देश में भरपूर मात्रा में बारिश, ढेर सारी नदियां, फिर भी पानी के संकट का भयावह चेहरा भारत में
नई दिल्ली: पानी के उच्चतम स्तर की कमी का सामना करने वाले 17 देशों में ( जहां उपलब्ध 80 फीसदी पानी का उपयोग प्रतिवर्ष किया जाता है ) प्रतिवर्ष भारत में सबसे ज्यादा बारिश होती है। यह जानकारी, अंतर्राष्ट्रीय थिंक-टैंक वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्लूआरआई) द्वारा एक नए अध्ययन पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण में सामने आती है।
सूची के अन्य सभी देश अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों से संबंधित हैं,भारत की वार्षिक वर्षा का लगभग आधा हिस्सा प्राप्त करते हैं और कम प्राकृतिक जल स्रोत हैं।
भारत के भीतर भी, सभी नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश, जो सबसे खराब पानी के तनाव की रिपोर्ट करते हैं, इंडो-गंगा के मैदान में स्थित हैं, जहां जिसमें बड़ी और छोटी नदियों और झीलों का जाल है।
डब्ल्यूआरआई के अनुसार, चंडीगढ़ सूची में सबसे ऊपर है और इसके बाद हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू और कश्मीर का स्थान है।
व्यापक वर्षा और बड़ी संख्या में जल स्रोतों के बावजूद भारत जल-तनाव में क्यों है? जल संसाधन और गंगा कायाकल्प मंत्रालय के पूर्व सचिव और डब्ल्यूआरआई इंडिया के वरिष्ठ सचिव शशि शेखर ने कहा, "पानी की अधिकता और कुप्रबंधन इस पानी के तनाव का कारण है।"
शेखर ने कहा कि देश में सभी जल संसाधनों का 80 फीसदी तक का उपयोग करने वाला अक्षम कृषि, भारत के जल तनाव के प्राथमिक कारणों में से एक है। भूजल निष्कर्षण ( जो देश की 40 फीसदी पानी की जरूरतों को पूरा करता है ) रिचार्ज की तुलना में काफी अधिक है।
पानी के तीव्र तनाव से जूझ रहे 17 देश दुनिया की आबादी के लगभग एक चौथाई लोगों का (175 करोड़) घर हैं। अध्ययन में कहा गया है कि भारत सूची में 13 वें स्थान पर है, लेकिन अपनी 136 करोड़ की आबादी, अन्य 16 देशों के कुल मिलाकर तीन गुना अधिक है, जो जल संकट से जूझ रहे हैं।
सरकारी थिंक-टैंक नीति आयोग के द्वारा 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 60 करोड़ भारतीय अत्यधिक जल तनाव से जूझ रहे हैं, जहां हर साल उपलब्ध सतह के पानी का 40 फीसदी से अधिक उपयोग किया जाता है,जैसा कि 25 जून, 2018 को इंडियास्पेंड ने अपनी रिपोर्ट में बताया है।
सुरक्षित पानी के अपर्याप्त उपयोग के कारण हर साल लगभग 200,000 लोग मर जाते हैं। अध्ययन में कहा गया है कि स्थिति और खराब होने की संभावना है, क्योंकि पानी की मांग 2050 तक आपूर्ति से अधिक हो जाएगी और भारत को 2050 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद में 6 फीसदी की कमी का सामना करना पड़ेगा।
डब्ल्यूआरआई के अध्ययन के मुताबिक, देशों के लिए पानी के तनाव को दूर करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संघर्ष और प्रवासन, जोखिम वाले वाले जल-निर्भर उद्योगों (खनन, थर्मोइलेक्ट्रिक बिजली उत्पादन और निर्माण) और खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। जलवायु परिवर्तन भी इस संकट को बढ़ा रहा है, जिससे अनियमित वर्षा हो रही है। इस संबंध में हम आगे बताएंगे।
सूची में कतर सबसे ऊपर
डब्ल्यूआरआई के अध्ययन में कहा गया है कि विश्व की आबादी का एक तिहाई (2.572 बिलियन) "उच्च" से "बेहद उच्च" पानी के तनाव के साथ 44 देशों में रहते हैं।सबसे खराब जल तनाव से निपटने वाले देशों की सूची में कतर, इज़राइल और लेबनान को पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रखा गया है। भारत, जैसा कि हमने पहले कहा था, 13 वें स्थान पर है, जबकि पड़ोसी पाकिस्तान 14 वें स्थान पर है, जैसा कि अध्ययन में कहा गया है, जो विसंगतियों को छोड़कर, 1960 से 2014 तक डेटा का उपयोग करता है।
Countries Facing Extremely High Water Stress | |||
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Rank | Country | Water Stress Level | Annual Rainfall (MM) |
1 | Qatar | Extremely High (>80%) | 74 |
2 | Israel | Extremely High (>80%) | 435 |
3 | Lebanon | Extremely High (>80%) | 661 |
4 | Iran | Extremely High (>80%) | 228 |
5 | Jordan | Extremely High (>80%) | 111 |
6 | Libya | Extremely High (>80%) | 56 |
7 | Kuwait | Extremely High (>80%) | 121 |
8 | Saudi Arabia | Extremely High (>80%) | 59 |
9 | Eritrea | Extremely High (>80%) | 384 |
10 | UAE | Extremely High (>80%) | 78 |
11 | San Marino | Extremely High (>80%) | 451 |
12 | Bahrain | Extremely High (>80%) | 83 |
13 | India | Extremely High (>80%) | 1083 |
14 | Pakistan | Extremely High (>80%) | 494 |
15 | Turkmenistan | Extremely High (>80%) | 161 |
Source: Water Stress Rankings: World Resource Institute, Annual Rainfall: World Bank Note: Annual Rainfall figures have been added by the correspondent to analyze the aridity of the countries. San Marino’s rainfall figures have been taken from this source.