प्रदूषण कम करने के लिए सिर्फ ऑड-इवन से नहीं बनेगी बात
दिल्ली में सम-विषम फॉर्मूला लागू होने के चौथे दिन कई इलाकों में प्रदूषणस्तर तय मानकों से उपर दर्ज किया गया है। इससे स्पष्ट है कि दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक दिल्ली की हवा को शुद्ध करने के लिए सरकार को अन्य कदम उठाने पड़ेंगे।
प्रदूषण स्तर कम करने के लिए अन्य उपायों (जो आम आदमी पार्टी द्वारा सुझाए गए हैं लेकिन अब तक लागू नहीं किए गए) में दोपहिया वाहनों पर प्रतिबंध, वाहनों के लिए सुनिश्चित करना कि मौजूदा स्थिति की तुलना में ईंधन पांच गुना अधिक साफ है, ट्रकों के लिए मार्ग बदलना, निर्माण कार्य से होने वाले धूल को नियंत्रित करना एवं ऊर्जा संयंत्रों को बंद या साफ करना शामिल हैं।
हालांकि ट्रैफिक में कमी ज़रुर हुई हैं लेकिन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र भर में इंडियास्पेंड के सभी 17 सेंसरों में “गंभीर” स्थिति या वायु प्रदूषण का सबसे बुरा स्तर दर्ज किया गया है।
खचाखच भरी हुई ट्रेनें, सड़कों पर कम ट्रैफिक, और आगे विकट चुनौतियां
पंजीकरण प्रतिबंधों के साथ, सोमवार का दिन सम-विषम फॉर्मूला के लिए लिटमस परिक्षण जैसा था।
Today will be the first real test of the #OddEvenPlan so good luck Delhi. Lots of interest in what you do today.
— Omar Abdullah (@abdullah_omar) January 4, 2016
इस सम-विषम योजना के तहत वाहन जिनका पंजीकरण अंक विषम अंक से समाप्त होती है वो विषम तारीखों को सड़कों पर चलेंगीं और अगले दिन सम नंबर प्लेट वाली गाड़ियां चलेंगी। सोशल मीडिया पर सम-विषम फॉर्मूला योजना पर मिश्रित राय देखने मिली है। सड़कों पर कम गाड़ियों के चलने से कुछ लोगों का सकारात्मक अनुभव रहा है।
Driving to office has never been such a breeze! #OddEven pic.twitter.com/vy2kATOLhb — Rohini Singh (@Rohinisgh) January 4, 2016
कुछ लोगों की सार्वजनिक परिवहनों में पहले के मुकाबले अधिक भीड़ होने की शिकायत है, विशेष रूप से 190 किलोमीटर दिल्ली मेट्रो नेटवर्क में खचाखच भीड़ होने की बात सामने आई है।
कुछ टिप्पणीकारों ने तो सम-विषम योजना के सफल होने की घोषणा भी कर दी है।
Cassandras proved wrong. On a full working day #OddEvenPlan plan is highly successful idea. Saboteurs will not give up easily?
— Prabhu Chawla (@PrabhuChawla) January 4, 2016
From all that I have seen and heard, clearly this #OddEvenPlan is working. More because the citizen has awakened! — SUHEL SETH (@suhelseth) January 1, 2016
कुछ लोगों ने सतर्कता की ओर ध्यान देंने की बात कही है।
Never forget #OddEvenPlan isn't about how good the traffic is but about how good the air is. Light traffic but bad air means a failed plan
— sushant sareen (@sushantsareen) January 4, 2016
क्यों प्रदूषणस्तर अब भी है अधिक? सड़कों पर से गाड़ी हटाना पर्याप्त नहीं #breathe की सेंसर रीडिंग, जो इंडियास्पेंड की वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क है, आगे चुनौतियों का एक संकेत देती है। उद्हारण के लिए, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली पर लगे हमारे सेंसर, से सोमवार 4 जनवरी 2016 को 06:00 बजे 529 की प्रति घंटा वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) दर्ज की गई है। यह आंकड़े ' गंभीर ' श्रेणी में आते हैं, यानि कि लंबे समय तक ऐसी जगह में रहने से सांस की बीमारियां हो सकती हैं। शाम 6 बजे कनॉट प्लेस सेंसर से प्रति घंटा की औसत से पार्टिकुलेट मैटर (कणिका तत्व या पीएम) 2.5 प्रति घन मीटर 315 माइक्रोग्राम दर्ज की गई जबकि पीएम 10 प्रति घन मीटर 533 माइक्रोग्राम दर्ज की गई है। (कणिका तत्व, हवा में पाए जाने वाले कणों के लिए सामूहिक शब्द है। पीएम 2.5 वैसे कण होते हैं जिनका व्यास 2.5 माइक्रोन के तहत होता है। जबकि पीएम 10 वैसे कण हैं जिनका व्यास 10 माइक्रोन के तहत होता है।) सोमवार, 4 जनवरी 2016 के लिए प्रदूषणस्तर
Source: IndiaSpend #breathe
तो दिल्ली में प्रदूषण के पीछे क्या कारण है? विभिन्न अध्ययन इसके लिए विभिन्न कारकों को दोष देती हैं जैसा कि इकोनोमिक टाइम्स की यह रिपोर्ट बताती है।
राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) द्वारा की गई तीन साल (2007-2010) के एक अध्ययन के अनुसार, प्रदूषण के कारणों में वाहन टॉप तीन डाटा में शामिल नहीं हैं। रिपोर्ट कहती है कि वायु प्रदूषण के प्रमुख श्रोत सड़कों की धूल (52 फीसदी), उद्योग (22 फीसदी) और जल कचरा (18 फीसदी) है।
सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई एवं पीटीआई की रिपोर्ट में उद्धृत 2013 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (कानपुर) के एक अध्ययन के अनुसार PM2.5 स्तर के लिए सड़क की धूल पीएम 2.5 स्तर का (38 फीसदी) प्रमुख कारण है। पीएम 2.5 प्रदूषण के लिए वाहनों का 20 फीसदी योगदान है जबकि 11 फीसदी के साथ औद्योगिक श्रोत तीसरे स्थान पर है।
ईंधन के पांच गुना अधिक साफ और बिजली संयंत्रों को बंद होने की आवश्यकता
दिल्ली में प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों को देखते हुए आम आदमी पार्टी सरकार को अपने अन्य प्रस्तावों की ओर ध्यान देना होगा। इनमें से कुछ यहां हैं :
- बदरपुर और राजघाट थर्मल पावर प्लांट बंद करने के साथ ही ग्रेटर नोएडा के निकट दादरी बिजली संयंत्र को बंद करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक आवेदन के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।
- देश के बाकी हिस्सों के लिए निर्धारित कट ऑफ तारीख से पहले ही 1 जनवरी 2017 तक यूरो 6 उत्सर्जन मानकों को लागू करना।
- दिल्ली की सड़कों से निर्वात मार्जक से साफ़ई करना। लक्ष्य शुरू करने की तारीख 1 अप्रैल 2016 के लिए निर्धारित किया है।
- क्षेत्र, जैसे कि सड़क के कच्चे भाग और अन्य खुले स्थानों के लिए बागवानी कार्य करना और सुनिश्चित करना कि धूल में इसका योगदान न हो।
- माल ट्रकों को केवल रात के 10 बजे के बाद दिल्ली की सड़कों पर स्थानांतरित करने की अनुमति देना ताकि ट्रैफिक में यह बाधा न बन सके। यह भी सुनिश्चित करना कि ट्रक उत्सर्जन मानकों को पूरा कर रहे हैं या नहीं यदि नहीं तो उन पर जुर्माना लगना।
इनमें को कोई भी लागू करना आसान नहीं होगा।
बदरपुर और राजघाट थर्मल पावर स्टेशनों को बंद करने पर विचार करें। बिजनेस स्टैंडर्ड के इस कॉलम के अनुसार बदरपुर संयंत्र 40 साल से भी अधिक पुराना है और भारत के सबसे कम कुशल संयंत्र में से एक है। संयंत्र को बंद करने के लिए सरकार ने दिसंबर में नोटिस भी भेजा है लेकिन अब तक इसे बंद नहीं किया जा सका है और अभी सम-विषम योजना के प्रभाव के दौरान इसती जल्ब बंद होने की संभावना भी नहीं है।
आप सरकार ने वाहनों के लिए यूरो 6 या बी एस 6 (भारत स्टेज 6) समकक्ष उत्सर्जन मानकों को 2017 तक अनिवार्य करने की योजना बनाई है, इसका मतलब हुए कि अभी की तुलना में वाहनों के लिए इस्तेमाल होने वाला ईंधन पांच गुना अधिक साफ होना चाहिए। लेकिन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि अगले दो वर्षों तक यह संभव नहीं हो पाएगा।
तेल रिफाइनरियों को ईंधन की आपूर्ति के लिए, बी एस 6 वाहनों के लिए उन्नयन की आवश्यकता है जो कि 2020 तक ही संभव हो पाएगा। मिंट की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में, प्रमुख शहरों में उपलब्ध ईंधन बी एस 4 मानकों के अनुरूप है, जो प्रति मिलियन 50 भागों में है।
अन्य प्रस्तावित उपायों में 1 अप्रैल 2016 से सड़कों की निर्वात - सफाई के साथ धूल नियंत्रित करने के लिए सड़कों के किनारे वृक्षारोपण अभियान शामिल है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए सम-विषम योजना ही काफी नहीं है जब तक कि अन्य कम से प्रचारित योजनाओं पर काम न किया जाए।
इस बीच, सम-विषम योजना का लिटमस परीक्षण जारी रहेगा।
The 2nd real test for #OddEvenPlan to succeed will b when d school holidayseason ends.It's then when all Delhites r truly back using roads..
— Kiran Bedi (@thekiranbedi) January 1, 2016
यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 05 जनवरी 2016 को indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।
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