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प्रधानमंत्री द्वारा 86 फीसदी भारतीय मुद्राओं (500 और 1,000 रुपए के नोट) को अमान्य घोषित किए 13 दिन से ज्यादा का समय हो चुका है। सरकार के इस कदम से महाराष्ट्र के गांवों और कस्बों में रहने वाले लोगों पर व्यापक रुप से प्रभाव पड़ा है। हमारे विश्लेषक, अभिषेक वाघमारे, श्रेया शाह, स्वागत यदावार और मुक्ता पाटिल ने राज्य के पांच जिलों में जाकर लोगों का हाल जानने की कोशिश की है। हमारे विश्लेषकों ने अहमदनगर, ठाणे और पालघर, ग्रेटर मुंबई, पुणे जिले के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों का दौरा किया है।

ग्रेटर मुंबई के ज्यादातर लोग सरकार के इस कदम का स्वागत करते दिखे हैं। इलाके में लोगों ने भविष्य में अच्छे दिन आने की उम्मीद की है। जबकि अन्य चार जिले के लोगों ने बताया कि किस प्रकार इस फैसले से उन्हें दिन-प्रतिदिन के जीवन में अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

हमारे विश्लेषकों ने प्रतिक्रियाओं और टिप्पणियों को सीधा फील्ड से ट्वीट भी किया है।

#नोटबंदी: हमारी जांच के लिए क्यों महाराष्ट्र

भारत की सामाजिक और आर्थिक सूक्ष्म दर्शन है महाराष्ट्र: विविध, शक्तिशाली और गरीब।

भारत से 1,000 से ज्यादा सबसे अमीर लोगो इस समृद्ध राज्य में रहते हैं। हम बताते चलें कि इन प्रत्येक अमीर व्यक्ति के पास 30 मिलियन डॉलर या 3 करोड़ डॉलर से अधिक की संपत्ति है। दूसरी तरफ राज्य में 80 मिलियन या 8 करोड़ आबादी ऐसी है जो 1,000 प्रति माह से भी कम में अपना जीवन यापन करती है।

महाराष्ट्र में देश का सबसे बड़ा थोक कृषि बाजार है। एक-तिहाई शहरी सहकारी बैंक के साथ-साथ बड़े बैंकों का प्रधान कार्यालय भी महाराष्ट्र में ही है। किसी भी अन्य राज्य की तुलना में राज्य में अधिक एटीएम, कंप्यूटर, मोबाइल फोन और इंटरनेट कनेक्शन है। उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में ही 12,000 बैंक शाखाएं हैं।

अवलोकन

पाटिल ने अपने दिन की शुरुआत पुणे जिले के चाकन और खेड़ दौरा से किया। पाटिल ने पाया कि नकदी की कमी का प्रभाव थोक और खुदरा बाजार पर पड़ा है।

चकन में दूध देने वाले भाऊसाब कल तक 500 और 1,000 रुपए के नोट स्वीकार कर रहे थे। नोटबंदी की घोषणा के बाद से उनके कारोबाद में 10 फीसदी की गिरावट हुई है

रंजना पवार हर दिन सब्जियां बेचने चकन जाती हैं। नोटबंदी की घोषणा के बाद उनके ग्राहर आधे हो गए हैं क्योंकि 2,000 के खुले मिलते नहीं और 500/1000 के नोट वे ले नहीं सकती।

मार्केट कमेटी, खेड़ के निदेशक अजीज काजी का दावा है कि नोटबंदी की घोषणा के बाद से आलू और प्याज की कीमतों में 4-5 रुपये की गिरावट हुई है। 10 दिनों में ग्राहकों की संख्या आधी हुई है।

दिहाड़ी मजदूर संतोष का कहना है कि भुगतान में कोई देरी नहीं हुई है। उन्हें 100 का नोट मिला है। लेकिन उनके पास अब भी बैंक अकाउंट नहीं है।

मागराजन पुणे जिले में सड़क के किनारे ठेला लगाते हैं। नोटबंदी का प्रभाव इनके काम पर भी पड़ा है। ग्राहकों की संख्या लगभग आधी हुई है।

इसी बीच वाघमारे ने अहमदनगर जिले के पथारदी इलाके का दौरा किया। यहां का लिंग अनुपात 927 है जबकि साक्षरता दर 64 फीसदी है।

पथारदी के 2.3 लाख लोगों में से 80,000 किसान हैं जबकि 24,000 मजदूर हैं।

अहमदनगर में असलम शेख की मिठाईयों की दुकान है। शेख कहते हैं कि नोटबंदी के बाद उनके यहां आने वाले ग्राहकों की संख्या आधी हुई है।

शेख आगे कहते हैं कि खर्चों में कहीं कोई कमी आई है लेकिन आय आधी हो गई है।

सतीश कराले एक डेयरी चलाते हैं। नोटबंदी का प्रभाव इनके कारोबार पर भी पड़ा है। सतीश अपने डेयरी किसानों को हर पंद्रह दिनों में 1,5 लाख का भुगतान करते हैं। लेकिन नोटबंदी के कारण इन्हें भुगतान करने में देरी हुई है।

इस बीच शाह ने ठाणे जिले में हमरापुर इलाके का दौरा किया।

हमरापुर में किराने की दुकान चलाने वाले नरेश दत्तु पाटिल ने भी नोटबंदी का प्रभाव अपनी आय पर काफी ज्यादा होने की बात कही है।

सरकार के इस कदम से किसानों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नारायण रिनजद कहते हैं कि मैं सरकारी दुकान से बीज नहीं खरीदता हूं। इसका एक कारण दुकान की दूरी ज्यादा होना है और दूसरा यह कि जरुरी नहीं कि हर समय दुकान में बीज उपलब्ध ही हो।

इलाके में कुछ लोग नोटबंदी का पूरा समर्थन करते हुए दिखे।

यदावार ने वाशी, नवी मुंबई के कृषि उपज बाजार (जिसे आम तौर पर एपीएमसी बाजार कहा जाता है) का दौरा किया।

कृष्ण बिहारी शुक्ला 300 रुपए प्रतिदिन कमाते हैं। शुक्ला के पास बैंक खाता नहीं हैं। अपने घर पैसे भेजने के लिए दोस्त के खाते का इस्तेमाल करते हैं।

नोटबंदी के लेकर कुछ लोगों की राय स्पष्ट नहीं है। वे कहते हैं कि हमें पता नहीं यह सही है या नहीं लेकिन इससे हमारी आय आधी हो गई है।

कई सब्जी बिक्रेता नगदी में लेन-देन करते हैं।

वहं कई ऐसे बिक्रेता भी हैं जिन्हें लगाता है कि उनके कारोबार पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। उनका मानना है कि कारोबार माल की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है न की नोट पर।

पाटिल ने पुणे जिले के राजगुरुनगर का दौरा किया है।

इलाके में बैंकों और एटीएम मशीनों के सामने लंबी कतारे देखने मिली है। बैंक के शाखा प्रबंधक का कहना है कि लेन-देन सुचारू रूप से चल रहा है।

इस बीच, वाघमारे एक सिविल ठेकेदार और अहमदनगर में एक होटल के मालिक से मुलाकात की।

पिछले 10 दिनों में इन्हें भी अपने काम में काफी नुकसान उठाना पड़ा है।

इस बीच शाह ठाणे के जिला केंद्रीय सहकारी बैंक पहुंची।

लोगों को हफ्ते में दो-तीन बार बैंकों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं ताकि वे श्रमिकों को भुगतान कर सकें।

इलाके के कई लोग इन बैंकों पर निर्भर हैं। लेकिन इस समय लोगों को बैंको से पैसे निकालने में काफी परेशानी हो रही है।

यदावार ने एक पपीता किसान और वाशी के एपीएमसी बाजार में भाजीपला महासंघ के अध्यक्ष से मुलाकात की जबकि वाघमारे ने पथारदी में एक सब्जी विक्रेता से मुलाकात की है।

नोटबंदी का प्रभाव इनके कारोबार पर भी पड़ा है।

यदावार ने एक पपीता किसान और वाशी के एपीएमसी बाजार में भाजीपला महासंघ के अध्यक्ष से मुलाकात की जबकि वाघमारे ने पथारदी में एक सब्जी विक्रेता से मुलाकात की है।

नोटबंदी का प्रभाव इनके कारोबार पर भी पड़ा है।

वाघमारे ने ग्रामीण सहकारी बैंक के प्रबंधक और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ एक बैंकिंग कारोबार संवाददाता के साथ भी मुलाकात की।

इसी बीच पाटिल ने एक दूध पार्लर के प्रबंधक से मुलाकात की, और फिर खेड़, पुणे जिले में एक शादी हॉल के मैनेजर से बात की।

नोटबंदी का खासा असर इन कारोबार पर भी पड़ा है।

इसके बाद यादवार ने एक फल व्यापारी और वाशी एपीएमसी बाजार में एक फुटकर बिक्रेता से मुलाकात की।

फल बिक्रेताओं को खासा नुकसान का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि फलों के पकने पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।

लेकिन फिर भी मोदी के इस कदम का समर्थन करने वाले लोग कम नहीं हैं। सुनिल जैसवाल की प्रतिदिन आय 1,000 रुपए से कम हो कर 6,00 रुपए हुई है लेकिन फिर भी वे कहते हैं कि अगर मोदी जी ने ये कदम उठाया है तो यह हमारी बेहतरी के लिए ही होगा।

पथारदी में वाघमारे ने एपीएमसी बाजार जाने से पहले भारतीय स्टेट बैंक की शाखा का भी दौरा किया।

बैंकों में लंबी कतारें देखने मिली है।

नोटबंदी का प्रभाव हर तरह के कारोबार पर पड़ा है।

शाह ने कुछ सड़क के किनारे दुकान के मालिकों से भी बात की। उनका कहना है कि उनके पास इतने पैसे ही नहीं हैं इसलिए उन पर इस कदम का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।

इस बीच यदवार ने मरीजों और उनके रिश्तेदारों से बात करने के लिए किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल और टाटा मेमोरियल अस्पताल का दौरा किया।

नोटबंदी का असर के कारण अब लोग निजी अस्पताल में इलाज नहीं करा पा रहे हैं।

बाहर से आने वाले मरीजों पर इसका असर अधिक हो रहा है।

इस बीच पाटिल ने पुणे के नायाराणगांव में किराना दुकानदार, बीज, उर्वरक बिक्रेता, जिला सहकारी बैंक के प्रबंधक से बात की।

बैंक खाते होने के बावजूद किसान जिला सहकारी बैंकों से पासे नहीं निकाल सकते क्योंकि उनके पास कार्ड नहीं है।

दुकानदारों में आने वले ग्राहकों की संख्या भी आधी हुई है।

वाघमारे फिर बताया कि अहमदनगर जिले के पथारदी में एपीएमसी बाजार को 100 रुपए के नोटों की कमी के कारण व्यापारियों द्वारा बंद कर दिया गया है।

NOTE: An earlier version of this post incorrectly stated that Maharashtra has 30 million of the 80 million people who live on less than Rs 1,000 a month. The correct datum is that 80 million live in Maharashtra on less than Rs 1,000 a month.

यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 23 नवम्बर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।

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