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महादलित जाति की पूर्व सफाई कर्मचारी, भागीरथी देवी ( बीच में)। 65 वर्ष की भागीरथी देवी बिहार की उन 28 महिला विधायकों में से हैं जो आगामी विधानसभा चुनाव में खड़ी हो रही हैं। भागीरथी देवी की राजनीति में भूमिका से स्पष्ट है कि महिलाएं अब पुरुष रिश्तेदारों की प्रॉक्सी नहीं हैं। छवि क्रेडिट: भागीरथी देवी / नित्यानंद कुमार

पैंतीस वर्ष पूर्व, भागीरीथी देवी, बिहार के पश्चिमि चंपारण ज़िले के एक शहर नरकटियागंज के खंड विकास कार्यालय में सफाई करने का काम करती थीं।

आज की तारीख में वही भगीरथी देवी भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) की ओर से विधानसभा में तीसरे कार्यकाल की सदस्य हैं। 243 सदस्यीय विधानसभा में 34 महिला विधायकों में से एक श्रीमती देवी, पश्चिमोत्तर बिहार में रामनगर (पूर्व शिकारपुर ) निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

महादलित भागीरथी देवी ( बिहार सरकार ने वर्ष 2007 में नीची जाति दलितों के सबसे गरीब लोगों को यह नाम दिया था ) ने अपने आस-पास होने वाली घटनाओं की प्रतिक्रिया में राजनीति में शामिल होने का फैसला लिया था।

65 वर्ष की देवी के अनुसार “खंड विकास अधिकारी के कार्यालय में आने वाले गरीबों खास तौर पर गरीब महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय एवं अत्याचार को देखकर ही मैंने राजनीति में आने का फैसला किया था। उस दिन मैंने सोच लिया कि मैं राजनीति में जाउंगी और बाबूओं को सबक सिखाऊंगी।”

वर्ष 1980 में भागीरथी देवी ने सफाई कर्मचारी की नौकरी छोड़ राजनीति की ओर पहला कदम उठाया। शुरु के कुछ वर्षों में भागरीथी देवी ने नरकटिगंज ज़िले में महिला संगठन बनाने एवं कई गंभीर मुद्दे जैसे घरेलू हिंसा, दलितों के खिलाफ हिंसा, उचित मजदूरी न देने के खिलाफ जागरुकता फैलाने में अहम भूमिका निभाई है। धीरे-धीरे श्रीमती देवी ने राजनीति सक्रियता का विस्तार किया एवं प्रदर्शन के आयोजन के लिए वर्ष 1991 में जेल भी जाना पड़ा था।

छह बच्चों की मां, भागीरथी देवी के लिए राजनीति में आने का निर्णय आसान नहीं था। घर और राजनीति, दोनों में सामंजस्य रख पाना बेहद मुश्किल था।

भागीरथी के पति ( रेलवे कर्मचारी ) संदेहपूर्ण दृष्टि से पूछा करते, “घर देखोगी कि राजनीति करोगी?”

और भागीरथी का जवाब होता “घर भी देखेंगे और राजनीति भी करेंगे।” और यह उनके जोश एवं उत्साह की ही ताकत थी कि राजनीति के लिए अगले पांच साल तक अपने पति से दूर रहीं।

कम से कम एक दशक के संघर्ष के पश्चात के बाद दलगत राजनीति में भागीरथी ने प्रवेश किया एवं इसके बाद भी संघर्ष जारी रही। भाजपा से चुनाव का टिकट मिलने में श्रीमती देवी को 10 और वर्ष का समय लगा।

आज की तारीख में भागीरथी देवी विधानसभा की उन विधायकों में से एक हैं जिन्हें चुप कराना आसान नहीं है।

भागीरथी देवी की राजनीतिक यात्रा, धैर्य और दृढ़ संकल्प से एक होने के साथ ही, हमें महिलाओं, विशेष रुप से उपेक्षित समूह की महिलाओं की राजनीति की राह में आने वाली मुश्किलों की कहानी भी कहता है। महिलाओं को आम तौर पर पुरुष रिश्तेदार की “प्रॉक्सी” के रुप में ही देखा जाता है।

बिहार में महिला विधायक क्यों नहीं हैं प्रॉक्सी

इंडियास्पेंड ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अन्य मामलों में पिछड़े रहे बिहार राज्य में, पिछले एक दशक में भागीरथी देवी विधानसभा सदस्यों में महिलाओं की उल्लेखनीय भूमिका की प्रतिछाया हैं।

एक सवाल जो अक्सर पूछा जाता है कि , “महिला विधायक वास्तव में सशक्त हैं या फिर शक्तिशाली पुरुष रिश्तेदार की प्रॉक्सी होती है? ”

वर्ष 1992 में किए गए संविधान के 73वें संशोधन के तहत महिलाओं के लिए घोषित 33 फीसदी आरक्षण के कारण चुनाव न लड़ पाने या सीट त्यागने वाले पुरुष रिश्तेदार या आपराधिक मामले में शामिल होने के कारण अयोग्य घोषित होने की स्थिति में उनके स्थान पर चुनाव लड़ने वाली महिलाओं के लिए ‘प्रॉक्सी’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।

‘प्रॉक्सी’ शब्द और अधिक प्रचलित लालू यादव के समय में हुआ जिन्होंने चारा घोटाले के बाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया था।

प्रॉक्सी शब्द की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है - आपराधिक गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पुरुष रिश्तेदारों का चुनाव में लड़ने से अयोग्य घोषित होने पर महिलाओं को चुनाव में खड़ा करना ही प्रॉक्सी कहलाता है। बिहार के आंकड़े अब इस व्यापक रूप से आयोजित धारणा को झुठलाती है।

Myneta.in ( डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), एक एडवोकेसी जो राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक पार्टियों का ट्रैक रखती है, द्वारा चलाए जा रहे एक जनहित वेबसाइट ) पर प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार बिहार के 34 महिला विधायकों में से केवल छह महिला विधायकों ने पुरुष रिश्तेदारों ( आमतौर पर पति ) द्वारा खाली सीटों पर चुनाव लड़ा है।

82 फीसदी महिला विधायकों ने अपनी योग्यता के आधार पर चुनाव लड़ा है।

Some Women MLAs In Bihar
NamePartyConstituencyMale Relative
Leshi SinghJD(U)DhamdahaWidow of Madhusudhan Singh, against whom many criminal cases have been filed
Annu ShuklaJD(U)LalganjWife of Vijay Kumar Shukla (Munna) arrested on criminal charges
Razia KhatoonJD(U)KalyanpurWife of two-time MLA Obaidullah Khan
Gulzar DeviJD(U)PhulparasWife of ex-MLA Devendra Yadav, sentenced to life imprisonment
Poonam Devi YadavJD(U)KhagariaWife of ex-MLA Ranvir
Jyoti RashmiIndependentDehriwife of ex-MLA Pradeep Joshi

Source: myneta.in

लिंग और वर्ग पूर्वाग्रह के साथ रुख महिला विधायकों के लिए प्रॉक्सी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। महिला राजनीतिक उम्मीदवारों पर मीडिया कहानियों में अक्सर इन बातों का ज़िक्र किया जाता है।

प्रॉक्सी की छवि से बाहर निकल रही हैं महिलाएं

लेशी सिंह, पूर्वी बिहार के धमदाहा से विधायक, एवं भूटन सिंह की विधवा ( जिनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए है ) को उनके पति के मृत्यु के लंबे समय बाद तक उन्हें प्रॉक्सी ही बुलाया जाता रहा जबकि शिक्षित पुरुष जिन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद राजनीति में प्रवेश किया उन्हें विरासत आगे ले जाने के रुप में देखा जाता है।

हालांकि, प्रॉक्सी के रुप में राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश करने वाले कुछ महिलाओं के लिए , यह राजनीतिक और व्यक्तिगत उन्नति के लिए एक अवसर है। बीमा भारती, पूर्वी बिहार के पूर्णिया जिले के रुपौली से जद (यू) की विधायक, इसका एक अच्छा उदाहरण है। वर्ष 2000 में बीमा भारती ने अपने पति, अवधेश सिंह मंडल ( जिनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं ) के आदेश पर राजनीति में स्वतंत्र विधायक के रुप में प्रवेश किया।

बीमा भारती ने, जो नाम मात्र ही पढ़ी लिखी थी, वर्ष 2010 में अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा के लिए शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद अवधेश सिंह मंडल को गिरफ्तार किया गया था। यह बिहार जैसे राज्य के लिए अपने आप में एक असधारण घटना थी जहां पर पुलिस पर राजनीति पार्टियों का खासा प्रभाव रहता है। लेकिन भारती की राजनीतिक सफर यहीं समाप्त नहीं हुआ। उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में भी मंत्री बनाया गया ।

आलचकों का मानना है कि जो महिलाओं शिक्षित नहीं होती हैं वहीं पुरुष रिश्तेदारों के हाथों की कठपुतली बनती हैं।

लेकिन पांचवी कक्षा पास भागीरथी देवी एवं दक्षिणी बिहार के गया जिले के बाराचट्टी निरवाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली ज्योति देवी ऐसी धारणा को गलत साबित करती हैं।

बिहार के सबसे पिछड़ी जाति, मुशहर ( चुहे पकड़ने वाली जाति - इस रिपोर्ट के अनुसार मुशहर जाति की साक्षरता दर 2 से 10 फीसदी है ) की ज्योति देवी ने अपने दम पर राजनीति में अपनी खास जगह बनाई है।

कुछ महिलाएं नाम मात्र की शिक्षित हैं लेकिन कई साक्षर नहीं

यदि सशक्तिकरण के लिए शैक्षिक योग्यता ही सूचक होती तो बिहार विधान सभा में महिलाओं की स्थिति बुरी नहीं है। कम से कम 32 फीसदी के पास स्नातक एवं उच्च डिग्री हैं जबकि 41 फीसदी को किसी न किसी प्रकार की औपचारिक या स्कूली शिक्षा प्राप्त है।

पांच महिला विधायकों के पास डॉक्टरेट की डिग्री है। इनमें से प्रोफेसर सुखड़ा पांडे (भाजपा) और उषा सिन्हा ( जनता दल -युनाइटेड ) कॉलेज की प्रिंसिपल रह चुकी हैं।

शेष बचे विधायकों में 17 फीसदी महिला विधायक ‘साक्षर’ हैं, ऐसा वर्ग जो पढ़ने एवं लिखने में सक्षम हैं।

Education of Bihar’s Women MLAs
Educational qualificationsNo of women MLAsPercentage of women MLAs (%)
School education1441
Graduates and above1132
Literate618
Unknown39

Source: myneta.in

34 विधायकों में से तीन विधायक पिछले पांच वर्षों में कई बार मंत्री रह चुकी हैं : लेशी सिंह, बीमा भारती और रंजू गीता। जद (यू) की नीता चौधरी उनकी पार्टी के उप मुख्य सचेतक है ।

लड़ाई की है शुरुआत

विधानसभा में महिलाओं के स्थान के विषय में पूछे जाने पर भागीरथी देवी ने कहा कि “हम तो ज़बरदस्ती बोलते हैं। हम न तो लालू से डरते हैं, न हीं नीतिश से डरते हैं। वोट जनता देता है, हम सिर्फ उसी से डरते हैं।”

बिहार में महिला विधायकों को सदन में समय बोलने पर कुछ प्रतिबंधन प्रतीत होता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं सदस्यों को बोलने की अनुमति देने के हस्तक्षेप करना पड़ा ।

हालांकि कुछ महिला विधानसभा सदस्य अपने पुरुष रिश्तेदारों के लिए अग्रणी होती हैं, ऐसी महिलाओं की संख्या निश्चित रुप से कम है। लेकिन अन्य को ‘प्रॉक्सी’ कहकर नजरअंदाज करके प्रशासन के मकसद को पूरा नहीं किया जा सकता।

( यह लेख GenderinPoliticsएवं इंडियास्पेंड के सहकार्य से प्रस्तुत की गई है। GenderinPoliticsएक परियोजना है जो भारत की राजनीति एवं शासन में महिलाओं की भूमिका पर नज़र रखती है। भानुप्रिया राव GenderinPolitics की सह निर्माता हैं। )

(यह लेख बिहार पर इंडियास्पेंड के विशेष विश्लेषण का हिस्सा है। आप इस श्रृंखला की अन्य लेख यहां पढ़ सकते हैं )

यह लेख मूलत: 26 सितंबर 2015 को अंग्रेज़ी में indiaspend.com पर प्रकाशित हुआ है।


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