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पूर्वी बिहार का एक महिला स्वास्थ सेवा केंद्र जो कि पर्यवेक्षित अध्ययन के अन्तर्गत है – महिला गर्भ निरोधक शल्य क्रियाओं में संलग्न |

    • गर्भ निरोधक शल्य क्रिया के बाद महिलाएं काट्न दरी जमीन पर स्वास्थ रिकवर करने हेतु पड़ी हुई हैं |
    • उक्त लेटी महिलाएं में से कई को गर्भ निरोधित कर बिना किसी चिकित्सकीय सलाह/जांच के डिस्चार्ज कर दिया गया था |
    • अस्पताल के कमरों में चारों तरफ इस्तेमाल की गई सिरिन्ज और बैनडेजेस बिखरे पड़े और दीवारों पर खून के थक्कों के निशान / खिड़कियों के शीशे / ऑपरेशन थिएटर (OT) को मिलाकर – टूटे हुए थे |
    • जिला अस्पतालों में उपर वर्णित परिदृश्य संक्रामकता को दावत देता प्रतीत होता है – ऐसा लगभग प्रत्येक जिले की आधी से अधिक महिलाओं के साथ हो रहा है |

उपरोक्त दयनीय स्थितियाँ एक पूर्वी बिहार की सार्वजनिक स्वास्थ सेवाओं – जो कि , भारत में प्रति जच्चा द्वारा जन्म दिये गए राष्ट्रीय औसत 2.4 की तुलना में सबसे ज्यादा यानि की 3.5% प्रति जच्चा है – जहां पर महिलाओं की गर्भ निरोधक शल्य क्रिया होती है – के ऑडिट सर्वेक्षण के पश्चात पाई गई | बिहार राज्य अपने जन संख्या विस्फोट से इसी तरह लड़खड़ाते हुए निपट रहा है |

उक्त ऑडिट वॉशिंग्टन डी0 सी0 में स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वुमन (ICRW) द्वारा बिहार के 5 जिलों के ऑडिट अध्ययन के पश्चात प्राप्त हुई है , अध्ययन में कहा गया कि इन अस्पतालों में अत्यंत संक्रामक वातावरण के साथ ही ज्यादातर सुविधाओं के क्षेत्र में न्यूनतम सामान जैसे जरूरी उपकरण , दवाएं और गर्भ निरोधी सामान की अत्यंत कमी है , यहाँ तक कि शल्य क्रिया में इस्तेमाल होने वाली कैंची – चिमटी की भी कमी है |

उपर लिखित असुविधाओं के परिणाम स्वरूप: बुखार,रक्तश्राव, पस और अन्य समस्याएँ हैं |

राज्य के मुख्य शहरों के सबसे बड़े जिला अस्पतालों में स्वास्थ सेवा निम्न कोटि की है, आधी से अधिक महिलाओं को सेप्टिक संक्रमण, गर्भ निरोधक शल्य क्रिया से उत्पन्न घाओं के कारण हुए , ज्यादातर समस्या बुखार , ब्लीडिंग और टांको के कारण उत्पन्न हुई |

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सोर्स: आई. सी. आर. डाव्लु.

आई0 सी0 आर0 डाव्लु0 के अध्ययन के मुख्य उद्देश्य बिहार राज्य में परिवार नियोजन संबंधी योजनाओं और उनके क्रियान्वयन के क्षेत्र में कमियों को परखना था और महिलाओं के लिए बेहतर स्वास्थ सुविधाएं कैसे स्थापित की जाएँ |

आई0 सी0 आर0 डाव्लु0 नें अपने अध्ययन से संकलन कर निम्न बातों को प्रकाशित किया है :-

    • महिलाओं के लिए उचित सम्मान और गुणी सेवाओं को देने के लिए परिवार नियोजन योजनाओं के अन्तर्गत उचित और स्वच्छ प्राइवेट जगह की बहुत कमी है |
    • केवल कुछ अस्पतालों मैं उचित मात्रा में दवाएं और उपचार यंत्र थे जिससे कि गर्भ निरोधक शल्य क्रिया और अंतरवाहिक मूत्रनलिका गर्भनिरोधक युक्ति सेवा सम्पन्न हो सके |
    • राज्य में स्वास्थ और सलाह प्रदाता सेवा कर्ताओं में परस्पर व्यवहार कुशलता और व्यावसायिक ट्रेनिंग का थोड़ा अभाव है, जिसके कारण वो गुणवत्ता पूर्ण परिवार नियोजन सेवाएं महिलाओं को दे सक्ने में असमर्थ होते हैं |
    • ज्यादातर अस्पतालों में अस्वच्छ परिस्थियाँ हैं जिसके कारण संक्रमण का खतरा बना रहता है |
    • उक्त संदर्भ में महिलाओं को साफ सुथरी जगह और स्वास्थ सेवा प्रदाताओं से अच्छे अंतरसंबंधों की उम्मीद की जाती है|

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सोर्स : नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे

सामान्य गर्भनिरोधक शल्य क्रिया के खतरे

छत्तीसगढ़ राज्य में पिछले वर्ष असफल गर्भनिरोधक ऑपरेशनस के कारण 16 महिलाओं की मृत्यु नें स्वास्थ क्षेत्र के असली सेवा प्रदाताओं को आत्मलोचन के लिए मजबूर कर दिया |

इंडियास्पेंड नें यह रिपोर्ट किया कि उक्त घटना केवल मानक चिकित्सा नियमो का अवहेलना मात्र नहीं थी |

हमारे राष्ट्रीय स्वास्थ आंकड़े के विश्लेषण से पता चला कि वर्ष 2009 -11 के बीच उपरोक्त गलत ऑपरेशनस के कारण 200 महिलाओं कि मृत्यु हुई |

भारत के स्वास्थ और परिवार नियोजन मंत्री जगतप्रकाश नड़ड़ा ने लोकसभा में वक्तब्य दिया कि छत्तीसगढ़ राज्य में जो पहला गर्भनिरोधक ऑपरेशनस कैम्प 8 नवम्बर 2014 को हुए 137 ऑपरेशनस के उपरांत हुई मोंतों की प्रारम्भिक जांच से पता चला कि सरकार नें एक दिन में केवल 30 गर्भनिरोधक ऑपरेशनस करने का आदेश दिया था |

नड़ड़ा ने कहा कि ऑपरेशनस थिएटर (OT) ठीक से काम नहीं कर रहा था और एक्सपायर्ड और दूषित दवाएं दी गयी थी |

लेकिन बाद में अच्छी स्वास्थ सेवाएँ इन अस्पतालों में प्रदान की जाए – इस विषय पर काफी चिंतन हुआ | आई0 सी0 आर0 डाव्लु0 नें जांच करके बताया कि उस घटना के बाद जरूर कुछ सुधार हुआ है – लेकिन सुधार के क्षेत्र में अस्पतालों की बिल्डिंगस और अच्छी बन गयी है और बिजली पानी की सुविधाएं भी बढ़ी हैं – पर चिकित्सकीय सुवधाओं में कोई विस्तार या सुधार नहीं दिखता |


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