नोटबंदी की मार, फिर भी चुनाव में बीजेपी का जलवा बरकरार
28 नवंबर, 2016 को महाराष्ट्र के नगर निगम परिषद में चुनावों के पहले चरण में प्रदर्शन का जश्न मनाते भारतीय जनता पार्टी के नेता। नोटबंदी का ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव के बावजूद, इसका प्रभाव चुनाव पर नहीं होता प्रतीत होता है।
8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विमुद्रीकरण की घोषणा का प्रभाव राज्य में हुए चुनाव पर नहीं होता प्रतीत होता है। विमुद्रीकरण की घोषणा के बाद पहली बार 28 नवंबर, 2016 को हुए महाराष्ट्र के नगर निगम परिषद चुनाव के पहले चरण में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 3705 सीटों में से 893 पर जीत हासिल की है। गुजरात में नगरपालिका परिषद के चुनाव और तालुका पंचायत (उप-जिला परिषद) में भी पार्टी ने 94 सीटों में से 86 सीटों पर जीत दर्ज की है।
करीब 70 फीसदी मतदाताओं का अपने मताधिकार का प्रयोग करने के साथ 15826 उम्मीदवारों के साथ महाराष्ट्र में 147 नगर परिषदों और 17 नगर पंचायत चुनावों में हिस्सा लिया है। (अगले चरण 20 दिसंबर, 2016 के लिए निर्धारित है)
भाजपा के सहयोगी शिवसेना ने 615 सीटों पर जीत हासिल की है। हम याद दिला दें कि 2011 में शिवसेना ने 264 सीटें जीती थी।
हाल में हुए चुनाव के नतीजे की कुछ झलकियां:
1. परली, मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड़ जिले में, भाजपा की महिला एवं बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे को उनके चचेरे भाई और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता धनंजय मुंडे ने मात दिया। एनसीपी ने परली नगरपालिका परिषद में कुल 33 सीटों में से 27 पर जीत दर्ज की है।
2. पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने अपने गढ़ कराड में भाजपा की जीत देखी : नगर परिषद के प्रमुख के चुनाव में भाजपा की जीत।
3. हैदराबाद स्थित नेता, असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने 40 सीटें जीती है। इनमें से अधिकांश मराठवाड़ा क्षेत्र में है जहां मुसलमानों की आबादी अधिक है।
मतदान के बाद कांग्रेस दूसरे नंबर पर, एनसीपी तीसरे स्थान पर
727 सीटों पर जीत दर्ज करने के साथ नगर परिषद के चुनाव में कांग्रेस दूसरे नंबर पर रहा है। एनसीपी ने 638 सीटों पर जीत हासिल की है।
एनसीपी के सीटें इस साल 916 (2011 के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी) से गिर कर 529 हुई है। यानी 42 फीसदी सीटों की गिरावट हुई है।
नोटबंदी का ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव के बावजूद, जैसा कि इंडियास्पेंड ने नवंबर 26, 2016 को बताया, चुनाव पर इसका प्रभाव प्रतीत नहीं होता है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इस मौके पर कहा, “भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। मैं महाराष्ट्र के लोगों का उनके निरंतर समर्थन और भाजपा की विकास की राजनीति में विश्वास के लिए धन्यवाद देता हूं।”
महाराष्ट्र में स्थानीय चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा जीती गई सीटें
Source: Maharashtra State Election Commission
हालांकि, भारत की स्थानीय पार्टी जैसे की पीजंट एंड वर्करस पार्टी ऑफ इंडिया ने 384 सीटों पर जीत हासिल की है। गैर मान्यता प्राप्त दलों को 119 सीटें मिली हैं। कम से कम 28 उम्मीदवारों ने बिना किसी विरोध के चुनाव जीता है।
147 नगर परिषदों, जहां नगर निगम के प्रमुखों सीधे चुने गए थे, उनमें 52 स्थानों पर भाजपा प्रत्याशियों जीत दर्ज की है। हम बता दें कि 2011 में यह संख्या केवल छह थी।
पार्टीवार नगर परिषद प्रमुखों की स्थिति, 2016
Source: Maharashtra State Election Commission
यह पहला चुनाव था, जब नगर परिषद के मुख्य को जनता के वोट के माध्यम से चुना गया था। शिवसेना ने नगर परिषद प्रमुख के लिए 25 पदें जीती हैं।
केवल 34 नगरपालिका परिषदों में भाजपा बहुमत में है जबकि इसके उम्मीदवारों 52 नगरपालिका परिषदों में प्रमुख बने हैं। 18 नगरपालिका परिषद ऐसी हैं, जहां अन्य पार्टी बहुमत में हैं। इसका परिषदों के कामकाज पर क्या प्रभाव होता है यह देखने वाली बात होगी।
(सालवे विश्लेषक हैं और इंडियास्पेंड के साथ जुड़ी है।)
यह लेख मूलत: अंग्रेजी में 05 दिसम्बर 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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