620_FACTLY

डाटा आधारित पोर्टल –factly.in द्वारा संकलित किए गएआंकड़ों के अनुसार केंद्र न सिर्फ देश की जनता से किए वादों को निभाने में असफल रहा है बल्की संसद को दिए गए आश्वसनों को पूरा करने में भी असमर्थ ही दिख रहा है।

Factly.in के आंकड़ों के मुताबिक 16वीं लोकसभा के दौरान दिए गए आश्वासन में से लगभग 80 फीसदी वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है। यदि एक नज़र 15वीं लोकसभा में दिए गए आश्वसनोंपर दिया जाए तो उनमें से 30 फीसदी आश्वासनअपूर्ण हैं। जबकि राज्यसभा को दिए गए आश्वसनों में से 13 फीसदी वादों पर कोई काम नहीं किया गया है।

क्या है आश्वासन?

लोकसभा में किसी प्रश्न का उत्तर देना याविधेयकों, संकल्पों या प्रस्तावों पर विचार विमर्श के दौरान कई बार मंत्रियों द्वारा मुद्दों पर उचित कार्यवाही करने का विश्वास दिलाना ही आश्वासन कहलाता है। नीचे दिए गए कुछ आश्वासन के उद्हारण हैं जो आम तौर पर सदन को दिए जाते हैं।

  • मामले पर ध्यान दिया जा रहा है।
  • मामले की जांच चल रही है।
  • माननीय सदस्य को सूचित किया जाएगा।
  • यह राज्य सरकार के लिए गंभीर समस्या है लेकिन मैं इस पर गौर करुंगा।
  • मैं सदन को आश्वासन देता हूं कि सभी माननीय सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार किया जाएगा।

सरकारी आश्वासनों और प्रक्रिया संबंधी संसदीय समिति

केंद्र द्वारा दिए गए आश्वसन निर्धारित समय सीमा के अंदर पूरा हो सके इस पर निगरानी रखने के लिए लोकसभा एवं राज्यसभा द्वारा एक समिति का गठन किया गया है।" सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति" इस बात की निगरानी करती है कि केंद्र द्वारा दिए गए आश्वासनों को ठीक प्रकार पूरा किया जा रहा है या नहीं। पूरी प्रक्रिया इस प्रकार है –

  • आश्वासनों की पहचान के लिए लोकसभा में हुए चर्चा के दौरानमंत्रियों द्वारा दिए गए उत्तर/बयान की पूरी जांच लोकसभा सचिवालय करती है। राज्यसभा में भी इसी तरह की प्रक्रिया होती है।
  • जांच के दौरान मिले सारे आश्वासनों को संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा किए गए आश्वासनों के साथ मिलाया जाता है।
  • एक बार जब इन आश्वासनों को अंतिम रुप देने के बाद, संबंधित विभागों एवं मंत्रालयों को सूचित किया जाता है।
  • मंत्रालय एवं विभागों को दिए गए आश्वसनों को पूरा करने के लिए समिति द्वारा संसद में दिए गए आश्वसन की तारीख से तीन महीने का समय दिया जाता है। हालांकि यदि निर्धारित समय में वादा पूरा करने में कोई समस्या दिखती है तो मंत्रालय इसे पूरा करने के लिए थोड़ा समय और मांग सकती है।जबकि समय सीमा बढ़ाने के लिए दिया गया कारण अनुचित नहीं होता समिति समय सीमा बढ़ा देती है।
  • यदि सरकार को लगता है कि उनके द्वारा दिया गया आश्वासन पूरा नहीं किया जा सकता तो ऐसी स्थिति में सरकार समिति से आश्वासन वापस लेने का अनुरोध कर सकती है। यदि समिति भी सरकार से सहमत होती तो आश्वासन वापस लेने की सिफारिश करती है।

14वीं लोकसभा में , 10 में से दिए गए 9 आश्वासन अपूर्ण हैं

हालांकि 14वीं लोकसभा ( 2004-2009 ) के पूरे आंकड़े मौजूद नहीं हैं लेकिन प्राप्त जानकारी के मुताबिक 14वीं लोकसभा के दौरान किए गए 89 फीसदी आश्वासन पूरे नहीं किए गए हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, दिए गए 137 आश्वासनों में से 122 आश्वासन को अब भी पूरा करना बाकि है। आंकड़ों के अनुसार केवल 14 आश्वासन पूरे किए गए हैं जबकि एक आश्वासन वापस ले लिया गया है।

20 जुलाई 2015 तक अपूर्ण आश्वासन का प्रतिशत

desk_table1

Source: Lok Sabha; Data as July 20, 2015; Image: Factly.in

15वीं लोकसभा ( 2009-14 ) के दौरान दिए गए कुल आश्वासनों में से 30 फीसदी अपूर्ण हैं। कुल दिए गए आश्वासनों की संख्या 5,799 देखी गई है जिसमें से 3,951 पूरे किए गए जबकि 141 वापस लिए गए एवं 1,707 अब तक अपूर्ण हैं।संसदीय कार्य मंत्रालय , प्रधानमंत्री कार्यालय , पर्यावरण एवं पंचायती राज मंत्रालय सहित 11 मंत्रालयों के 40 फीसदी अश्वासन लंबित हैं।

विभिन्न मंत्रालयों में लंबित आश्वासन का प्रतिशत ( 15वीं लोक सभा)

desk_table2

Source: Lok Sabha; Data as July 20, 2015; Image: Factly.in

मौजूदा लोकसभा में 10 में से आठ आश्वासन है अपूर्ण

मौजूदा लोकसभा में 81 फीसदी आश्वासन अपूर्ण हैं। हालांकि पिछले सत्र के दौरान दिए गए आश्वासनों को पूरा करने करने में वक्त लग सकता है लेकिन 16वीं लोकसभा के दूसरे और तीसरे सत्र के दौरान दिए गए आश्वासनों का 70 फीसदी एवं 90 फीसदी हिस्सा पूरा नहीं किया गया है। कुल 1,298 आश्वासन दिए गए थे जिसमें से केवल 241 को ही पूरा किया गया है। तीन आश्वासन को वापस लिया गया है जबकि 1,054 अब भी अपूर्ण हैं।

20 जुलाई 2015 तक लंबित आश्वासनों का प्रतिशत ( 16वीं लोकसभा )

desk_table3

Source: Lok Sabha; Data as July 20, 2015; Image: Factly.in

प्रधानमंत्री कार्यालय का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक

प्रधानमंत्री कार्यालय सहित 10 अन्य मंत्रालयों में दिए गए आश्वासनों में 100 फीसदी अपूर्ण हैं। 22 मंत्रालयों में लभगभ 90 फीसदी आश्वासन पूरे नहीं किए गए हैं। तीन मंत्राललयों को छोड़ कर ( संसदीय कार्य, पूर्वोत्तर क्षेत्र के खान एवं विकास ) अन्य सभी मंत्रालयों में 50 फीसदी आश्वासन लंबित हैं।

अन्य मंत्रालयों में लंबित आश्वासन ( 16वीं लोकसभा )

desk_table4

Source: Lok Sabha; Data as July 20, 2015; Image: Factly.in

राज्यसभा में परिणाम सबसे उत्तम

राज्यसभा में कुल किए गए आश्वासन में से 13 फीसदी से अधिक अपूर्ण हैं। कुल मिलाकर 1,5567 आश्वासन दिए गए थे, जिसमें से 12,600 पूरे किए जा चुके हैं। जबकि 918 आश्वासन वापस लिए जा चुके हैं एवं 2,049 अपूर्ण हैं। पांच विभागों में किए गए सभी आश्वासन ( 100 फीसदी ) अपूर्ण हैं।

( दुब्बदु पिछले एक दशक से सूचना के अधिकार से संबंधित मुद्दों पर काम कर रहे हैं। दुब्बदु शासन/नीतिगत मुद्दों के विशेषज्ञ हैं। factly.in सार्वजनिक डेटा सार्थक बनाने के लिए समर्पित है ।)

यह लेख मूलत: अंग्रेज़ी में 28 जुलाई 15 को indiaspend.com पर प्रकाशित किया गया है


"क्या आपको यह लेख पसंद आया ?" Indiaspend.com एक गैर लाभकारी संस्था है, और हम अपने इस जनहित पत्रकारिता प्रयासों की सफलता के लिए आप जैसे पाठकों पर निर्भर करते हैं। कृपया अपना अनुदान दें :