दक्षिण भारत के 13 शहरों में विषाक्त वायु, 26 अन्य शहरों की हवा भी असुरक्षित
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 13 दक्षिण भारतीय शहरों में हवा को साफ करने की योजना बनाई है। चार दक्षिण भारतीय राज्यों के 26 शहरों ने राष्ट्रीय वार्षिक स्तर पर सुरक्षित मानकों की तुलना में पार्टिकुकेट कण प्रदूषण की सूचना दी है। यह जानकारी सरकारी आंकड़ों पर किए गए विश्लेषण में सामने आई है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय अगले पांच सालों में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के माध्यम से लगभग 100 शहरों में वायु प्रदूषण को कम करने की योजना बना रहा है।
इसमें एनसीएपी में निगरानी नेटवर्क का विस्तार, वायु प्रदूषण स्वास्थ्य प्रभाव के अध्ययन का आयोजन, हवाई सूचना प्रणाली की स्थापना, निगरानी संस्थानों के प्रमाणीकरण, वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली, जागरूकता और क्षमता निर्माण ड्राइव शामिल है।
केंद्र की सूची में तेलंगाना के तीन शहर, आंध्र प्रदेश के पांच, तमिलनाडु से एक और कर्नाटक से चार शहर शामिल हैं। इसकी तुलना में तेलंगाना के 10 शहर, आंध्र प्रदेश के 15, तमिलनाडु के चार और कर्नाटक के 10 शहरों ने 2015 और 2016 में राष्ट्रीय मानकों (60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर, या µg/m³) से अधिक पीएम 10 ( मानव बाल के मुकाबले सात गुना अधिक महीन कण ) के वार्षिक स्तर की सूचना दी है, जैसा कि सूचना अनुप्रयोगों के अधिकार का उपयोग करके राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर ग्रीनपीस-इंडिया द्वारा जनवरी 2018 के इस विश्लेषण से पता चलता है।
आंध्र प्रदेश में विजयवाड़ा में वार्षिक पीएम 10 मानक स्तर 68 फीसदी के पार हुआ है। कर्नाटक में बिदर और तुमकुर का स्तर 88 फीसदी और 144 फीसदी अधिक रहा है। तमिलनाडु के तुथुकुडी और तेलंगाना के कोठुर ने वार्षिक पीएम 10 मानक स्तर 200 फीसदी और 78 फीसदी तक अधिक की सूचना दी है।
वार्षिक दर में पीएम 10 पार करने वाले दक्षिण भारत के शहर
Source: Data from state pollution control boards, compiled by Greenpeace India in this analysis; *Maximum of annual average PM 10 levels in 2015 and 2016
इन सभी शहरों को वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए शहर-विशिष्ट कार्य योजना की आवश्यकता है। अभी के लिए, प्रदूषण से निपटने के लिए भारत में एकमात्र उपलब्ध कार्यक्रम दिल्ली का ग्रेडिंग रिस्पांस एक्शन कार्यक्रम है। इसमें हवा की गुणवत्ता में गिरावट आते ही कई तरह के काम करने की जरूरत होती है, जैसे कचरा जलाने से रोकना, ट्रकों का शहर में प्रवेश पर पाबंदी, बिजली संयंत्रों को बंद करना और ईंट भट्टों और पत्थर तोड़ने के कामों को बंद करना है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 22 दिसंबर, 2017 की रिपोर्ट में बताया है।
दो महानगरों की कहानी में दक्षिण भारत के वायु प्रदूषण की समस्या
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) से अलग देश के दक्षिणी हिस्सों ( जहां हवा की बुरी गुणवत्ता है ) तक ध्यान केंद्रित करने के लिए स्वतंत्र शोधकर्ताओं ने चेन्नई और बेंगलुरु में हवा की गुणवत्ता की निगरानी के लिए दो अलग-अलग विधियों का इस्तेमाल किया।
शोधकर्ताओं ने चेन्नई में पांच स्थानों पर छत के ऊपर हवा की गुणवत्ता निगरानी स्टेशन तैनात किए, जबकि बेंगलुरू में प्रदूषण स्तर की निगरानी सबसे ज्यादा ट्रैफिक घंटे के दौरान सात मुख्य सड़कों पर किया गया।
बेंगलूर में हुए प्रयोग ने उच्च वायु प्रदूषण के जोखिम के तुरंत परिणाम दिखाए, पीएम 2.5 के लिए 100 से 200 µg/m³ के बीच और पीएम 10 के लिए 300 से 850 µg/m³ के बीच।
सबसे ज्यादा ट्रैफिक के दौरान बेंगलुरु में रिकॉर्ड किए गए पार्टिकुकेट प्रदूषण के स्तर
Source: Bengaluru’s Rising Air Crisis, Study, 2018
एक सामुदायिक रेडियो को. मीडिया लैब और एक संस्था क्लाइमेट ट्रेंड्स, के एक बयान में कहा गया कि " पर्टीकुलेट प्रदूषक के लिए सुरक्षा सीमा केवल 24 घंटे और वार्षिक औसत के लिए उपलब्ध हैं, इसलिए, कोई भी यह नहीं कह सकता कि नियामक मानदंडों की तुलना में तत्काल मूल्य कैसे असुरक्षित हैं। "
हालांकि, अध्ययनों से पता चला है कि उच्च वायु प्रदूषण के संक्षिप्त एक्सपोजर का परिणाम समयपूर्व मृत्यु हो सकता है, जैसा कि इंडियास्पेंड ने 19 जनवरी 2018 की रिपोर्ट में बताया है।
पीएम 2.5 का स्तर 60 μg / m³ (वार्षिक औसत) और 40 μg / m³ (24 घंटे औसत) तक सुरक्षित माना जाता है, जबकि भारतीय राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक पीएम 10 स्तर तक 100 μg / m³ (24 घंटे औसत) और 60 ग्राम / वार्षिक औसत वार्षिक सुरक्षित माना जाता है।
बेंगलुरू के सबसे व्यस्त मार्गों पर एक व्यक्ति किस तरह प्रदूषण को झेलता है, इसका पता लगाने के लिए, शोधकर्ताओं ने विभिन्न जंक्शनों और संवेदनशील इलाकों का पता लगाने के लिए एक जीपीएस ट्रैकर के साथ ऑटो में छोटी हवा की गुणवत्ता निगरानी इकाइयां स्थापित कीं, जिससे प्रदूषण की जानकारी मिल सके।
यह अभ्यास 5 से 15 फरवरी, 2018 फरवरी के दौरान सात दिनों के लिए किया गया था। उच्च त्वरित मूल्यों को रिकॉर्ड करने के अलावा, दो भागों में चार घंटे की ऑटो सवारी के दौरान औसत प्रदूषण लगातार 200 μg / m औसत से ऊपर पाया गया।
बयान में कहा गया है कि, " इससे पता चलता है कि यातायात की भीड़ के चलते प्रतिदिन कई घंटों तक बहुत खराब हवा से लोगों का सामना होता है।"बयान में कहा गया है कि, " इससे पता चलता है कि यातायात की भीड़ के चलते प्रतिदिन कई घंटों तक बहुत खराब हवा से लोगों का सामना होता है।"
बेंगलुरु स्थित जयदेव अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ राहुल पाटिल कहते हैं, "शहर में ऑटो और कैब चालकों के बीच दिल का दौरा पड़ने वाले की घटनाओं में वृद्धि हुई है, क्योंकि वे धीमी गति के ट्रैफिक में ज्यादा समय बिताते हैं।"
उन्होंने कहा कि बेंगलुरु के निवासियों को बढ़ते प्रदूषण संकट से ज्यादा जागरूक होना चाहिए और व्यस्त सड़कों पर या उसके पास चलना और सायकल नहीं चलाना चाहिए।
रिपोर्ट में कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वायु गुणवत्ता वाले आंकड़ों की वार्षिक औसत पर भी विचार किया गया है।
2016-17 के दौरान पीएम 2.5 का मूल्य राष्ट्रीय सुरक्षित मानकों के 3 फीसदी से 45 फीसदी तक बढ़ा है जबकि पीएम 10 मानकों के 30 फीसदी से 120 फीसदी तक बढ़ा है, जैसा कि विश्लेषण से पता चलता है।
बेंगलुरु में पर्टीकुलेट प्रदूषण का वार्षिक औसत
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Annual Average Particulate Pollution In Bengaluru | ||||
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Station | PM 10 (In µg/m³) | PM 2.5 (In µg/m³) | PM 10 Exceeding National Standard (In %) | PM 2.5 Exceeding National Standard (In %) |
Export promotional Park ITPL, Whietfield Road, Bangalore | 131 | 55 | 118% | 38% |
K.H.B Industrial Area, Yelahanka | 111 | 54 | 85% | 35% |
Peenya Industrial Area - RO | 109 | 52 | 82% | 30% |
Swan Silk Peenya Indl Area | 99 | 50 | 65% | 25% |
Yeshwanthpura Police Station | 93 | 46 | 55% | 15% |
Amco Batteries, Mysore Road | 107 | 51 | 78% | 28% |
Central Silk Board, Hosur Road | 132 | 58 | 120% | 45% |
DTDC House, Victoria Road | 127 | 0 | 112% | 0 |
Banswadi Police Station | 80 | 41.2 | 33% | 3% |
CAAQM City Railway Station | 102 | 0 | 70% | 0 |
CAAQM S G Halli | 46 | 0 | Within limit | 0 |
Kajisonnenahalli, After white Field | 83 | 40 | 38% | Within limit |
TEERI Office,Domlur | 120 | 55 | 100% | 38% |
UVCE, K.R Circle | 86 | 38 | 43% | Within limit |
Victoria Hospital | 80 | 40 | 33% | Within limit |
Indira Gandhi Children Care (NIMHANS) | 78 | 36 | 30% | Within limit |
Source: Karnataka State Pollution Control Board
चेन्नई की हवा किसी भी तरह से बेहतर नहीं थी। शहर में लगभग एक माह लंबी हवा की गुणवत्ता निगरानी अभ्यास के दौरान, 80 फीसदी दिनों में 24 घंटे का औसत राष्ट्रीय मानक से ज्यादा रहा है, जैसा कि चेन्नई स्थित ह्यूमन लंग फाउंडेशन, द अदर मीडिया, हेल्थ एनर्जी इनिशिएटिव और मुंबई स्थित अर्बन साइंस द्वारा संयुक्त रूप से जारी इस बयान में कहा गया है।
बयान में कहा गया कि, किसी भी दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) मानक के अनुसार पार्टीकुलेट स्तर 25 μg / m³ के के भीतर नहीं था।
बयान में कहा गया कि, "सभी स्थानों पर 13 जनवरी (2018) भोगी त्योहार के दिन (चार दिन के पोंगल त्योहार का पहला दिन) को पीएम 2.5 का खतरनाक स्तर (180 μg / m (से ऊपर) दर्ज किया गया था।" यह राष्ट्रीय मानक से तीन गुना अधिक था और डब्ल्यूएचओ सीमा से सात गुना ज्यादा था।
अर्बन साइंस के संस्थापक रोनाक सुतरिया ने इंडियास्पेंड को बताया, "चेन्नई जैसे वायु-गुणवत्ता निगरानी में बड़े पैमाने पर नागरिक प्रयासों को व्यक्तिगत स्तर पर जागरूकता लाने के साथ-साथ नागरिकों और नीति निर्माताओं के बीच डेटा चालित वार्ता के लिए तंत्र प्रदान करना आवश्यक है।"
सुतरिया जो इंडियास्पेंड के #Breathe परियोजना के निर्माता भी है, कहते हैं, "राज्य हवा की गुणवत्ता निगरानी केंद्र केवल नियामक ग्रेड की गुणवत्ता के आंकड़ों को एकत्र कर रहे हैं। ऐसा करने के लिए उन्हें तैयार किया गया है। "
(त्रिपाठी प्रमुख संवाददाता हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़े हैं। )
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 6 मार्च 2018 को indiapend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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