ट्रंप ने दी पाक के फंड में कटौती की धमकी, 5 वर्षों में सुरक्षा सहायता में 62 फीसदी की कमी
‘यूएस कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस’ (सीआरएस) द्वारा जारी आंकड़ों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार पिछले पांच वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी जाने वाली सुरक्षा सहायता में 62 फीसदी कमी हुई है।
यह आंकड़े अमरीका-पाकिस्तान के संबंधों में दूरी का संकेत देते हैं। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि पाकिस्तान ने 33 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अमेरिकी सहायता के बदले ‘झूठ और धोखा’ दिया है। साथ ही आतंकवादियों को ‘सुरक्षित आश्रय’ प्रदान करने की भी बात कही है। ट्रम्प ने ट्वीट किया कि पाकिस्तान को अब अमरीका की सहायता प्रदान नहीं की जाएगी।
The United States has foolishly given Pakistan more than 33 billion dollars in aid over the last 15 years, and they have given us nothing but lies & deceit, thinking of our leaders as fools. They give safe haven to the terrorists we hunt in Afghanistan, with little help. No more!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) January 1, 2018
9/11 की अवधि के बाद, अफगानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व वाली सैन्य हस्तक्षेप में एक क्षेत्रीय सहयोगी के रूप में अपनी भूमिका के कारण, पाकिस्तान सहायता के सबसे बड़े प्राप्तकर्ताओं में से एक के रूप में उभरा था।
पाकिस्तान ने 15 वर्षों में, अमेरिकी सुरक्षा सहायता, आर्थिक सहायता और गठबंधन सहायता फंड (सीएसएफ) के रुप में 32 बिलियन डॉलर से ज्यादा प्राप्त किया है।
पाक के लिए अमरिका सहायता और प्रतिपूर्ति
Source: Congressional Research Service (Figures in $ million)
पाकिस्तान के एबटाबाद में अमरिकी विशेष बल की मई 2011 को अलकायदा के नेता ओसामा बिन-लादेन के मार गिराने वाले छापे के बाद से द्विपक्षीय संबंध में तेजी से बदलाव हुआ है। इसके बाद ही अमरीका आतंकवाद से लड़ने में पाकिस्तान की भूमिका पर आलोचनात्मक ढंग से मुखर हुआ था।
पाकिस्तान को अमेरिकी सुरक्षा सहायता में 62 फीसदी कटौती हुई है -वित्तीय वर्ष 2012 में 849 मिलियन डॉलर से गिरकर वित्तीय वर्ष 2016 में 322 मिलियन डॉलर हुआ है। कुल मिलाकर, एफ -16 के लड़ाकू विमानों, एएच -1 एएफ कोबरा हमले हेलीकॉप्टर और पी -3 सी ओरियन समुद्री गश्ती विमान सहित अमेरिका से हथियारों के हस्तांतरण के रूप में पाकिस्तान को करीब 8 बिलियन डॉलर की सुरक्षा सहायता मिली। 4 मई 2015 की इस सीआरएस रिपोर्ट में ऐसा बताया गया है।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत निक्की हेली ने पुष्टि की है कि ट्रम्प प्रशासन पाकिस्तान के लिए 255 मिलियन डॉलर की सुरक्षा सहायता पर रोक लगा रहा है।
पाकिस्तान के लिए आर्थिक और मानवीय सहायता में 77 फीसदी की गिरावट हुई है, वित्तीय वर्ष 2012 में 1.1 बिलियन डॉलर से वित्तीय वर्ष 2016 में 246 मिलियन डॉलर तक हुआ है।
2002 के बाद से, पाकिस्तान ने अमेरिका से गठबंधन सहायता निधि (सीएसएफ) में 13 बिलियन डॉलर से ज्यादा का प्राप्त किया है। सीआरएस की टिप्पणी में कहा गया है कि, ये पाकिस्तान में ‘अमेरिका के नेतृत्व वाले आतंकवाद विरोधी अभियानों के संचालन और सैन्य समर्थन’ के लिए इस क्षेत्र में प्रतिपूर्ति करने के लिए बनाए गए थे।
पाकिस्तान ने आतंकवाद से प्रभावित उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र के साथ सैनिकों को तैनात करने के लिए इन फंडों का इस्तेमाल किया है, जो अफगानिस्तान की सीमाओं पर है।सीएसएफ फंड ने पाकिस्तान की क्षतिपूर्ति करने के लिए अमेरिकी नेतृत्व वाली गठबंधन सेनाओं को अपने हवाई क्षेत्र और बंदरगाहों को अफगानिस्तान में तैनाती में आपूर्ति और रसद प्रदान करने की अनुमति प्रदान की है।
सीआरएस प्रतिपूर्ति में 20 फीसदी की कमी आई है, वित्तीय वर्ष 2012 में 688 मिलियन डॉलर से गिरकर वित्तीय वर्ष 2016 में 550 मिलियन डॉलर तक हुआ है।
भारत का रूख साफ, अमेरिका-पाकिस्तान के रिश्ते में दरार
भारत दशकों से पाकिस्तान को आतंकवाद के एक राज्य प्रायोजक होने का आरोप लगाता रहा है और भारत ने ट्रम्प के ट्वीट का स्वागत किया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय से राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के अनुसार, " जहां तक आतंकवाद का संबंध है और जहां तक आतंकवाद को बनाए रखने में पाकिस्तान की भूमिका का संबंध है, ट्रम्प प्रशासन के फैसले ने भारत के रुख की सही रूप से पुष्टि की है। एनडीटीवी की 2 जनवरी 2018 की इस रिपोर्ट में इन बातों को देखा जा सकता है।
यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ट्रम्प का ट्वीट पाकिस्तान के आतंकवादी समूहों के संदर्भ में है, जैसे हक्कानी नेटवर्क और तालिबान, जो अमेरिकी सेना और अफगानिस्तान में नागरिक सरकार को धमकी देता है। यह भारत का कोई उल्लेख नहीं करता है।
हालांकि, अमेरिका ने नवंबर में पाकिस्तान स्थित जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद की नजरबंदी से रिहाई पर निंदा करते हुए भारत का साथ दिया था।
ट्रम्प के हाल ही के ट्वीट पर अमरीका और पाकिस्तान के बीच एक प्रमुख राजनयिक कोलाहाल उभर कर बाहर आया है।
2 जनवरी, 2018 को, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा असिफ ने ट्रम्प के नवीनतम ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अफगानिस्तान में युद्ध में अमेरिकी हार पर इस्लामाबाद को दोषी ठहरा रहे हैं।
इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत डेविड हेल को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने बुलाया था।
3 जनवरी 2018 को, हैली ने इस्लामाबाद पर ‘सालों से डबल गेम’ खेलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि ट्रम्प "पाकिस्तान से सभी धन को रोकने के लिए काफी समय से तैयार है, क्योंकि वे आतंकवाद को पनाह और समर्थन देते हैं"।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मलिहा लोध ने हेली की टिप्पणी के जवाब में कहा, "अगर सराहना नहीं की जा रही है तो हम अपने सहयोग की समीक्षा कर सकते हैं। पाकिस्तान का सहयोग किसी सहायता विचार पर आधारित नहीं है हमारे राष्ट्रीय हितों और सिद्धांतों पर आधारित है। "
बयान अमरीका-पाकिस्तान विभाजन को मुख्य रुप से दर्शाता है, जो भारत के पक्ष में हो सकता है।
(सेठी स्वतंत्र लेखक और रक्षा विश्लेषक हैं, मुंबई में रहते हैं।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 5 जनवरी 2018 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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