पनडुब्बी रेस में भारत चीन से पीछे
आईएनएस कालवरी, भारतीय नौसेना की पहली स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी 6 अप्रैल 2015 को बेड़े में उतारने से पहले
हाल ही में चीन की एक युआन क्लास पनडुब्बी,अरब सागर पार करते हुए पाकिस्तान के कराची शहर के बंदगाह पर देखी गई थी। चीन कापानी के भीतर युद्ध करने की क्षमता में वृद्धि होना भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है। भारत के मुकाबले चीन की पानी के भीतर की क्षमता चार गुना अधिक आंकी गई है।
चीन की युआन क्लास पनडुब्बी कराची बंदरगाह पर एक हफ्ते रुकी थी। इस पनडुब्बी में 65 लोगों की टीम सवार थे। वापस जाने से पहले पनडुब्बी की ईंधन भी कराची में हीं भरा गया था। भारत के पारम्परिक पनडुब्बियों के विपरीत, युआन क्लास एक डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है जिसमें पानी के भीतर हफ्ते भर रहने की क्षमता होती है। भारत के पनडुब्बियों की बैटरी चार्ज करने के लिए सतह की ज़रुरत होती है।
भारत अब रूस से दूसरी परमाणु पनडुब्बी किराए पर लेने की योजना बना रहा है। साथ ही सरकार ने विशाखापटनम में छह परमाणु पनडुब्बी बनाने के लिए 90,000 करोड़ रुपए ( 14 बिलियन डॉलर ) की मंज़ूरी भी दे दी है। हालांकि भारतीय नौसेना के वाइस चीफ, एडमिरल पी. मुरुगेसन ने पिछले हफ्ते अंग्रेज़ी अखबार, द इकोनोमिक्स टाइम्स को बताया कि “इस दिशा में काम शुरु ज़रुर किया है लेकिन अभी यह बहुत प्ररांभिक स्तर पर है”।
जर्मनी, फ्रांस और रूस की सहायता से बनाए जाने वाले पारम्परिक एवं परमाणु पनडुब्बियों के ज़रिए भारत, चीन के विकसित पनडुब्बियों से मुकाबला करने की पूरी तैयारी में लगा है। लेकिन चीन तकनीकि रुप से काफी विकसित और आगे है। साथ ही यह पानी के भीतर की विशेषज्ञता को निर्यात करने की योजना भी बना रहा है।
खबर है कि चीन आठ युआन क्लास पनडुब्बी पाकिस्तान को बेचने की तैयारी में है। ऐसे में जब भारत पहले ही ‘संकट की स्थिति’ में है और चीन की बढ़ती पानी के भीतर की क्षमता से परेशान है, पाकिस्तान को पनडुब्बी निर्यात करने की खबर बेहद चिंताजनक है।
साल 2014 मेंजब दो बार चीन की पारम्परिक पनडुब्बी श्रीलंका की राजधानी कोलोंबो के बंदरगाह पर देखी गई थी, भारत बेहद परेशानी की स्थिति में था। हालांकि श्रीलंका ने बाद में आश्वासन दिया कि भारत के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी।
चीनी नौसेना भारत से आगे
एक परमाणु पनडुब्बी, आईएनएस चक्र, सहित भारत के पास 14 पनडुब्बियां हैं। जबकि चीन के पास 68 एवं पाकिस्तान के पास पांच पनडुब्बियां हैं। भारत ने आईअए चक्र साल 2012 में रूस से दस साल के लिए किराए पर लिया है।
रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समितिरिपोर्ट ( 2014-15 ) के अनुसार भारत के अधिकतर पारम्परिक पनडुब्बियां 20 साल पुरानी हैं जो सेवा प्रभार के अंतिम चरण में हैं। रिपोर्ट पनडुब्बियों की “निराशाजनक” स्थिति एवं “धीमे रफ्तार” की ओर इशारा करती है।
रक्षा मंत्री मनोहर परिक्कर ने राज्य सभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि पिछले पंद्रह सालों में भारतीय नौसेना ने दो पनडुब्बियों को अधिकृत किया है जबकि पांच अन्य पनडुब्बियों को सेवा मुक्त किया गया है।
साल 2014 में चीन ने 60 समुद्री जलयान प्रारंभ किया है। साल 2015 के अंत तक इतने ही और जलयान प्रारंभ करने की और संभावना है।
भारतीय नौसेना के पास 127 सतह जहाजों एवं 14 पनडुब्बियों के साथ कुल 141 जहाज हैं। वहीं चीनी नौसेना के पास 300 से भी अधिक सतह लड़ाकू, पनडुब्बी, जलस्थली जहाज, मिसाइल सशस्त्र गश्ती विमान मौजूद है।
भारत, चीन एवं पाकिस्तान में पनडुब्बी
Sources: (1) for India, (2) for China, (3) for Pakistan
समुद्र के नीचे भी चीन श्रेष्ठ
मौजूदा तारीख में चीन के पनडुब्बी बल के पास 59 पारम्परिक या डीज़ल-इलेक्ट्रिक एवं नौ परमाणु पनडुब्बियां हैं। नौ परमाणु पनडुब्बियों में से पांच परमाणु हमला करने की क्षमता वाली पनडुब्बी है जबकि चार बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों हैं।
परमाणु संचालित पनडुब्बियों दो प्रकार के होती हैं : परमाणु हमले की क्षमता वाली पनडुब्बियां (एसएसएन) और फ्लीट बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (एसएसबीएन )।
बैलिस्टिक मिसाइल समकक्षों की तुलना में वार पनडुब्बियां छोटी और तेज होती हैं। एसएसएन के ज़रिए क्रूज़ मिसाइल एवं पारम्परिक तरीके से गोला दाग कर शक्तिशाली विस्फोटकी सहायता दुशमन जहाज़ों कोसे नष्ट किया जाता है। एसएसबीन परमाणु हथियार के साथ बैलिस्टिक मिसाइल का प्रयोग करती हैं।
India’s Active Submarine Fleet | ||
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Name | Date of Commission | Type/Class |
Chakra | 04-Apr-2012 | Nuclear Powered/Chakra (Akula) Class |
Sindhugosh | 30-Apr-1986 | Diesel-electric/ Sindhughosh (Kilo) Class |
Sindhudhvaj | 12-Jun-1987 | Diesel-electric/ Sindhughosh (Kilo) Class |
Sindhuraj | 20-Oct-1987 | Diesel-electric/ Sindhughosh (Kilo) Class |
Sindhuvir | 26-Aug-1988 | Diesel-electric/ Sindhughosh (Kilo) Class |
Sindhuratna | 22-Dec-1988 | Diesel-electric/ Sindhughosh (Kilo) Class |
Sindhukesari | 16-Feb-1989 | Diesel-electric/ Sindhughosh (Kilo) Class |
Sindhukirti | 04-Jan-1990 | Diesel-electric/ Sindhughosh (Kilo) Class |
Sindhuvijay | 08-Mar-1991 | Diesel-electric/ Sindhughosh (Kilo) Class |
Sindhushashtra | 19-Jul-2000 | Diesel-electric/ Sindhughosh (Kilo) Class |
Shishumar | 22-Sep-1986 | Diesel-electric/ Shishumar Class (Type-1500) |
Shankush | 20-Nov-1986 | Diesel-electric/ Shishumar Class (Type-1500) |
Shalki | 07-Feb-1992 | Diesel-electric/ Shishumar Class (Type-1500) |
Shankul | 28-May-1994 | Diesel-electric/ Shishumar Class (Type-1500) |
Source: Indian Navy
भारत ने पहली बार परमाणु पनडुब्बी 1988 में रूसी नौसेना से किराए पर लिया था जिसे साल 1991 में वापस किया गया था।वर्तमान में परमाणु पनडुब्बी आईएनएस चक्र कोदुनिया का सबसे घातक गैर अमेरिकी वार नौकाओं में से एक माना जाता है।
भारत के पास अभी 9 सिंधुघोष क्लास या किलो क्लास डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां हैं। यह पनडुब्बियां रूस के रोसवुरुसहेनी एवं भारतीय रक्षा मंत्रालय के बीच हुए समझौते के तहत बनाया गया था। अन्य चार पनडुब्बियां जर्मन निर्मित शिशुमार क्लास डीज़ल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां ( टाइप 1500 ) हैं।
पनडुब्बी बेड़े के विस्तार के प्रयास में भारत
छह पारंपरिक फ्रेंच डिजाइन पनडुब्बियों, छह परमाणु वार पनडुब्बियों ( जैसा कि हमने पहले भी कहा है ) एवं तीन परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों के साथ भारत 15 और पनडुब्बी जोड़ने की योजना में है।
छह फ्रेंच डिजाइन स्कोर्पीन क्लास पनडुब्बियों की योजना को प्रोजेक्ट 75 का नाम दिया गया है। इस क्लास की पहली डीजल इलेक्ट्रीक पनडुब्बी – आईएएस कालवरी – अप्रैल 6 2015 में शुरु की गई थी। साल 2016 तक भारतीय नौसेना में जुड़ जाने की संभावना है। पांच अन्य पंडुब्बियां नौसेना को साल 2020 तक मिलने की उम्मीद है।
स्कोर्पीन पारम्परिक किस्म का पनडुब्बी है जिसमें कुछ ऐसी विकसित विशेषताएं हैं जिससे इन्हें आसानी से पहचाना नहीं जा सकता है। ऐसी पंडुब्बियों में ऐंटी-शिप मिसाइल एवं गोला दाग कर किसी भी जहाज को पूरी तरह नष्ट करने की सुविधा है।
दो पनडुब्बियां विदेश में सहयोगी यार्ड ( डीसीएनएस , फ्रांस)में निर्मित हो रहे हैं जबकि चार भारत में ही ( तीन मजगांव डॉक, मुंबई और एक हिंदुस्तान शिपयार्ड, विशाखापटनम ) में बनाए जा रहे हैं।
भारत की पहली स्वदेश निर्मित परमाणु चालित पनडुब्बी सामरिक , आईएनएस अरिहंत (दुश्मन की विनाशक ), 2009 में शुरू किया गया था और वर्तमान में इसकी परिक्षण किया जा रहा है। एसएसबीएन भारत को तीन परमाणु मिसाइल विशेषता प्रदान करता है जिसे हवा, ज़मीन से एवं समुद्र से भीतर से चलाया जा सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक एक और एसएसबीन, आईएनएस अर्धिमन, का भी निर्माण कार्य चल रहा है। साथ ही तीसरे पर भी काम जल्द ही शुरु किया जाएगा।
रिपोर्ट की मानें तो चीन के पास पहले ही तीन जिन क्लास एसएसबीएन सेवा में है। संभावना है कि साल 2020 तक इनकी संख्या आठ हो जाएगी।
एक सस्ता और तेज विकल्प : पनडुब्बी रोधी क्षमताओं को बढ़ाना
चीन की बढ़ती पनडुब्बी दबदबाप्रत्युत्तर में 14 जुलाई, 2015 को रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका निर्मित पी- 8Iलंबी दूरी की , पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) समुद्री गश्ती विमान की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दे दीहै।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास पहले ही ऐसे पांच विमान मौजूद हैं।
मई 2015 में, आईएनएस कावारत्ती , चौथी स्वदेश निर्मित ASW कार्वेट , शुरू किया गया था ।
मध्यम दूरी की बंदूध, जहाज तोड़ने वाला गोले का ट्यूब, रॉकेट लॉंचर, और एक हेलीकॉप्टर सहित यह कला हथियारों एवं संवेदक से लैस है।
भारत 16 एस -70B ASW हेलिकॉप्टरों के लिए अमेरिका ' सिकोरस्की एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन के साथ एक अनुबंध को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। यह समझौता पिछले पंद्रह सालों से लंबित है।
वर्तमान में जब चीन समुद्री प्रभुत्व में लगातार आगे बढ़ रहा है, भारत के अधिकतर जहाज़ो में एएसडब्लू हेलिकॉप्टर की कमी है।
( मल्लापुर इंडियास्पेंड के साथ एक नीति विश्लेषक है )
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 20 जुलाई 15 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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