पाकिस्तानी नाव उड़ने पर हंगामे के बीच तटीय असुरक्षा की कमियां छिपी
नाव को उड़ा दो। हम उन्हें बिरयानी नहीं परोसना चाहते।
दिसंबर 2014 को तटरक्षक बल के उप महानिरीक्षक द्वारा एक पाकिस्तानी नाव डुबो देने का जो विवादास्पद आदेश, 17 फरवरी को इंडियन एक्सप्रेस के एक वीडियो द्वारा सामने आया है , उसने भले ही उस सरकारी दावे का कि - नाव खुद ही उड़ी थी -की धज्जियां उदा दी हैं लेकिन इस सारे हंगामे में एक बड़ी समस्या लुप्त हो कर रह गई है : वह यह कि , भारत की 7500 किलोमीटर लंबी तटरेखा की सुरक्षा आज भी हमेशा की तरह बहुत कमजोर है।
Source: Indian Express
तटीय सुरक्षा में ढील के कारण महाराष्ट्र में रायगढ़ तट पर विस्फोटकों की तस्करी हो सकी जिसके कारण 1993 में मुंबई में सीरियल बम विस्फोटों की घटना सम्भव हो पाई । इस पोरस (झीने ) समुद्र तट पर मुंबई में 10 आतंकवादियों के उतरने के कारण 2008 में 26/11 का हमला सम्भव हो सका।
रक्षा विश्लेषक, सी. उदय भास्कर का कहना है कि कैसे भारत अपने पूर्वी समुद्री तट पर ख़ुफ़िया जानकारी-मछुआरों से- इकट्ठी करता है यही आपको बता सकता है कि सुरक्षा में इतनी कमी क्यों है
कम से कम 22 मंत्रालय और विभाग भारत की तटरेखा की रक्षा में जुटे हैं, अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (आईडीएसए) में एसोसिएट फेलो पुष्पिता दास अपनी रिपोर्ट "तटीय सुरक्षा- भारतीय अनुभव " में लिखती हैं । जाहिर है, समन्वय एक समस्या है।
वैसे, भारत का समुद्र तट 7500 किमी से अधिक दूरी तक फैला हुआ है और नौ राज्यों और चार संघ शासित क्षेत्रों को शामिल कर ले तो यह कम विशाल नही है।
भारत का लम्बा प्रताड़ित समुद्र तट(किमी)
Source: Ministry of Home Affairs
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने पिछले सप्ताह उन अलग-थलग हिस्सों को पहचानने के लिए, जिनका इस्तेमाल अन्य लोगों के द्वारा हथियार, विस्फोटक या आतंकवादियों को उतारने के लिए किया जा सकता है , एक उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया था । सरकार अब एक समर्पित समुद्री पुलिस बल स्थापित करने के लिए एक योजना बना रही है , पहले से ही जटिल क्रम में एक और धूरी ।
चोरी। सशस्त्र डकैती। तस्करी। एक बढ़ती लहर
समुद्री घुसपैठ और तस्करी के निरीक्षण से स्पष्ट होता है कि भारत के तट आपराधिक गतिविधियों का केंद्र हैं।
विभिन्न राज्यों में लोगों द्वारा घुसपैठ
Source: Lok Sabha
Source: Lok Sabha *Figure is approximate
2013 में, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और तमिलनाडु में बहुत सी प्रमुख घुसपैठ की सूचना मिली थी । कुल 857 लोगों ने घुसपैठ का प्रयास किया था जिनमे से अधिकांशतः म्यांमार और श्रीलंका की ओर से थे । ये गिरफ्तारियां भारतीय तटरक्षक बल और स्थानीय पुलिस द्वारा की गई थीं।
तमिलनाडु में 2013 में हुई सभी 16 तस्करीयों की सूचना दी गई थी। लगभग 117 करोड़ रुपए मूल्य का माल जब्त किया गया और 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सरकार के अनुसार, सुरक्षा में सुधार वर्ष 2014 में हथियार या व्यक्तियों की तस्करी का कोई मामला रिपोर्ट नहीं किया गया।
समुद्री चोरी और सशस्त्र डकैती: 2009 से जून 2014 के बीच में भारतीय तटों से 49 वास्तविक और प्रयासित सशस्त्र डकैती और चोरी की घटनाओं की सूचना दी गई थी । इंडिया स्पेंड ने इससे पहले 2013 में हिंद महासागर क्षेत्र में 189 चोरियों की सूचना दी थी।
समुद्री व्यापार और रणनीतिक स्थान : भारतीय समुद्र तट , प्रमुख 13 और 187 गैर-प्रमुख बंदरगाहों द्वारा चिह्नित है , जिसके माध्यम से 90% समुद्री व्यापार अंतरराष्ट्रीय समुद्री लेनों से जुड़ता है। यह बंदरगाहों अति महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि यह आर्थिक गतिविधीयों और सामरिक प्रतिष्ठानों का केंद्र हैं जैसे नौसैनिक अड्डे , परमाणु संयंत्र, सेटेलाइट लांच पैड, एलएनजी टर्मिनल और किनारों और उनसे दूर पर अन्वेषण गतिविधियाँ ।
एक सुरक्षा जाल -और आने वाले दिनों में उससे अधिक
भारत की जल सीमा एक त्रि-स्तरीय रक्षा तंत्र द्वारा संरक्षित है।
समुद्री / तटीय पुलिस 12 नॉटिकल मील (22 किमी) तक प्रादेशिक जल की रक्षा करती है। भारतीय तटरक्षक बल की भौगोलिक सीमा, 0 से 200 नॉटिकल मील (0-370 किमी), तक फैली हुई है जो भारत की विशेष आर्थिक क्षेत्र सीमा भी है। 200 समुद्री मील के बाद का क्षेत्र भारतीय नौसेना के तहत आता है ।
भारतीय तटरक्षक बल में 10.646 कर्मी हैं ज़रूरत से 23% कम। तटरक्षक बल में 103 महिला अधिकारी हैं।
2008 के मुंबई हमले के बाद केन्द्र सरकार ने तटीय सुरक्षा पर 570 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
तटीय सुरक्षा पर खर्च की गई निधि (करोड़ रुपए)
Source: Rajya Sabha/Lok Sabha
2005-06 में, तटीय सुरक्षा योजना (प्रथम चरण या चरण -I) के अंतर्गत सरकार ने , 73 तटीय पुलिस स्टेशन, 97 चेक पोस्ट, 58 चौकी, 30 बैरकों, 204 इंटरसेप्टर नौकाओं, 153 जीपों और 312 मोटर साइकिल प्रदान की हैं । इनकी लागत 646 करोड़ रुपये रही ।
हालांकि, 26/11 के आतंकी हमलों ने भारत की तटीय सुरक्षा में प्रमुख खामियों को उजागर किया है । तो, चरण- II पर 2011 के बाद से परिपालन शुरू हो चुका है । इसक पर 1580 करोड़ रुपये का खर्च आएगा जिसमे से , 122.58 करोड़ रुपये की राशि नवम्बर 2014 तक दी जा चुकी है।
दूसरे चरण में सरकार , 131 समुद्री पुलिस स्टेशन, 60 जेट्टी , 10 समुद्री पुलिस आपरेशन सेंटर, 150 नौकाऐं (12 टन), 10 नौकाऐं (5 टन) 20 नौकाऐं (19 मीटर), 35 कठोर इंफलेटिवल नौकाएं और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए 10 बड़े जहाज प्रदान करने की योजना बना रही है ।
इनमें से 82 पुलिस स्टेशन शुरू हो चुके हैं और कार्य कर रहे हैं लेकिन जेट्टी के लिए केवल 10 स्थलों पर ही अधिग्रहण किया गया है। केवल 42 तटरक्षक स्टेशन ही अभी तक कमीशन हुए हैं ।
रडार स्टेशनों की संख्या , राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश अनुसार
Source: Lok Sabha
कुल 46 रडार स्टेशन सरकार के द्वारा अनुमोदित किए गए थे जिसमे से 44 स्टेशन कार्यभार संभालने के लिए तैयार हैं और इसके अतिरिक्त 38 रडार स्टेशन तटीय सुरक्षा योजना के द्वितीय चरण में तैयार हो जाएंगे।
इन उपायों के अलावा से सरकार ने तटीय आबादी के लिए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्ट्री और सभी मछली पकड़ने वाली नौकाओं के पंजीकरण के लिए कार्य शुरू कर दिया है।
2009 के बाद से, तटरक्षक मछुआरों समुदाय के साथ बातचीत कार्यक्रम शुरू किया है जो प्रवर्तन एजेंसियों की मदद के लिए 'आँख और कान' का कार्य करें । मछुआरों की इस संदर्भ में भूमिका जल्द ही समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है।
(चैतन्य मल्लापुर इंडिया स्पेंड के साथ एक नीति विश्लेषक /अनुसंधान लेखक हैं )
____________________________________________________________
"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.org एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :