दिल्ली, भाजपा एएपी के पीछे पीछे , कांग्रेस बाहर
चुनाव आयोग ने फ़रवरी 7 को दिल्ली विधानसभा चुनावों की घोषणा की है और परिणाम 10 फरवरी को घोषित किए जाने हैं।
हाल के विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र में कांग्रेस को एक बड़ा तीव्र झटका लगा है जिस राज्य में वह 1960 में अपने गठन के बाद से लगभग लगातार शासन कर रही थी । लेकिन पार्टी की स्थिति में दिसंबर 2013 से ही गिरावट आनी शुरू हो गई थी ।
दिल्ली में एक बेहद महत्वपूर्ण जीत के बाद, भारत में अपनी ही तरह की खास एक नई राजनीतिक पार्टी, आम आदमी पार्टी (आप) ने 2013 में सरकार का गठन किया। विडंबना यह थी कि वे ऐसा सिर्फ उसी पार्टी के समर्थन से कर सकते थे जिस पार्टी का वो सफाया करने निकले थे , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस।
सरकार केवल 49 दिनों तक चली। विधानसभा छह महीने से अधिक समय से भंग है और क्योंकि कोई अन्य गठबंधन नही हो सका उसे पुनः चुनावों तक के लिए भंग कर दिया गया है।
कांग्रेस के विलोपन ने दो मुख्य दावेदार, आप और भाजपा जो महाराष्ट्र जैसे कांग्रेस के पूर्व गढ़ों में भी मज़बूत होती जा रही थी, के लिए मैदान खुला छोड़ दिया है।
हम दिल्ली में हुए आखिरी चुनावों में तीनों प्रमुख दलों के प्रदर्शन पर नजर डालते हैं:
दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन, 2013
Source: Election Commission
एएपी सरकार कई विवादों में घिर गई और अंततः उन्होंने इस्तीफा दे दिया। हालाँकि मई 2014 में आयोजित राष्ट्रीय चुनाव से पहले इस्तीफादिया गया था लेकिन पार्टी दिल्ली की सात लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से किसी में भी जीत नहीं पाई।
हम विधानसभा चुनावों में और इससे पहले इसी वर्ष आयोजित लोकसभा चुनावों में आप को मिले वोटों की तुलना करते हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2013 और लोकसभा चुनाव 2014 में एएपी के वोट
Source: Election Commission
एएपी के कुल वोट शेयर में उन निर्वाचन क्षेत्रों में वृद्धि हुई जहां से पार्टी विधानसभा चुनावों में हार गई थी और वहीं उन निर्वाचन क्षेत्रों में इसमें गिरावट आई जहाँ से पार्टी ने विधानसभा सीट जीती थी ।
निर्वाचन क्षेत्रों को करीब से देखने पर पता चलता है कि जहां एएपी (28 सीटें) जीती थी उनमे 21 सीटों भाजपा उपविजेता रही थी ।
वे निर्वाचन क्षेत्र जहां भाजपा एएपी से अधिक स्कोर कर सकता है
Source: Election Commission
जैसा कि हमने पहले भी देखा आप ने जहां 2013 के विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी, उन निर्वाचन क्षेत्रों में वोट खो दिए थे। भाजपा की जो जीत की लहर चल रही है इसको नज़र में रखते हुए एएपी को आगामी चुनावों में इन निर्वाचन क्षेत्रों को खासतौर पर देखने की जरूरत है।
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