-15) से रुपये करोड़ (38,080) आवंटित थी |

बिहार वर्तमान वित्तीय वर्ष (2015-16) में रुपये 11,980.95 करोड़ का सरप्लस बजट प्रस्तुत करने के लिए उत्सुक है |

राज्य सरकार अपना 19% का वार्षिक बजट शिक्षा क्षेत्र में खर्च करेगी– जोकि लगभग रुपये 10,950 करोड़ होगा | राज्य की साक्षरता का औसत है 63.8%, – राष्ट्रीय औसत 74% कि तुलना में |

स्वास्थ्य क्षेत्र में बिहार काफी पिछड़ा है | बिहार राज्य की शिशु- मृत्यु- दर प्रति हजार पर 42 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 40 है |

जच्चा (जच्चा उम्र 15-49 ) – मृत्यु दर-प्रति 100,000 जच्चा पर 208 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 167 है |

निम्न ग्राफ दर्शाते हैं कि बिहार अपने प्रस्तावित आवंटित / स्वयं जुटाए धन को कैसे खर्च करेगा |

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Source: Bihar Finance Dept., in rupees crore

बिहार के प्रस्तावित बजटीय व्यय पर एक सरसरी निगाह:

* रूपये368 करोड़ – मुख्यमंत्री की विद्यार्थियों को साईकिल देने की योजना में प्रत्येक छात्र रुपये 2,500 प्राप्त करेगा- साईकिल खरीदने के लिए |

* रूपये 171 करोड स्कूल छात्राओं के लिए पुष्टाहार योजना अंतर्गत |

* रुपये 220 करोड़ छात्रवृत्तियों के लिए कक्षा 1से 10 तक के छात्रों हेतु |

* रुपये १,२३१ करोड़ ग्रामीण रोजगारों के लिए योजना महात्मा गाँधी नेशनल रूरल प्रोग्राम गारंटी एक्ट के अन्तरगत |

* 1,708 करोड़ इंदिरा आवास योजना के लिए |

* रूपये 482 करोड़ स्वयं सहायता के लिए आवंटित है|

वर्तमान केंद्रीय सरकार केवल कैपिटल व्यय क्षेत्र के लिए धन देने को तैयार है लेकिन उसकी अन्य केंद्रीय योजनायें जैसे कि सर्वशिक्षा अभियान या युनिवर्सल शिक्षा जैसे कार्यक्रम इनके लिए बिहार को स्वयं संसाधन जुटाने पड़ेंगे|

फोटो क्रेडिट : आईएलआरआई/टीएस, वामसिधर रेड्डी

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