छोटे व्यापारियों के लिए जेटली की योजना
हज़ारों छोटे व्यापारी अब कई अकाउंट और लेखा परीक्षा (ऑडिट) की आवश्यकताओं से मुक्त हो जाएंगे। वित्त मंत्री, अरुण जेटली ने बजट 2015-16 में कारोबार सीमा एक करोड़ रुपए से बढ़ा कर दो करोड़ रुपए कर दिया है।
जेटली ने कहा, "वर्तमान मे करीब 33 लाख छोटे कारोबारी इसका लाभ उठाते है जो उन्हें विस्तृत लेखा खाते और ऑडिट कराने के बोझ से मुक्त रखती है। मैं इस योजना के तहत कारोबार की सीमा दो करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव करता हूँ, जो एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) श्रेणी में बड़ी संख्या में करदाताओं के लिए बड़ी राहत लेकर आएगा।"
आयकर विभाग के बयान के अनुसार, इस प्रक्रिया को प्रकल्पित कराधान योजना कहते हैं, जो एमएसएमई मालिकों को सरल खाते बनाए रखने की अनुमति देता है और ऑडिट की आवश्यकता नहीं होती।
बजट पेश करने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए जेटली ने प्रकल्पित कराधान योजना के कई संदर्भों को दोहराया।
इस सरकारी बयान के अनुसार, एमएसएमई क्षेत्र विनिर्माण उत्पादन में 45 फ़ीसदी, देश के कुल निर्यात में 40 फ़ीसदी का योगदान करता है और देशभर में 29 मिलियन से अधिक इकाइयों में 69 मिलियन लोगों को रोजगार देता है।
वित्त मंत्री ने 5 करोड़ रुपये से कम कारोबार वाले प्रतिष्ठानों के लिए कॉरपोरेट टैक्स भी घटाकर 29 फीसदी (अधिभार और उपकर अतिरिक्त) कर दिया है।
Moving towards a simplified tax regime. #VikasKaBudget pic.twitter.com/JkNKbQKtb7
— PMO India (@PMOIndia) February 29, 2016
मंत्री ने सभी विवादों को हल करने के लिए एक नए विवाद समाधान योजना (डीआरएस) की घोषणा भी की है।
जेटली ने कहा कि परिवर्तन के लिए आवश्यक नौ स्तंभों में से एक कर सुधार है। उन्होंने नौ कर सुधारों की घोषणा की:
a) छोटे करदाताओं के लिए राहत।
b) विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के उपाय।
c) मेक इन इंडिया में सहयोग के लिए घरेलू मूल्यों के संवर्धन को प्रोत्साहन।
d) पेंशन समाज की ओर बढ़ने के लिए उपाय।
e) सस्ते घरों को बढ़ावा देने के लिए उपाय।
f) कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्वच्छ पर्यावरण के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाना।
g) मुकदमेबाजी कम करना और कराधान में निश्चिंतता प्रदान करना।
h) कराधान को सरल और युक्तिसंगत बनाना; और
i) जवाबदेही तय करने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग।
मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन देने के लिए बजट में स्टार्ट अप्स के लिए कुछ निश्चित शर्तों के साथ लाभ पर 100 फ़ीसदी कटौती की पेशकश की गई है। हालाँकि न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) लागू होगा।
अपनी अघोषित आय को 45 फ़ीसदी कर भुगतान के साथ घोषित करने का एक और प्रयास अर्थव्यवस्था के लिए दिलचस्प हो सकता है।
मंत्री ने कहा “मैं घरेलू करदाताओं के लिए सीमित अवधि की अनुपालन विंडो का प्रस्ताव करता हूं ताकि वे अघोषित आय या किसी संपत्ति के रूप में प्रस्तुत आय की घोषणा करने और 30 फ़ीसदी की दर से कर, और 7.5 फ़ीसदी की दर से अधिभार और 7.5 फ़ीसदी की दर से पेनल्टी, जो अघोषित आय की कुल 45 फ़ीसदी बैठता है, का भुगतान कर अपने पहले के कर अतिक्रमण का निपटारा कर लें। आयकर अधिनियम या संपत्ति कर अधिनियम के तहत इन विवरणों में घोषित आय के संबंध में कोई छानबीन अथवा जांच नहीं होगी और घोषणाकर्ता अभियोजन से मुक्त होगा।”
जेटली ने कहा 7.5 फ़ीसदी अधिभार को कृषि कल्याण अधिभार कहा जाएगा, जिसका इस्तेमाल कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “घोषणा के दो महीने के भीतर देय राशि अदा करने के विकल्प के साथ हम 1 जून से 30 सितंबर 2016 से हम इस आय प्रकटीकरण योजना के तहत विंडो खोलना चाहते हैं।”
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 1 मार्च 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है
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